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भारतीय अर्थव्यवस्था

वैश्विक वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा

  • 08 Sep 2023
  • 13 min read

प्रिलिम्स के लिये:

फिनटेक उद्योग, क्रिप्टो संबंधी खतरे, साइबर खतरे, टैक्स हैवन और कर चोरी

मेन्स के लिये:

वैश्विक वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र के समक्ष प्रमुख खतरे, क्रिप्टो-खतरों और साइबर खतरों से निपटने में वैश्विक सहयोग का महत्त्व

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में केंद्रीय वित्त एवं कॉर्पोरेट कार्य मंत्री ने मुंबई में ग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2023 को संबोधित किया।

  • इस अवसर पर उन्होंने वैश्विक वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र के खतरों से निपटने में वैश्विक सहयोग के महत्त्व पर प्रकाश डाला।
  • G20 की अध्यक्षता के तहत भी भारत ने वैश्विक वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र के समक्ष प्रमुख खतरे से निपटने में वैश्विक सहयोग और सहभागिता की मांग की है।

ग्लोबल फिनटेक फेस्ट (GFF):

  • यह एक सबसे बड़ा फिनटेक सम्मेलन है जो नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI), पेमेंट्स काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) और फिनटेक कन्वर्जेंस काउंसिल (FCC) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया जाता है।
  • इसका उद्देश्य फिनटेक अधिनायकों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने और उद्योग के भविष्य के लिये खाका विकसित करने हेतु एक अद्वितीय मंच प्रदान करना है।
  • यह एक ऐसा मंच है जहाँ नीति निर्माता, विनियामक, उद्योग क्षेत्र के अग्रणी, शिक्षाविद् और सभी प्रमुख फिनटेक पारिस्थितिकी तंत्र हितधारक विचारों का आदान-प्रदान, अंतर्दृष्टि साझा करने तथा नवाचार को बढ़ावा देने के लिये वार्षिक सम्मेलन का आयोजन करते हैं।
  • GFF’23 की थीम:
    • ‘एक ज़िम्मेदार वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिये वैश्विक सहयोग’ (Global Collaboration for a Responsible Financial Ecosystem)।
      • यह थीम एक समावेशी, लचीला और धारणीय वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण में वैश्विक सहयोग की आवश्यकता पर प्रकाश डालती है।

नोट: 

  • भारतीय भुगतान परिषद (Payments Council of India- PCI): यह भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र में 85% से अधिक गैर-बैंकिंग कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था है और इसका गठन डिजिटल भुगतान उद्योग की आवश्यकताओं को प्रभावी ढंग से पूरा करने के लिये किया गया था।
  • PCI में निम्नलिखित उप-समितियाँ शामिल हैं:
    • भुगतान एग्रीगेटर/भुगतान गेटवे
    • प्रीपेड भुगतान साधन/प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट (PPI)
    • भुगतान नेटवर्क
    • भुगतान बैंक
    • भारत बिल भुगतान परिचालन इकाई समिति (BBPOU)
    • यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI)
    • अंतर्राष्ट्रीय प्रेषण और व्यापार समिति
    • प्रौद्योगिकी समर्थक
  • फिनटेक कन्वर्जेंस काउंसिल (FCC): वर्ष 2017 में एक फिनटेक समिति के रूप में स्थापित FCC को बाद में 70 से अधिक सदस्यों के साथ एक स्वतंत्र गवर्निंग बोर्ड के तौर पर स्वतंत्र परिषद में बदल दिया गया था।
    • FCC फिनटेक, बैंकिंग, वित्तीय सेवाओं और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में विभिन्न अभिकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करती है।

फिनटेक:

