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शासन व्यवस्था

स्मार्ट सिटी मिशन

  • 16 May 2024
  • 13 min read

प्रिलिम्स के लिये:

स्मार्ट सिटीज़ मिशन (SCM), केंद्र प्रायोजित योजना, सतत् विकास, विशेष प्रयोजन वाहन (SPV), सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP), शहरी कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिये अटल मिशन (AMRUT), प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (PMY-U), क्लाइमेट स्मार्ट सिटीज़ असेसमेंट फ्रेमवर्क 2.0, ट्यूलिप-द अर्बन लर्निंग इंटर्नशिप प्रोग्राम

मेन्स के लिये:

स्मार्ट सिटीज़ मिशन का विश्लेषण

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों?

जून 2024 तक दो समय सीमा विस्तारों के बावज़ूद, 2015 में लॉन्च किये गए स्मार्ट सिटीज़ मिशन (SCM) को दी गई समय सीमा में पूरा करने की संभावना नहीं है, इस मिशन में 5,533 पूर्ण परियोजनाओं को 65,063 करोड़  रुपए में तथा 921 चालू परियोजनाओं को 21,000 करोड़ रुपए द्वारा वित्तपोषित किया गया है।

स्मार्ट सिटीज़ मिशन (SCM) क्या है?

  • परिचय: 
    • यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसे जून 2015 में "स्मार्ट सॉल्यूशंस" के अनुप्रयोग के माध्यम से नागरिकों को जीवन की गुणवत्ता एवं स्वच्छ तथा संवहनीय वातावरण प्रदान करने के लिये, 100 शहरों के आवश्यक बुनियादी ढाँचे को बदलने के लिये प्रारंभ किया गया था।
    • इसका उद्देश्य सतत् और समावेशी विकास के माध्यम से नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना है।
  • उद्देश्य:
    • मुख्य बुनियादी ढाँचा और जीवन की गुणवत्ता प्रदान करना 
    • स्वच्छ एवं टिकाऊ पर्यावरण
    • 'स्मार्ट' समाधानों का अनुप्रयोग
    • सतत् एवं समावेशी विकास
    • सघन क्षेत्र
    • अनुकरणीय मॉडल
  • SCM के घटक:
    • क्षेत्र आधारित विकास:
      • पुनर्विकास: बुनियादी ढाँचे और सुविधाओं में सुधार के लिये मौजूदा शहरी क्षेत्रों का नवीनीकरण। जैसे भिंडी बाज़ार, मुंबई।
      • रेट्रोफिटिंग: मौजूदा क्षेत्रों को अधिक उपयोगी और टिकाऊ बनाने के लिये बुनियादी ढाँचे का विकास करना। जैसे स्थानीय क्षेत्र विकास (अहमदाबाद)।
      • ग्रीनफील्ड परियोजनाएँ: स्थिरता और स्मार्ट प्रौद्योगिकियों पर ध्यान देने के साथ नए शहरी क्षेत्रों का विकास। जैसे न्यू टाउन, कोलकाता, नया रायपुर, गिफ्ट सिटी।
    • पैन-सिटी समाधान:
  • शासन संरचना:
  • स्मार्ट सिटीज़ मिशन की वर्तमान स्थिति (SCM): प्रारंभ में वर्ष 2020 तक मिशन को पूर्ण करने की योजना बनाई गई थी, इसके बाद मिशन को दो बार बढ़ाया गया तथा मिशन पूरा करने की वर्तमान समय सीमा जून 2024 निर्धारित की गई थी।
    • फंडिंग पैटर्न की परिकल्पना सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मार्ग के माध्यम से की गई थी।
  • सरकारी पहल 

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स्मार्ट सिटी क्या है?

  • वर्ष 2009 के वित्तीय संकट के बाद 'स्मार्ट सिटी' शब्द को प्रमुखता मिली, यह उन्नत ICT एकीकरण के साथ डिज़ाइन किये गए शहरों का जिक्र करता है, जिनकी तुलना अक्सर नई सिलिकॉन वैली से की जाती है।
  • हालाँकि, भारतीय संदर्भ में एक स्मार्ट सिटी वह होगी जो सुशासन के सिद्धांतों को बढ़ावा देते हुए अपनी आकांक्षाओं और चुनौतियों को स्थायी तरीके से पूरा करने के लिये विवेकपूर्ण योजना बनाती है।
  • ‘स्मार्ट सिटी’ वह है जिसमें बुनियादी ढाँचे और सेवाओं को बेहतर बनाने के लिये 'स्मार्ट' समाधानों का उपयोग किया जाता है, जो क्षेत्र-आधारित विकास पर निर्भर होता है।
  • स्मार्ट शहरों का विकास: वर्ष 2009 से पहले शहरों को ज़्यादातर व्यापार और संस्कृति के केंद्र के रूप में देखा जाता था तथा ICT को एकीकृत करने पर बहुत कम ज़ोर दिया जाता था; लेकिन वित्तीय संकट के बाद, स्थिरता, आर्थिक विकास एवं दक्षता में वृद्धि के लिये ICT के उपयोग की दिशा में उल्लेखनीय बदलाव आया।

Smart_Solutions

स्मार्ट सिटीज़ मिशन के समक्ष कौन-सी चुनौतियाँ हैं?

