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भारत का बढ़ता फिनटेक बाज़ार

  • 23 Dec 2022
  • 13 min read

यह एडिटोरियल 21/12/2022 को ‘इकोनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित “Four challenges that fintechs face in practising responsible innovation & how to fix them” लेख पर आधारित है। इसमें भारत में फिनटेक उद्योग और उससे संबंधित चुनौतियों के बारे में चर्चा की गई है।

देश में इंटरनेट सेवाओं के विस्तार के बाद गति पकड़ने के साथ फिनटेक उद्योग (Fintech industry) ने पिछले एक दशक में भारी वृद्धि दर्ज की है। 64% के वैश्विक औसत के मुकाबले 87% की फिनटेक अंगीकरण दर के साथ भारत दुनिया के सबसे तेज़ी से बढ़ते फिनटेक बाज़ारों में से एक है। 

हालाँकि, इंटरनेट की पहुँच में तेज़ वृद्धि से प्रेरित पिछले कुछ वर्षों की अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज करने के बावजूद भारत में अभी भी 190 मिलियन बैंकों से संबद्ध नहीं हैं जो विश्व में बैंकिंग सेवाओं से रहित दूसरी सबसे बड़ी आबादी है। इस परिदृश्य से स्पष्ट है कि देश भर में सुरक्षित तरीके से प्रौद्योगिकी आधारित वित्तीय सेवाओं का विस्तार करने की आवश्यकता बनी हुई है।

फिनटेक (FinTech) क्या है? 

  • ‘फाइनेंसियल टेक्नोलॉजी’ या ‘फिनटेक’ शब्द का उपयोग उस नई तकनीक का वर्णन करने के लिये किया जाता है जो वित्तीय सेवाओं के वितरण और उपयोग को बेहतर बनाने तथा स्वचालित करने का प्रयास करती है। 
  • इसमें वित्तीय क्षेत्र में खुदरा बैंकिंग, निवेश और यहाँ तक कि क्रिप्टोकरेंसी (Decentralised Finance- DeFi) जैसे कोई भी तकनीकी नवाचार शामिल है जो वित्तीय साक्षरता और शिक्षा के संवर्द्धन का लक्ष्य रखता है। 

भारतीय संदर्भ में फिनटेक का क्या महत्त्व है ? 

  • भारत में वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना: भारतीयों की एक बड़ी संख्या अभी भी औपचारिक वित्तीय प्रणाली से बाहर बनी हुई है और वित्तीय तकनीकों का उपयोग पारंपरिक बैंकिंग एवं वित्त मॉडल द्वारा छोड़ दिये गए अंतराल को भरने में मदद कर सकता है। 
  • सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSMEs) के लिये वित्त: MSMEs के अस्तित्त्व के लिये सबसे बड़े खतरों में से एक है पूंजी की कमी। IFC रिपोर्ट के अनुसार, MSME क्रेडिट अंतराल 400 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है और यह वह स्थिति है जहाँ फिनटेक एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है और क्रेडिट उपलब्धता की समस्या को दूर कर सकता है। 
    • कई फिनटेक स्टार्ट-अप द्वारा ऋण की आसान और त्वरित पहुँच की पेशकश के साथ MSMEs को अब दस्तावेज़ीकरण, काग़ज़ी कार्रवाई और बैंकों का चक्कर लगाने की थकाऊ प्रक्रिया से गुज़रने की आवश्यकता नहीं है। 
  • बेहतर ग्राहक अनुभव: फिनटेक स्टार्ट-अप अपने ग्राहकों को सुविधा, वैयक्तिकता, पारदर्शिता, पहुँच एवं उपयोग की आसानी (ease-of-use) प्रदान कर रहे हैं और इस प्रकार उन्हें वृहत रूप से सशक्त बना रहे हैं। 
    • सीमित क्रेडिट इतिहास वाले ग्राहकों के लिये क्रेडिट स्कोर और अंडरराइटिंग क्रेडिट विकसित करने से बिग डेटा, मशीन लर्निंग और वैकल्पिक डेटा का लाभ उठाकर भारत में वित्तीय सेवाओं की पहुँच में सुधार किया जा सकेगा। 

फिनटेक के विकास में विभिन्न सरकारी पहलों की भूमिका:

  • जन धन योजना: विश्व की सबसे बड़ी वित्तीय समावेशन पहल ‘जन धन योजना’ ने 450 मिलियन से अधिक लाभार्थियों के नए बैंक खाते नामांकन में मदद की है। यह प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (direct benefits transfer) और धन विप्रेषण, क्रेडिट, बीमा एवं पेंशन जैसी विभिन्न वित्तीय सेवा अनुप्रयोगों की अभिगम्यता सुनिश्चित कर सकेगा। 
    • इसने फिनटेक क्षेत्र के खिलाड़ियों को भारत के बड़े उपभोक्ता-आधार में प्रवेश करने हेतु प्रौद्योगिकी उत्पादों का निर्माण करने में सक्षम बनाया है। 
  • ‘इंडिया स्टैक’: इंडिया स्टैक (India Stack) APIs का एक समूह है जो सरकारों, व्यवसायों, स्टार्ट-अप्स और डेवलपर्स को एक अद्वितीय डिजिटल अवसंरचना का उपयोग करने की अनुमति देता है ताकि ‘प्रजेंस-लेस, पेपरलेस और कैशलेस सेवा वितरण’ (presence-less, paperless, and cashless service delivery) की भारत की जटिल समस्याओं को हल किया जा सके। 
    • फिनटेक क्षेत्र के त्वरित विकास के पीछे इंडिया स्टैक एक प्रेरक शक्ति रहा है। 
  • यूपीआई (Unified Payments Interface- UPI): यह भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (National Payments Corporation of India- NPCI) द्वारा बैंक खातों के बीच धन हस्तांतरण के लिये वर्ष 2016 में विकसित एक उन्नत मोबाइल ऐप-आधारित भुगतान प्रणाली है, जिसने भारत में फिनटेक क्रांति के पीछे की गुणक शक्ति के रूप में भूमिका निभाई है। 
    • UPI द्वारा इस मंच के तहत पंजीकृत 338 से अधिक बैंकों के माध्यम से जुलाई 2022 में 10.62 लाख करोड़ रुपए के 6.28 बिलियन से अधिक लेनदेन दर्ज किये गए। 
  • डिजिटल रुपया (Digital Rupee): भारत ने हाल ही में अपनी ‘सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी’ (CBDC) या डिजिटल रुपया या ई-रुपया लॉन्च किया। यह नकदी का एक इलेक्ट्रॉनिक संस्करण है और प्रमुखता से भारत में फिनटेक बाज़ार के विकास को गति प्रदान करेगा। 

