जैव विविधता और पर्यावरण
वायु प्रदूषण की रोकथाम
प्रिलिम्स के लिये:सिंधु-गंगा मैदान, वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI), पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (EPA), PM 10, PM 2.5, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2), सल्फर डाइऑक्साइड (SO2), कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), ओज़ोन (O3), अमोनिया (NH3), सीसा (Pb), भारी धातुएँ, ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM)। मेन्स के लिये:वायु प्रदूषण से उत्पन्न चुनौतियाँ और उनसे निपटने के उपाय। |
स्रोत: एचटी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में दिल्ली, बिहार, चंडीगढ़, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल को शामिल करने वाला सिंधु-गंगा का मैदान तीव्र वायु प्रदूषण से बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
- उदाहरण के लिये, दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) बढ़कर लगभग 500 तक पहुँच गया, जिससे IGP में वायु प्रदूषण की गंभीर चुनौती उजागर हुई, जहाँ वैश्विक आबादी का 9% और भारत की 40% आबादी रहती है।
भारत में वायु प्रदूषण की स्थिति क्या है?
- सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में अग्रणी: वैश्विक स्तर पर शीर्ष 100 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में भारत के सबसे ज़्यादा 39 शहर हैं, जबकि चीन के 30 शहर इस सूची में हैं।
- क्षेत्रीय तुलना: अन्य दक्षिण एशियाई देश वैश्विक प्रदूषण में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं, जिसमें पाकिस्तान के 7 शहर, बांग्लादेश के 5 और नेपाल के 2 शहर शीर्ष 100 में शामिल हैं।
- शीर्ष 100 प्रदूषित शहरों में से 53 भारतीय उपमहाद्वीप में हैं।
- जीवन प्रत्याशा में कमी: शिकागो विश्वविद्यालय के ऊर्जा नीति संस्थान (EPIC) द्वारा वर्ष 2019 में किये गए एक अध्ययन के अनुसार, गंभीर वायु प्रदूषण के कारण IGP के निवासियों की औसत जीवन प्रत्याशा देश के अन्य हिस्सों की तुलना में सात वर्ष कम है।
AQI क्या है?
- परिचय: AQI एक संख्यात्मक पैमाना है जिसका उपयोग प्रमुख प्रदूषकों की सांद्रता के आधार पर वायु की गुणवत्ता को मापने और संप्रेषित करने के लिये किया जाता है।
- इसे पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (EPA) द्वारा स्थापित किया गया था।
- श्रेणियाँ: AQI की छह श्रेणियाँ हैं:
- अच्छा, संतोषजनक, मध्यम प्रदूषित, खराब, बहुत खराब और गंभीर।
- प्रदूषक: AQI आठ प्रदूषकों पर विचार करता है, अर्थात् PM 10, PM 2.5, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2), सल्फर डाइऑक्साइड (SO2), कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), ओज़ोन (O3), अमोनिया (NH3), और सीसा (Pb)।
- AQI का पैमाना: AQI 0 से 500 तक होता है, इससे अधिक मान खराब वायु गुणवत्ता और अधिक स्वास्थ्य जोखिम का संकेत देते हैं।
खराब वायु गुणवत्ता के प्रभाव:
- अल्पकालिक प्रभाव: खराब वायु गुणवत्ता के संपर्क में आने पर सिरदर्द, नाक बंद होना और त्वचा में जलन जैसे लक्षण सामान्य हैं।
- उच्च स्तर के प्रदूषण के कारण अस्थमा, एलर्जिक राइनाइटिस और निमोनिया जैसी बीमारियाँ उत्पन्न हो सकती हैं या बिगड़ सकती हैं।
- दीर्घकालिक स्वास्थ्य जोखिम:
- क्रोनिक श्वसन रोग: अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) और यहाँ तक कि फेफड़ों का कैंसर।
- हृदय संबंधी स्वास्थ्य: जैसे दिल का दौरा, स्ट्रोक, हृदय विफलता और उच्च रक्तचाप।
- संज्ञानात्मक गिरावट: संज्ञानात्मक गिरावट, मनोभ्रंश और स्ट्रोक विशेष रूप से वृद्ध वयस्कों में।
- त्वचा: एक्जिमा और डर्मेटाइटिस।
- आंतरिक अंग क्षति: गुर्दे और यकृत सहित आंतरिक अंगों को क्षति।
- सुभेद्य समूहों पर प्रभाव:
- गर्भवती महिलाएँ: प्लेसेंटा विकास को बाधित करती हैं, भ्रूण के विकास को नुकसान पहुँचाती हैं और बच्चों में दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न करती हैं।
- बच्चे: तंत्रिका संबंधी विकास में बाधा डालती हैं, जिससे संज्ञानात्मक और शारीरिक विकास प्रभावित होता है।
वायु प्रदूषण के कारण क्या हैं?
- तापमान व्युत्क्रमण: यह नवंबर और दिसंबर में होता है जब शीत वायु प्रदूषकों के साथ मिलकर उन्हें ज़मीन के पास सीमित कर देती है। यह हानिकारक कणों के फैलाव को रोककर वायु प्रदूषण को बढ़ाता है।
- यातायात भीड़: यातायात भीड़ वायु प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है, मुंबई में प्रति किलोमीटर वाहन घनत्व सबसे अधिक है, उसके बाद कोलकाता, पुणे और दिल्ली का स्थान है।
- घनी आबादी वाले शहरी क्षेत्रों में, भारी यातायात न केवल वायु प्रदूषण को बढ़ाता है, बल्कि स्वच्छ प्रौद्योगिकियों और अधिक कुशल शहरी नियोजन के माध्यम से वायु गुणवत्ता में सुधार के प्रयासों में भी बाधा डालता है।
- उदाहरण के लिये, दिल्ली जैसे शहरों में इलेक्ट्रिक बसों और सख्त उत्सर्जन मानदंडों के बावजूद यातायात की भीड़ वायु गुणवत्ता में सुधार को कमज़ोर कर रही है।
- पराली दहन और रेगिस्तानी धूल: फसल अवशेषों का बड़े पैमाने पर दहन करने से धुआँ, कार्बन डाइऑक्साइड और कण पदार्थों का उत्सर्जन होता है, जिससे वायु की गुणवत्ता काफी खराब हो जाती है।
- इसके अतिरिक्त, थार रेगिस्तान से आने वाली हवाएँ इस क्षेत्र में धूल के महीन कण लाती हैं, जिससे वायु प्रदूषण और बढ़ जाता है।
- आतिशबाजी: आतिशबाजी के जलने से विषैले रसायन, भारी धातुएँ और सूक्ष्म कण वायु में उत्सर्जित होते हैं, जो वायु प्रदूषण में अल्पकालिक वृद्धि और वायु की गुणवत्ता में गिरावट का कारण बनते हैं।
- बायोमास जलाना: ग्रामीण क्षेत्रों में, खाना पकाने और गर्म करने के पारंपरिक तरीकों, जैसे कि लकड़ी, बायोमास ईंधन या कोयले पर निर्भरता, घर के अंदर और बाहर दोनों जगह वायु प्रदूषण में योगदान करती है।
भारत में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने से संबंधित पहल क्या हैं?
- राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम
- वायु गुणवत्ता एवं मौसम पूर्वानुमान एवं अनुसंधान प्रणाली (SAFAR) पोर्टल
- वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिये नया आयोग
- ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (दिल्ली के लिये)
- वाहन प्रदूषण कम करने के लिये:
WHO की 4 स्तंभ रणनीति
- WHO ने वायु प्रदूषण के प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभावों को दूर करने के लिये वर्ष 2015 में 4 स्तंभ रणनीति अपनाते हुए एक प्रस्ताव पारित किया था ।
- वे चार स्तंभ हैं:
- ज्ञान आधार का विस्तार
- निगरानी और रिपोर्टिंग
- वैश्विक नेतृत्व और समन्वय
- संस्थागत क्षमता सुदृढ़ीकरण
आगे की राह
- अपशिष्ट से ऊर्जा प्रौद्योगिकियाँ: अपशिष्ट से ऊर्जा संयंत्रों में निवेश करना जो गैर-पुनर्चक्रणीय अपशिष्ट को भस्मीकरण या अवायवीय पाचन जैसी प्रक्रियाओं के माध्यम से ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं।
- भस्मीकरण एक तापीय प्रक्रिया है जिसमें अपशिष्ट को उच्च तापमान पर जलाकर उसका आयतन कम किया जाता है, जबकि अवायवीय पाचन एक जैविक प्रक्रिया है जिसमें सूक्ष्मजीव ऑक्सीजन के बिना कार्बनिक अपशिष्ट को विघटित करते हैं।
- निर्माण स्थलों को ढकना: निर्माण क्षेत्र को लंबवत रूप से ढकना, कच्चे माल को ढकना, रेत और धूल को फैलने से रोकने के लिये पानी का छिड़काव और विंडब्रेकर का उपयोग करना तथा निर्माण सामग्री को ढकना जैसे उपायों से वायु की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार हो सकता है।
- डी-सॉक्सिंग और डी-एनओएक्सिंग प्रणालियाँ: सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) और नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) जैसे प्रदूषकों को सीमित करने के लिये, संयंत्रों और रिफाइनरियों को डी-सॉक्सिंग (De-SOx-ing) और डी-एनओएक्सिंग (De-NOx-ing) प्रणालियाँ स्थापित करने की आवश्यकता होती है जो क्रमशः SO2 और NOx को हटाती हैं।
- वैकल्पिक बायोमास उपयोग: जलाने के बजाय, अवशेष का उपयोग ऊर्जा उत्पादन, बायोगैस उत्पादन और मवेशियों को खिलाने के लिये किया जा सकता है।
- विद्युतीकरण की ओर बदलाव: सार्वजनिक परिवहन में सुधार के साथ-साथ इलेक्ट्रिक, हाइब्रिड और बीएस-VI वाहनों को बढ़ावा देने से वाहनों से होने वाले उत्सर्जन में काफी कमी आ सकती है।
- वाष्प पुनर्प्राप्ति प्रणालियाँ: पेट्रोल वाष्प (Petrol Vapours), जिसमें वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (Volatile Organic Compounds- VOC) होते हैं, धुंध उत्पन्न करते हैं तथा भंडारण, उतराई (Unloading) और ईंधन भरने के दौरान स्वास्थ्य के लिये खतरा पैदा करते हैं।
- वाष्प पुनर्प्राप्ति प्रणालियाँ उत्सर्जन को कम करने के लिये VOCs को अधिकृत करता है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: सिंधु-गंगा के मैदान में गंभीर वायु प्रदूषण में योगदान देने वाले कारकों का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिये। इस समस्या से प्रभावी ढंग से निपटने के उपाय सुझाइये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्सप्रश्न: निम्नलिखित में से कौन-से कारण/कारक बेंज़ीन प्रदूषण उत्पन्न करते हैं ? (2020)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये : (a) केवल 1, 2 और 3 उत्तर: (a) प्रश्न: प्रदूषण की समस्याओं का समाधान करने के संदर्भ में जैवोपचारण (बायोरेमीडिएशन) तकनीक के कौन-सा/से लाभ है/हैं ? (2017)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये : (a) केवल 1 उत्तर: (c) मेन्सप्रश्न: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.) द्वारा हाल ही में जारी किये गए संशोधित वैश्विक वायु गुणवत्ता दिशा-निर्देशों (ए.क्यू.जी.) के मुख्य बिंदुओं का वर्णन कीजिये। विगत 2005 के अद्यतन से, ये किस प्रकार भिन्न हैं? इन संशोधित मानकों को प्राप्त करने के लिये, भारत के राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम में किन परिवर्तनों की आवश्यकता है? (2021) प्रश्न: भारत सरकार द्वारा शुरू किये गए राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एन.सी.ए.पी.) की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं? (2020) |


भारतीय अर्थव्यवस्था
भारत में बढ़ती मुद्रास्फीति
प्रिलिम्स के लिये:उपभोक्ता मूल्य सूचकांक, उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक, भारतीय रिज़र्व बैंक, खाद्य मुद्रास्फीति, हीटवेव, केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय मेन्स के लिये:मुद्रास्फीति का आर्थिक प्रभाव, मौद्रिक नीति और मुद्रास्फीति प्रबंधन |
स्रोत: पी.आई.बी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) ने बताया कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) या खुदरा मुद्रास्फीति अक्तूबर 2024 में बढ़कर 6.2% हो गई और उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (CFPI) के अनुसार खाद्य मुद्रास्फीति बढ़कर 10.87% हो गई।
- यह अगस्त 2023 के बाद से सबसे अधिक मुद्रास्फीति दर है, जो भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की 6% की ऊपरी सहन सीमाओं को पार कर गई है।
- वैश्विक मुद्रास्फीति में कमी के बावजूद, भारत निरंतर मूल्य दबाव का सामना कर रहा है, जिससे विशेषज्ञ पूर्वानुमानों और ब्याज दर प्रभावों का पुनर्मूल्यांकन कर रहे हैं।
भारत में उच्च खुदरा मुद्रास्फीति के लिये कौन-से कारक ज़िम्मेदार हैं?
