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इथेनॉल उत्पादन

  • 28 Jun 2024
  • 20 min read

प्रिलिम्स के लिये:

इथेनॉल, इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP), जैव ईंधन, फीडस्टॉक, कच्चे तेल के आयात, खाद्य सुरक्षा, वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन के लिये चीनी के उपयोग पर रोक

मेन्स के लिये:

इथेनॉल उत्पादन, भारतीय अर्थव्यवस्था, योजना, संसाधन,विकास एवं रोज़गार से संबंधित मुद्दे।

स्रोत: लाइव मिंट

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत ने अनाज, विशेष रूप से मक्के से अधिक इथेनॉल उत्पादन किया है, जो चीनी-आधारित फीडस्टॉक से अधिक है।

इथेनॉल क्या है?

  • परिचय:
    • इथेनॉल, जिसे एथिल एल्कोहल के नाम से भी जाना जाता है, एक जैव ईंधन है जो विभिन्न स्रोतों जैसे गन्ना, मक्का, चावल, गेहूँ एवं बायोमास से उत्पादित होता है।
    • गुड़, चीनी निर्माण का एक उपोत्पाद है, जो आमतौर पर इथेनॉल (निर्जल एल्कोहल) तथा रेक्टिफाइड स्पिरिट के उत्पादन का मुख्य स्रोत है। गुड़ को निम्नलिखित श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
      • A श्रेणी गुड़: प्रारंभिक शर्करा क्रिस्टल निष्कर्षण से प्राप्त एक मध्यवर्ती उपोत्पाद, जिसमें 80-85% शुष्क पदार्थ (DM) होता है।
      • B श्रेणी गुड़: A श्रेणी गुड़ के समान DM सामग्री लेकिन कम चीनी के साथ ही कोई स्वतः क्रिस्टलीकरण नहीं होता है।
      • C श्रेणी गुड़ (ब्लैकस्ट्रैप गुड़, ट्रेकल): चीनी प्रसंस्करण का अंतिम उप-उत्पाद, जिसमें विशेष मात्रा में सुक्रोज (लगभग 32% से 42%) होता है। यह क्रिस्टलीकृत नहीं होता है और इसका उपयोग तरल या सूखे रूप में एक वाणिज्यिक फीड घटक के रूप में किया जाता है।
    • उत्पादन प्रक्रिया में खमीर द्वारा शर्करा का किण्वन अथवा एथिलीन हाइड्रेशन जैसी पेट्रोकेमिकल प्रक्रियाओं के माध्यम से किण्वन शामिल है।
    • इथेनॉल 99.9% शुद्ध एल्कोहल है जिसे स्वच्छ ईंधन विकल्प बनाने के लिए पेट्रोल के साथ मिश्रित किया जा सकता है।
  • इथेनॉल के गुण:
    • इथेनॉल एक स्वच्छ, रंगहीन तरल है जिसमें शराब जैसी गंध एवं तीक्ष्ण स्वाद होता है।
    • यह जल एवं अधिकांश कार्बनिक विलायकों में पूर्णतः घुलनशील है।
    • अपने शुद्ध रूप में इसका क्वथनांक 78.37 डिग्री सेल्सियस और गलनांक -114.14 डिग्री सेल्सियस होता है।
    • इथेनॉल एक ज्वलनशील पदार्थ है और इसका दहन तापमान गैसोलीन की तुलना में कम होता है।
  • इथेनॉल के अनुप्रयोग:
    • पेय पदार्थ: इथेनॉल एक प्रकार का अल्कोहल है जो मादक पेय पदार्थों में पाया जाता है। इसका सेवन बीयर, वाइन एवं स्पिरिट जैसे विभिन्न रूपों में किया जाता है।
    • औद्योगिक विलायक: विभिन्न प्रकार के पदार्थों में विलय होने की अपनी क्षमता के कारण, इथेनॉल का उपयोग फार्मास्यूटिकल्स, इत्र तथा अन्य उत्पादों के निर्माण में विलायक के रूप में किया जाता है।
    • चिकित्सा एवं प्रयोगशाला उपयोग: इथेनॉल का उपयोग चिकित्सा एवं प्रयोगशाला में एंटीसेप्टिक, कीटाणुनाशक तथा परिरक्षक के रूप में किया जाता है।
    • रासायनिक फीडस्टॉक: यह विभिन्न रसायनों के उत्पादन के लिये फीडस्टॉक के रूप में कार्य करता है।
    • ईंधन: इसका उपयोग जैव ईंधन के रूप में किया जाता है और साथ ही इथेनॉल-मिश्रित ईंधन का उत्पादन करने के लिये इसे प्राय: गैसोलीन के साथ मिलाया जाता है।

