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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

भारतनेट कार्यक्रम

  • 22 Feb 2019
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में डिजिटल कम्युनिकेशंस कमीशन (Digital Communications Commission-DCC) ने सरकार के फ्लैगशिप कार्यक्रम भारतनेट (BharatNet Programme) के अंतर्गत 2.5 लाख किमी. तार (Fibre) बिछाने के कार्य को निज़ी कंपनियों को पट्टे पर देने या बेचने की मुद्रीकरण (Monetize) प्रक्रिया को सैद्धांतिक मंज़ूरी दे दी है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • डिजिटल कम्युनिकेशंस कमीशन द्वारा दूरसंचार क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों को घाटे से उबारने और राजस्व बढ़ाने के उद्देश्य के तहत भारतनेट कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिये इस क्षेत्र में निज़ी कंपनियों की भागीदारी सुनिश्चित की गई है।
  • एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वर्तमान में सरकार फाइबर परिसंपत्तियों के प्रभावी उपयोग करने में अक्षम है, इसीलिये इसे निज़ी कंपनियों को पट्टे पर देने अथवा बेचने का प्रस्ताव दिया गया है। हालाँकि कुछ कार्य भारत ब्रॉडबैंड नेटवर्क लिमिटेड (Bharat Broadband Network Limited) द्वारा भी किया जाना सुनिश्चित किया गया है।
  • आधिकारिक तौर पर बताया गया है कि इस प्रक्रिया को लीज़ मॉडल के आधार पर शुरू किया जा रहा है। इसके लिये यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड (Universal Service Obligation Fund) को राजस्व आय का अनुमान लगाते हुए 10 दिनों के भीतर एक योजना पेश करने के लिये कहा गया है।

सार्वजनिक उपक्रमों की स्थिति

  • डिजिटल कम्युनिकेशंस कमीशन ने घाटे में चल रही दूरसंचार क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों (PSUs) जैसे कि BSNL और MTNL को उच्च राजस्व प्राप्त करने की योजना प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। जिसके आधार पर इन उपक्रमों द्वारा पुनरुद्धार योजनाओं को प्रस्तुत किया गया।
  • दोनों फर्मों BSNL और MTNL ने भू-संपत्ति के मुद्रीकरण के साथ साथ कर्मचारियों के लिये स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (Voluntary Retirement Scheme-VRS) की मंज़ूरी मांगी है। इस VRS योजना से राजस्व पर क्रमश: 6,365 और 2,120 करोड़ रुपए काभार पड़ेगा।
  • एक अनुमान के अनुसार आने वाले 5-6 वर्षों में MTNL के कुल लगभग 22,000 कर्मचारियों में से 16,000 कर्मचारी और BSNL के कुल 1.75 लाख में से 75,000 कर्मचारी सेवानिवृत्त हो सकते हैं।

भारतनेट क्या है?

  • भारत नेट परियोजना का नाम पहले ओएफसी नेटवर्क (Optical Fiber Communication Network) था।
  • भारतनेट परियोजना के तहत 2.5 लाख से अधिक ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर के ज़रिये हाईस्पीड ब्रॉडबैंड, किफायती दरों पर उपलब्ध कराया जाना है।
  • इसके तहत ब्रॉडबैंड की गति 2 से 20 mbps तक होगी।
  • इसके तहत ज़िला स्तर पर भी सरकारी संस्थानों के लिये ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी उपलब्ध कराने का प्रस्ताव है।
  • इस परियोजना का वित्तपोषण यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड (Universal Service Obligation Fund-USOF) द्वारा किया जा रहा है।
  • इस परियोजना का उद्देश्य राज्यों तथा निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी से ग्रामीण तथा दूर-दराज़ के क्षेत्रों में नागरिकों एवं संस्थानों को सुलभ ब्रॉड बैंड सेवाएँ उपलब्ध कराना है।
  • इस परियोजना के तहत ब्रॉडबैंड को ऑप्टिकल फाइबर के ज़रिये पहुँचाया जाएगा, लेकिन जहाँ ऑप्टिकल फाइबर पहुँचाना संभव नहीं हो, वहाँ वायरलैस एवं सैटेलाइट नेटवर्क का इस्तेमाल किया जाएगा।
  • गाँवों में इंटरनेट पहुँचाने के बाद निजी सेवा प्रदाताओं को भी मौके दिये जाएंगे ताकि वे विभिन्न प्रकार की सेवाएँ मुहैया करा सकें।
  • स्कूलों, स्वास्थ्य केंद्रों एवं कौशल विकास केंद्रों में इंटरनेट कनेक्शन नि:शुल्क प्रदान किये जाएंगे।
  • भारतनेट के पहले चरण में देश के कई राज्यों की एक लाख से अधिक ग्राम पंचायतों में ऑप्टिकल फाइबर कनेक्टिविटी उपलब्ध कराई गई है।
  • भारतनेट परियोजना के दूसरे चरण के तहत मार्च 2019 तक 2.5 लाख ग्राम पंचायतों में हाई स्पीड ब्रॉड बैंड का लक्ष्य है।

स्रोत – द हिंदू

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