- उच्च खाद्य मुद्रास्फीति: इस वृद्धि में खाद्य मुद्रास्फीति का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा, जो 15 महीने के उच्चतम स्तर 10.8% पर पहुँच गई
- सब्जियों की कीमतों में 42% की वृद्धि हुई, जो 57 महीने का उच्चतम स्तर है। फलों की कीमतों में 8.4% की वृद्धि हुई और दलहनों में 7.4% की वृद्धि देखी गई।
- कोर मुद्रास्फीति में वृद्धि: कोर मुद्रास्फीति जिसमें खाद्य और ईंधन की कीमतें शामिल नहीं हैं, में भी वृद्धि हुई है, जो खाद्य के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी मुद्रास्फीति के दबाव का संकेत देती है।
- घरेलू सेवाओं में मुद्रास्फीति बढ़ रही है, जो जीवन-यापन की बढ़ती लागत को दर्शाती है।
- वैश्विक मूल्य अस्थिरता: आपूर्ति में व्यवधान और अन्य अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार कारकों के कारण वैश्विक खाद्य तेल की कीमतों में तीव्र वृद्धि ने भारत की मुद्रास्फीति को सीधे प्रभावित किया है।
- चूँकि भारत खाद्य तेलों का एक प्रमुख आयातक है, इसलिये वैश्विक कीमतों में किसी भी वृद्धि के परिणामस्वरूप घरेलू उपभोक्ताओं के लिये लागत बढ़ जाती है, जिससे खाद्य मुद्रास्फीति में योगदान होता है।
- चरम मौसमी घटनाएँ: हीटवेव ने फसल की पैदावार पर नकारात्मक प्रभाव डाला है, जिससे आपूर्ति में कमी आई है और कीमतें बढ़ी हैं
RBI की मौद्रिक नीति पर उच्च खुदरा मुद्रास्फीति के क्या प्रभाव होंगे?
- ब्याज दरों में कटौती में देरी: RBI का मुद्रास्फीति लक्ष्य 4% है, जिसमें 2% से 6% बीच की मुद्रास्फीति को अनुकूल माना गया है। मुद्रास्फीति इस लक्ष्य से अधिक होने पर, ब्याज दरों में तत्काल कटौती की संभावना नहीं है।
- विशेषज्ञों का अनुमान है कि यदि मुद्रास्फीति में निरंतर गिरावट आती है तो RBI वर्ष 2025 में दरों में कटौती पर विचार कर सकता है।
- मुद्रास्फीति नियंत्रण पर ध्यान: RBI मूल्य स्थिरता बनाए रखने के लिये मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने को प्राथमिकता देना जारी रखेगा, क्योंकि अनियंत्रित मुद्रास्फीति आर्थिक विकास और क्रय शक्ति को कमज़ोर करती है।
- RBI ने अनुमान लगाया था कि वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही में मुद्रास्फीति 4.8% और चौथी तिमाही में 4.2% तक कम हो जाएगी, लेकिन अब इसकी संभावना कम लगती है, जिससे ब्याज दरों के भविष्य के अनुमान पर असर पड़ सकता है।
- RBI की नीतिगत दुविधा: RBI के सामने एक कठिन निर्णय है, उसे मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाना है, साथ ही आर्थिक विकास को भी रोकना है। खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतें और आपूर्ति में व्यवधान मुद्रास्फीति में प्रमुख योगदानकर्त्ता हैं, जो नीतिगत निर्णयों को जटिल बनाते हैं।
- लगातार मुद्रास्फीति के दबाव को देखते हुए, RBI सतर्क रुख अपना सकता है, ब्याज दरों को समायोजित करने से पहले मुद्रास्फीति में गिरावट का इंतजार कर सकता है। वैकल्पिक रूप से यह एक सख्त मौद्रिक नीति लागू कर सकता है, जो मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के साथ-साथ आर्थिक विकास को भी प्रभावित कर सकती है।
- अनियंत्रित मुद्रास्फीति के संभावित जोखिम: RBI ने कहा कि निरंतर मुद्रास्फीति वास्तविक अर्थव्यवस्था, विशेष रूप से उद्योग और निर्यात को कमज़ोर कर सकती है।
- यदि बढ़ती इनपुट लागत का बोझ उपभोक्ताओं पर डाला जाता है, तो इससे उपभोक्ता मांग कम हो सकती है और कॉर्पोरेट आय पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
- इसका विशेष रूप से विनिर्माण जैसे क्षेत्र पर प्रभाव पड़ सकता है, जो स्थिर इनपुट लागत और मार्जिन पर निर्भर करते हैं।
नोट: भारत सरकार और RBI के बीच मौद्रिक नीति रूपरेखा समझौते (Monetary Policy Framework Agreement- MPFA) का उद्देश्य विकास पर विचार करते हुए मूल्य स्थिरता बनाए रखना है।
- इस समझौते के अनुसार, यदि मुद्रास्फीति लगातार तीन तिमाहियों तक 2% से 6% की लक्ष्य के बाहर रहती है, तो RBI को केंद्र सरकार को रिपोर्ट देनी होगी, जिसमें कारण बताना होगा, सुधारात्मक कार्रवाई का प्रस्ताव देना होगा, तथा यह अनुमान लगाना होगा कि मुद्रास्फीति कब लक्ष्य सीमा पर वापस आएगी।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक क्या है?
- परिचय: CPI दैनिक उपभोग के लिये घरों द्वारा आमतौर पर खरीदी जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं की खुदरा कीमतों में परिवर्तन को मापता है।
- इसका उपयोग मुद्रास्फीति पर नज़र रखने के लिये किया जाता है, CPI का आधार वर्ष 2012 है।
- उद्देश्य: CPI मुद्रास्फीति का एक व्यापक रूप से प्रयुक्त वृहद आर्थिक संकेतक है, जिसका उपयोग सरकारों और केंद्रीय बैंकों द्वारा मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण और मूल्य स्थिरता निगरानी के लिये तथा राष्ट्रीय खातों में अपस्फीतिकारक के रूप में किया जाता है।
- CPI का उपयोग कीमतों में वृद्धि के लिये कर्मचारियों के महँगाई भत्ते को अनुक्रमित करने के लिये भी किया जाता है।
- CPI जीवन-यापन की लागत, क्रय शक्ति तथा वस्तुओं और सेवाओं की महँगाई को समझने में मदद करती है।
उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक क्या है?
