शासन व्यवस्था
CERT-In को RTI अधिनियम के दायरे से छूट
- 29 Nov 2023
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प्रिलिम्स के लिये:Right to Information Act 2005, Indian Computer Emergency Response Team (CERT-In), Cyber Security सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005, भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम (CERT-In), साइबर सुरक्षा मेन्स के लिये:सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम, पारदर्शिता और दायित्व, साइबर सुरक्षा |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
केंद्र ने कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT) के माध्यम से हाल ही में एक अधिसूचना जारी कर भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम (CERT-In) को सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के दायरे से छूट दे दी है।
- CERT-In, अब अपनी गतिविधियों और कामकाज के बारे में जानकारी तक सार्वजनिक पहुँच को सीमित करते हुए RTI अधिनियम, 2005 के दायरे से बाहर कार्य करेगा।
CERT-In को किस प्रकार छूट दी गई?
- केंद्र ने CERT-In को पारदर्शिता कानून के दायरे से छूट देने के लिये RTI अधिनियम की धारा 24(2) के तहत दी गई अपनी शक्तियों का उपयोग किया है।
- RTI अधिनियम, 2005 की धारा 24(2) केंद्र सरकार को सरकार द्वारा स्थापित खुफिया या सुरक्षा संगठनों को जोड़कर या हटाकर अनुसूची में बदलाव करने की अनुमति देती है।
- हालाँकि यह उपधारा भ्रष्टाचारऔर मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों से संबंधित जानकारियों पर लागू नहीं होती है, न ही उन मामलों पर जहाँ ऐसे आरोप लगाए गए हैं।
- इसके अलावा, मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों से संबंधित जानकारी केंद्रीय सूचना आयोग की मंज़ूरी के बाद ही प्रदान की जा सकती है।
- RTI अधिनियम, 2005 की धारा 24(2) केंद्र सरकार को सरकार द्वारा स्थापित खुफिया या सुरक्षा संगठनों को जोड़कर या हटाकर अनुसूची में बदलाव करने की अनुमति देती है।
- केंद्र, आधिकारिक राजपत्र में एक अधिसूचना के माध्यम से दूसरी अनुसूची में संशोधन कर सकता है। हालाँकि ऐसी प्रत्येक अधिसूचना संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष रखी जाएगी।
- RTI अधिनियम की धारा 24 की उपधारा 4 के तहत राज्य सरकार को भी ऐसी ही शक्तियाँ दी गई हैं।
- उन शक्तियों का उपयोग करते हुए केंद्र ने 26 अन्य खुफिया और सुरक्षा संगठनों के साथ CERT-In को RTI अधिनियम की दूसरी अनुसूची में शामिल किया है, जिन्हें पूर्व में ही अधिनियम द्वारा छूट दे दी गई है।
- सूची में प्रमुख खुफिया एवं सुरक्षा संगठन जैसे अन्वेषण ब्यूरो, राजस्व खुफिया निदेशालय, प्रवर्तन निदेशालय, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो और अन्य शामिल हैं।
CERT-In क्या है?
- परिचय:
- CERT-In के कार्य:
- सूचना प्रौद्योगिकी संशोधन अधिनियम, 2008 के अनुसार, CERT-In को साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में निम्नलिखित कार्य करने के लिये राष्ट्रीय एजेंसी के रूप में नामित किया गया है:
- साइबर घटनाओं पर सूचना का संग्रहण, विश्लेषण और प्रसार।
- साइबर सुरक्षा घटनाओं का पूर्वानुमान और अलर्ट।
- साइबर सुरक्षा घटनाओं से निपटने हेतु आपातकालीन उपाय।
- साइबर घटना प्रतिक्रिया गतिविधियों का समन्वय।
- सूचना सुरक्षा प्रथाओं, प्रक्रियाओं, रोकथाम, प्रतिक्रिया और साइबर घटनाओं की रिपोर्टिंग से संबंधित दिशानिर्देश, सलाह, भेद्यता नोट तथा श्वेतपत्र जारी करना।
- साइबर सुरक्षा से संबंधित ऐसे अन्य कार्य जो निर्धारित किये जा सकते हैं।
- सूचना प्रौद्योगिकी संशोधन अधिनियम, 2008 के अनुसार, CERT-In को साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में निम्नलिखित कार्य करने के लिये राष्ट्रीय एजेंसी के रूप में नामित किया गया है:
- भारत के लिये महत्त्व:
- CERT-In भारत के लिये महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह देश की महत्त्वपूर्ण सूचना अवसंरचना और डिजिटल संपत्तियों को साइबर हमलों से बचाने में सहायता करता है।
- यह देश के विभिन्न क्षेत्रों, जैसे सरकार, रक्षा, बैंकिंग, दूरसंचार आदि की साइबर लचीलापन और तत्परता को बढ़ाने में भी सहायता करता है।
- यह एक सुरक्षित साइबर वातावरण को बढ़ावा देकर देश की राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक विकास में भी योगदान देता है।
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 क्या है?