  • फिनटेक (वित्तीय प्रौद्योगिकी) का उपयोग नई तकनीक का वर्णन करने के लिये किया जाता है जो वित्तीय सेवाओं के वितरण और उपयोग को बेहतर बनाने तथा स्वचालित करने का प्रयास करती है।
    • फिनटेक क्षेत्र के प्रमुख खंडों में डिजिटल भुगतान, डिजिटल ऋण, बैंकटेक और क्रिप्टोकरेंसी शामिल हैं।
  • फिनटेक शिक्षा, खुदरा बैंकिंग, अनुदान संचयन, गैर-लाभकारी और निवेश प्रबंधन सहित विभिन्न क्षेत्रों तक फैला हुआ है, जो इसे महत्त्वपूर्ण व्यवसाय विस्तार तथा रोज़गार सृजन के साथ तेज़ी से बढ़ने वाला उद्योग बनाता है।
    • इसके अतिरिक्त फिनटेक वित्तीय समावेशन लक्ष्यों को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

वैश्विक वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र के समक्ष चुनौतियाँ:

  • क्रिप्टो खतरे:
    • साइबर सुरक्षा:
      • क्रिप्टोकरेंसी अपनी गुमनामी और विकेंद्रीकरण के कारण साइबर हमलों, हैकिंग, चोरी, धोखाधड़ी तथा घोटालों के प्रति संवेदनशील हैं।
    • विनियमन:
      • क्रिप्टो को वैश्विक स्तर पर नियामक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिससे देशों के बीच दृष्टिकोण और मानकों में अनिश्चितता एवं असंगतता की स्थिति उत्पन्न होती है।
    • अस्थिरता:
      • क्रिप्टोकरेंसी की कीमतें अत्यधिक अस्थिर हैं, जो उपयोगकर्ता के विश्वास और व्यावसायिक निवेश को प्रभावित कर रही हैं।
    • वहनीयता:
      • क्रिप्टो माइनिंग में विद्युत की अत्यधिक खपत होती है और इससे इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट उत्पन्न होता है, जिससे पर्यावरण संबंधी चिंताएँ बढ़ जाती हैं।
  • साइबर खतरे:
    • फिशिंग (Phishing):
      • धोखाधड़ी वाले ईमेल और संदेश उपयोगकर्त्ताओं को संवेदनशील जानकारी प्रकट करने और वित्तीय संस्थानों से समझौता करने के लिये बरगलाते हैं।
    • रैनसमवेयर:
      • मैलवेयर अनुचित तरीके से फाइलों को एन्क्रिप्ट कर सकता है और जबरन वसूली के लिये वित्तीय सेवाओं को निशाना बनाकर फिरौती की मांग करता है।
    • डेटा उल्लंघन: 
      • गोपनीय डेटा तक अधिकृत पहुँच वित्तीय संस्थाओं और व्यक्तियों की गोपनीयता, पहचान एवं संपत्ति से समझौता कर सकती है।
    • आपूर्ति शृंखला पर आक्रमण :
      • वित्तीय संगठनों की प्रणालियों और सेवाओं में सेंध लगाने के लिये हैकर्स उनके सेवा प्रदाताओं को निशाना बनाते हैं।
  • नशीली दवा और माफिया:
    • नशीली दवाओं के तस्कर और माफिया अवैध धन को वैध वित्तीय प्रणाली में एकीकृत करने के लिये  मनी लॉन्ड्रिंग का उपयोग करते हैं।
  • टैक्स हैवन और चोरी:
    • टैक्स हैवन एक ऐसा देश या क्षेत्राधिकार है जहाँ विदेशी नागरिकों और व्यवसायों को बहुत कम या कोई कर नहीं देना पड़ता है।
    • कर चोरी यानी अवैध आय या संपत्ति को छुपाकर या गलत तरीके से दर्शाकर करों से बचना या छूट प्राप्त करना है।
    • टैक्स हैवन और कर चोरी से उत्पन्न प्रमुख खतरे:
      • राजस्व हानि:
        • टैक्स हैवन और कर चोरी के कारण सरकारों को अत्यधिक राजस्व की हानि का सामना करना पड़ता है, खासकर विकासशील देशों में।
      • असमानता: 
        • टैक्स हैवन और कर चोरी ज़्यादातर अमीरों को लाभ पहुँचाता है और  आय असमानताओं को और बढ़ा देता है।
      • भ्रष्टाचार:
        • ये प्रथाएँ अवैध वित्तीय प्रवाह और कर धोखाधड़ी के लिये सुरक्षित आश्रय प्रदान करके भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती हैं।