- CFPI मुद्रास्फीति को मापता है जो विशेष रूप से उपभोक्ता की टोकरी में खाद्य पदार्थों के मूल्य परिवर्तन पर केंद्रित होता है।
- CFPI सामान्य रूप से उपभोग किये जाने वाले खाद्य पदार्थों जैसे अनाज, सब्जियाँ, फल, डेयरी, माँस और अन्य प्रमुख वस्तुओं के मूल्य परिवर्तनों पर नज़र रखता है।
- CPI की तरह, CFPI की गणना मासिक आधार पर की जाती है, तथा वर्तमान में इसका आधार वर्ष 2012 माना जाता है।
- केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (CSO), सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय अखिल भारतीय आधार पर तीन श्रेणियों (ग्रामीण, शहरी और संयुक्त) के लिये अलग-अलग CFPI जारी करता है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: भारतीय रिज़र्व बैंक की मौद्रिक नीति पर उच्च खुदरा मुद्रास्फीति के प्रभावों का परीक्षण कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्सप्रश्न 1. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक दर को कम करना _______की ओर जाता है:(2011) (a) बाज़ार में अधिक तरलता उत्तर: (a) प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (a) प्रश्न. यदि आर.बी.आई. प्रसारवादी मौद्रिक नीति का अनुसरण करने का निर्णय लेता है, तो वह निम्नलिखित में से क्या नहीं करेगा? (2020)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) |


सामाजिक न्याय
द स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स चिल्ड्रन 2024
प्रारंभिक परीक्षा के लिये:संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय बाल आपातकालीन कोष (यूनिसेफ), वर्ल्ड्स चिल्ड्रन 2024, mRNA वैक्सीन, चिल्ड्रेन क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स (CCRI) 2021, मिशन LIFE, जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना, स्वच्छ भारत मिशन, जल जीवन मिशन, बाल अधिकार सम्मेलन, 1989, संयुक्त राष्ट्र, शांति के लिये नोबेल पुरस्कार, एसडीजी, राष्ट्रीय अनुकूलन योजनाएँ, राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान। मेन्स के लिये:बच्चों का सतत् विकास और जलवायु परिवर्तन। |
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
चर्चा में क्यों?
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय बाल आपातकालीन कोष (यूनिसेफ) ने द स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स चिल्ड्रन 2024 (SOWC 2024) रिपोर्ट जारी की, जो वर्ष 2050 तक बच्चों के भविष्य को आकार देने वाली शक्तियों और प्रवृत्तियों की जाँच करती है।
- रिपोर्ट में वर्ष 2050 तक बच्चों के जीवन को आकार देने वाली तीन प्रमुख प्रवृत्तियों, जनसांख्यिकीय बदलाव, जलवायु संकट और अग्रणी प्रौद्योगिकियाँ, पर प्रकाश डाला गया है।
SOWC 2024 रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?
- बाल जीवन: वैश्विक स्तर पर नवजात शिशुओं के जीवित रहने की दर 98% से अधिक है, जबकि 5 वर्ष की आयु तक जीवित रहने वाले बच्चों की संभावना 99.5% है।
- 2000 के दशक में जन्मी लड़कियों की जीवन प्रत्याशा 70 वर्ष और लड़कों की 66 वर्ष से बढ़कर क्रमशः 81 वर्ष और 76 वर्ष हो गयी है।
- जलवायु संबंधी खतरे: अनुमान है कि बच्चे चरम मौसम की घटनाओं के संपर्क में आने की दर काफी अधिक हैं: लू के कारण 8 गुना अधिक, नदी में बाढ़ के कारण 3.1 गुना अधिक, वनाग्नि के कारण 1.7 गुना अधिक, सूखे के कारण 1.3 गुना अधिक तथा उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के कारण 1.2 गुना अधिक।
- सामाजिक-आर्थिक स्थितियाँ: अनुमान है कि विश्व के 23% बच्चे वर्तमान में निम्न आय वर्ग के रूप में वर्गीकृत 28 देशों में रहते हैं, जो 2000 के दशक में इन देशों की हिस्सेदारी (11%) से दोगुने से भी अधिक है।
- शिक्षा: अनुमान है कि 2050 के दशक तक 95.7% बच्चों को कम-से-कम प्राथमिक शिक्षा प्राप्त होगी (जो 2000 के दशक में 80% थी) तथा 77% बच्चों को कम-से-कम उच्च माध्यमिक शिक्षा (जो 40% थी) प्राप्त होगी।
- वैश्विक स्तर पर लड़कियों और लड़कों के बीच शिक्षा का अंतर कम होने की उम्मीद है, क्योंकि कुछ क्षेत्रों में अधिक लड़कियाँ उच्चतर माध्यमिक शिक्षा पूरी करेंगी।
- लैंगिक समानता: 2050 तक वैश्विक स्तर पर बच्चों के जीवन में लैंगिक असमानता कम होने की उम्मीद है ।
- हालाँकि यह अनुमान लगाया गया है कि पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका तथा पश्चिमी और मध्य अफ्रीका में कई बच्चे उच्च लैंगिक असमानता के साथ रह रहे हैं ।
- संघर्ष ज़ोखिम: संघर्ष-प्रवण क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों की संख्या 2000 के दशक के 833 मिलियन से घटकर 2050 के दशक में 622 मिलियन हो जाने का अनुमान है।
- शहरीकरण: अनुमान है कि 2050 के दशक में वैश्विक स्तर पर लगभग 60% बच्चे शहरी क्षेत्रों में रहेंगे, जबकि 2000 के दशक में यह आँकड़ा 44% था।
वे कौन से मेगाट्रेंड हैं जो बच्चों के जीवन को आकार दे रहे हैं?
