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शासन व्यवस्था

5जी और फाइबरीकरण

  • 25 Jul 2022
  • 12 min read

प्रिलिम्स के लिये:

5जी, फाइबरीकरण, ऑप्टिकल फाइबर के घटक, संबंधित सरकारी पहल

मेन्स के लिये:

अर्थव्यवस्था में इंटरनेट का महत्त्व , इंटरनेट का विकास, फाइबरीकरण में चुनौतियाँ, सरकार की पहल

चर्चा में क्यों?

भारत देश में 5जी सेवाओं को शुरू करने के लिये ऑफ एयरवेव्स की नीलामी करने की तैयारी कर रहा है।

  • इस तरह के रोलआउट के लिये आवश्यक बुनियादी ढाँचे हेतु मौजूदा रेडियो टॉवरों को प्टिकल-फाइबर केबल के माध्यम से जोड़ा जाना आवश्यक है।

ऑप्टिकल फाइबर:

  • परिचय:
    • ऑप्टिकल फाइबर डिजिटल अवसंरचना की रीढ़ है, डेटा पतले फाइबर के लंबे स्ट्रैंड के माध्यम से यात्रा करने वाले प्रकाश-स्पंदों (Light Pulses) द्वारा प्रेषित होता है।
    • फाइबर कम्युनिकेशन में संचरण के लिये धातु के तारों को प्राथमिकता दी जाती है क्योंकि इसमें सिग्नल कम हानि के साथ यात्रा करते हैं।
    • प्रकाश किरणों का उपयोग बड़ी मात्रा में डेटा संचारित करने के लिये किया जा सकता है (बिना किसी मोड़ के लंबे सीधे तार के मामले में)।
      • तार में मोड़ वाले ऑप्टिकल केबलों को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि वे सभी प्रकाश किरणों को अंदर की ओर मोड़ते हैं (TIR का उपयोग कर)।

fiber-cable

  • लाभ:
    • हाई स्पीड:
      • फाइबर अधिक बैंडविड्थ प्रदान करता है और 10 Gbps तथा उससे अधिक तक मानकीकृत प्रदर्शन करता है। तांबे के उपयोग के साथ इसे प्राप्त कर पाना असंभव है।
      • अधिक बैंडविड्थ का मतलब है कि फाइबर तांबे के तार की तुलना में कहीं अधिक दक्षता के साथ अधिक सूचनाओं का वहन कर सकता है।
    • ट्रांसमिशन की रेंज:
      • चूँकि फाइबर-ऑप्टिक केबल्स में डेटा प्रकाश के रूप में गुज़रता है, ट्रांसमिशन के दौरान अत्यंत कम सिग्नल हानि होती है और डेटा उच्च गति से तथा अधिक दूरी तक स्थानांतरित हो सकता है।
    • व्यतिकरण के प्रति अतिसंवेदनशील नहीं:
      • फाइबर ऑप्टिक केबल कॉपर केबल की तुलना में शोर और विद्युत-चुंबकीय व्यतिकरण के प्रति कम संवेदनशील है।
      • यह वास्तव में इतना कुशल है कि ज़्यादातर मामलों में लगभग 99.7% सिग्नल राउटर तक पहुँचता है।
    • सहनशीलता:
      • फाइबर-ऑप्टिक केबल कॉपर केबल को प्रभावित करने वाले कई पर्यावरणीय कारकों से पूर्णतया प्रतिरक्षित है।
      • केबल का कोर भाग काँच से बना होता है, जो एक इन्सुलेटर का कार्य करता है, इसलिये इसमें विद्युत प्रवाह प्रवाहित नहीं हो सकता है।

फाइबरीकरण:

