भारतीय अर्थव्यवस्था
ई-चालान और कर चोरी पर अंकुश
- 15 May 2023
- 9 min read
प्रिलिम्स के लिये:ई-चालान, कर चोरी, GST, ऑटोमेटेड रिटर्न स्क्रूटनी मॉडल, ई-वे बिल, इनपुट टैक्स क्रेडिट मेन्स के लिये:ई-चालान की सीमा को कम करना, इसका महत्त्व और संबंधित चिंताएँ, कर चोरी |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सरकार ने कर चोरी पर अंकुश लगाने और वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax- GST) व्यवस्था के तहत अनुपालन बढ़ाने के उद्देश्य से व्यवसाय-से-व्यवसाय (Business-to-Business- B2B) लेन-देन हेतु ई-चालान बनाने की सीमा को 10 करोड़ रुपए से घटाकर 5 करोड़ रुपए कर दिया है।
- सरकार ने केंद्रीय कर अधिकारियों हेतु बैकएंड एप्लीकेशन में GST रिटर्न के लिये ऑटोमेटेड रिटर्न स्क्रूटनी मॉड्यूल (ARSM) भी शुरू किया है।
ऑटोमेटेड रिटर्न स्क्रूटनी मॉड्यूल:
- ARSM केंद्रीय उत्पाद शुल्क और सेवा कर स्वचालन (Automation of Central Excise and Service Tax- ACES- GST) बैकएंड एप्लीकेशन का एक हिस्सा है जो GST रिटर्न में जोखिमों एवं विसंगतियों की पहचान करने हेतु डेटा विश्लेषण का उपयोग करता है।
- यह कर अधिकारियों को केंद्र प्रशासित करदाताओं के GST रिटर्न की जाँच करने में मदद करता है, जिन्हें तंत्र द्वारा पहचाने गए जोखिमों के आधार पर चुना जाता है।
- किसी भी गैर-अनुपालन का पता चलने पर मॉड्यूल अलर्ट भी करता है।
- वित्तीय वर्ष 2019-20 हेतु GST रिटर्न की जाँच के साथ ऑटोमेटेड रिटर्न स्क्रूटनी मॉड्यूल पहले ही शुरू हो चुका है, जिसमें कर अधिकारियों के पास पहले से ही अपेक्षित डेटा है।
GST के तहत ई-चालान:
- परिचय:
- ई-चालान एक ऐसी प्रणाली है जहाँ GST पोर्टल पर आगे उपयोग हेतु B2B चालान और कुछ अन्य दस्तावेज़ों को वस्तु एवं सेवा कर नेटवर्क (Goods and Service Tax Network- GSTN) द्वारा इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रमाणित किया जाता है।
- ई-चालान में एक आम ई-चालान पोर्टल पर पहले से ही उत्पन्न मानक चालान जमा करना, चालान विवरण के एक बार के इनपुट के साथ रिपोर्टिंग को स्वचालित करना शामिल है।
- चालान पंजीकरण पोर्टल (IRP) द्वारा प्रत्येक चालान पर एक पहचान संख्या जारी की जाती है, जो वास्तविक समय में चालान की जानकारी को GST पोर्टल और ई-वे बिल पोर्टल में स्थानांतरित करती है।
- ई-वे बिल एक अनुपालन प्रणाली है जिसके तहत वस्तुओं की आवाजाही शुरू करने वाली पार्टी माल की आवाजाही शुरू होने से पहले आवश्यक डेटा अपलोड करती है और GST पोर्टल पर ई-वे बिल तैयार करती है जिससे वस्तुओं की तेज़ आवाजाही की सुविधा प्राप्त होती है।
- इसके तहत रिटर्न दाखिल करते समय और ई-वे बिल बनाते समय मैनुअल डेटा प्रविष्टि की आवश्यकता नहीं होती है।
- उद्देश्य:
- GST परिषद ने सितंबर 2019 में अपनी 37वीं बैठक में ई-चालान के मानक को मंज़ूरी दी थी, जिसका प्राथमिक उद्देश्य पूरे GST पारिस्थितिकी तंत्र में अंतर-संचालनीयता को सक्षम करना था।
- महत्त्व:
- एक समान चालान प्रणाली के साथ कर अधिकारी रिटर्न संबंधी समग्र सूचना प्रदान करने और समाधान संबंधित मुद्दों में कमी लाने में सक्षम होते हैं।