- जनसांख्यिकीय बदलाव: वर्ष 2050 तक वैश्विक बाल जनसंख्या 2.3 बिलियन पर स्थिर होने की उम्मीद है। दक्षिण एशिया, पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका, तथा पश्चिमी और मध्य अफ्रीका में बाल जनसंख्या बढ़ेगी।
- अफ्रीका की बाल जनसंख्या का हिस्सा 40% से नीचे आने की उम्मीद है (जो 2000 के दशक में 50% था), जबकि पूर्वी एशिया, पश्चिमी यूरोप और उत्तरी अमेरिका में यह 19% से नीचे आ जाएगा।
- जलवायु संकट: लगभग 1 अरब बच्चे ऐसे देशों में रहते हैं जो जलवायु संबंधी खतरों, जैसे प्रदूषण, चरम मौसम और जैवविविधता हानि, के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हैं।
- बच्चों का विकासशील शरीर प्रदूषण और अत्यधिक मौसम के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील होता है, तथा जन्म से पहले ही उनके मस्तिष्क, फेफड़े और प्रतिरक्षा प्रणाली को खतरा हो सकता है।
- वर्ष 2022 से, विश्व भर में 400 मिलियन छात्रों को अत्यधिक मौसम के कारण स्कूल बंद होने का सामना करना पड़ा है।
- अग्रणी प्रौद्योगिकियाँ: कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), न्यूरोटेक्नोलॉजी, अगली पीढ़ी की नवीकरणीय ऊर्जा और mRNA वैक्सीन की सफलताएँ भविष्य में बचपन में महत्त्वपूर्ण सुधार ला सकती हैं।
- हालाँकि, उच्च आय वाले देशों में 95% से अधिक लोग इंटरनेट से जुड़े हुए हैं, जबकि निम्न आय वाले देशों में केवल 26% लोगों तक ही इसकी पहुँच है।
SOWC 2024 रिपोर्ट के भारत-विशिष्ट निष्कर्ष क्या हैं?
- बाल जनसंख्या: वर्ष 2050 तक भारत में सबसे अधिक बाल जनसंख्या होने की संभावना है, जो लगभग 350 मिलियन होगी, जो वैश्विक कुल जनसंख्या का 15% होगी।
- अनुमान है कि वर्ष 2050 तक भारत, चीन, नाइजीरिया और पाकिस्तान में विश्व की एक तिहाई से अधिक बाल जनसंख्या होगी।
- जलवायु ज़ोखिम: बाल जलवायु जोखिम सूचकांक (CCRI) 2021 में 163 देशों में से भारत 26वें स्थान पर है, जो जलवायु संबंधी खतरों के प्रति उच्च ज़ोखिम को दर्शाता है।
- भारतीय बच्चों को अत्यधिक गर्मी, बाढ़, सूखे और वायु प्रदूषण से गंभीर खतरों का सामना करना पड़ता है।
- CCRI को यूनिसेफ द्वारा जारी किया जाता है, जो चक्रवातों और हीटवेव जैसे जलवायु प्रभावों के प्रति बच्चों के ज़ोखिम तथा आवश्यक सेवाओं तक पहुँच के कारण उनकी संवेदनशीलता के आधार पर देशों की रैंकिंग करता है।
नोट: यूनिसेफ पिछले 75 वर्षों से भारत सरकार के साथ सहयोग कर रहा है और वर्ष 1992 में भारत ने बाल अधिकार कन्वेंशन, 1989 का अनुसमर्थन किया था।
- बच्चों के अधिकारों की रक्षा और उन्हें पूरा करने के लिये वर्ष 1989 में संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार सम्मेलन को अपनाया गया था।
UNICEF
- परिचय: UNICEF एक अग्रणी वैश्विक संगठन है जो यह सुनिश्चित करने के लिये कार्य करता है कि हर बच्चा जीवित रहे, फले-फूले और अपनी क्षमता को पूरा करे, चाहे उनकी पृष्ठभूमि कुछ भी हो या वे कहीं भी रहते हों।
- UNICEF का कार्य निष्पक्ष, गैर-राजनीतिक और तटस्थ है। यह 190 से अधिक देशों और क्षेत्रों में कार्य करता है।
- स्थापना: इसकी स्थापना वर्ष 1946 में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद उन बच्चों की सहायता करने के लिये की गई थी, जिनका जीवन और भविष्य खतरे में था, चाहे उनके देश ने युद्ध में कोई भी भूमिका निभाई हो।
- UNICEF वर्ष 1953 में संयुक्त राष्ट्र का स्थायी हिस्सा बन गया।
- मुख्य गतिविधियाँ: शिक्षा, स्वास्थ्य एवं पोषण, बाल संरक्षण, स्वच्छ जल और स्वच्छता, जलवायु परिवर्तन तथा रोग।
- UNICEF बाल अधिकार कन्वेंशन, 1989 द्वारा निर्देशित है।
- मान्यता: वर्ष 1965 में “राष्ट्रों के बीच भाईचारे को बढ़ावा देने” के लिये शांति के लिये नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- रणनीतिक योजना (2022-2025): यह समावेशी कोविड-19 पुनर्प्राप्ति, सतत् विकास लक्ष्यों की दिशा में तीव्र प्रगति और एक ऐसे समाज के लिये समन्वित प्रयासों को आगे बढ़ाती है, जहाँ प्रत्येक बच्चे को शामिल किया जाता है, सशक्त बनाया जाता है तथा उसके अधिकारों को पूरा किया जाता है।
SOWC 2024 रिपोर्ट के अनुसार बच्चों का भविष्य कैसे सुरक्षित करें?
