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भारतनेट प्रोजेक्ट

  • 01 Jul 2021
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारतनेट प्रोजेक्ट, व्यवहार्यता अंतराल अनुदान, सार्वजनिक-निजी भागीदारी, 'राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड मिशन

मेन्स के लिये:

भारतनेट में PPP का महत्त्व

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल के माध्यम से भारतनेट परियोजना के कार्यान्वयन के लिये 19,041 करोड़ रुपए (कुल 29,430 करोड़ रुपए के खर्च में से) तक की व्यवहार्यता अंतराल अनुदान सहायता को मंज़ूरी दी।

  • सार्वजनिक-निजी भागीदारी (Public-Private Partnership- PPP) प्रक्रिया में एक सरकारी एजेंसी और एक निजी क्षेत्र की कंपनी के बीच सहयोग शामिल है जिसका उपयोग परियोजनाओं के वित्तपोषण, निर्माण और संचालन के लिये किया जा सकता है। दूरसंचार के इस महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे में PPP मॉडल एक नई पहल है।
  • व्यवहार्यता अंतराल अनुदान (Viability Gap Funding- VGF) का अर्थ एक ऐसा अनुदान होता है जो सरकार द्वारा ऐसे आधारभूत ढाँचा परियोजना को प्रदान किया जाता है जो आर्थिक रूप से उचित हो लेकिन उनकी वित्तीय व्यवहार्यता कम हो (Economically Justified but not Financially Viable), ऐसा अनुदान दीर्घकालीन परिपक्वता अवधि वाली परियोजना को प्रदान किया जाता है।  

प्रमुख बिंदु:

परिचय:

  • यह ऑप्टिकल फाइबर का उपयोग कर विश्व का सबसे बड़ा ग्रामीण ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी कार्यक्रम है और भारत ब्रॉडबैंड नेटवर्क लिमिटेड (BBNL) द्वारा कार्यान्वित एक प्रमुख मिशन भी।
    • BBNL, भारत सरकार द्वारा कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत 1000 करोड़ रुपए की अधिकृत पूंजी के साथ स्थापित एक विशेष प्रयोजन वाहन (SPV) है।
  • यह राज्यों और निजी क्षेत्र की साझेदारी में डिजिटल इंडिया के विज़न को साकार करने हेतु एक उच्च मापनीय नेटवर्क अवसंरचना है जिसे गैर-भेदभावपूर्ण आधार पर सभी घरों के लिये 2Mbps से 20Mbps तथा सभी संस्थानों को उनकी मांग क्षमता के अनुसार सस्ती ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिये एक्सेस किया जा सकता है।
  • इसे संचार मंत्रालय के तहत दूरसंचार विभाग द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
  • अक्तूबर 2011 में नेशनल ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क (National Optical Fibre Network- NOFN) को लॉन्च किया गया था, वर्ष 2015 में इसका नाम बदलकर भारत नेट प्रोजेक्ट (Bharat Net Project) कर दिया गया।
    • NOFN को ग्राम पंचायतों (Gram Panchayats) तक ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी पहुंँचाने हेतु एक मज़बूत बुनियादी ढांँचे के निर्माण के माध्यम से एक सूचना सुपरहाइवे के रूप में परिकल्पित किया गया था।
  • वर्ष 2019 में संचार मंत्रालय ने संपूर्ण देश भर में ब्रॉडबैंड सेवाओं की सार्वभौमिक और समान पहुँच की सुविधा हेतु 'राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड मिशन' (National Broadband Mission) भी शुरू किया था।

वित्तपोषण:

  • संपूर्ण परियोजना को यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड (Universal Service Obligation Fund- USOF) द्वारा वित्तपोषित किया जा रहा है, जिसे देश के ग्रामीण और दूरदराज़ क्षेत्रों में दूरसंचार सेवाओं में सुधार के उद्देश्य से स्थापित किया गया था।

उद्देश्य:

  • इसका उद्देश्य ग्रामीण भारत में ई-गवर्नेंस (e-governance), ई-स्वास्थ्य, ई-शिक्षा, ई-बैंकिंग, इंटरनेट और अन्य सेवाओं के वितरण को सुगम बनाना है।

परियोजना के चरण:

  • प्रथम चरण:
    • दिसंबर 2017 तक भूमिगत ऑप्टिक फाइबर केबल (Optic Fibre Cable- OFC) लाइन बिछाकर एक लाख ग्राम पंचायतों को ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान करना।
  • द्वितीय चरण:
    • मार्च 2019 तक भूमिगत फाइबर, बिजली लाइनों पर फाइबर, रेडियो और सैटेलाइट मीडिया के इष्टतम उपयोग से देश की सभी ग्राम पंचायतों को कनेक्टिविटी प्रदान करना।
  • तृतीय चरण:
    • वर्ष 2019 से 2023 तक एक अत्याधुनिक, फ्यूचर-प्रूफ नेटवर्क (Future-Proof Network) के तहत ज़िलों और ब्लॉकों के मध्य फाइबर को विस्तारित करने हेतु रिंग टोपोलॉजी (Ring Topology) का उपयोग किया जाएगा।

भारतनेट का वर्तमान विस्तार:

  • इस परियोजना को 16 राज्यों में ग्राम पंचायतों से परे बसे हुए सभी गाँवों में विस्तारित किया जाएगा जो इस प्रकार हैं:
    • केरल, कर्नाटक, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, मणिपुर, मिज़ोरम, त्रिपुरा, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश।
  • संशोधित रणनीति में निजी क्षेत्र के भागीदारों द्वारा भारतनेट का निर्माण, उन्नयन, संचालन, रखरखाव और उपयोग शामिल होगा जिसे प्रतिस्पर्द्धी अंतर्राष्ट्रीय बोली प्रक्रिया द्वारा चुना जाएगा।
  • चयनित निजी क्षेत्र के भागीदार से पूर्वनिर्धारित सेवा स्तर समझौते (Services Level Agreement- SLA) के अनुसार विश्वसनीय, उच्च गति ब्रॉडबैंड सेवाएँ प्रदान करने की उम्मीद है।

भारतनेट में PPP का महत्त्व:

  • तीव्र कार्यान्वयन:
    • PPP मॉडल संचालन, रखरखाव, उपयोग तथा राजस्व सृजन के लिये निजी क्षेत्र की दक्षता का लाभ उठाएगा और इसके परिणामस्वरूप भारतनेट का तेज़ी से रोल आउट होने की उम्मीद है।
  • बढ़ा हुआ निवेश:
    • निजी क्षेत्र के भागीदार से एक इक्विटी निवेश लाने और पूंजीगत व्यय के लिये और नेटवर्क के संचालन एवं रखरखाव हेतु संसाधन जुटाने की उम्मीद है।
  • बेहतर पहुँच:
    • बसे हुए सभी गाँवों में भारतनेट का विस्तार विभिन्न सरकारों द्वारा दी जाने वाली ई-सेवाओं तक बेहतर पहुँच को सक्षम करेगा, साथ ही यह ऑनलाइन शिक्षा, टेलीमेडिसिन, कौशल विकास, ई-कॉमर्स और ब्रॉडबैंड के अन्य अनुप्रयोगों को भी सक्षम करेगा।

स्रोत: द हिंदू

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