  • परिभाषा में स्पष्टता का अभाव:
    • SCM ने स्थानीय संदर्भों और आकांक्षाओं के आधार पर विभिन्न अवधारणाओं को स्वीकार करते हुए, स्मार्ट सिटी को स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया।
      • परिभाषा की अस्पष्टता संसाधनों को प्रभावी ढंग से आवंटित करना और परियोजनाओं को प्राथमिकता देना चुनौतीपूर्ण बनाती है।
  • अधोमुखी दृष्टिकोण: 
    • निर्णय लेने में निर्वाचित परिषदों की भूमिका को कम करके निर्वाचित प्रतिनिधियों की भूमिका को दरकिनार किया जाना लोकतांत्रिक शासन और जवाबदेही के बारे में चिंता उत्पन्न करता है।
  • दोषपूर्ण शहर चयन प्रक्रिया:
    • प्रतिस्पर्द्धी आधार पर शहरों का चयन करते समय भारत की शहरी विवधताओं की वास्तविकताओं को अनदेखा किया गया, जो पश्चिमी देशों की तरह गतिशील हैं और स्थिर नहीं हैं।
    • यह योजना शहर के 1% से भी कम क्षेत्र को विकसित करने पर केंद्रित थी, जिससे कई क्षेत्र विकास होने के क्रम से बाहर हो गए।
      • उदाहरण के लिये, चंडीगढ़ में सेक्टर 43 में 196 करोड़ रुपए का निवेश किया था।
  • अपर्याप्त वित्तपोषण और दायरा:
    • मैकिन्से की रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि वर्ष 2030 तक भारतीय शहरों में रहने की क्षमता में सुधार के लिये 1.2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता है, जो नौ वर्षों में 1,67,875 करोड़ रुपए है, जो कुल शहरी भारत व्यय का मात्र 0.027% है।
    • प्रारंभ में वर्ष 2020 तक पूरा करने की योजना बनाई गई थी, मिशन को दो बार आगे बढ़ाया जा चुका था, वर्तमान समय सीमा जून 2024 निर्धारित की गई थी, जो शहरी विकास प्रक्रिया की जटिलता को दर्शाता है।
  • शासन की संरचना के मुद्दे:
    • स्मार्ट सिटीज़ के लिये बनाए गए विशेष प्रयोजन वाहन (special purpose vehicle- SPV) मॉडल को 74वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम के साथ संरेखित नहीं किया गया था, जिससे शासन संरचना के संबंध में शहरों को आपत्तियाँ हुईं क्योंकि इसने पारंपरिक शहर शासन संरचनाओं को नज़रअंदाज कर दिया था।
      • PPP मिशन का एक महत्त्वपूर्ण आधार होने के बावज़ूद, इस प्रक्रिया द्वारा 5% से अधिक वित्तपोषण नहीं आया है।
  • विस्थापन और सामाजिक प्रभाव:
    • स्मार्ट सिटी परियोजनाओं के कारण गरीब इलाकों में रह रहे फुटपाथ विक्रेताओं का विस्थापन हुआ, जिससे शहरी समुदाय बाधित हुआ।
    • कुछ कस्बों में बुनियादी ढाँचे के विकास पर ध्यान देने से शहरी बाढ़ में वृद्धि हुई, जिससे जल चैनल और रूपरेखा बाधित या नष्ट हो गईं।

स्मार्ट सिटीज़ मिशन को मज़बूत करने के लिये क्या कदम आवश्यक हैं?

आवास और शहरी मामलों की स्थायी समिति निम्नलिखित व्यापक सिफारिशें देती है:

  • शासन और कार्यान्वयन:
    • विशेषज्ञों और हितधारकों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करते हुए और मौजूदा विशेषज्ञता का उपयोग करते हुए, समर्पित CEO को निश्चित कार्यकाल के साथ नियुक्त किया जाना चाहिये।
    • संसद सदस्यों (सांसदों) को राज्य-स्तरीय सलाहकार मंचों में शामिल करने की आवश्यकता है, और परियोजना की पहचान, चयन तथा कार्यान्वयन के लिये उनसे परामर्श लिया जाना चाहिये, क्योंकि उनके पास ज़मीनी स्तर की विशेषज्ञता होती है।
  • परियोजना पर फोकस और प्राथमिकताएँ:
  • क्षमता निर्माण एवं वित्तपोषण:
    • छोटे शहरों में शहरी स्थानीय निकायों (Urban Local Bodies- ULB) की क्षमताओं को मज़बूत करने की योजना और समर्थन की आवश्यकता वाले राज्यों में संगठनात्मक पुनर्गठन एवं क्षमता निर्माण के लिये केंद्र सरकार की सहायता की योजना शुरू की जानी चाहिये।
  • परियोजना समापन:
    • प्रोजेक्ट को समय पर पूर्ण करने हेतु ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिये। मंत्रालय की भूमिका केवल निधि अंतरण तक ही सीमित नहीं होनी चाहिये, बल्कि इनपुट और विशेषज्ञता के साथ हस्तक्षेप करके निष्पादन एवं प्रभावी समापन सुनिश्चित करने तक विस्तारित होनी चाहिये

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. भारत में स्मार्ट सिटीज़ मिशन के समक्ष आने वाली चुनौतियों पर चर्चा कीजिये। इन चुनौतियों का समाधान करने और सतत् शहरी विकास को बढ़ावा देने में मिशन की प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिये उपाय सुझाइएI 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न   

मेन्स:

प्रश्न. भारत में नगरीय जीवन की गुणता की संक्षिप्त पृष्ठभूमि के साथ, ‘स्मार्ट नगर कार्यक्रम’ के उद्देंश्य और रणनीति बताइए। (2016)

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