विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
‘जीसैट-7B’ और भारत के अन्य सैन्य उपग्रह
- 25 Mar 2022
- 11 min read
प्रिलिम्स के लिये:भारतीय सेना हेतु समर्पित उपग्रह, जीसैट-7, रुक्मिणी, GSAT-7A, एंग्री बर्ड, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंटेलिजेंस गैदरिंग सैटेलाइट, एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल एयरक्राफ्ट, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन। मेन्स के लिये:अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ, सीमा प्रबंधन, उपग्रह निगरानी। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में रक्षा मंत्रालय ने ‘जीसैट-7B’ (GSAT-7B) उपग्रह हेतु स्वीकृति प्रदान की है। यह उपग्रह भारतीय सेना के लिये एक समर्पित उपग्रह होगा।
- यह उपग्रह भारतीय सेना को सीमावर्ती क्षेत्रों में अपनी निगरानी बढ़ाने में मदद करेगा।
- वर्तमान में भारत के पास केवल दो समर्पित सैन्य उपग्रह हैं- जीसैट-7 (रुक्मिणी) और जीसैट-7ए (एंग्री बर्ड), जो कि क्रमशः भारतीय नौसेना एवं वायु सेना द्वारा उपयोग किये जाते हैं।
‘जीसैट-7बी’ उपग्रह की भूमिका:
- अभी तक भारतीय सेना ‘जीसैट-7ए’ और अन्य उपग्रहों पर निर्भर रही है, लेकिन इस नई अत्याधुनिक तकनीक से सेना की क्षमता में महत्त्वपूर्ण वृद्धि होगी।
- यह सैन्य उपग्रह ‘फेल-सेफ’ (Fail-Safe) स्थिति में सुरक्षित संचार सहायता प्रदान करने में मददगार होगा।
- ‘जीसैट-7बी’ मुख्य रूप से सेना की संचार ज़रूरतों को पूरा करेगा।
- यद्यपि इस उपग्रह की कई विशेषताएँ आधिकारिक तौर पर गुप्त रखी गई हैं, किंतु यह उम्मीद की जाती है कि अत्याधुनिक, मल्टी-बैंड, सैन्य-ग्रेड वाला यह उपग्रह सेना की संचार एवं निगरानी आवश्यकताओं को बखूबी पूरा करेगा।
- ऐसा उपग्रह भारतीय सेना के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण होगा, क्योंकि वर्तमान में भारत को सीमाओं पर चीन और पाकिस्तान के दोहरे खतरे का सामना करना पड़ रहा है।
- इस तरह के उपग्रह के इस्तेमाल का मतलब यह भी होगा कि सेना के रेडियो संचार उपकरणों की विशाल शृंखला एक ही मंच के तहत आ सकती है।
‘जीसैट-7’ सैटेलाइट की भूमिका:
- ‘जीसैट-7’ शृंखला के उपग्रह रक्षा सेवाओं की संचार ज़रूरतों को पूरा करने के लिये भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा विकसित उन्नत उपग्रह हैं।
- GSAT 7 (रुक्मिणी) सैन्य संचार ज़रूरतों के लिये सेवाओं की एक शृंखला प्रदान करता है, जिसमें मल्टी-बैंड संचार सहित लो बिट वॉयस रेट से लेकर हाई बिट वॉयस रेट जैसी डेटा सुविधाएँ शामिल हैं।
- यह भारत का पहला सैन्य उपग्रह है।
- GSAT 7 उपग्रह को अगस्त, 2013 में फ्रेंच गुयाना के कौरौ से एरियन 5 ECA रॉकेट द्वारा लॉन्च किया गया था।
- यह 2,650 किलोग्राम का उपग्रह है जिसकी हिंद महासागर क्षेत्र में लगभग 2,000 समुद्री मील की दूरी है।
- यह उपग्रह मुख्य रूप से भारतीय नौसेना द्वारा संचार से संबंधित अपनी ज़रूरतों के लिये उपयोग किया जाता है।
- उपग्रह अल्ट्रा-हाई फ़्रीक्वेंसी (UHF), सी-बैंड और केयू-बैंड के साथ पेलोड को ले जाता है तथा नौसेना को भूमि प्रतिष्ठानों, जहाज़ो, पनडुब्बियों व विमानों के बीच एक सुरक्षित, वास्तविक समय संचार लिंक हेतु मदद करता है।
