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हरित हाइड्रोजन - जीवाश्म ईंधन का विकल्प

  • 30 Mar 2023
  • 20 min read

यह एडिटोरियल ‘हिंदू बिज़नेस लाइन’ में प्रकाशित “Hydrogen Mission needs solid implementation” लेख पर आधारित है। इसमें ‘ग्रीन हाइड्रोजन’ के बारे में और इस संबंध में चर्चा की गई है कि ग्रीन हाइड्रोजन किस प्रकार जीवाश्म ईंधन को प्रतिस्थापित कर सकता है। 

संदर्भ

अपने अत्यंत महत्त्वाकांक्षी ‘राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन’ (National Green Hydrogen Mission) के तहत भारत ‘हरित हाइड्रोजन (Green Hydrogen) के उत्पादन, उपयोग एवं निर्यात के वैश्विक केंद्र’ में रूपांतरित होने और ‘प्रौद्योगिकी एवं बाज़ार नेतृत्व ग्रहण करने’ की मंशा रखता है। मिशन का लक्ष्य घरेलू उपयोग के लिये 5 मिलियन टन हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करना है।

  • हरित हाइड्रोजन एक स्वच्छ ऊर्जा स्रोत है जो पवन, सौर और जलविद्युत जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करके जल के विद्युत्-अपघटन (electrolysis) के माध्यम से उत्पादित किया जाता है। इसमें कार्बन मुक्त अर्थव्यवस्था की ओर संक्रमण हेतु एक प्रमुख खिलाड़ी बनने की क्षमता है और यह जलवायु परिवर्तन के शमन में मदद कर सकता है। उत्पादित हरित हाइड्रोजन को परिवहन, उद्योग एवं कृषि क्षेत्र के लिये ईंधन के रूप में भंडारित और उपयोग किया जा सकता है।

हरित हाइड्रोजन के विकास के पीछे के प्रमुख कारण

  • ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करना:
    • ग्रीन हाइड्रोजन विकसित करने का प्राथमिक कारण है ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करना और जलवायु परिवर्तन का शमन करना। परिवहन और बिजली उत्पादन के लिये जीवाश्म ईंधन का उपयोग वैश्विक उत्सर्जन का एक प्रमुख योगदानकर्त्ता है।
    • नवीकरणीय स्रोतों से उत्पादित हरित हाइड्रोजन ग्रीनहाउस गैसों का शून्य उत्सर्जन करता है, जो इसे एक सतत/संवहनीय और पर्यावरण के अनुकूल ऊर्जा स्रोत बनाता है।
