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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

ब्लू पैसिफिक में भागीदार

  • 29 Jun 2022
  • 16 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ब्लू पैसिफिक, G-7, ब्लू वाटर नेवी, एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक ज़ोन, सोलोमन आइलैंड, बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव में भागीदार।

मेन्स के लिये:

प्रशांत/पैसिफिक द्वीप समूह देश, प्रशांत द्वीप देशों का महत्त्व, भारत-पीआईसी संबंध, प्रशांत द्वीप देशों से चीन के संबंध।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अमेरिका और उसके सहयोगी देशों- ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, जापान तथा यूनाइटेड किंगडम ने ब्लू पैसिफिक क्षेत्र के छोटे द्वीप राष्ट्रों के साथ "प्रभावी एवं कुशल सहयोग" (Effective and Efficient Cooperation) के लिये 'पार्टनर्स इन द ब्लू पैसिफिक' (Partners in the Blue Pacific- PBP) नामक एक नई पहल शुरू की है।

  • PBP का उद्देश्य "जलवायु संकट, संपर्क और परिवहन, समुद्री सुरक्षा एवं सुरक्षा, स्वास्थ्य, समृद्धि तथा शिक्षा" के क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देना है।

पार्टनर्स इन ब्लू पैसिफिक (PBP) पहल:

  • PBP प्रशांत द्वीपों का समर्थन करने और क्षेत्र में राजनयिक, आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिये पांँच देशों का "अनौपचारिक तंत्र" है।
  • यह निकट सहयोग के माध्यम से प्रशांत क्षेत्र में "समृद्धि, लचीलापन और सुरक्षा" बढ़ाने पर केंद्रित है।
  • अर्थात् PBP के माध्यम से ये देश एक साथ और व्यक्तिगत रूप से चीन के आक्रामक आउटरीच कोे प्रतिसंतुलित करने के लिये प्रशांत द्वीप देशों को और अधिक संसाधन उपलब्ध कराएगे।
  • पूर्व के सदस्य "प्रशांत क्षेत्रवाद को बढ़ावा देगे" और प्रशांत द्वीप समूह फोरम ( Pacific Islands Forum- PIF) के साथ मज़बूत संबंध कायम करेंगे।

प्रशांत द्वीप समूह फोरम (PIF):

  • पैसिफिक आइलैंड्स फोरम इस क्षेत्र का प्रमुख राजनीतिक और आर्थिक नीति संगठन है।
  • वर्ष 1971 में स्थापित, इसमें ऑस्ट्रेलिया, कुक आइलैंड्स, माइक्रोनेशिया के संघीय राज्य, फिजी, फ्रेंच पोलिनेशिया, किरिबाती, नाउरू, न्यू कैलेडोनिया, न्यूज़ीलैंड, नीयू, पलाऊ, पापुआ न्यू गिनी, मार्शल आइलैंड्स गणराज्य, समोआ, सोलोमन द्वीप, टोंगा, तुवालु और वानुअतु सहित 18 सदस्य देश शामिल हैं।

PIC का महत्त्व:

  • सबसे बड़ा अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ):
    • द्वीपों को भौतिक और मानव भूगोल के आधार पर तीन अलग-अलग भागों में विभाजित किया गया है- माइक्रोनेशिया, मेलानेशिया और पोलिनेशिया।
    • अपने छोटे भूमि क्षेत्र के बावजूद द्वीप प्रशांत महासागर के विस्तृत क्षेत्र में फैले हुए हैं।
    • हालांँकि इनमे से कुछ सबसे छोटे एवं सबसे कम आबादी वाले राज्य हैं, जिनके पास दुनिया के कुछ सबसे बड़े अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) हैं।
  • आर्थिक क्षमता:
    • बड़े EEZ में बहुत अधिक आर्थिक संभावनाएंँ हैं क्योंकि उनका उपयोग मत्स्य पालन, ऊर्जा, खनिजों और वहांँ मौजूद अन्य समुद्री संसाधनों का दोहन करने के लिये किया जा सकता है।
      • इसलिये ये छोटे द्वीप राज्यों के बजाय बड़े महासागरीय राज्यों के रूप में पहचाने जाते हैं।
    • वास्तव में किरिबाती और FSM दोनों PIC का EEZ भारत से बड़ा है।
  • प्रमुख शक्ति प्रतिद्वंद्विता में भूमिका:
    • इन देशों ने सामरिक क्षमताओं के विकास और प्रदर्शन के लिये शक्ति प्रक्षेपण एवं प्रयोगशालाओं हेतु स्केप्रिंग बोर्ड्स रूप में प्रमुख शक्ति प्रतिद्वंद्विता में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
    • औपनिवेशिक युग की प्रमुख शक्तियों ने इन सामरिक क्षेत्रों पर नियंत्रण पाने के लिये एक-दूसरे के साथ प्रतिस्पर्द्धा की।
    • द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान (शाही जापान और यूएस) प्रशांत द्वीपों ने भी संघर्ष के प्रमुख कारकों में से एक के रूप में काम किया।
  • प्रमुख परमाणु हथियार परीक्षण स्थल:
    • संभावित वोट बैंक:
      • साझा आर्थिक और सुरक्षा चिंताओं के कारण संबंधित 14 PICs संयुक्त राष्ट्र में मतदान के लिये ज़िम्मेदार हैं और अंतर्राष्ट्रीय राय जुटाने हेतु प्रमुख शक्तियों के संभावित वोट बैंक के रूप में कार्य करते हैं।
    • सामरिक महत्त्व:
      • अपनी 2019 की रणनीति रिपोर्ट में अमेरिकी रक्षा विभाग ने इंडो-पैसिफिक को "अमेरिका के भविष्य के लिये सबसे अधिक परिणामी क्षेत्र" कहा।
        • संयुक्त राज्य अमेरिका के पश्चिमी तट से लेकर भारत के पश्चिमी तटों तक दुनिया के एक बड़े हिस्से में फैले इस क्षेत्र में दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला राज्य (चीन), सबसे अधिक आबादी वाला लोकतंत्र (भारत), और सबसे बड़ा मुस्लिम-बहुल राज्य (इंडोनेशिया) है और इसमें पृथ्वी की आधी से अधिक आबादी शामिल है।
      • दुनिया की 10 सबसे बड़ी स्थायी सेनाओं में से 7 इंडो-पैसिफिक में निवास करती हैं और इस क्षेत्र के 6 देशों के पास परमाणु हथियार हैं।
      • दुनिया के 10 सबसे व्यस्त बंदरगाहों में से नौ इस क्षेत्र में हैं और वैश्विक समुद्री व्यापार का 60% एशिया से होकर गुज़रता है, जिसमें एक-तिहाई वैश्विक शिपिंग अकेले दक्षिण चीन सागर के माध्यम से होती है।