- यूएचएफ, सी-बैंड और केयू-बैंड अलग-अलग सैटेलाइट फ्रीक्वेंसी बैंड हैं।
- उपग्रह को 249 किमी. पेरिगी (पृथ्वी के निकटतम बिंदु), 35,929 किमी. अपोजी (पृथ्वी से सबसे दूर बिंदु) तथा भूमध्य रेखा के संबंध में 3.5 डिग्री के झुकाव के भू-तुल्यकालिक स्थानांतरण कक्षा (GTO) में अंतः स्थापित किया गया था।
GSAT 7A उपग्रह की भूमिका:
- GSAT 7A को वर्ष 2018 में श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश) के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था।
- यह उपग्रह भारतीय वायुसेना के ग्राउंड रडार स्टेशनों, एयरबेस और एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल एयरक्राफ्ट (AEW&C) के बीच संपर्क बढ़ाने में मदद करता है।
- यह मानव रहित हवाई वाहनों (UAV) के उपग्रह नियंत्रित संचालन में भी मदद करता है जो ज़मीन नियंत्रित संचालन की तुलना में संचालन को बहुत अधिक विश्वसनीयता प्रदान करता है।
- इस उपग्रह में मोबाइल उपयोगकर्त्ताओं के लिये स्विच करने योग्य आवृत्ति के साथ केयू बैंड में 10 चैनल तथा एक निश्चित ग्रेगोरियन या परवलयिक एंटीना एवं चार स्टीयरेबल एंटेना होते हैं।
- IAF के लिये GSAT 7C उपग्रह को एक प्रस्ताव द्वारा डीएसी ने वर्ष 2021 में मंज़ूरी दी थी।
भारत के पास अन्य प्रकार के सैन्य उपग्रह:
- अप्रैल 2020 में इसरो द्वारा विकसित एक इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंटेलिजेंस गैदरिंग सैटेलाइट (Electromagnetic Intelligence Gathering Satellite- EMISAT) को पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV-C45) के माध्यम से लॉन्च किया गया था।
- इसमें कौटिल्य नामक एक इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस (ELINT) पैकेज है, जो ग्राउंड-आधारित रडार को इंटरसेप्ट करता है और पूरे भारत में इलेक्ट्रॉनिक निगरानी भी करता है।
- यह उपग्रह ग्लोब के एक पोल से दूसरे पोल का चक्कर लगाता है और भारत के साथ सीमा साझा करने वाले देशों के रडार से जानकारी एकत्र करने में सहायक है।
- भारत के पास RISAT 2BR1 सिंथेटिक अपर्चर रडार इमेजिंग उपग्रह भी है, जिसे दिसंबर 2019 में श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था।
आगे की राह
- GSAT-7B सही दिशा में एक कदम है, लेकिन भारत को वास्तविक समय की जानकारी या इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस बनने से पहले एक लंबा रास्ता तय करना है, जो संभवतः आधुनिक गति को बनाए रखने हेतु आवश्यक होता है।
- अंतरिक्ष के क्षेत्र में चीन पहले से ही मज़बूत स्थिति में है और वह पहले से ही अंतरिक्ष कार्यक्रमों में भारी निवेश कर रहा है।
विगत वर्षों के प्रश्न (UPSC):प्रश्न. निम्नलिखित में से किसके माप/अनुमान हेतु उपग्रह छवियों/रिमोट सेंसिंग डेटा का उपयोग किया जाता है? (2019)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये। (a) केवल 1 उत्तर: (d) प्रश्न: भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (IRNSS) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (a) प्रश्न: भारत के उपग्रह प्रमोचित करने वाले वाहनों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (a) प्रश्न: भारत द्वारा प्रमोचित खगोलीय वेधशाला, ‘ऐस्ट्रोसैट’ के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: A. केवल 1 उत्तर:D |