  • ऊर्जा सुरक्षा और स्वतंत्रता:
    • जीवाश्म ईंधन सीमित संसाधन हैं और वैश्विक आपूर्ति एवं मांग के आधार पर उनकी कीमतों में उतार-चढ़ाव होता रहता है। हरित हाइड्रोजन जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को विकसित करके, दुनिया के देश अधिक ऊर्जा-स्वतंत्र बन सकते हैं और मूल्य उतार-चढ़ाव संबंधी झटकों एवं आपूर्ति बाधाओं के प्रति कम संवेदनशील बन सकते हैं।
  • नए उद्योग और रोज़गार अवसर सृजित करना:
    • हरित हाइड्रोजन के विकास से नए उद्योग और रोज़गार अवसरों का सृजन हो सकता है, विशेष रूप से नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में। हरित हाइड्रोजन के उत्पादन, भंडारण और वितरण के लिये विशेष विशेषज्ञता और आधारभूत संरचना की आवश्यकता होती है, जो रोज़गार के अवसर उत्पन्न कर सकती है। 
    • अंतर्राष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा एजेंसी (International Renewable Energy Agency- IRENA) के अनुसार, नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र ने वर्ष 2018 में दुनिया भर में 11 मिलियन लोगों को रोज़गार प्रदान कर रखा था और वर्ष 2050 तक इस क्षेत्र में 42 मिलियन से अधिक रोज़गार अवसर सृजित करने की उम्मीद है।
  • ऐसे क्षेत्र में डीकार्बोनाइज़ेशन जिसमें डीकार्बोनाइज़ेशन मुश्किल हो:
    • जीवाश्म ईंधन को हरित हाइड्रोजन से प्रतिस्थापित कर सकने की व्यापक संभावना मौजूद है, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जिन्हें डीकार्बोनाइज़ करना कठिन है (जैसे कि भारी उद्योग और विमानन क्षेत्र)। ये क्षेत्र वैश्विक उत्सर्जन में उल्लेखनीय योगदान देते हैं और हरित हाइड्रोजन का उपयोग उनके ‘कार्बन फुटप्रिंट’ को कम करने में मदद कर सकता है।
  • तकनीकी प्रगति:
    • हरित हाइड्रोजन का विकास विभिन्न क्षेत्रों में तकनीकी प्रगति और नवाचारों को प्रेरित कर सकता है। हरित हाइड्रोजन के उत्पादन, भंडारण एवं वितरण के लिये नई तकनीकों और अवसंरचना की आवश्यकता है जो नई सामग्रियों, प्रक्रियाओं एवं प्रणालियों के विकास को बढ़ावा दे सकती है।