Ethanol

इथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा देने के उपाय क्या हैं?

  • फीडस्टॉक विविधीकरण: भारत में इथेनॉल उत्पादन मुख्य रूप से 'C-हैवी' शीरा (Molass) पर आधारित था, जिसमें 40-45% चीनी सामग्री होती थी, जिससे प्रति टन 220-225 लीटर इथेनॉल प्राप्त होता था।
    • इससे पहले भारत ने इथेनॉल उत्पादन के लिए गन्ने के रस का प्रत्यक्ष इस्तेमाल करने का प्रयास किया, जिससे उपज और दक्षता में वृद्धि हुई।
    • हालाँकि, भारत उत्पादन में वृद्धि करने के लिये अन्य तरीकों का भी इस्तेमाल कर रहा है। देश ने चावल, क्षतिग्रस्त अनाज, मक्का, ज्वार, बाजरा और कदन्न को शामिल कर अपने फीडस्टॉक का विविधीकरण किया है।
      • चावल से 450-480 लीटर और अन्य अनाज से 380-460 लीटर प्रति टन इथेनॉल का उत्पादन होता है जो दर्शाता है कि शीरा की अपेक्षा अनाज से इथेनॉल का उत्पादन अधिक होता है। 
        • 9 जून 2024 तक, भारत ने 3.57 बिलियन लीटर इथेनॉल का उत्पादन किया। 
        • इसमें से 1.75 बिलियन लीटर इथेनॉल, चीनी आधारित फीडस्टॉक (गन्ने का रस, B-हैवी मोलेसेस, C-भारी मोलेसेस) और 1.81 बिलियन लीटर इथेनॉल अनाज आधारित फीडस्टॉक से प्राप्त किया गया था जिसमें अकेले मक्का का योगदान 1.10 बिलियन लीटर था।
          • वर्तमान इथेनॉल-आपूर्ति वर्ष (Ethanol-Supply Year) (नवंबर 2023-अक्तूबर 2024) के कुल इथेनॉल उत्पादन में अनाज आधारित इथेनॉल का योगदान लगभग 51% है।
      • भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (National Agricultural Cooperative Marketing Federation of India Ltd- NAFED) और भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ लिमिटेड (National Cooperative Consumers' Federation of India Ltd- NCCF) इथेनॉल उत्पादन में मक्का के उपयोग को बढ़ावा देने के लिये मक्का की खरीद कर रहे हैं।
    • इसके अतिरिक्त, चीनी की अग्रणी कंपनियों ने डिस्टिलरीज़ संस्थापित की हैं जो चावल, क्षतिग्रस्त अनाज, मक्का और कदन्न जैसे कई फीडस्टॉक्स की सहायता से समग्र वर्ष निरंतर उत्पादन कर सकती हैं।
  • सरकार की विभेदक मूल्य निर्धारण नीति: सरकार ने C-हैवी मोलेसेस, B-हैवी मोलेसेस, गन्ने के रस/चीनी/चीनी सिरप और क्षतिग्रस्त खाद्यान्न या चावल से प्राप्त इथेनॉल के लिये अलग-अलग कीमतें तय की हैं। 
    • उदाहरण के लिये, 2018-19 से, भारत सरकार ने B-हैवी मोलेसेस और समूचे गन्ने के रस/सिरप से उत्पादित इथेनॉल के लिये उच्च मूल्य तय करना शुरू किया। 
    • इस नीति ने इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP) के लिये इथेनॉल की आपूर्ति बढ़ाने में मदद की है। 
      • E20 ईंधन 20% इथेनॉल और 80% पेट्रोल का मिश्रण है। E20 को भारत के प्रधानमंत्री द्वारा फरवरी 2023 में बेंगलुरु में लॉन्च किया गया था। 
      • इस प्रायोगिक चरण में कम से कम 15 शहर शामिल हैं और इसे चरणबद्ध तरीके से समग्र देश में लागू किया जाएगा।
  • महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करना:
    • भारत ने देश में इथेनॉल उत्पादन बढ़ाने के लिये एक बहुत ही महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। उदाहरण के लिये भारत वर्ष 2025 से 20% इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (E20) का उपयोग शुरू करने की योजना बना रहा है। 
      • 9 जून 2024 तक भारत ने पेट्रोल के साथ 12.7% इथेनॉल मिश्रण अनुपात हासिल किया, जो मूलतः चालू वर्ष के लिये 15% है। 
      • नीति आयोग के अनुसार, वर्ष 2025-26 तक E20 लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये 10.16 बिलियन लीटर इथेनॉल की आवश्यकता होगी।
  • अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताएँ:
    • 64वें अंतर्राष्ट्रीय चीनी संगठन की बैठक में, भारत ने वर्ष 2025-26 तक 20% इथेनॉल मिश्रण प्राप्त करने की प्रतिबद्धता की पुष्टि की, साथ ही यह भविष्यवाणी भी की कि वर्ष 2023-24 के आपूर्ति वर्ष में अनाज आधारित इथेनॉल उत्पादन चीनी आधारित इथेनॉल से अधिक हो जाएगा।
    • सितंबर 2023 में भारत, अमेरिका, UAE और ब्राज़ील ने वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन को प्रारंभ किया। ये देश जैव ईंधन के सतत् उत्पादन और उपयोग को बढ़ावा देने के लिये राष्ट्रीय कार्यक्रमों को वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करने पर सहमत हुए।
  • अन्य नीतियाँ:

