शासन व्यवस्था
डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर
- 30 Mar 2023
- 11 min read
प्रिलिम्स के लिये:डिजिटल पहचान (आधार), रीयल-टाइम त्वरित भुगतान (UPI) और अकाउंट एग्रीगेटर, DEPA। मेन्स के लिये:डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर। |
चर्चा में क्यों?
सार्वजनिक बुनियादी ढाँचा मानव प्रगति की आधारशिला रहा है, लेकिन इसने पिछली पीढ़ी को त्रस्त कर दिया है, जिससे एक तीसरे प्रकार का सार्वजनिक बुनियादी ढाँचा अनिवार्य हो गया है जिसे डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) कहा जाता है, जिसमें अधिक खुले और लोकतांत्रिक सिद्धांत शामिल हैं।
डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI):
- डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) डिजिटल पहचान, भुगतान अवसंरचना और डेटा विनिमय समाधान जैसे ब्लॉक या प्लेटफाॅर्म को संदर्भित करता है जो देशों को अपने लोगों को आवश्यक सेवाएँ प्रदान करने, नागरिकों को सशक्त बनाने और डिजिटल समावेशन को सक्षम करके जीवन में सुधार करने में मदद करता है।
- DPIs लोगों, धन और सूचना के प्रवाह में मध्यस्थता करते हैं। पहले एक डिजिटल ID प्रणाली के माध्यम से लोगों का प्रवाह। दूसरा रियल-टाइम त्वरित भुगतान प्रणाली के माध्यम से धन का प्रवाह और तीसरा DPI के लाभों को प्राप्त करने एवं डेटा को नियंत्रित करने की वास्तविक क्षमता के साथ नागरिकों को सशक्त बनाने के लिये सहमति-आधारित डेटा साझाकरण प्रणाली के माध्यम से व्यक्तिगत जानकारी का प्रवाह।
- ये तीन सेट एक प्रभावी DPI पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने के आधार हैं।
- प्रत्येक DPI स्तर एक स्पष्ट आवश्यकता को पूरा करती है और विभिन्न क्षेत्रों में लिये बहुत उपयोगी है।
- भारत, इंडिया स्टैक के माध्यम से सभी तीन मूलभूत DPI- डिजिटल पहचान (आधार), रीयल-टाइम फास्ट पेमेंट (UPI) और डेटा एम्पावरमेंट प्रोटेक्शन आर्किटेक्चर (DEPA) पर निर्मित अकाउंट एग्रीगेटर विकसित करने वाला पहला देश बन गया।
- DEPA एक डिजिटल ढाँचा का निर्माण करता है जो उपयोगकर्त्ताओं को एक तृतीय-पक्ष इकाई के माध्यम से अपने डेटा को अपनी शर्तों पर साझा करने की अनुमति देता है, जिन्हें कंसेंट मैनेजर के रूप में जाना जाता है।
भारत के DPI पारिस्थितिकी तंत्र के स्तंभ:
- आधार:
- आधार सामाजिक और वित्तीय समावेशन, सार्वजनिक क्षेत्र के वितरण सुधारों, राजकोषीय बजट के प्रबंधन, सुविधा बढ़ाने और परेशानी मुक्त जन-केंद्रित शासन को बढ़ावा देने के लिये एक सामरिक नीति उपकरण है।
- आधार धारक निजी क्षेत्र के प्रयोजनों के लिये स्वेच्छा से अपने आधार का उपयोग कर सकते हैं और निजी क्षेत्र की संस्थाओं को ऐसे उपयोग के लिये विशेष अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है।
- आधार सामाजिक और वित्तीय समावेशन, सार्वजनिक क्षेत्र के वितरण सुधारों, राजकोषीय बजट के प्रबंधन, सुविधा बढ़ाने और परेशानी मुक्त जन-केंद्रित शासन को बढ़ावा देने के लिये एक सामरिक नीति उपकरण है।
- डिजीयात्रा:
- डिजीयात्रा एक फेशियल रिकग्निशन सिस्टम (FRS) पर आधारित बायोमेट्रिक इनेबल्ड सीमलेस ट्रेवल (BEST) अनुभव है।
- वित्तीय वर्ष 2022 में पूरे भारत के विमानपत्तनों पर हवाई यात्रियों की संख्या 188 मिलियन से अधिक होने का अनुमान लगाया गया था, जिनमें से 22 मिलियन से अधिक अंतर्राष्ट्रीय यात्री थे।
- डिजीलॉकर:
- डिजीलॉकर के 150 मिलियन उपयोगकर्त्ता हैं, जिसमें छह बिलियन दस्तावेज़ संग्रहीत हैं और सात वर्षों में 50 करोड़ रुपए के एक न्यूनतम बजट के साथ इसे कार्यान्वित किया गया है।