चीन द्वारा प्रशांत क्षेत्र में अपने संबंधों को बदलने की कोशिश:

  • जैसे ही चीन ने सोलोमन द्वीप समूह के साथ एक सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किये, इस सौदे ने चीनी सेना को दक्षिणी प्रशांत क्षेत्र में गुआम के अमेरिकी द्वीप क्षेत्र के करीब और ऑस्ट्रेलिया एवं न्यूज़ीलैंड के ठीक बगल में एक आधार मिलने को लेकर गंभीर चिंताओं को चिह्नित किया।
  • महत्त्वपूर्ण शिपिंग लेन पर हावी होने की चीन की कोशिश ने 10 प्रशांत देशों को "कॉमन डेवलपमेंट विज़न" नामक एक गेम-चेंजिंग समझौते का समर्थन करने के लिये प्रेरित किया।
    • कॉमन डेवलपमेंट विज़न एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी है जिसमें आपसी सम्मान और सामान्य विकास जैसी विशेषता है, ताकि साझा भविष्य के साथ एक करीबी चीन-प्रशांत द्वीप देशों के समुदाय का निर्माण किया जा सके।
    • इसका दृष्टिकोण सहकारी और स्थायी सुरक्षा उपायों का पालन करना तथा क्षेत्रीय शांति को बढ़ावा देना, शासन व साइबर सुरक्षा में संवाद एवं सहयोग को मज़बूत करना है।
  • चीन और अमेरिका 21 PIF संवाद भागीदारों में से हैं, लेकिन इस वर्ष उन्होंने क्षेत्रीय मंच की फिजी बैठक के दौरान संवाद भागीदारों के साथ व्यक्तिगत रूप से शामिल नहीं होने का फैसला किया था।
  • PIC की विशाल समुद्री समृद्धि के अलावा ताइवान कारक चीन के प्रशांत क्षेत्र में प्रमुख भूमिका निभाता है।
    • चीन जो ताइवान को एक अलग क्षेत्र मानता है, अनिवार्य सैन्य आक्रमण जैसी तैयारी कर रहा है।
  • PIC भू-रणनीतिक रूप से उस स्थान पर स्थित हैं जिसे चीन अपने 'सुदूर समुद्र' के रूप में संदर्भित करता है, जिस पर नियंत्रण चीन को एक प्रभावी ब्लू वाटर सक्षम नौसेना बना देगा, जो महाशक्ति बनने के लिये एक आवश्यक शर्त है।
    • ब्लू वाटर नेवी वह है जो अपनी समुद्री सीमाओं की तुलना में बहुत बड़े समुद्री क्षेत्र में खुद को प्रोजेक्ट करने की क्षमता रखती है।

चीन का मुकाबला करने के लिये अमेरिका और उसके सहयोगियों की प्रतिक्रिया:

  • PBP को लॉन्च करने से पहले अमेरिका और उसके सहयोगियों ने इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क फॉर प्रॉस्पेरिटी (IPEF) की शुरुआत की, जो निम्नलिखित13 देशों के साथ इस क्षेत्र में व्यापार बढ़ाने वाला कारक है-
    • ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, भारत, इंडोनेशिया, जापान, मलेशिया, न्यूज़ीलैंड, फिलीपींस, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, थाईलैंड, फिज़ी और वियतनाम।
  • G-7 ने निम्न और मध्यम आय वाले देशों में विकास परियोजनाओं को निधि देने के लिये 600 बिलियन डॉलर जुटाने का वादा करके चीन के बेल्ट एंड रोड पहल को टक्कर देने हेतु ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर एंड इंवेस्टमेंट (PGII) के लिये एक योजना की घोषणा की।