- फर्जी चालान और इनपुट टैक्स क्रेडिट की धोखाधड़ी से जुड़े मामलों की एक बड़ी संख्या को देखते हुए GST अधिकारियों ने इस ई-चालान प्रणाली को लागू करने पर ज़ोर दिया है जिससे कर चोरी पर अंकुश लगाने और कर के रूप में धोखाधड़ी को कम करने में मदद मिलने की उम्मीद है। इसमें अधिकारियों के पास वास्तविक समय में डेटा तक पहुँच की भी सुविधा होगी।
ई-चालान की सीमा को कम करने के लाभ:
- ई-चालान की सीमा को कम करना आवश्यक है क्योंकि यह अधिक व्यवसायों, विशेष रूप से छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों के लिये अनुपालन जनादेश का विस्तार करता है तथा GST राजस्व संग्रह को बढ़ावा देने में मदद करता है।
- इससे कर चोरी पर अंकुश लगाने, GST कर आधार को व्यापक बनाने और बेहतर अनुपालन के लिये कर अधिकारियों को अधिक डेटा प्रदान करने की भी उम्मीद है।
- ई-चालान अपनाने के लिये अधिक व्यवसायों की आवश्यकता का सरकार का उद्देश्य नकली चालानों की उत्पत्ति से जुड़ी बेमेल त्रुटियों और धोखाधड़ी गतिविधियों को कम करना है।
फैसले से जुड़े प्रसंग:
- ई-चालान की सीमा कम करने से व्यवसायों, विशेष रूप से छोटे और मध्यम उद्यमों (SME) की चिंताएँ बढ़ गई हैं, क्योंकि उन्हें नई आवश्यकताओं को अपनाने और ई-चालान मानदंडों का पालन करने हेतु आवश्यक तकनीक में निवेश करने को लेकर चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। इससे उनकी अनुपालन लागत बढ़ सकती है और उनके नकदी प्रवाह पर बोझ पड़ सकता है।
- इसके अतिरिक्त बड़ी संख्या में करदाताओं द्वारा उत्पन्न ई-चालान के बढ़ते भार को संभालने के लिये GST नेटवर्क (GSTN) की क्षमता और तैयारी के संदर्भ में चुनौतियाँ उत्पन्न हो सकती हैं। इसका कारण तकनीकी खामियाँ हो सकती हैं और चालान बनाने में देरी हो सकती है, जो व्यवसायों के सुचारु कामकाज़ को प्रभावित कर सकता है।
- चालान में अधिक धोखाधड़ी B2C (बिज़नेस टू कंज़्यूमर) होती है क्योंकि इसमें कोई ITC (इनपुट टैक्स क्रेडिट) शामिल नहीं है। अभी तक ई-चालान B2C लेन-देन पर लागू नहीं है।
कर चोरी को रोकने के अन्य उपाय:
- भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018
- काला धन (अघोषित विदेशी आय और संपत्ति) एवं कर अधिरोपण अधिनियम, 2015
- धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002
आगे की राह
- सरकार छोटे और मध्यम उद्यमों को नई प्रणाली अपनाने में सहायता प्रदान कर सकती है, जिसमें व्यवसायों को नए नियमों का पालन करने में मदद के लिये प्रशिक्षण एवं संसाधन प्रदान करना शामिल है।
- इसके अतिरिक्त डेटा गोपनीयता और सुरक्षा के बारे में चिंताओं को दूर करने के लिये कदम उठाए जा सकते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि व्यवसाय वास्तविक समय में अपने डेटा को साझा करने में सहज महसूस करें।
- ई-चालान केवल B2B चालानों पर लागू होता है। इस प्रकार डिलीवरी चालान, आपूर्ति बिल, जॉब वर्क और अन्य समान लेन-देन के लिये एक अलग कार्यप्रणाली होनी चाहिये।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित में से भारत में काले धन की उत्पत्ति का कौन-सा एक प्रभाव भारत सरकार के लिये चिंता का प्रमुख कारण रहा है? (a) अचल संपत्ति की खरीद और लग्जरी आवास में निवेश के लिये संसाधनों का गठजोड़ करना। उत्तर: (d) |