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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

पर्सपेक्टिव: भारत हेतु उभरती और महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकियाँ

  • 26 Feb 2024
  • 22 min read

प्रिलिम्स के लिये:

क्वांटम प्रौद्योगिकी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), अर्द्धचालक, स्वच्छ ऊर्जा, ग्रीन हाइड्रोजन, जैव अर्थव्यवस्था, अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (ANRF), राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020, विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (SERB), iDEX मॉडल,

मेन्स के लिये:

भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में उभरती और महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकी का महत्त्व।

संदर्भ क्या है?

भारत का लक्ष्य वर्ष 2030 तक अपनी अर्थव्यवस्था को 7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक विस्तारित करना है, जिसके लिये स्मार्ट और उन्नत प्रौद्योगिकी पर रणनीतिक ज़ोर देना आवश्यक है।

भारत में विभिन्न महत्त्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियाँ क्या हैं?

  • क्वांटम प्रौद्योगिकी:
    • क्वांटम प्रौद्योगिकी, क्वांटम यांत्रिकी के सिद्धांतों पर आधारित है जिसे 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में परमाणुओं और प्राथमिक कणों के पैमाने पर प्रकृति का वर्णन करने के लिये विकसित किया गया था।
    • पारंपरिक कंप्यूटिंग सूचनाओं को ‘बिट्स’ या ‘1’ और ‘0’ में प्रोसेस किया जाता है, यह प्रणाली पारंपरिक भौतिकी (Classical Physics) का अनुसरण करती है जिसके तहत हमारे कंप्यूटर एक समय में '1' या '0’ को प्रोसेस कर सकते हैं। 
    • क्वांटम कंप्यूटिंग ‘क्यूबिट्स' (या क्वांटम बिट्स) में गणना करता है। वे क्वांटम यांत्रिकी के गुणों का दोहन करते हैं, वह विज्ञान जो यह नियंत्रित करता है कि परमाणु पैमाने पर पदार्थ कैसे व्यवहार करता है।
      • इसके तहत प्रोसेसर में 1 और 0 दोनों अवस्थाएँ एक साथ हो सकती हैं, जिसे क्वांटम सुपरपोज़िशन की अवस्था कहा जाता है।
      • क्वांटम सुपरपोज़िशन में यदि एक क्वांटम कंप्यूटर योजनाबद्ध रूप से काम करता है तो यह एक साथ समानांतर रूप से कार्य कर रहे कई पारंपरिक कंप्यूटरों की नकल कर सकता है।
  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI):
    • AI किसी कंप्यूटर या कंप्यूटर द्वारा नियंत्रित रोबोट की उन कार्यों को करने की क्षमता है जो आमतौर पर मनुष्यों द्वारा किये जाते हैं क्योंकि उनके लिये मानव बुद्धिमत्ता और विवेक की आवश्यकता होती है।
      • हालाँकि ऐसा कोई AI विकसित नहीं हुआ है जो एक सामान्य मानव द्वारा किये जाने वाले विभिन्न प्रकार के कार्य कर सके, कुछ AI विशिष्ट कार्यों में मनुष्यों की बराबरी कर सकते हैं।
    • AI की आदर्श विशेषता इसकी तर्कसंगतता और कार्रवाई करने की क्षमता है जिससे किसी विशिष्ट लक्ष्य को प्राप्त करने का सबसे अच्छा अवसर मिलता है। AI का एक उपसमूह मशीन लर्निंग (ML) है।
      • डीप लर्निंग (DL) तकनीक टेक्स्ट, इमेजेज़ या वीडियो जैसे बड़ी मात्रा में असंरचित डेटा के अवशोषण के माध्यम से इस स्वचालित अधिगम को सक्षम बनाती है।
  • अर्द्धचालक/सेमीकंडक्टर:
    • सेमीकंडक्टर ऐसी सामग्री होती है जिसमें कंडक्टर और इंसुलेटर के बीच चालकता होती है तथा इसमें सिलिकॉन या जर्मेनियम या गैलियम, आर्सेनाइड या कैडमियम सेलेनाइड के यौगिकों का प्रयोग होता है। 
    • सेमीकंडक्टर बाज़ार में भारत की स्थिति:
      • वर्ष 2022 में भारत का सेमीकंडक्टर उद्योग 27 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था जिसमें 90% से अधिक का आयात किया गया था। इस कारण भारतीय चिप उपभोक्ता बाहरी आयात पर निर्भर थे। 
        • भारत को सेमीकंडक्टर निर्यात करने वाले देशों में चीन, ताइवान, अमेरिका, जापान आदि शामिल हैं। 
      • वर्ष 2026 तक भारत का सेमीकंडक्टर बाज़ार 55 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है। एक अनुमान के अनुसार, सेमीकंडक्टर की खपत के वर्ष 2026 तक 80 बिलियन अमेरिकी डॉलर और वर्ष 2030 तक 110 बिलियन अमेरिकी डॉलर की सीमा को पार करने की उम्मीद है।
  • स्वच्छ ऊर्जा:
    • स्वच्छ ऊर्जा वह ऊर्जा है जो नवीकरणीय, शून्य उत्सर्जन स्रोतों से आती है जिसके उपयोग से वातावरण प्रदूषित नहीं होती है, साथ ही ऊर्जा दक्षता उपायों द्वारा बचाई गई ऊर्जा है। स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों के कुछ उदाहरण सौर, पवन, जल और भूतापीय ऊर्जा हैं।
    • स्वच्छ ऊर्जा महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने, जलवायु परिवर्तन से निपटने और वायु गुणवत्ता में सुधार करने में मदद कर सकती है।
  • ग्रीन हाइड्रोजन:
    • ग्रीन हाइड्रोजन एक प्रकार का हाइड्रोजन है जो सौर या पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करके पानी के इलेक्ट्रोलिसिस के माध्यम से उत्पन्न होता है।
    • विद्युत-अपघटन की प्रक्रिया जल को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विभाजित करती है तथा इस तरह उत्पादित हाइड्रोजन का उपयोग स्वच्छ एवं नवीकरणीय ईंधन के रूप में किया जा सकता है।
    • उपयोग:
      • रासायनिक उद्योग में: अमोनिया और उर्वरकों का निर्माण।
      • पेट्रोकेमिकल उद्योग में: पेट्रोलियम उत्पादों का उत्पादन।
      • इसके अलावा, इसका उपयोग अब इस्पात उद्योग में भी किया जाने लगा है।
  • जैव अर्थव्यवस्था:
    • संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) के अनुसार, जैव अर्थव्यवस्था को जैविक संसाधनों के उत्पादन, उपयोग तथा संरक्षण के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जिसमें संबंधित ज्ञान, विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार, सूचना, उत्पाद, प्रक्रियाएँ प्रदान करना शामिल है ताकि स्थायी अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने के उद्देश्य से सभी आर्थिक क्षेत्रों को जानकारी, उत्पाद, प्रक्रियाओं व सेवाएँ प्रदान की जा सकें।

