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भारतनेट परियोजना

  • 08 Aug 2023
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारतनेट परियोजना, ऑप्टिकल फाइबर, भारत ब्रॉडबैंड नेटवर्क, कंपनी अधिनियम, 1956, ग्राम स्तरीय उद्यमी (Udyami), डिजिटल डिवाइड

मेन्स के लिये:

भारतनेट परियोजना, महत्त्व और चुनौतियाँ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारतनेट परियोजना के आधुनिकीकरण के लिये 1.39 लाख करोड़ रुपए की स्वीकृति दी है। 

भारतनेट परियोजना:

  • परिचय:
    • नेशनल ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क (NOFN) अक्तूबर 2011 में लॉन्च किया गया था और वर्ष 2015 में इसका नाम बदलकर भारत नेट प्रोजेक्ट कर दिया गया।
    • यह ऑप्टिकल फाइबर का उपयोग करने वाला विश्व का सबसे बड़ा ग्रामीण ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी कार्यक्रम है जो भारत ब्रॉडबैंड नेटवर्क लिमिटेड (BBNL) द्वारा कार्यान्वित एक प्रमुख मिशन भी है।
      • BBNL कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत भारत सरकार द्वारा स्थापित एक विशेष प्रयोजन वाहन (SPV) है। 
      • इसे संचार मंत्रालय के तहत दूरसंचार विभाग द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
    • इस परियोजना में निष्पादन रणनीति में बदलाव करना और अंतिम मील तक फाइबर कनेक्शन प्रदान करने के लिये ग्राम स्तरीय उद्यमियों (Udyamis) को नियोजित करना शामिल है, जिससे अगले 2.5 वर्षों में कनेक्टिविटी प्रक्रिया में तेज़ी आएगी।
    • इसे यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड (USOF) द्वारा वित्तपोषित किया जाता है।
      • USOF यह सुनिश्चित करता है कि ग्रामीण एवं सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को आर्थिक रूप से उचित कीमतों पर गुणवत्तापूर्ण सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) सेवाओं तक सार्वभौमिक गैर-भेदभावपूर्ण पहुँच प्राप्त हो।
      • इसे वर्ष 2002 में संचार मंत्रालय के तहत तैयार किया गया था।
  • उद्देश्य:
    • इस परियोजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति का लाभ उठाकर जियो और एयरटेल जैसे निजी ऑपरेटरों के साथ प्रतिस्पर्द्धा करना है, जहाँ इन निजी ऑपरेटरों को कम प्रमुखता दी जाती है।
    • उम्मीद है कि भारतनेट द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवा गुणवत्ता उपयोगकर्त्ताओं को आकर्षित करने में प्रमुख भूमिका निभाएगी
    • इसका लक्ष्य संपूर्ण भारत के सभी 640,000 गाँवों को हाई-स्पीड इंटरनेट एक्सेस से जोड़ना है।
    • इसका लक्ष्य देश भर की 2.5 लाख से अधिक ग्राम पंचायतों में से प्रत्येक को ब्रॉडबैंड इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करना है।
    • सरकार, भारतनेट के माध्यम से प्रत्येक ग्राम पंचायत में न्यूनतम 100 Mbps बैंडविड्थ प्रदान करना चाहती है ताकि प्रत्येक व्यक्ति, विशेष रूप से ग्रामीण भारत के लोग ऑनलाइन सेवाओं तक पहुँच प्राप्त कर सकें।
  • पुर्नोत्थान दृष्टिकोण:
    • संशोधित भारतनेट मॉडल, एयरटेल और जियो जैसी निजी दूरसंचार कंपनियों के समान फाइबर कनेक्शन के कार्यान्वयन के लिये ग्रामीण स्तर के उद्यमियों (VLE) को सहयोग प्रदान करेगा
    • इस दृष्टिकोण के अनुसार सरकार घर-घर तक बुनियादी ढाँचे के विस्तार की लागत वहन करेगी, जबकि उद्यमी घरेलू कनेक्शन के रखरखाव और संचालन में योगदान देंगे।
      • यह साझेदारी 50:50 राजस्व-साझाकरण के आधार पर कार्य करेगी।
  • परियोजना के चरण:
    • पहला चरण:
      • दिसंबर 2017 तक ऑप्टिक फाइबर केबल (OFC) की भूमिगत लाइनें बिछाकर एक लाख से अधिक ग्राम पंचायतों को ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान की गई।
    • दूसरा चरण:
      • मार्च 2019 तक भूमिगत फाइबर, विद्युत् फाइबर लाइनों, रेडियो और उपग्रह मीडिया के इष्टतम मिश्रण का उपयोग करके देश की सभी ग्राम पंचायतों को कनेक्टिविटी प्रदान की गई।
    • तीसरा चरण:
      • वर्ष 2019 से 2023 तक रिंग टोपोलॉजी के साथ ज़िलों और ब्लॉकों में फाइबर सहित एक अत्याधुनिक, भविष्योन्मुखी नेटवर्क का निर्माण किया जाएगा।

भारतनेट परियोजना की प्रगति:

  • भारतनेट परियोजना के शुरुआती समय में मुख्य चुनौती बुनियादी ढाँचा तैयार करने के बाद घरों तक फाइबर आधारित इंटरनेट कनेक्शन पहुँचाने को लेकर थी।
  • इसे हल करने के लिये 60,000 गाँवों में परिवारों को जोड़ने के लिये स्थानीय भागीदारों के साथ एक सफल पायलट प्रोजेक्ट चलाया गया।
  • इस सफलता ने इस परियोजना में उद्यमियों की भागीदारी का मार्ग प्रशस्त किया, जिससे आने वाले समय में लगभग 250,000 लोगों के लिये रोज़गार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है।
  • वर्तमान समय तक सरकार ने लगभग 194,000 गाँवों को जोड़ा है, जिससे लगभग 567,000 घरों को इंटरनेट की सुविधा तक पहुँच प्रदान की गई है।
  • विशेष रूप से नई भारतनेट उद्यमी परियोजना का उपयोग करके 351,000 फाइबर कनेक्शन स्थापित किये गए हैं।

भारतनेट परियोजना के समक्ष चुनौतियाँ:

  • धीमी प्रगति और कार्यान्वयन में देरी:
    • इस परियोजना के कार्यान्वयन में काफी देरी हुई है, इस कारण इसकी प्रगति की गति अनुमान से धीमी है।
    • गाँवों को जोड़ने के सरकार के प्रयासों के बावजूद लक्षित 640,000 गाँवों में से केवल 194,000 को ही जोड़ा जा सका  है। इस धीमी प्रगति के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल अंतराल को कम करने की परियोजना की क्षमता बाधित हुई है।
  • बुनियादी ढाँचा और कनेक्टिविटी से संबंधित मुद्दे:
    • चुनौतीपूर्ण भू-भाग में उचित सड़कों की कमी और परिवहन संबंधी कठिनाइयों के कारण गाँवों को जोड़ने में समस्या उत्पन्न होती है। कनेक्टिविटी समस्याओं के कारण सेवा की गुणवत्ता खराब हुई है तथा कुछ क्षेत्रों में इंटरनेट की पहुँच बाधित हुई है।
  • तकनीकी एवं परिचालन संबंधी मुद्दे:
    • सिग्नल की गुणवत्ता, बैंडविड्थ सीमाएँ और नेटवर्क डाउनटाइम जैसी तकनीकी चुनौतियों ने समग्र उपयोगकर्त्ता अनुभव को प्रभावित किया है।
    • इसके अतिरिक्त स्थानीय उद्यमियों को शामिल करते हुए विकेंद्रीकृत तरीके से संचालन, रख-रखाव और शिकायत समाधान प्रक्रियाओं का प्रबंधन करना जटिल सिद्ध हुआ है, साथ ही इसके लिये प्रभावी समन्वय की आवश्यकता है।
  • निजी संचालकों से प्रतिस्पर्द्धा:
    • कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में Jio तथा Airtel जैसे निजी दूरसंचार ऑपरेटरों की मौजूदगी भारतनेट के लिये एक चुनौती है। इन निजी ऑपरेटरों ने अपने स्वयं के नेटवर्क बुनियादी ढाँचे के साथ सेवाओं की स्थापना की है, जिससे भारतनेट के लिये उपयोगकर्त्ताओं को आकर्षित करने हेतु प्रतिस्पर्द्धी मूल्य निर्धारण और विश्वसनीय सेवा गुणवत्ता प्रदान करना अधिक महत्त्वपूर्ण हो गया है।

आगे की राह

  • भारतनेट परियोजना तकनीकी, वित्तीय, परिचालन एवं जागरूकता संबंधी चुनौतियों के संयोजन का सामना करती है।
  • ग्रामीण भारत के प्रत्येक स्थान को डिजिटल कनेक्टिविटी प्रदान करने के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में परियोजना की सफलता के लिये इन चुनौतियों का समाधान आवश्यक है।
  • बाधाओं को दूर करके और बुनियादी ढाँचे को सुव्यवस्थित करके कार्यान्वयन प्रक्रिया में तेज़ी लाने का प्रयास किया जाना चाहिये। सरकारी एजेंसियों, स्थानीय निकायों एवं निजी भागीदारों के बीच सहयोगात्मक प्रयास इस प्रक्रिया को गति देने में मदद कर सकते हैं।
  • परियोजना की सफलता के लिये धन का निरंतर एवं सतत् प्रवाह सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण है। परियोजना के विस्तार एवं रख-रखाव गतिविधियों का समर्थन करने के लिये स्पष्ट वित्तीय नियोजन, आवंटन और प्रबंधन आवश्यक है।
  • उपयोगकर्त्ताओं को आकर्षित करने तथा बनाए रखने के लिये सेवा की गुणवत्ता में सुधार पर ध्यान देना महत्त्वपूर्ण है। इसमें तकनीकी मुद्दों को संबोधित करना, लगातार बैंडविड्थ सुनिश्चित करने के साथ ही नेटवर्क डाउनटाइम को भी कम करना शामिल है।

 स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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