  • परिचय:
    • ऑप्टिकल फाइबर केबल के माध्यम से रेडियो टॉवरों को एक-दूसरे से जोड़ने की प्रक्रिया को फाइबरीकरण कहा जाता है।
    • बैकहॉल बड़े परिवहन का एक घटक है जो पूरे नेटवर्क में डेटा ले जाने के लिये ज़िम्मेदार है।
      • यह नेटवर्क के उस हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है जो नेटवर्क के कोर को एज (edge) से जोड़ता है।
    • उपभोक्ताओं और व्यवसायों को बेहतर कवरेज प्रदान करने के लिये मोबाइल टॉवरों का घनत्व बढ़ाना आवश्यक है।
  • फाइबरीकरण में चुनौतियाँँ:
    • संसाधन:
      • फाइबरीकरण के लक्षित स्तर तक पहुँचने के लिये भारत को 70% टॅावरों को फाइबर केबल से जोड़ने के लिये लगभग 2.2 लाख करोड़ रुपए के निवेश की आवश्यकता है।
        • अगले चार वर्षों में 15 लाख टावर लगाने के लिये करीब 2.5 लाख करोड़ रुपकी ज़रूरत होगी।
    • मांग:
      • भारतनेट और स्मार्ट सिटीज़ जैसे सरकारी कार्यक्रम फाइबर को बिछाने की मांग को बढ़ाते हैं, जिससे एक पूर्ण टॉवर फाइबराइजेशन की आवश्यकता होती है।
      • भारत ने वर्ष 2020 में देश के हर गाँव को 1,000 दिनों में ऑप्टिकल फाइबर केबल (OFC) से जोड़ने का लक्ष्य रखा था।
        • इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये केबलों को एक दिन में 1,251 किमी. की गति से बिछाया जाना चाहिये, जो वर्तमान की 350 किमी. प्रति दिन की औसत गति के लगभग 3.6 गुना है।
    • राइट ऑफ़ वे (RoW) नियम:
      • भारतीय टेलीग्राफ राइट ऑफ वे (RoW), नियम 2016 को दूरसंचार विभाग (DoT), भारत सरकार द्वारा वर्ष 2016 में अधिसूचित किया गया था।
        • इसके नियमों का उद्देश्य देश में कहीं भी ओवरग्राउंड टेलीग्राफ लाइन (OTL) की स्थापना के लिये सांकेतिक एकमुश्त मुआवजा और एक समान प्रक्रिया को शामिल करना है।
          • जबकि सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को इन नियमों को लागू करने की आवश्यकता है, वे पूर्ण संरेखण में नहीं हैं और अभी भी संरेखित करने के लिये कुछ संशोधनों की आवश्यकता है।
          • कई ज़िलों और स्थानीय निकायों ने उन संबंधित राज्यों में अधिसूचित RoW नीतियों के लिये सहमति नहीं दी है और RoW नियमों, 2016 के साथ संरेखित राज्य RoW नीतियों को अधिभावी करते हुए अपने स्वयं के उपनियमों का पालन कर रहे हैं।

फाइबराइजेशन में भारत की स्थिति:

  • ऑप्टिकल फाइबर और केबल में विशेषज्ञता वाली एक प्रौद्योगिकी कंपनी STL के अनुमान के मुताबिक, 5जी में बदलाव के लिये भारत को कम-से-कम 16 गुना ज़्यादा फाइबर की ज़रूरत है।
  • पूरे भारत में फाइबर कनेक्टिविटी को अपग्रेड करने की आवश्यकता है, जो वर्तमान में भारत के केवल 30% दूरसंचार टॉवरों को जोड़ता है।
    • भारत ने अप्रैल 2020 और नवंबर 2021 के बीच 132 से अधिक देशों को 138 मिलियन डॉलर के ऑप्टिकल फाइबर का निर्यात किया। 
    • भारतीय ऑप्टिकल फाइबर केबल की खपत वर्ष 2021 में 17 मिलियन फाइबर किमी. से बढ़कर वर्ष 2026 तक 33 मिलियन फाइबर किमी. हो जाने का अनुमान है। 
    • लगभग 30% मोबाइल टॉवरों में ही फाइबर कनेक्टिविटी है; इसे कम-से-कम 80% तक बढ़ाने की ज़रूरत है।
  • भारत में प्रति व्यक्ति फाइबर किलोमीटर (fkm) अन्य प्रमुख बाज़ारों की तुलना में कम है।
    • आदर्श रूप से एक देश को अच्छा फाइबराइजेशन सुनिश्चित करने के लिये प्रति व्यक्ति 1.3 किमी फाइबर की आवश्यकता होती है।
      • जापान में 1.35, अमेरिका में 1.34 और चीन में 1.3 की तुलना में भारत का fkm सिर्फ 0.09 है।
  • ये टॉवर साइट जो फाइबर के माध्यम से जुड़ी हुई हैं उन्हें फाइबर पॉइंट ऑफ प्रेजेंस (POP) कहा जाता है।
    • वर्तमान में टॉवर साइट पर ये फाइबर POP एक से पाँच Gbps की गति से डेटा को संभाल सकते हैं।