अनुसंधान एवं विकास के लिये धन का वितरण क्या है?

  • उभरती और महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकी में ग्लोबल लीडर्स आमतौर पर अनुसंधान एवं विज्ञान विकास के लिये अपने सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 2 से 3% आवंटित करते हैं। कोरिया जैसे देशों में अनुसंधान एवं विकास में निजी क्षेत्र का निवेश कुल निवेश के 80% तक पहुँच सकता है।
    • भारत में यह आँकड़ा सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 0.7% है और कुल निवेश का केवल 30 से 40% तक सीमित है।
  • यह पहचानना महत्त्वपूर्ण है कि अनुसंधान एवं विकास के लिये वित्त पोषण केवल सरकारी पहल पर निर्भर नहीं रह सकता है, निजी क्षेत्र को भी अपनी अनुसंधान एवं विकास क्षमताओं को बढ़ाकर आवश्यक भूमिका निभानी होगी। सरकार द्वारा की गई एक उल्लेखनीय पहल राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन की स्थापना है।

उभरती और महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों हेतु विभिन्न सरकारी पहल क्या हैं?

  • iDEX: 
    • iDEX, भारतीय सेना के आधुनिकीकरण के लिये तकनीकी रूप से उन्नत समाधान प्रदान करने हेतु नवप्रवर्तकों और उद्यमियों को शामिल कर रक्षा तथा एयरोस्पेस में नवाचार एवं प्रौद्योगिकी विकास को प्रोत्साहित करने के लिये एक पारिस्थितिकी तंत्र है, इसे वर्ष 2018 में लॉन्च किया गया।
    • iDEX मॉडल नवीन प्रौद्योगिकी विकास में बहुत सफल रहा है और iDEX मॉडल का एक महत्त्वपूर्ण उद्देश्य उन स्टार्टअप्स को आवश्यक सहायता प्रदान करना था जो डीप टेक क्षेत्र तथा महत्त्वपूर्ण एवं उभरती प्रौद्योगिकियों में काम कर रहे हैं।
    • यह सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs), स्टार्ट-अप्स, निजी नवोन्मेषकों, R&D (अनुसंधान एवं विकास) संस्थानों तथा शिक्षाविदों को अनुसंधान एवं विकास के लिये धन/अनुदान प्रदान करता है।
  • iCET पहल:
    • iCET पहल भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा मई 2022 में शुरू की गई थी तथा दोनों देशों की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषदों द्वारा इसका संचालन किया जा रहा है।
      • iCET के तहत, दोनों देशों ने सह-विकास और सह-उत्पादन सहित सहयोग के क्षेत्रों को निर्धारित किया है, जिन्हें धीरे-धीरे QUAD, फिर NATO, उसके बाद यूरोप एवं शेष विश्व तक विस्तारित किया जाएगा। 
    • सहयोग के छह क्षेत्र:
      • सहयोग के छह क्षेत्र वैज्ञानिक अनुसंधान और विकास हैं; क्वांटम तथा AI, रक्षा नवाचार, अंतरिक्ष, उन्नत दूरसंचार जिसमें 6G एवं सेमीकंडक्टर जैसे विषय शामिल होंगे।
  • राष्ट्रीय क्वांटम मिशन:
    • इसे विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science & Technology- DST) द्वारा कार्यान्वित किया जाएगा।
    • सत्र 2023-2031 के लिये नियोजित मिशन का उद्देश्य वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहन, देखभाल तथा वृद्धि कर क्वांटम प्रौद्योगिकी में एक जीवंत व अभिनव पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है।
    • अमेरिका, ऑस्ट्रिया, फिनलैंड, फ्राँस, कनाडा और चीन के बाद भारत समर्पित क्वांटम मिशन वाला 7वाँ देश है।
  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता मिशन (Artificial Intelligence Mission- AI Mission):
  • इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन:
    • इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) को वर्ष 2021 में इलेक्ट्रॉनिक्स और IT मंत्रालय (MeitY) के तत्त्वावधान में 76,000 करोड़ रुपए के कुल वित्तीय परिव्यय के साथ लॉन्च किया गया था।
    • यह देश में संधारणीय सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले इकोसिस्टम विकास के व्यापक कार्यक्रम का हिस्सा है।
    • कार्यक्रम का उद्देश्य अर्द्धचालक, प्रदर्शन विनिर्माण और डिज़ाइन पारिस्थितिकी तंत्र में निवेश करने वाली कंपनियों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है।  
  • राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन:
    • यह ग्रीन हाइड्रोजन के वाणिज्यिक उत्पादन को प्रोत्साहित करने और भारत को ईंधन का शुद्ध निर्यातक बनाने का एक कार्यक्रम है। यह ग्रीन हाइड्रोजन की मांग निर्माण, उत्पादन, उपयोग और निर्यात की सुविधा प्रदान करेगा।
    • उद्देश्य:
      • वर्ष 2030 तक भारत में लगभग 125 GW (गीगावाट) की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता जोड़ने के साथ-साथ प्रति वर्ष कम-से-कम 5 MMT (मिलियन मीट्रिक टन) की ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता विकसित करना।
      • इसका लक्ष्य कुल 8 लाख करोड़ रुपए से अधिक का निवेश करना है और छह लाख नौकरियाँ सृजन होने की उम्मीद है।
      • इससे जीवाश्म ईंधन के आयात में संचयी रूप से 1 लाख करोड़ रुपए से अधिक की कमी और वार्षिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में लगभग 50 मीट्रिक टन की कमी आएगी।
  • जैव अर्थव्यवस्था पर राष्ट्रीय मिशन:
    • जैव-संसाधनों का उपयोग करके ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के प्रयासों के दौरान वर्ष 2016 में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत जैव-संसाधन एवं सतत् विकास संस्थान द्वारा 'जैव अर्थव्यवस्था पर राष्ट्रीय मिशन' शुरू किया गया था।
  • अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन: 
    • अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (Anusandhan National Research Foundation- ANRF) की स्थापना अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (ANRF) अधिनियम, 2023 के साथ की गई थी।
      • इसका उद्देश्य भारत के विश्वविद्यालयों, कॉलेजों, अनुसंधान संस्थानों, अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं में अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहन देना, विकसित करना तथा अनुसंधान व नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देना है।
    • ANRF, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), 2020 की सिफारिशों के अनुसार देश में वैज्ञानिक अनुसंधान की उच्च स्तरीय रणनीतिक दिशा प्रदान करने के लिये एक शीर्ष निकाय के रूप में कार्य करता है।
    • वर्ष 2008 में स्थापित विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (Science and Engineering Research Board- SERB) को ANRF में शामिल कर दिया गया है।
    • ANRF उद्योग, शिक्षा जगत, सरकारी विभागों और अनुसंधान संस्थानों के बीच सहयोग स्थापित करेगा तथा वैज्ञानिक एवं संबंधित मंत्रालयों के अलावा उद्योगों व राज्य सरकारों की भागीदारी और योगदान के लिये एक इंटरफ़ेस तंत्र तैयार करेगा।

महत्त्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों को विकसित करने में क्या चुनौतियाँ हैं?