ग्रीन हाइड्रोजन के अनुप्रयोग

  • कृषि क्षेत्र:
    • कृषि क्षेत्र में जीवाश्म ईंधन के प्रतिस्थापन के लिये हरित हाइड्रोजन:
      • ग्रीन हाइड्रोजन में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग कर अमोनिया के उत्पादन के माध्यम से कृषि क्षेत्र में पारंपरिक उर्वरकों को प्रतिस्थापित कर सकने की क्षमता मौजूद है।
      • अमोनिया उर्वरकों के उत्पादन में एक प्रमुख घटक होता है और वर्तमान में इसकी उत्पादन प्रक्रिया प्राकृतिक गैस पर निर्भर करती है, जो एक जीवाश्म ईंधन है और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में योगदान करती है।
      • हरित हाइड्रोजन की मदद से उत्पादित हरित अमोनिया कार्बन-मुक्त होता है। पारंपरिक उर्वरकों की तुलना में हरित अमोनिया के कई अन्य लाभ भी हैं, जैसे यह बेहतर दक्षता रखता है और मृदा अम्लता में कम योगदान करता है।
        • हालाँकि हरित अमोनिया के बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिये बुनियादी ढाँचे में उल्लेखनीय निवेश और नई प्रौद्योगिकियों के विकास की आवश्यकता होगी। वर्तमान में, पारंपरिक अमोनिया उत्पादन की तुलना में हरित अमोनिया का उत्पादन अधिक महँगा है, जो अल्पावधि में इसके अंगीकरण को सीमित कर सकता है।
    • हरित हाइड्रोजन से संचालित फार्म मशीनरी:
      • ट्रैक्टर, हार्वेस्टर जैसी फार्म मशीनरी और सिंचाई प्रणाली को संचालन के लिये वृहत ऊर्जा की आवश्यकता होती है। हरित हाइड्रोजन से संचालित कृषि मशीनरी आवश्यक कृषि कार्यों की पूर्ति हेतु आवश्यक ऊर्जा प्रदान करते हुए भी ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को पर्याप्त कम कर सकती है।
    • जल प्रबंधन के लिये हरित हाइड्रोजन:
      • जल एक बहुमूल्य संसाधन है और इसे कुशलता से प्रबंधित करना संवहनीय कृषि के लिये महत्त्वपूर्ण है। ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग विलवणीकरण संयंत्रों (जो खारे जल को मीठे जल में परिवर्तित करते हैं) को ऊर्जा देने के लिये किया जा सकता है, जिससे दुर्लभ मीठे जल संसाधनों पर हमारी निर्भरता कम हो सकती है।
  • परिवहन क्षेत्र:
    • हाइड्रोजन फ्यूल सेल:
      • हाइड्रोजन फ्यूल सेल (Hydrogen Fuel Cell) एक ऐसा उपकरण है जो हाइड्रोजन और ऑक्सीजन की रासायनिक ऊर्जा को बिजली, जल एवं ऊष्मा में परिवर्तित करता है।
      • हाइड्रोजन फ्यूल सेल से संचालित वाहन शून्य उत्सर्जन पैदा करते हैं, जिससे वे गैसोलीन और डीजल से संचालित वाहनों की तुलना में अधिक आकर्षक विकल्प प्रदान करते हैं। वे बैटरी-संचालित इलेक्ट्रिक वाहनों की तुलना में भी लंबी रेंज रखते हैं और उन्हें तुरंत ही रि-फ्यूल किया जा सकता है, जिससे वे लंबी दूरी की यात्रा के लिये अधिक सुविधाजनक होते हैं।
  • औद्योगिक क्षेत्र:
    • लागत बचत:
      • हरित हाइड्रोजन का उत्पादन अतिरिक्त नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग करके किया जा सकता है जो ऑफ-पीक घंटों के दौरान उत्पन्न होती है। इस प्रकार उत्पादित हरित हाइड्रोजन को भंडारित किया जा सकता है और उच्च ऊर्जा मांग के समय इसका उपयोग किया जा सकता है। यह ऊर्जा की लागत को कम करने और सतत विकास को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।
    • विश्वसनीय स्रोत:
      • ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन और ऑन-साइट भंडारण किया जा सकता है, जिससे यह औद्योगिक प्रक्रियाओं के लिये ऊर्जा का एक विश्वसनीय और सुसंगत स्रोत बन जाता है। यह बिजली ग्रिड पर निर्भरता को कम करने और ऊर्जा स्वतंत्रता को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।
    • अपशिष्ट में कमी:
      • हरित हाइड्रोजन का उत्पादन नगरों के ठोस अपशिष्ट और कृषि अपशिष्ट के उपयोग से किया जा सकता है। यह अपशिष्ट को कम करने और इस तरह सतत विकास को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।
    • ऊर्जा दक्षता में वृद्धि:
      • ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग फ्यूल सेल को ऊर्जा देने के लिये किया जा सकता है, जो पारंपरिक दहन इंजनों की तुलना में अधिक ऊर्जा दक्ष होते हैं। यह ऊर्जा उपभोग को कम करने में मदद कर सकता है।

