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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

हिंद-प्रशांत आर्थिक ढाँचा

  • 25 May 2022
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

इंडो-पैसिफिक, क्वाड, पेरिस समझौता, सीईपीए (व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता)।

मेन्स के लिये:

भारत से जुड़े समूह एवं समझौते और/या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले द्विपक्षीय समूह तथा समझौते, क्वाड, इंडो-पैसिफिक एवं इसका महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने हिंद-प्रशांत आर्थिक ढाँचा (IPEF) को लॉन्च करने के लिये टोक्यो में एक कार्यक्रम में भाग लिया।

  • यह आर्थिक पहल टोक्यो में क्वाड लीडर्स (भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान) के दूसरे इन-पर्सन समिट से एक दिन पहले संपन्न हुई।

क्वाड (QUAD): 

  • यह चार लोकतांत्रिक देशों- भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया का समूह है।
  • इन चारों देशों का एक समान आधार है, इनका लोकतांत्रिक होने के साथ-साथ ये निर्बाध समुद्री व्यापार और सुरक्षा के साझा हितों का समर्थन भी करते हैं।
  • क्वाड को "मुक्त, खुला और समृद्ध" हिंद-प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करने तथा समर्थन करने का साझा उद्देश्य रखने वाले चार लोकतंत्रों के रूप में पहचाना गया है।
  • क्वाड की अवधारणा औपचारिक रूप से सबसे पहले वर्ष 2007 में जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंज़ो आबे द्वारा प्रस्तुत की गई थी, हालाँकि चीन के दबाव में ऑस्ट्रेलिया के पीछे हटने के कारण इसे आगे नहीं बढ़ाया जा सका।
  • अंतत: वर्ष 2017 में भारत, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और जापान ने एक साथ आकर इस "चतुर्भुज" गठबंधन का गठन किया।

IPEF का महत्त्व:

  • परिचय:  
    • यह अमेरिका के नेतृत्व वाली एक पहल है जिसका उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में लचीलापन, स्थिरता, समावेशिता, आर्थिक विकास, निष्पक्षता और प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़ाने के लिये भाग लेने वाले देशों के बीच आर्थिक साझेदारी को मज़बूत करना है।
    • IPEF को 12 देशों के प्रारंभिक भागीदारों के साथ लॉन्च किया गया था जो सामूहिक रूप से विश्व सकल घरेलू उत्पाद में 40% की हिस्सेदारी रखते हैं।
  • भारत-प्रशांत क्षेत्र के लिये अवसर:
    • इसका उद्देश्य भारत-प्रशांत क्षेत्र को वैश्विक आर्थिक विकास का प्रमुख गंतव्य बनाना है।
  • आर्थिक दृष्टि:
    • हिंद-प्रशांत क्षेत्र दुनिया की आधी आबादी और वैश्विक जीडीपी के 60% से अधिक में अपनी हिस्सेदारी रखता है तथा जो राष्ट्र भविष्य में इस ढाँचे में शामिल होंगे, वे आर्थिक प्रगति को दिशा प्रदान करने में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर इससे समान रूप से लाभान्वित होंगे।
  • लक्षित क्षेत्र: पारंपरिक व्यापार क्षेत्रों के विपरीत IPEF टैरिफ या बाज़ार पहुँच पर बातचीत न कर यह ढाँचा चार क्षेत्रों में भागीदार देशों को एकीकृत करने पर ध्यान केंद्रित करेगा जिसमें निम्नलिखित लक्ष्य शामिल हैं:
    • व्यापार: यह उच्च मानक, समावेशी, मुक्त और निष्पक्ष-व्यापार प्रतिबद्धताओं का निर्माण करने एवं व्यापार व प्रौद्योगिकी नीति में नए तथा रचनात्मक दृष्टिकोण विकसित करने का इरादा रखता है जो आर्थिक गतिविधि और निवेश को बढ़ावा देने वाले उद्देश्यों के व्यापक उपायों को आगे बढ़ाता है एवं सतत् व समावेशी आर्थिक विकास को बढ़ावा देकर श्रमिकों तथा उपभोक्ताओं को लाभान्वित करता है। 
    • आपूर्ति शृंखला: IPEF आपूर्ति शृंखलाओं में पारदर्शिता, विविधता, सुरक्षा और स्थिरता में सुधार लाने के लिये प्रतिबद्ध है ताकि उन्हें अधिक लचीला और अच्छी तरह से एकीकृत किया जा सके।
      • संकट के समय प्रतिक्रिया उपायों का समन्वय करना, व्यापार निरंतरता को बेहतर ढंग से सुनिश्चित करने के लिये व्यवधानों के प्रभावों को बेहतर ढंग से दूर  करने और कम करने के लिये सहयोग का विस्तार करना, रसद दक्षता एवं समर्थन में सुधार, प्रमुख कच्चे माल तथा प्रसंस्कृत सामग्री, अर्द्धचालक, महत्त्वपूर्ण खनिजों और स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी तक पहुँच सुनिश्चित करना।
    • स्वच्छ ऊर्जा, डीकार्बोनाइज़ेशन और अवसंरचना: पेरिस समझौते के लक्ष्यों और लोगों एवं श्रमिकों की आजीविका का समर्थन करने के प्रयासों के अनुरूप यह हमारी अर्थव्यवस्थाओं को डीकार्बोनाइज़ करने और जलवायु प्रभावों के प्रति लचीली बनाने के लिये स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के विकास व तैनाती में तेज़ी लाने की योजनाओं पर काम कर रहा है।
      • इसमें प्रौद्योगिकियों पर सहयोग को मज़बूत करना, रियायती वित्त सहित तकनीकी सहायता प्रदान करके प्रतिस्पर्द्धात्मकता में सुधार और कनेक्टिविटी बढ़ाने के तरीकों की तलाश करना शामिल है।
    • कर और भ्रष्टाचार-रोधी: यह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में कर चोरी और भ्रष्टाचार को रोकने के लिये मौजूदा बहुपक्षीय दायित्वों, मानकों तथा समझौतों के अनुरूप प्रभावी एवं मज़बूत टैक्स-एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग और रिश्वत-विरोधी शासन लागू करके निष्पक्ष प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देने के लिये प्रतिबद्ध है। 
      • इसमें विशेषज्ञता साझा करना और जवाबदेह तथा पारदर्शी प्रणालियों को आगे बढ़ाने के लिये आवश्यक क्षमता निर्माण का समर्थन करने के तरीकों की तलाश करना शामिल है।

भारत-प्रशांत क्षेत्र के लिये भारत का दृष्टिकोण: 

  • इस क्षेत्र में भारत का व्यापार तेज़ी से बढ़ रहा है, विदेशी निवेश को पूर्व की ओर निर्देशित किया जा रहा है, उदाहरण के लिये जापान, दक्षिण कोरिया और सिंगापुर के साथ व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते तथा आसियान (दक्षिणपूर्व एशियाई राष्ट्र संघ) एवं थाईलैंड के साथ मुक्त व्यापार समझौते।
  • भारत एक स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक का सक्रिय समर्थक रहा है। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया तथा आसियान के सदस्यों ने इस क्षेत्र में भारत की बड़ी भूमिका को लेकर समान विचार व्यक्त किया है।
  • भारत अपने क्वाड पार्टनर्स के साथ हिंद-प्रशांत में अपने प्रयासों को आगे बढ़ा रहा है।
  • भारत का विचार हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अन्य समान विचारधारा वाले देशों के साथ मिलकर काम करना है ताकि नियम-आधारित बहुध्रुवीय क्षेत्रीय व्यवस्था का सहकारी प्रबंधन किया जा सके तथा किसी एक शक्ति को इस क्षेत्र या इसके जलमार्गों पर हावी होने से रोका जा सके।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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