- जनसांख्यिकीय परिवर्तनों के लिये तैयारी करना: यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य और परिवार नियोजन सेवाओं के साथ-साथ मातृ, नवजात, बाल तथा किशोर स्वास्थ्य देखभाल तक पहुँच सुनिश्चित करना।
- दिव्यांगजनों सहित हाशिये पर पड़े बच्चों के लिये सुरक्षित स्थान, बुनियादी अवसरंचना और सहायता के साथ बाल-अनुकूल शहर बनाना।
- जलवायु, शमन और शिक्षा में निवेश करना: सुनिश्चित करें कि राष्ट्रीय अनुकूलन योजनाओं, राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान और अन्य जलवायु रणनीतियों में बच्चों की आवश्यकताओं को संबोधित किया जाए।
- जलवायु अनुकूलन को स्थानीय नियोजन में एकीकृत करना, जिसमें स्कूल, स्वास्थ्य सेवा, सामाजिक सेवाएँ तथा जल एवं स्वच्छता शामिल हों।
- कनेक्टिविटी और सुरक्षित डिज़ाइन: पारंपरिक शिक्षण के पूरक के रूप में बच्चों तथा शिक्षकों के बीच डिजिटल साक्षरता और कौशल को बढ़ावा देना।
- जोखिमों का पूर्वानुमान लगाने हेतु निरीक्षण तंत्र के साथ नई प्रौद्योगिकियों के लिये अधिकार-आधारित शासन को लागू करना।
निष्कर्ष
UNICEF की स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स चिल्ड्रन 2024 रिपोर्ट में बच्चों के लिये एक स्थायी भविष्य को सुरक्षित करने के लिये सक्रिय योजना और जलवायु अनुकूलन की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया है। बच्चों के अधिकारों की रक्षा तथा वैश्विक स्तर पर उनके कल्याण को बढ़ावा देने के लिये पर्यावरणीय जोखिमों को संबोधित करते हुए स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और डिजिटल अवसरों तक पहुँच सुनिश्चित करना आवश्यक है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: जलवायु परिवर्तन का बच्चों के भविष्य पर प्रभाव, विशेष रूप से भारत में और इन जोखिमों को कम करने में सरकारी पहल की भूमिका पर चर्चा कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्स:प्रश्न: बाल-अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2010)
उपर्युक्त में से कौन सा/से बाल-अधिकार है/हैं ? (a) केवल 1 उत्तर: (d) मेन्स:प्रश्न: अब तक भी भूख और गरीबी भारत में सुशासन के समक्ष सबसे बड़ी चुनौतियाँ हैं। मूल्यांकन कीजिए कि इन भारी समस्याओं से निपटने में क्रमिक सरकारों ने किस सीमा तक प्रगति की है। सुधार के लिए उपाय सुझाइए। (2017) प्रश्न: राष्ट्रीय बाल नीति के मुख्य प्रावधानों का परीक्षण कीजिये तथा इसके क्रियान्वयन की प्रस्थिति पर प्रकाश डालिये। (2016) |


अंतर्राष्ट्रीय संबंध
प्रधानमंत्री की नाइजीरिया, ब्राज़ील और गुयाना की यात्रा
स्रोत: एलएम
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, भारत के प्रधानमंत्री ने दक्षिण अमेरिका के तीन देशों नाइजीरिया (अफ्रीका), ब्राज़ील और गुयाना की यात्रा शुरू की है।
- नाइजीरिया की अपनी यात्रा के बाद प्रधानमंत्री 19वें G20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिये ब्राज़ील गए तथा तत्पश्चात गुयाना के लिये रवाना हुए।
भारत-नाइजीरिया संबंधों की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- हालिया राजनयिक जुड़ाव:
- नवंबर 2024 में भारतीय प्रधानमंत्री की नाइजीरिया की हालिया यात्रा द्विपक्षीय संबंधों में एक महत्त्वपूर्ण क्षण है, क्योंकि यह 17 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा है।
- इस यात्रा के दौरान, उनके स्वागत समारोह में नाइजीरिया के दूसरे सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार ग्रैंड कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ नाइजर से सम्मानित किया गया।
- नवंबर 2024 में भारतीय प्रधानमंत्री की नाइजीरिया की हालिया यात्रा द्विपक्षीय संबंधों में एक महत्त्वपूर्ण क्षण है, क्योंकि यह 17 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा है।
- भारत-नाइजीरिया संबंध:
- ऐतिहासिक संबंध: भारत ने वर्ष 1958 में लागोस में अपनी राजनयिक उपस्थिति स्थापित की, जो वर्ष 1960 में नाइजीरिया को ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता मिलने से दो वर्ष पहले थी, जो उनके द्विपक्षीय संबंधों की शुरुआत थी।
- वर्ष 2007 में दोनों देशों ने अपने संबंधों को "रणनीतिक साझेदारी" तक बढ़ा दिया।
- सांस्कृतिक और शैक्षिक आदान-प्रदान: भारत ने नाइजीरिया के विकास में विशेष रूप से शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- भारत ने कडुना में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और पोर्ट हरकोर्ट में नौसेना युद्ध कॉलेज की स्थापना की, जिससे नाइजीरिया के सैन्य प्रशिक्षण तथा क्षमता निर्माण में योगदान मिला।
- आर्थिक जुड़ाव: भारत-नाइजीरिया आर्थिक संबंध महत्त्वपूर्ण हैं, क्योंकि 200 से अधिक भारतीय कंपनियाँ विनिर्माण, दूरसंचार और फार्मास्यूटिकल्स जैसे प्रमुख क्षेत्रों में लगभग 27 बिलियन अमरीकी डॉलर का निवेश कर रही हैं।
- यह मज़बूत साझेदारी भारत को संघीय सरकार के बाद नाइजीरिया में दूसरा सबसे बड़ा नियोक्ता बनाती है।
- विकासात्मक सहायता: भारत ने स्वयं को नाइजीरिया के लिये एक प्रमुख विकास साझेदार के रूप में स्थापित किया है, जो 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर के रियायती ऋण के माध्यम से विकासात्मक सहायता प्रदान कर रहा है।
- यह सहायता नाइजीरिया के सामाजिक-आर्थिक विकास का समर्थन करने के लिये भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती है और ग्लोबल साउथ में विकास को बढ़ावा देने के भारत के व्यापक दृष्टिकोण के अनुरूप है।
- क्षेत्रीय प्रभाव: "जायंट ऑफ अफ्रीका" के रूप में जाना जाने वाला नाइजीरिया अफ्रीका की सबसे बड़ी आबादी (~ 220 मिलियन) वाला देश है तथा महाद्वीप में सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश है।
- अफ्रीकी संघ (AU) के संस्थापक सदस्य के रूप में नाइजीरिया अफ्रीकी राजनीति और क्षेत्रीय स्थिरता में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- सामरिक हित: चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिये भारत नाइजीरिया के साथ मज़बूत संबंध चाहता है क्योंकि चीन पिछले दो दशकों में अफ्रीका का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन गया है।