वैश्विक वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के लिये आवश्यक वैश्विक सहयोग: 

  • खतरों की जटिलता:
    • वैश्विक वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिये खतरे, जैसे- साइबर हमले, क्रिप्टो चुनौतियाँ और ड्रग माफिया, बहुआयामी और राष्ट्रीय सीमाओं से परे हैं।
      • इन चुनौतियों का मुकाबला करने और एक ज़िम्मेदार, समावेशी, लचीला एवं टिकाऊ वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र बनाने हेतु मिलकर कार्य करने के लिये वैश्विक सहयोगात्मक प्रयास की आवश्यकता है।
  • सीमा पार प्रकृति:
    • साइबर हमले और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे कई वित्तीय खतरे एक देश में उत्पन्न होते हैं लेकिन विश्व के संस्थानों और व्यक्तियों को प्रभावित करते हैं।
      • इन खतरों को प्रभावी ढंग से ट्रैक करने और कम करने के लिये  सहयोग आवश्यक है।.
  • विनियमन में स्थिरता:
    • विभिन्न देशों में असंगत नियम, अपराधियों के लिये नियामक कमियों का फायदा उठाने के अवसर पैदा करते हैं।
      • वैश्विक सहयोग समान मानकों और विनियमों को स्थापित करने में मदद कर सकता है, जिससे नियामक मध्यस्थता का ज़ोखिम कम हो सकता है।
  • जानकारी साझा करना:
    • यह सहयोग प्रभावी ढंग से खतरों को कम करने के लिये सूचना साझा करने, कौशल विकास और एकीकृत नियमों को सक्षम बनाता है। यह साझाकरण खुफिया जानकारी के माध्यम से संभावित वित्तीय संकटों की सक्रिय पहचान एवं रोकथाम की भी अनुमति देता है।

फिनटेक वैश्विक वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र के खतरों का समाधान:

  • फिनटेक कंपनियाँ उपयोगकर्ता डेटा और वित्तीय लेन-देन की सुरक्षा के लिये उन्नत एन्क्रिप्शन तथा अन्य उपायों का उपयोग करके प्रबल सुरक्षा उपायों में भारी निवेश कर सकती हैं। 
  • फिनटेक कंपनियाँ साइबर सुरक्षा को मज़बूत करने के साथ ही दुर्भावनापूर्ण गतिविधियों को रोकने के लिये मशीन लर्निंग और ब्लॉकचेन जैसे नवीन समाधानों का उपयोग करती हैं।
  • फिनटेक वंचित आबादी को ऐसी सेवाओं तक पहुँच प्रदान करके वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दे सकती हैं जो आर्थिक कल्याण को बढ़ावा देने के साथ ही  वित्तीय भेद्यता को कम करती हैं।
  • फिनटेक क्रिप्टो परिसंपत्तियों जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों के लिये नियामक ढाँचे को विकसित करने और लागू करने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है, जो वित्तीय क्षेत्र में नवाचार एवं विकास को बढ़ावा देते हुए इन परिसंपत्तियों से जुड़े ज़ोखिमों को कम करने में मदद कर सकती है।

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रारंभिक परीक्षा:

प्रश्न. भारत के संदर्भ में निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2010)

  1. बैंकों का राष्ट्रीयकरण 
  2. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का गठन 
  3. बैंक शाखाओं द्वारा गाँव  को गोद लेना

उपर्युक्त में से किसे भारत में "वित्तीय समावेशन" हेतु उठाए गए कदमों के रूप में माना जा सकता है?

(A) केवल 1 और 2
(B) केवल 2 और 3
(C) केवल 3
(D) 1, 2 और 3

उत्तर: (D)

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