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शासन व्यवस्था

‘अखिल भारतीय सेवा’ अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति

  • 21 Jan 2022
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

अखिल भारतीय सेवाएँ (AIS), कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT)।

मेन्स के लिये:

भारतीय प्रशासनिक सेवा (कैडर) नियम 1954, अखिल भारतीय सेवा अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति, AIS अधिकारियों की संघीय प्रकृति।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) ने राज्यों को लिखा है कि केंद्र सरकार ‘भारतीय प्रशासनिक सेवा (कैडर) नियम-1954’ के नियम 6 (कैडर अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति) में संशोधन करने का प्रस्ताव करती है।

  • इसके तहत केंद्र सरकार IAS और IPS अधिकारियों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के माध्यम से स्थानांतरित करने हेतु राज्य सरकारों की मंज़ूरी लेने की आवश्यकता को समाप्त करने हेतु अधिभावी शक्तियों का अधिग्रहण करेगी।

प्रमुख बिंदु

  • अखिल भारतीय सेवाएँ:
    • परिचय: अखिल भारतीय सेवाओं (AIS) में भारत की तीन सिविल सेवाएँ शामिल हैं:
      • भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS)
      • भारतीय पुलिस सेवा (IPS)
      • भारतीय वन सेवा (IFoS)।
    • अखिल भारतीय सेवाओं की संघीय प्रकृति: अखिल भारतीय सेवा अधिकारियों की भर्ती केंद्र सरकार द्वारा (UPSC के माध्यम से) की जाती है और उनकी सेवाओं को विभिन्न राज्य संवर्गों के तहत आवंटित किया जाता है।
      • इसलिये उनकी राज्य और केंद्र दोनों के अधीन सेवा करने की जवाबदेही होती है।
      • हालाँकि अखिल भारतीय सेवाओं की कैडर नियंत्रण अथॉरिटी केंद्र सरकार के पास है।
        • DoPT भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारियों का कैडर कंट्रोलिंग अथॉरिटी है।
        • भारतीय पुलिस सेवा और भारतीय वन सेवा अधिकारियों (IFoS) की प्रतिनियुक्ति के लिये कैडर कंट्रोलिंग अथॉरिटी क्रमशः गृह मंत्रालय (MHA) और पर्यावरण मंत्रालय के पास हैं।
    • केंद्रीय प्रतिनियुक्ति रिज़र्व: राज्य सरकार को प्रतिनियुक्ति हेतु उपलब्ध अधिकारियों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति रिज़र्व (Central Deputation Quota) के तहत निर्धारित करना है।
      • प्रत्येक राज्य कैडर/संवर्ग सेवा का एक केंद्रीय प्रतिनियुक्ति कोटा प्रदान करता है जिसके लिये केंद्र सरकार में पदों पर सेवा देने हेतु प्रशिक्षित और अनुभवी सदस्यों को प्रदान करने के लिये सेवा में अतिरिक्त भर्ती की आवश्यकता होती है।
  • एआईएस अधिकारी की प्रतिनियुक्ति और वर्तमान नियम:
    • सामान्य व्यवहार में केंद्र हर साल केंद्रीय प्रतिनियुक्ति (Deputation) पर जाने के इच्छुक अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों की "प्रस्ताव सूची" मांगता है जिसके बाद वह उस सूची से अधिकारियों का चयन करता है।
    • अधिकारियों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति हेतु राज्य सरकार से मंज़ूरी लेनी होती है।
    • राज्यों को केंद्र सरकार के कार्यालयों में अखिल भारतीय सेवा (एआईएस) अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति करनी होती है और किसी भी समय यह कुल संवर्ग की संख्या के 40% से अधिक नहीं हो सकती है।
  • प्रस्तावित संशोधन:
    • यदि राज्य सरकार किसी राज्य कैडर अधिकारी को केंद्र में नियुक्ति करने में देरी करती है और निर्दिष्ट समय के भीतर केंद्र सरकार के निर्णय को लागू नहीं करती है, तो अधिकारी को केंद्र सरकार द्वारा निर्दिष्ट तिथि से कैडर से मुक्त कर दिया जाएगा।
    • केंद्र, राज्य के परामर्श से केंद्र सरकार को प्रतिनियुक्त किये जाने वाले अधिकारियों की वास्तविक संख्या तय करेगा।
    • केंद्र और राज्य के बीच किसी भी असहमति के मामले में केंद्र सरकार द्वारा तय किया जाएगा और राज्य, केंद्र के फैसले को लागू करेगा।
    • विशिष्ट स्थितियों में जब केंद्र सरकार द्वारा "जनहित" में कैडर अधिकारियों की सेवाओं की आवश्यकता होती है, राज्य अपने निर्णयों को एक निर्दिष्ट समय के भीतर प्रभावी करेगा।
  • DoPT का पक्ष:
    • डीओपीटी ने कहा कि वह केंद्रीय मंत्रालयों में अखिल भारतीय सेवा (एआईएस) अधिकारियों की कमी के मद्देनज़र यह फैसला ले रहा है।
    • डीओपीटी के अनुसार, राज्य केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिये पर्याप्त संख्या में अधिकारियों को प्रायोजित नहीं कर रहे हैं और अधिकारियों की संख्या केंद्र में आवश्यकता को पूरा करने के लिये पर्याप्त नहीं है।
  • कुछ राज्यों द्वारा विरोध:
    • यह सहकारी संघवाद की भावना के विरुद्ध है।
    • प्रस्तावित संशोधन नौकरशाही पर राज्य के राजनीतिक नियंत्रण को कमज़ोर करेगा।
    • यह प्रभावी शासन को बाधित करेगा और परिहार्य कानूनी और प्रशासनिक विवाद पैदा करेगा।
    • केंद्र एक चुनी हुई राज्य सरकार के खिलाफ नौकरशाही को हथियार बना सकता है।

स्रोत: द हिंदू

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