- भारत अफ्रीका के महत्त्वपूर्ण खनिजों के भंडार को स्वीकार करता है, जो इलेक्ट्रिक वाहनों जैसे उद्योगों के लिये आवश्यक हैं और भारत के आर्थिक लक्ष्यों के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
- साझा चुनौतियों पर ध्यान: दोनों राष्ट्र आतंकवाद, अलगाववाद, समुद्री डकैती और मादक पदार्थों की तस्करी जैसी साझा चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
- सांस्कृतिक महत्त्व: यह संबंध नाइजीरिया में मौजूद विशाल भारतीय प्रवासी समुदाय (लगभग 60,000) के कारण समृद्ध हुआ है, जो पश्चिमी अफ्रीका में सबसे बड़ा है।
- इससे सांस्कृतिक आदान-प्रदान, शैक्षिक पहल और लोगों के बीच आपसी संपर्क के माध्यम से सांस्कृतिक संबंधों तथा आर्थिक सहयोग को बढ़ावा मिलता है।
- ऐतिहासिक संबंध: भारत ने वर्ष 1958 में लागोस में अपनी राजनयिक उपस्थिति स्थापित की, जो वर्ष 1960 में नाइजीरिया को ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता मिलने से दो वर्ष पहले थी, जो उनके द्विपक्षीय संबंधों की शुरुआत थी।
- भारत-नाइजीरिया संबंधों में अवसर:
- स्वास्थ्य सेवा सहयोग: भारत वहनीय और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं के साथ नाइजीरियाई चिकित्सा पर्यटकों के लिये अग्रणी गंतव्य है।
- रक्षा सहयोग: नाइजीरिया प्रशिक्षण, उपकरण आपूर्ति और विशेष रूप से बोको हराम जैसे समूहों से निपटने के लिये आतंकवाद विरोधी रणनीतियों जैसे क्षेत्रों में भारत के साथ रक्षा सहयोग बढ़ाना चाहता है।
- व्यापार और आर्थिक सहयोग: व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिये दोनों देशों के प्रमुख व्यापारिक समूहों के साथ भारत-नाइजीरिया व्यापार परिषद का गठन करने से नए अवसरों की पहचान करने और उन्हें विकसित करने में सहायता मिल सकती है।
नाइजीरिया
- स्थान: अफ्रीका का पश्चिमी तट, जिसे अक्सर "अअफ्रीका का विशालकाय देश" कहा जाता है।
- सीमाएँ: उत्तर – नाइजर, पूर्व – चाड और कैमरून, दक्षिण – गिनी की खाड़ी, पश्चिम – बेनिन।
- स्वतंत्रता: वर्ष 1960 में ब्रिटेन से स्वतंत्रता प्राप्त हुई।
- आधिकारिक भाषा: अंग्रेज़ी, स्थानीय भाषाओं में हौसा, योरूबा, इग्बो और इजाव शामिल हैं।
- भूगोल: विविधतापूर्ण, शुष्क से लेकर आर्द्र भूमध्यरेखीय तक की जलवायु।
- जल निकासी : प्रमुख घाटियों में नाइजर-बेन्यू, चाड झील और गिनी की खाड़ी शामिल हैं। नाइजर नदी और इसकी सबसे बड़ी सहायक नदी, बेन्यू नदी, प्रमुख नदियाँ हैं।
भारत-ब्राजील संबंधों की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- हालिया राजनयिक जुड़ाव:
- भारत और ब्राजील ने ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में 19वें जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान द्विपक्षीय चर्चा की।
- दोनों देशों ने ऊर्जा, जैव ईंधन, रक्षा, कृषि, स्वास्थ्य सेवा और डिजिटल प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में सहयोग को मज़बूत करने पर ध्यान केंद्रित किया।
- भारत ने ब्राजील की 'भूख और गरीबी के विरुद्ध वैश्विक गठबंधन' पहल के प्रति दृढ़ समर्थन व्यक्त किया तथा जी-20 की अध्यक्षता के दौरान ब्राजील के नेतृत्व की सराहना की।
- ब्राजील ने वैश्विक जलवायु चुनौतियों से निपटने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया तथा वर्ष 2025 में ब्राजील के बेलेम में होने वाले COP30 शिखर सम्मेलन से पहले अज़रबैजान में UNFCCC COP29 जलवायु वार्ता में निर्णायक कार्रवाई का आह्वान किया।
- ब्राज़ील वर्ष 2028-2029 के कार्यकाल के लिये संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अस्थायी सीट के लिये भारत की उम्मीदवारी का समर्थन करता है।
- भारत-ब्राजील संबंध:
- संस्थागत सहभागिता:
- भारत और ब्राज़ील के बीच द्विपक्षीय तथा विभिन्न बहुपक्षीय मंचों जैसे ब्रिक्स, IBSA, G4, G20,, BASIC, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA), WTO, UNESCO एवं WIPO में बहुत करीबी एवं बहुआयामी संबंध हैं।
- राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (National Security Advisors- NSA) के नेतृत्व में रणनीतिक वार्ता, भारत-ब्राजील बिजनेस लीडर्स फोरम, आर्थिक और वित्तीय वार्ता, तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर संयुक्त समिति जैसे संस्थागत तंत्र व्यापार, रक्षा, विज्ञान और आर्थिक नीति पर सहयोग को बढ़ावा देते हैं।
- व्यापार और निवेश:
- दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2022 में 15.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया।
- वर्ष 2021 में, भारत ऑटोमोबाइल, IT, खनन, ऊर्जा और जैव ईंधन जैसे क्षेत्रों में निवेश के साथ ब्राजील का वाँ सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन गया।
- वर्ष 2004 में मर्कोसुर (ब्राजील, अर्जेंटीना, उरुग्वे, पैराग्वे) के साथ हस्ताक्षरित अधिमान्य व्यापार समझौता (Preferential Trade Agreement- PTA) आर्थिक संबंधों को और मज़बूत करता है।
- रक्षा सहयोग:
- रक्षा सहयोग वर्ष 2003 के समझौते पर आधारित है तथा संयुक्त रक्षा समिति (Joint Defence Committee- JDC) की बैठकों के माध्यम से इसे संस्थागत रूप दिया गया है।
- रणनीतिक वार्ता में रक्षा और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की गई, जबकि CERT-In के साथ साइबर सुरक्षा पर 2020 समझौता ज्ञापन में साइबर सहयोग पर प्रकाश डाला गया।
- ऊर्जा सुरक्षा:
- ऊर्जा सुरक्षा एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है, जिसमें भारतीय तेल निगम और ब्राजील के CNPEM के बीच 2020 का समझौता ज्ञापन जैव ऊर्जा अनुसंधान को बढ़ावा देगा।
- दोनों देशों ने अमेरिका के साथ मिलकर जैव ईंधन उत्पादन और मांग को बढ़ाने के लिये वर्ष 2023 में G-20 शिखर सम्मेलन के दौरान वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन (Global Biofuel Alliance- GBA) की शुरुआत की।
- इथेनॉल उत्पादन में ब्राजील की विशेषज्ञता भारत के इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम का समर्थन करती है, जिसके तहत ब्राजील 27% मिश्रण प्राप्त कर रहा है तथा भारत ने वर्ष 2025-26 तक 20% मिश्रण का लक्ष्य रखा है, जो वर्तमान 15.83% है।
- संस्थागत सहभागिता:
भारत और गुयाना के बीच सहयोग के प्रमुख क्षेत्र कौन से हैं?