- परिचय:
- वर्ष 2005 में अधिनियमित, RTI अधिनियम एक विधायी ढाँचा है जो भारतीय नागरिकों को सार्वजनिक अधिकारियों द्वारा रखी गई जानकारी तक पहुँच प्रदान करता है।
- इसकी नींव संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) में निहित है, जो भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सुनिश्चित करता है।
- सूचना की स्वतंत्रता अधिनियम, 2002 को RTI अधिनियम में बदल दिया गया।
- संवैधानिक समर्थन:
- अनुच्छेद 19(1)(a) से व्युत्पन्न, RTI अधिनियम को एक मौलिक अधिकार माना जाता है, जैसा कि राज नारायण बनाम उत्तर प्रदेश राज्य मामले में दर्शाया गया है।
- समय अवधि और छूट:
- सामान्य तौर पर, किसी आवेदक को जीवन या स्वतंत्रता से संबंधित जानकारी 30 दिनों या 48 घंटों के भीतर प्रदान की जानी चाहिये।
- धारा 8(1) में छूट का प्रावधान दिया गया है, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा, रणनीतिक राज्य मामले, विदेशी संबंध और अन्य महत्त्वपूर्ण बिंदु शामिल है।
- सामान्य तौर पर, किसी आवेदक को जीवन या स्वतंत्रता से संबंधित जानकारी 30 दिनों या 48 घंटों के भीतर प्रदान की जानी चाहिये।
- कार्यान्वयन:
- जन सूचना अधिकारी (PIO), RTI अधिनियम के कार्यान्वयन का एक प्रमुख घटक है।
- PIO किसी सार्वजनिक प्राधिकरण के अंतर्गत एक नामित अधिकारी है जो जानकारी मांगने वाले नागरिकों तथा उस जानकारी को एकत्रित करने वाले सरकारी संगठन के मध्य एक सेतु के रूप में कार्य करता है।
- जन सूचना अधिकारी (PIO), RTI अधिनियम के कार्यान्वयन का एक प्रमुख घटक है।
- अपीलीय प्राधिकरण:
- PIO की प्रतिक्रिया से तुष्ट न होने पर, नागरिक उसी सार्वजनिक प्राधिकरण के अधीन प्रथम अपीलीय प्राधिकरण में अपील कर सकते हैं। आवश्यकता पड़ने पर केंद्रीय अथवा राज्य सूचना आयोग में आगे अपील की जा सकती है।
- RTI अधिनियम में हालिया संशोधन:
- वर्ष 2023 के संशोधन:
- हाल ही में डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 की धारा 44(3) द्वारा RTI अधिनियम की धारा 8 (1)(j) को संशोधित किया गया है, जिससे सभी व्यक्तिगत जानकारी को प्रकटीकरण से छूट मिल गई है तथा पहले से निहित अपवादों को हटा दिया गया है जो इस तरह की जानकारी जारी करने की अनुमति देते हैं।
- सूचना का अधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2019:
- मुख्य सूचना आयुक्त (CIC) तथा सूचना आयुक्तों (IC) के कार्यकाल एवं शर्तों में संशोधन।
- IC की शर्तें केंद्र सरकार के निर्देश के अधीन बनाई गई हैं (वर्तमान में 3 वर्ष के लिये निर्धारित, न कि विगत निर्धारित 5-वर्षीय कार्यकाल के लिये)।
- CIC और IC (केंद्र व राज्य) के वेतन, भत्ते तथा अन्य सेवा शर्तें केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित की जाएँगी।
- CIC तथा IC की नियुक्ति के समय विगत सरकारी सेवा के लिये पेंशन अथवा सेवानिवृत्ति लाभों में कटौती के प्रावधानों को समाप्त कर दिया गया।
- मुख्य सूचना आयुक्त (CIC) तथा सूचना आयुक्तों (IC) के कार्यकाल एवं शर्तों में संशोधन।
- वर्ष 2023 के संशोधन:
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नमेन्स:प्रश्न: “सूचना का अधिकार अधिनियम केवल नागरिकों के सशक्तीकरण के बारे में ही नहीं है, अपितु यह आवश्यक रूप से जवाबदेही की संकल्पना को पुनः परिभाषित करता है।” विवेचना कीजिये। (2018) |