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भारतीय अर्थव्यवस्था

वित्तीय समावेशन सूचकांक

  • 18 Aug 2021
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये 

भारतीय रिज़र्व बैंक, वित्तीय समावेशन सूचकांक, प्रधानमंत्री जन धन योजना

मेन्स के लिये 

वित्तीय समावेशन का संक्षिप्त परिचय तथा इससे संबंधित लाभ एवं हानि, वित्तीय समावेशन से संबंधित प्रमुख पहलें

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने पहले समग्र वित्तीय समावेशन सूचकांक (FI-Index) की शुरुआत की।

  •  मार्च 2021 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में वार्षिक FI-सूचकांक 53.9 है, जबकि मार्च 2017 की समाप्ति के दौरान यह 43.4 था।

प्रमुख बिंदु

परिचय :

  • वित्तीय समावेशन सूचकांक की अवधारणा एक व्यापक सूचकांक के रूप में की गई है जिसमें सरकार और क्षेत्रीय नियामकों के परामर्श से बैंकिंग, बीमा, निवेश, डाक तथा पेंशन क्षेत्र का विवरण शामिल है।
    • इसका वार्षिक प्रकाशन प्रत्येक वर्ष जुलाई में किया जाता है। 
  • FI-Index का निर्माण बिना किसी 'आधार वर्ष' (Base Year) के किया गया है और इस तरह यह वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) की दिशा में वर्षों से सभी हितधारकों के साझा प्रयासों को दर्शाता है।

लक्ष्य :

  •  देश भर में वित्तीय समावेशन की सीमा को मापने के लिये एक समग्र वित्तीय समावेशन सूचकांक का निर्माण करना।

मापदंड :

  • यह सूचकांक 0 और 100 के बीच की एकल संख्या में वित्तीय समावेशन के विभिन्न पहलुओं पर जानकारी प्राप्त करता है, जहाँ 0 पूर्ण वित्तीय अपवर्जन का प्रतिनिधित्व करता है, वहीं 100 पूर्ण वित्तीय समावेशन को दर्शाता है।
  • इसमें तीन व्यापक पैरामीटर (भार कोष्ठक में दर्शाए गए हैं) अर्थात् एक्सेस (35%), उपयोग (45%) और गुणवत्ता (20%) शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक में विभिन्न आयाम शामिल हैं, जिनकी गणना कुछ संकेतकों के आधार पर की जाती है।
    • यह सूचकांक सेवाओं की पहुँच, उपलब्धता एवं उपयोग तथा सेवाओं की गुणवत्ता मापने में आसानी के लिये अनुक्रियाशील है, जिसमें सभी 97 संकेतक शामिल हैं।

वित्तीय समावेशन सूचकांक का महत्त्व:

  • समावेशन का आकलन: यह सूचकांक वित्तीय समावेशन के स्तर के बारे में जानकारी प्रदान करता है और आंतरिक नीति निर्माण में उपयोग के लिये वित्तीय सेवाओं का आकलन प्रस्तुत करता है।
  • विकास संकेतक: इसका उपयोग प्रत्यक्ष विकास संकेतकों में एक समग्र उपाय के रूप में किया जा सकता है।
  • G20 संकेतकों को पूरा करता है: यह G20 वित्तीय समावेशन संकेतक आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम है।
    • G20 संकेतक राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर वित्तीय समावेशन एवं डिजिटल वित्तीय सेवाओं की स्थिति का आकलन करते हैं।
  • शोधकर्त्ताओं के लिये महत्त्वपूर्ण: यह शोधकर्त्ताओं को वित्तीय समावेशन और अन्य व्यापक आर्थिक चरों के प्रभाव का अध्ययन करने की सुविधा प्रदान करता है।

संबंधित पहलें:

  • प्रधानमंत्री जन धन योजना:
    • अगस्त 2014 में इस योजना की घोषणा की गई थी, जो वित्तीय समावेशन के लिये एक स्थिर साधन साबित हुई।
    • अब तक देश में लगभग 43 करोड़ गरीब लाभार्थियों के पास योजना के तहत एक मूल बैंक खाता है।
  • डिजिटल पहचान (आधार):
    • इसने वित्तीय सेवाओं के वितरण में समावेश और नवाचार को उत्प्रेरित किया है।
  •  वित्तीय शिक्षा के लिये राष्ट्रीय केंद्र (NCFE):
    • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने वित्तीय रूप से जागरूक एवं सशक्त भारत के निर्माण हेतु वित्तीय शिक्षा के लिये राष्ट्रीय रणनीति: 2020-2025 (National Strategy for Financial Education: 2020-2025) जारी की है।
  • वित्तीय साक्षरता केंद्र (CFL) परियोजना:
    • RBI द्वारा 2017 में CFL परियोजना को ब्लॉक स्तर पर वित्तीय साक्षरता के लिये एक अभिनव और भागीदारी दृष्टिकोण के रूप में संकल्पित किया गया है जिसमें चुनिंदा बैंक और गैर-सरकारी संगठन ((NGOs) शामिल हैं। 
    • शुरुआत में पायलट आधार पर 100 ब्लॉकों में स्थापित इस परियोजना को अब मार्च 2024 तक चरणबद्ध तरीके से पूरे देश के हर ब्लॉक में बढ़ाया जा रहा है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

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