  • निधि संचय में व्यवधान: अनुसंधान और विकास (R&D) के लिये धन बढ़ाने की सरकार की पहल के बावजूद, उभरती तथा महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के लिये धन आवंटित करने में भारत अभी भी वैश्विक नेताओं से पीछे है। निवेश का वर्तमान स्तर, सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 0.7%, अग्रणी देशों द्वारा आम तौर पर आवंटित 2-3% से काफी कम है।
  • बुनियादी ढाँचा और कौशल अंतर: क्वांटम कंप्यूटिंग, AI और सेमीकंडक्टर विनिर्माण जैसी प्रौद्योगिकियों को आगे बढ़ाने के लिये मज़बूत बुनियादी ढाँचे तथा कुशल कार्यबल की आवश्यकता होती है।
    • उभरती प्रौद्योगिकियों में विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्द्धा करने हेतु भारत के लिये बुनियादी ढाँचे और कौशल अंतर को संबोधित करना महत्त्वपूर्ण है।
  • सीमित निजी क्षेत्र की भागीदारी: जबकि iDEX जैसी सरकारी पहल का उद्देश्य स्टार्टअप्स का समर्थन करना और नवाचार को प्रोत्साहित करना है, R&D में निजी क्षेत्र की अधिक भागीदारी की आवश्यकता है।
    • महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों में निरंतर विकास के लिये अधिक निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करना आवश्यक है।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और प्रतिस्पर्द्धा: उभरती प्रौद्योगिकियाँ अत्यधिक प्रतिस्पर्द्धी हैं, संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और यूरोपीय देश अनुसंधान एवं विकास में भारी निवेश कर रहे हैं।
    • इसके अतिरिक्त, भू-राजनीतिक तनावों का प्रबंधन और वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा के बीच महत्त्वपूर्ण संसाधनों तथा प्रौद्योगिकियों तक पहुँच सुनिश्चित करना भारत की तकनीकी प्रगति के लिये महत्त्वपूर्ण चुनौतियाँ खड़ी करता है।

आगे की राह

  • अनुसंधान एवं विकास में निवेश को बढ़ावा देना: अनुसंधान और विकास में सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों के निवेश को प्रोत्साहित करने के लिये नीतियों को लागू करें, विशेष रूप से क्वांटम कंप्यूटिंग तथा AI जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों में। विशेषज्ञता एवं संसाधनों का लाभ उठाने हेतु उद्योग, शिक्षा जगत व अनुसंधान संस्थानों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करें।
  • अनुसंधान अवसंरचना को बढ़ाना: विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों में प्रयोगशालाओं, कंप्यूटिंग सुविधाओं एवं विशेष उपकरणों सहित अनुसंधान बुनियादी ढाँचे को उन्नत करने के लिये धन आवंटित करें।  अत्याधुनिक उपकरणों तथा प्रौद्योगिकियों तक पहुँच हेतु निजी क्षेत्र की कंपनियों के साथ साझेदारी को बढ़ावा देना।
  • नियामक ढाँचे को अपनाना: एक गतिशील नियामक ढाँचे की स्थापना करना जो नैतिक मानकों को सुनिश्चित करते हुए और संभावित जोखिमों को संबोधित करते हुए तकनीकी प्रगति के लिये तेज़ी से अनुकूल हो सके।
  • बौद्धिक संपदा अधिकारों को स्पष्ट करना: निश्चितता प्रदान करने और अनुसंधान एवं विकास में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिये बौद्धिक संपदा अधिकारों पर स्पष्ट तथा पारदर्शी नीतियाँ विकसित करें। IP ​​सुरक्षा तंत्र के बारे में शोधकर्त्ताओं एवं नवप्रवर्तकों के बीच जागरूकता बढ़ाना व पेटेंटिंग प्रक्रियाओं तक आसान पहुँच की सुविधा प्रदान करना।
  • महत्त्वपूर्ण कच्चे माल को सुरक्षित करना: आयात पर निर्भरता कम करने और घरेलू महत्त्वपूर्ण तथा उभरती प्रौद्योगिकी विकास के लिये एक स्थिर आपूर्ति शृंखला सुनिश्चित करने के लिये दुर्लभ पृथ्वी तत्त्वों जैसे महत्त्वपूर्ण कच्चे माल के स्रोतों में विविधता लाएँ।
  • सहयोग और कौशल विकास को बढ़ावा देना: उभरती प्रौद्योगिकियों में ज्ञान के आदान-प्रदान और कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिये शिक्षा जगत, उद्योग एवं अनुसंधान संस्थानों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करें।
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