- हालिया राजनयिक जुड़ाव:
- प्रधानमंत्री की हाल की गुयाना यात्रा, जो 56 वर्षों में पहली यात्रा है, कैरीबियाई और लैटिन अमेरिका में भारत की नई रुचि को दर्शाती है, जिसे भारतीय प्रवासियों के साथ ऐतिहासिक संबंधों और गुयाना के बढ़ते तेल क्षेत्र का समर्थन प्राप्त है।
- भारत-गुयाना संबंध:
- ऐतिहासिक और राजनयिक संबंध:
- भारत ने वर्ष 1965 में भारतीय आयोग के साथ गुयाना में अपनी राजनयिक उपस्थिति स्थापित की, जिसे वर्ष 1968 में पूर्ण उच्चायोग के रूप में उन्नत किया गया।
- गुयाना ने भी वर्ष 1990 में आर्थिक कठिनाइयों के कारण बंद किये गये अपने मिशन को वर्ष 2004 में पुनः खोल दिया।
- विकास सहयोग और तकनीकी सहायता:
- भारत, भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (ITEC) कार्यक्रम के माध्यम से विकासात्मक सहायता प्रदान करता है तथा विविध क्षेत्रों में छात्रवृत्ति प्रदान करता है।
- ICCR छात्रवृत्ति कार्यक्रम अकादमिक आदान-प्रदान की सुविधा भी प्रदान करता है, इन योजनाओं के अंतर्गत 600 से अधिक गुयाना के विद्वानों को प्रशिक्षित किया गया है।
- आर्थिक और व्यापारिक संबंध:
- भारतीय कंपनियाँ जैव ईंधन, ऊर्जा, खनिज और फार्मास्यूटिकल्स क्षेत्र में अवसर तलाश रही हैं।
- FICCI और जॉर्जटाउन चैंबर ऑफ कॉमर्स के बीच संयुक्त व्यापार परिषद आर्थिक सहयोग को सुविधाजनक बनाती है।
- गुयाना नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं, विशेष रूप से अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) के तहत भारत के साथ सक्रिय रूप से जुड़ा हुआ है। द्विपक्षीय सहयोग सौर ऊर्जा, जैव ईंधन और सतत् विकास पहल तक विस्तारित है।
- सांस्कृतिक एवं लोगों के बीच संबंध:
- गुयाना, जिसकी आबादी लगभग 43.5% भारतीय मूल की है, सबसे पुराने भारतीय प्रवासियों में से एक का प्रतिनिधित्व करता है, जो 185 वर्ष पूर्व प्रवासित हुए थे।
- क्रिकेट एक एकीकृत शक्ति के रूप में कार्य करता है, जिसमें गुयाना के खिलाड़ी इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) में भाग लेते हैं।
- आयुर्वेद और योग लोकप्रियता प्राप्त कर रहे हैं, जिससे सांस्कृतिक संबंध और मज़बूत हो रहे हैं।
- चीन से प्रतिस्पर्द्धा:
- गुयाना के साथ संबंधों को मज़बूत करने के भारत के प्रयासों को चीन से प्रतिस्पर्द्धा का सामना करना पड़ रहा है, जिसकी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) परियोजनाओं के माध्यम से महत्वपूर्ण उपस्थिति है।
- यद्यपि भारत ने जॉर्जटाउन में एक सड़क परियोजना के लिये 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर देने की प्रतिबद्धता जताई है, फिर भी चीनी प्रथाओं और लाभों के बारे में स्थानीय भावनाओं के मिश्रित होने के बावजूद, चीन का अधिक निवेश है।
- ऐतिहासिक और राजनयिक संबंध:
गुयाना
- राजधानी : जॉर्जटाउन
- ब्रिटेन द्वारा उपनिवेशित: गुयाना को वर्ष 1966 में यूनाइटेड किंगडम (UK) से स्वतंत्रता प्राप्त हुई और वर्ष 1970 में यह एक गणराज्य बन गया।
- भूगोल : दक्षिण अमेरिका के उत्तरी तट पर स्थित, वेनेज़ुएला, ब्राज़ील और सूरीनाम से घिरा, उत्तर में अटलांटिक महासागर।
- प्रमुख नदियाँ : एस्सेकिबो नदी (सबसे बड़ी), डेमेरारा नदी और बर्बिस नदी।
- पर्वत : पकाराइमा पर्वत, कनुकु पर्वत, अकाराई पर्वत।
प्रधानमंत्री को गुयाना, बारबाडोस और डोमिनिका से शीर्ष राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुए
- भारत के प्रधानमंत्री को गुयाना (ऑर्डर ऑफ एक्सीलेंस ), बारबाडोस (बारबाडोस की स्वतंत्रता का मानद आदेश) और डोमिनिका (डोमिनिका अवार्ड ऑफ ऑनर) से सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुआ।
- प्रधानमंत्री को उनकी राजनीतिज्ञता, कोविड-19 महामारी के दौरान डोमिनिका को दिये गए समर्थन और भारत-डोमिनिका संबंधों को मज़बूत करने की प्रतिबद्धता के लिये डोमिनिका के सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- इन पुरस्कारों के साथ, प्रधानमंत्री को अब तक मिले अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों की संख्या 19 हो गई है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: वैश्विक रणनीतिक और आर्थिक बदलावों के संदर्भ में भारत-अफ्रीका संबंधों को मज़बूत करने में प्रमुख अवसरों और चुनौतियों की जाँच कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्सप्रश्न: निम्नलिखित में से किस एक समूह में चारों देश G-20 के सदस्य हैं? (2020) (a) अर्जेंटीना, मेक्सिको, दक्षिण अफ्रीका और तुर्की उत्तर: (a) मेन्सप्रश्न: 'उभरती हुई वैश्विक व्यवस्था में, भारत द्वारा प्राप्त नव-भूमिका के कारण, उत्पीड़ित एवं उपेक्षित राष्ट्रों के मुखिया के रूप में दीर्घ काल से संपोषित भारत की पहचान लुप्त हो गई है।' विस्तार से समझाइये। |

