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भारतीय अर्थव्यवस्था

वित्तीय समावेशन सूचकांक: आरबीआई

  • 03 Aug 2022
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये:

वित्तीय समावेशन, वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने की पहल, आरबीआई।

मेन्स के लिये:

वित्तीय समावेशन सूचकांक का महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

भारतीय रिज़र्व बैंक ने 31 मार्च, 2022 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष के लिये समग्र वित्तीय समावेशन सूचकांक (FI-सूचकांक) जारी किया है।

प्रमुख बिंदु

  • भारत का वित्तीय समावेशन सूचकांक का स्कोर पिछले वर्ष 2021 में9 से बढ़कर 56.4 हो गया है।
  • इसके सभी उप-सूचकांकों (वित्तीय सेवाओं तक पहुँच, उपयोग और गुणवत्ता ) में सुधार देखा गया है

वित्तीय समावेशन सूचकांक

  • परिचय:
    • वित्तीय समावेशन सूचकांक की अवधारणा एक व्यापक सूचकांक के रूप में की गई है जिसमें सरकार और क्षेत्रीय नियामकों के परामर्श से बैंकिंग, बीमा, निवेश, डाक तथा पेंशन क्षेत्र का विवरण शामिल है।
    • इसे RBI द्वारा वर्ष 2021 में बिना किसी 'आधार वर्ष' के विकसित किया गया था और प्रत्येक वर्ष जुलाई में प्रकाशित किया जाता है।
  • लक्ष्य:
    • देश भर में वित्तीय समावेशन की सीमा को मापने के लिये एक समग्र वित्तीय समावेशन सूचकांक का निर्माण करना।
    • यह सूचकांक सेवाओं की पहुँच, उपलब्धता एवं उपयोग तथा सेवाओं की गुणवत्ता मापने में आसानी के लिये अनुक्रियाशील है, जिसमें सभी 97 संकेतक शामिल हैं।
  • मापदंड:
    • यह सूचकांक 0 और 100 के बीच की एकल संख्या में वित्तीय समावेशन के विभिन्न पहलुओं पर जानकारी प्राप्त करता है, जहाँ 0 पूर्ण वित्तीय अपवर्जन का प्रतिनिधित्व करता है, वहीं 100 पूर्ण वित्तीय समावेशन को दर्शाता है।
    • इसमें तीन व्यापक पैरामीटर (भार कोष्ठक में दर्शाए गए हैं) अर्थात् एक्सेस (35%), उपयोग (45%) और गुणवत्ता (20%) शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक में विभिन्न आयाम शामिल हैं, जिनकी गणना कुछ संकेतकों के आधार पर की जाती है।

वित्तीय समावेशन सूचकांक का महत्त्व:

  • समावेशन का आकलन:
    • यह सूचकांक वित्तीय समावेशन के स्तर के बारे में जानकारी प्रदान करता है और आंतरिक नीति निर्माण में उपयोग के लिये वित्तीय सेवाओं का आकलन प्रस्तुत करता है।
  • विकास संकेतक:
    • इसका उपयोग प्रत्यक्ष विकास संकेतकों में एक समग्र उपाय के रूप में किया जा सकता है।
  • G20 संकेतकों को पूरा करता है:
    • यह G20 वित्तीय समावेशन संकेतक आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम है।
    • G20 संकेतक राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर वित्तीय समावेशन एवं डिजिटल वित्तीय सेवाओं की स्थिति का आकलन करते हैं।
  • शोधकर्त्ताओं के लिये महत्त्वपूर्ण:
    • यह शोधकर्त्ताओं को वित्तीय समावेशन और अन्य व्यापक आर्थिक चरों के प्रभाव का अध्ययन करने की सुविधा प्रदान करता है।

वित्तीय समावेशन:

  • वित्तीय समावेशन कम आय वाले लोग और समाज के वंचित वर्ग को वहनीय कीमत पर भुगतान, बचत, ऋण आदि वित्तीय सेवाएँ पहुँचाने का प्रयास है। इसे ‘समावेशी वित्तपोषण’ भी कहा जाता है
  • भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में वित्तीय समावेशन विकास प्रक्रिया का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। आज़ादी के बाद से सरकारों, नियामक संस्थानों और नागरिक समाज के संयुक्त प्रयासों ने देश में वित्तीय समावेशन तंत्र को मज़बूत करने में मदद की है ।
  • बैंक खाते तक पहुँच प्राप्त करना व्यापक वित्तीय समावेशन की दिशा में पहला कदम है क्योंकि एक लेनदेन खाता लोगों को पैसे जमा करने, भुगतान करने और धन प्राप्त करने की अनुमति देता है। एक लेनदेन खाता अन्य वित्तीय सेवाओं के लिये प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता है।

भारत में वित्तीय समावेशन बढ़ावा देने वाली पहलें:

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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