हरित हाइड्रोजन प्रवर्तन से संबद्ध कठिनाइयाँ

  • लागत:
    • पारंपरिक जीवाश्म ईंधन की तुलना में हरित हाइड्रोजन की लागत वर्तमान में अधिक है। हरित हाइड्रोजन के उत्पादन, भंडारण एवं वितरण के लिये विशेष उपकरण और अवसंरचना की आवश्यकता होती है, जिससे यह पारंपरिक ईंधन की तुलना में अधिक महँगा हो जाता है।
    • हालाँकि, प्रौद्योगिकी में प्रगति और उत्पादन में वृद्धि के साथ हरित हाइड्रोजन की लागत समय के साथ कम होने की उम्मीद है।
  • अवसंरचना:
    • हरित हाइड्रोजन के व्यापक अंगीकरण के लिये इसके उत्पादन, भंडारण एवं वितरण हेतु एक सुदृढ़ अवसंरचना विकसित करने की आवश्यकता है।
    • अवसंरचना को इस तरह से विकसित किया जाना चाहिये जो मौजूदा ऊर्जा अवसंरचना से सुसंगत हो ताकि हरित हाइड्रोजन की ओर संक्रमण को सुगम बनाया जा सके।
  • ऊर्जा भंडारण:
    • हरित हाइड्रोजन का उत्पादन पवन, सौर और जलविद्युत जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर निर्भर है। हालाँकि ये स्रोत आंतरायिक (intermittent) हैं, यानी समय के साथ इनके आउटपुट में उतार-चढ़ाव हो सकता है। हरित हाइड्रोजन को व्यापक रूप से अपनाये जाने के लिये प्रभावी ऊर्जा भंडारण समाधानों का विकास महत्त्वपूर्ण है। 
      • बैटरी और हाइड्रोजन भंडारण जैसे ऊर्जा भंडारण समाधान नवीकरणीय स्रोतों द्वारा उत्पादित अतिरिक्त ऊर्जा को संग्रहीत कर सकते हैं तथा हरित हाइड्रोजन की निरंतर आपूर्ति प्रदान कर सकते हैं।
  • सुरक्षा:
    • ग्रीन हाइड्रोजन एक अत्यधिक ज्वलनशील गैस है जिसके लिये विशेष रखरखाव/हैंडलिंग और भंडारण की आवश्यकता होती है।
    • ग्रीन हाइड्रोजन के सुरक्षित हैंडलिंग और भंडारण को सुनिश्चित करने के लिये उचित सुरक्षा प्रोटोकॉल एवं विनियमों का विकास करना महत्त्वपूर्ण है।
  • सार्वजनिक स्वीकृति:  
    • हरित हाइड्रोजन के अंगीकरण के लिये की इसकी सार्वजनिक स्वीकृति महत्त्वपूर्ण है। लोगों को हरित हाइड्रोजन के लाभों और जलवायु परिवर्तन के शमन में इसकी भूमिका के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिये। 

हरित हाइड्रोजन को बढ़ावा देने के लिये भारत की प्रमुख पहलें

  • भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था को डीकार्बोनाइज़ करने और अपने जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये हरित हाइड्रोजन की क्षमता को चिह्नित किया है। देश ने हरित हाइड्रोजन के उत्पादन, उपयोग एवं निर्यात को बढ़ावा देने के लिये कई पहलें और नीतियाँ लागू की हैं।
  • कुछ प्रमुख पहलें हैं:
    • राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन (National Hydrogen Mission):
      • इस मिशन की घोषणा केंद्रीय बजट 2021-22 में की गई थी और इसका लक्ष्य भारत को हरित हाइड्रोजन और इसके डेरिवेटिव के लिये एक वैश्विक केंद्र बनाना है।
      • यह मिशन हरित हाइड्रोजन के लिये मांग निर्माण, पायलट परियोजनाओं, अनुसंधान एवं विकास, कौशल विकास, मानकों एवं विनियमों और नीतिगत ढाँचे की सुविधा भी प्रदान करेगा।
    • हरित हाइड्रोजन उपभोग दायित्व (Green Hydrogen Consumption Obligations):
      • नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) ने बिजली वितरण कंपनियों के लिये नवीकरणीय खरीद दायित्वों (renewable purchase obligations) की तरह, उर्वरक और पेट्रोलियम शोधन उद्योग के लिये हरित हाइड्रोजन उपभोग दायित्वों को पेश करने का प्रस्ताव दिया है।
      • दायित्वों के तहत इन उद्योगों को अपने कुल हाइड्रोजन उपभोग में एक निश्चित प्रतिशत हरित हाइड्रोजन का रखने की आवश्यकता होगी।
    • ग्रीन हाइड्रोजन हब (Green Hydrogen Hubs):
      • MNRE ने उन क्षेत्रों की पहचान की है जो हरित हाइड्रोजन के बड़े पैमाने पर उत्पादन और/या उपयोग का समर्थन कर सकते हैं और उन्हें ‘ग्रीन हाइड्रोजन हब’ के रूप में विकसित किया जा सकता है।