- उपयोगकर्त्ता अपने दस्तावेज़ जैसे- बीमा, चिकित्सा रिपोर्ट, पैन कार्ड, पासपोर्ट, विवाह प्रमाण पत्र, स्कूल प्रमाण पत्र एवं अन्य दस्तावेज़ डिजिटल प्रारूप में संग्रहीत कर सकते हैं।
- UPI:
- UPI (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) के माध्यम से लेन-देन का आँकड़ा प्रतिमाह आठ बिलियन तक पहुँच गया है, जिसका मासिक मूल्य 180 बिलियन अमेरिकी डॉलर है या यह मूल्य प्रतिवर्ष भारत के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 65% है।
- UPI वर्तमान में नेशनल ऑटोमेटेड क्लियरिंग हाउस (NACH), तत्काल भुगतान सेवा (Immediate Payment Service- IMPS), आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (Aadhaar enabled Payment System- AePS), भारत बिल भुगतान प्रणाली (BBPS), रुपे आदि सहित भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (National Payments Corporation of India- NPCI) संचालित प्रणालियों में सबसे बड़ा है।
इंडिया स्टैक:
- इंडिया स्टैक (IndiaStack) एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (API) का एक सेट है जो सरकारों, व्यवसायों, स्टार्टअप और डेवलपर्स को उपस्थिति-रहित, पेपरलेस और कैशलेस सेवा वितरण की दिशा में भारत की कठिन समस्याओं को हल करने के लिये एक अद्वितीय डिजिटल बुनियादी ढाँचे का उपयोग करने की अनुमति देता है।
- यह जनसंख्या स्तर पर पहचान, डेटा और भुगतान की पुरानी विधियों से लोगों को मुक्त करना चाहता है।
- इंडिया स्टैक का विज़न एक देश तक सीमित नहीं है; इसे किसी भी राष्ट्र में लागू किया जा सकता है, फिर वह चाहे विकसित राष्ट्र हो या विकासशील।
- इस परियोजना की अवधारणा सबसे पहले भारत में विकसित हुई और सबसे पहले भारत में ही लागू की गई थी, जहाँ इसे अरबों लोगों और व्यवसायों द्वारा तेज़ी से अपनाया गया, वहीं इसने वित्तीय एवं सामाजिक समावेश को बढ़ावा दिया तथा देश को इंटरनेट युग के लिये तैयार किया।
भारत के डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने में DPI की भूमिका:
- स्वतंत्र प्रबंधक संस्थान:
- स्वतंत्र DPI संस्थानों के माध्यम से बहुदलीय शासन प्रक्रिया एक इकाई या समूह द्वारा नियंत्रित होने के बजाय हितधारकों की एक विस्तृत शृंखला के प्रति जवाबदेह होगी। यह DPI में विश्वास और भरोसा उत्पन्न कर सकता है।
- वैश्विक मानक:
- भारत के नेतृत्त्व में बहुपक्षीय संवाद के माध्यम से वैश्विक मानकों को विकसित करने की आवश्यकता है।
- यदि विकसित देशों के मानदंडों को उभरती अर्थव्यवस्थाओं के संदर्भ में आरोपित किया गया तो छोटे देश प्रमुख प्रौद्योगिकी अभिकर्त्ताओं पर निर्भर हो जाएंगे।
- स्थायी वित्तपोषण मॉडल:
- विश्व के लिये DPI विकसित करने हेतु स्थायी वित्तपोषण मॉडल विकसित करने की आवश्यकता है।
- वर्तमान में परोपकारी वित्तीयन द्वारा समर्थित ऐसे मॉडलों पर परोपकारी स्थिति और प्रतिस्पर्द्धा के एक उपकरण मात्र बनने का खतरा है।
- डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर हेतु नवीन निर्देश:
- डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर हेतु विश्व को एक नवीन निर्देश की ज़रूरत है जो लोगों, धन और सूचनाओं के प्रवाह में मध्यस्थता कर सके।
- इससे देशों को अपने नागरिकों को डिजिटल रूप से सशक्त बनाने में मदद मिलेगी।
- इसके बाद वे लोगों की विशिष्ट ज़रूरतों को शीघ्रता से पूरा करने वाले प्लेटफॉर्म बन सकते हैं, साथ ही यह भी सुनिश्चित कर सकते हैं कि लोग बहिष्करण या शोषण के डर के बिना प्लेटफॉर्म पर भरोसा कर सकें एवं उसका उपयोग कर सकें।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d) व्याख्या:
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