5G परिनियोजन में सैटेलाइट संचार

  • चूँकि प्रसंस्करण शक्ति को केंद्रीकृत डेटा केंद्रों से उपयोगकर्त्ताओं के करीब सर्वरों तक वितरित करने की आवश्यकता होती है, उपग्रह संचार व्यापक क्षेत्रों में बड़ी संख्या में एज सर्वरों को उच्च क्षमता वाला बैकहॉल कनेक्टिविटी प्रदान कर सकता है।
  • यह उन क्षेत्रों में 5जी ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी की सुविधा प्रदान कर सकता है जहाँ स्थलीय बुनियादी ढाँचे को तैनात करना संभव नहीं है जैसे दूर-दराज़ के गाँवों, द्वीपों या पहाड़ी क्षेत्रों में।
  • सैटेलाइट-आधारित नेटवर्क कारों, हवाई जहाज़ों और हाई-स्पीड ट्रेनों सहित जलपोतों पर उपयोगकर्त्ताओं तक 5G ब्रॉडबैंड पहुंँचाने का एकमात्र साधन है।
    • अंतरिक्ष-आधारित प्रसारण क्षमताएँ कनेक्टेड कारों के लिये दुनिया में कहीं भी ओवर-द-एयर सॉफ़्टवेयर अपडेट का समर्थन करती हैं।

आगे की राह

  • उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन:
    • ऑप्टिकल फाइबर के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिये सरकार को एक PLI योजना शुरू करने पर विचार करना चाहिये, जिसका उद्देश्य घरेलू इकाइयों में निर्मित ऑप्टिकल फाइबर से बढ़ती बिक्री पर कंपनियों को प्रोत्साहन देना है।
  • मार्ग का अधिकार (RoW) नियम:
    • गतिशक्ति संचार ऑनलाइन पोर्टल 5जी सहित दूरसंचार अवसंरचना परियोजनाओं के लिये RoW अनुमोदन के केंद्रीकरण को सक्षम कर सकता है और आगामी 5जी रोलआउट के लिये समयबद्ध तरीके से आवश्यक बुनियादी ढाँचे को तैनात करने हेतु सहायक ऑपरेटरों को सक्षम बना सकता है।
    • हाल ही में DoT ने RoW नियमों को संशोधित किया, जिससे देश में एरियल ऑप्टिकल फाइबर केबल को स्थापित करना आसान हो गया।
      • यह आधारभूत प्रदाताओं को स्ट्रीट लाइट पोल और ट्रैफिक लाइट पोस्ट के माध्यम से केबल ओवरहेड तैनात करने में सक्षम बना सकता है।
  • फाइबरयुक्त टॉवरों में डेटा क्षमता बढ़ाने की भी ज़रूरत है।

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:

Q. चौथी औद्योगिक क्रांति (डिजिटल क्रांति) के प्रादुर्भाव ने ई-गवर्नेंस को सरकार का एक अविभाज्य अंग बनाने में पहल की है। चर्चा कीजिये। (2020)

स्रोत: द हिंदू

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