फिनटेक उद्योग से संबद्ध प्रमुख मुद्दे  

  • साइबर हमले: प्रक्रियाओं के स्वचालन और डेटा के डिजिटलीकरण के कारण फिनटेक प्रणालियाँ हैकर्स के हमले के लिये असुरक्षित हैं। हाल में डेबिट कार्ड कंपनियों और बैंकों की हैकिंग से उजागर हुआ है कि हैकर्स आसानी से प्रणाली में सेंध लगा सकते हैं और उन्हें अपूरणीय क्षति पहुँचा सकते हैं। 
  • विनियामक चुनौतियाँ: फिनटेक की उभरती दुनिया में, विशेष रूप से क्रिप्टोकरेंसी के मामले में, विनियमन (Regulation) भी एक प्रमुख समस्या है। भारत सरकार अभी क्रिप्टोकरेंसी के प्रति ‘वेट एंड वाच’ की नीति का पालन कर रही है। विनियामक प्राधिकरण की अनुपस्थिति ने निवेशकों की सुरक्षा और अर्थव्यवस्था में धन की आवाजाही के लिये धोखाधड़ी के खतरे की संभावना को बढ़ा दिया है। 
    • फिनटेक की पेशकशों की विविधता के कारण, इन समस्याओं के लिये एकल और व्यापक दृष्टिकोण तैयार करना कठिन है। 
  • वित्तीय निरक्षरता: वित्तीय साक्षरता की कमी भी एक समस्या है। केवल 27% भारतीय वयस्क और 24% महिलाएँ ही भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा परिभाषित वित्तीय साक्षरता के न्यूनतम स्तर को पूरा करती हैं। 
  • अवैध डिजिटल लेंडिंग: महामारी के दौरान मोबाइल ऐप के जरिए डिजिटल लेंडिंग लोकप्रिय हो गई, लेकिन इसके साथ ही कई समस्याएँ भी उत्पन्न हुईं। 
    • पाया गया कि इनमें से आधे से अधिक डिजिटल ऋण प्रदाता अवैध रूप से कार्यरत थे। कई ऐप ने वित्तीय साक्षरता की व्यापक कमी का फायदा उठाने के लिये चालाकी की और 500% तक के ब्याज दर लागू किये। 

आगे की राह 

  • उपभोक्ता जागरूकता: प्रौद्योगिकीय सुरक्षा उपाय स्थापित करने के साथ ही ग्राहकों को शिक्षित एवं प्रशिक्षित करने से फिनटेक के लोकतंत्रीकरण में मदद मिलेगी और साइबर हमलों से बचाव हो सकेगा। 
  • प्रभावी विनियामक ढाँचा: पारदर्शिता और सुदृढ़ विनियमन समय के साथ फिनटेक क्षेत्र को सशक्त बनाएगा तथा आर्थिक विकास के इंजन को ईंधन प्रदान कर भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि को इसकी संभाव्य दर पर सुगम कर सकेगा। 
    • भारत के वित्तीय समावेशन एजेंडे में फिनटेक की भूमिका को चिह्नित करने और वित्तीय लक्ष्यों को स्थापित करने की दिशा में अधिक रचनात्मक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है जो फिनटेक को नए प्रस्तावों के साथ आने के लिये पर्याप्त लचीलापन प्रदान करने के साथ ही वर्तमान विद्यमान अस्पष्टता को दूर करेगा। 
  • डेटा गोपनीयता बनाए रखना: डेटा के प्रबंधन के संबंध में फिनटेक कंपनियों के लिये एक नियामक ढाँचा कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के बीच संयुक्त सहयोग के माध्यम से तैयार किया जा सकता है। 
    • इसके साथ ही, सरकार फिनटेक कंपनियों के लिये यह आवश्यक बनाए कि वे सुनिश्चित करें कि उपभोक्ताओं से एकत्र किये गए डेटा का उपयोग उपभोक्ता हित की पूर्ति के अलावा किसी अन्य उद्देश्य के लिये नहीं किया जाएगा। 

अभ्यास प्रश्न: चर्चा कीजिये कि फिनटेक उद्योग भारत में वित्तीय समावेशन को किस प्रकार आगे बढ़ा रहा है। फिनटेक के विकास में योगदान करने वाली हाल की सरकारी पहलों का हवाला भी दीजिये। 

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs)  

प्रश्न. भारत के संदर्भ में निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2010)

  1. बैंकों का राष्ट्रीयकरण
  2. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का गठन
  3. बैंक शाखाओं द्वारा गाँवों को अपनाना

उपर्युक्त में से किस/किन को, भारत में "वित्तीय समावेशन" प्राप्त करने के लिये उठाए गए कदम/कदमों के रूप में माना जा सकता है?

(a) केवल 1 और  2
(b) केवल 2 और 3 
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)

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