भारत-PIC संबंध:

  • परिचय:
    • PIC के साथ भारत की बातचीत अभी भी काफी हद तक इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर भारतीय डायस्पोरा की उपस्थिति से प्रेरित है।
    • फिज़ी की लगभग 40% आबादी भारतीय मूल की है और लगभग 3000 भारतीय वर्तमान में पापुआ न्यू गिनी में रहते हैं।
    • संस्थागत जुड़ाव के संदर्भ में भारत प्रशांत द्वीप फोरम (PIF) में फोरम के प्रमुख संवाद भागीदारों में से एक के रूप में भाग लेता है।
    • हाल के वर्षों में PIC के साथ भारत की बातचीत को सुविधाजनक बनाने में सबसे महत्त्वपूर्ण विकास भारत और प्रशांत द्वीप समूह सहयोग (FIPIC) के लिये एक क्रिया-उन्मुख फोरम का गठन किया गया है।
    • FIPIC बहुराष्ट्रीय समूह है जिसे 2014 में लॉन्च किया गया था।
  • सहयोग के क्षेत्र:
    • नीली अर्थव्यवस्था:
      • अपने संसाधन संपन्न EEZ (विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र) के साथ PIC भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिये तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) और हाइड्रोकार्बन जैसे प्राकृतिक संसाधनों के आकर्षक स्रोत हो सकते हैं और नए बाज़ार भी प्रदान कर सकते हैं।
      • 'नीली अर्थव्यवस्था' के अपने विचार पर ज़ोर देते हुए भारत इन देशों के साथ विशेष रूप से जुड़ सकता है।
    • जलवायु परिवर्तन और सतत् विकास:
      • इन द्वीपीय देशों की भौगोलिक स्थिति उन्हें जलवायु चुनौतियों के प्रतिकूल प्रभावों के प्रति संवेदनशील बनाती है।
      • समुद्र के बढ़ते स्तर के कारण मिट्टी की बढ़ती लवणता निचले द्वीपीय राज्यों के लिये खतरा है, जिससे विस्थापन की समस्या भी पैदा हो रही है।
      • इसलिये जलवायु परिवर्तन और सतत् विकास चिंता के महत्त्वपूर्ण क्षेत्र हैं जहांँ प्रभावी व ठोस समाधान के लिये एक मज़बूत साझेदारी विकसित की जा सकती है।

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:

प्रश्न. प्रायः समाचारों में देखी जाने वाली 'बीजिंग घोषणा और कार्रवाई मंच (बीजिंग डिक्लरेशन एंड प्लेटफ़ॉर्म फॉर एक्शन)' निम्नलिखित में से क्या है?

(a) क्षेत्रीय आतंकवाद से निपटने की एक कार्यनीति (स्ट्रैटेजी), शंघाई सहयोग संगठन की बैठक का परिणाम
(b) एशिया-प्रशांत क्षेत्र में धारणीय आर्थिक संवृद्धि की एक कार्ययोजना, एशिया- प्रशांत आर्थिक मंच (एशिया-पैसिफिक इकोनॉमिक फोरम) के विचार-विमर्श का एक परिणाम
(c) महिला सशक्तीकरण हेतु एक कार्यसूची, संयुक्त राष्ट्र द्वारा आयोजित विश्व सम्मेलन का एक परिणाम
(d) वन्यजीवों के दुर्व्यापार (ट्रैफिकिंग) की रोकथाम हेतु कार्यनीति, पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (ईस्ट एशिया समिट) की एक उद्घोषणा

उत्तर: (c)

व्याख्या:

  • वर्ष 1995 में चीन की राजधानी बीजिंग में संयुक्त राष्ट्र संघ के तत्त्वावधान में चतुर्थ विश्व महिला सम्मेलन आयोजित किया गया था। इस सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा महिला अधिकारों पर बीजिंग घोषणा पत्र को भी अपनाया गया था। यह दुनिया भर में महिलाओं के लिये समानता, विकास और शांति हासिल करने के लिये एक वैश्विक प्रतिबद्धता है। यह पहले संयुक्त राष्ट्र सम्मेलनों, विशेष रूप से तृतीय संयुक्त राष्ट्र विश्व महिला सम्मेलन (नैरोबी), 1985 की प्रगति और सर्वसम्मति पर आधारित है।
  • प्लेटफॉर्म फॉर एक्शन महिला सशक्तीकरण का एजेंडा है। महिलाओं की उन्नति के लिये नैरोबी दूरंदेशी रणनीतियों के कार्यान्वयन में तेज़ी लाने और आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा राजनीतिक निर्णयों में पूर्ण व समान हिस्सेदारी के माध्यम से सार्वजनिक तथा निजी जीवन के सभी क्षेत्रों में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी के लिये सभी बाधाओं को दूर करना।
  • अतः विकल्प (c) सही उत्तर है।

स्रोत : इंडियन एक्सप्रेस

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