आगे की राह

  • उत्पादन और उपयोग की उच्च लागत:
    • हरित हाइड्रोजन वर्तमान में जीवाश्म ईंधन या अन्य निम्न-कार्बन स्रोतों (जैसे परमाणु या ब्लू हाइड्रोजन) से उत्पादित पारंपरिक हाइड्रोजन से अधिक महँगा है। इसलिये, इस मुद्दे को हल करने के लिये कुशल प्रौद्योगिकियों को विकसित करने की आवश्यकता है जो हरित हाइड्रोजन की उत्पादन लागत को कम कर सकें।
      • एक आशाजनक दृष्टिकोण यह होगा कि अधिक कुशल विद्युत-अपघटन प्रणालियों का उपयोग किया जाए जिसमें समान मात्रा में हाइड्रोजन का उत्पादन करने के लिये कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इलेक्ट्रोड के लिये उन्नत सामग्री या अधिक कुशल उत्प्रेरक के उपयोग से इसे सक्षम किया जा सकता है।
      • एक अन्य दृष्टिकोण है कि हरित हाइड्रोजन उत्पादन को अन्य नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों, जैसे पवन या सौर फार्म के साथ एकीकृत किया जाए। यह विद्युत-अपघटन प्रक्रिया में उपयोग की जाने वाली बिजली की लागत को कम कर सकता है, जिससे पारंपरिक हाइड्रोजन के साथ हरित हाइड्रोजन अधिक प्रतिस्पर्द्धी बन सकता है।
  • विनियामक प्रोत्साहन लागू करना:
    • सरकार इस प्रौद्योगिकी के उत्पादन और उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिये टैक्स क्रेडिट एवं सब्सिडी जैसे नियामक प्रोत्साहनों को लागू कर ग्रीन हाइड्रोजन को अपनाने को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
  • पर्याप्त अवसंरचना और आपूर्ति शृंखला का अभाव:
    • ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन, भंडारण, परिवहन एवं वितरण के लिये समर्पित अवसंरचना और आपूर्ति शृंखला की आवश्यकता है।
      • पारंपरिक हाइड्रोजन के लिये मौजूदा अवसंरचना और आपूर्ति शृंखला हरित हाइड्रोजन की आवश्यकता की पूर्ति हेतु पर्याप्त या संगत नहीं है। हरित हाइड्रोजन के लिये कुशल और लागत-प्रभावी आपूर्ति शृंखला विकसित की जानी चाहिये।
  • विभिन्न हितधारकों और क्षेत्रों के बीच समन्वयन:
    • हरित हाइड्रोजन समग्र मूल्य शृंखला में कई हितधारकों और क्षेत्रों को संलग्न करता है, जैसे नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादक, इलेक्ट्रोलाइज़र निर्माता, हाइड्रोजन उत्पादक, ट्रांसपोर्टर, वितरक और अंतिम उपयोगकर्ता। 
      • हरित हाइड्रोजन हेतु नीतियों, मानकों, विनियमों, प्रोत्साहनों और बाज़ारों के संरेखण को सुनिश्चित करने के लिये इन हितधारकों और क्षेत्रों के बीच समन्वय की आवश्यकता है।
  • संभावित उपयोगकर्ताओं और उत्पादकों के बीच जागरूकता प्रसार और क्षमता निर्माण:
    • हरित हाइड्रोजन अभी भी एक विकासशील प्रौद्योगिकी है जिसके लिये संभावित उपयोगकर्ताओं और उत्पादकों के बीच जागरूकता प्रसार और क्षमता निर्माण की आवश्यकता है। 
    • विभिन्न अनुप्रयोगों और क्षेत्रों में हरित हाइड्रोजन के लाभ, सुरक्षा एवं व्यवहार्यता को प्रदर्शित करने की आवश्यकता है। 
    • हरित हाइड्रोजन उत्पादन और उपयोग के लिये कौशल एवं दक्षता विकसित करने की भी आवश्यकता है।

अभ्यास प्रश्न: हरित हाइड्रोजन स्वच्छ ऊर्जा के एक आशाजनक स्रोत के रूप में उभर रहा है। भारत में हरित हाइड्रोजन से जुड़ी संभावनाओं और जलवायु परिवर्तन के शमन में इनकी क्षमता का विश्लेषण करें।

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