इथेनॉल उत्पादन के लाभ और चुनौतियाँ क्या हैं?

  • लाभ:
    • तेल आयात पर निर्भरता में कमी: भारत अपने कच्चे तेल की आवश्यकताओं का एक महत्त्वपूर्ण भाग को आयात करता है। नीति आयोग की एक रिपोर्ट का अनुमान है कि एक सफल इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम इस निर्भरता को कम करके देश की वार्षिक रूप से अरबों डॉलर की बचत कर सकता है।
    • कृषि आय को बढ़ावा: इथेनॉल उत्पादन में वृद्धि से गन्ने और किण्वन में इस्तेमाल होने वाले अनाज़ी फसलों की मांग बढ़ती है। अंतर्राष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा एजेंसी (IRENA) की रिपोर्ट के अनुसार इससे किसानों की आय में वृद्धि हो सकती है।
    • ग्रीनहाउस गैस में कमी: इथेनॉल अपने उत्पादन के दौरान कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करता है, दहन उत्सर्जन को कम करता है और भारत के कार्बन फुटप्रिंट में कमी के लक्ष्यों का समर्थन करता है।
    • रोज़गार सृजन: इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम में ग्रामीण क्षेत्रों में लाखों रोज़गार उत्पन्न करने की क्षमता है। आधुनिक भट्टियाँ (Distilleries), विस्तारित गन्ने की कृषि और संबंधित रसद के लिये एक महत्त्वपूर्ण कार्यबल की आवश्यकता होगी, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।
    • अपशिष्ट प्रबंधन का समाधान: इथेनॉल उत्पादन में गुड़ का उपयोग किया जा सकता है जो प्रायः अपशिष्ट निपटान चुनौतियों का कारण बनता है। यह कार्यक्रम गुड़ को इथेनॉल में परिवर्तित करके, चीनी क्षेत्र (Sugar Sector) में अपशिष्ट प्रबंधन हेतु एक अधिक सतत् दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है।
    • इथेनॉल उत्पादन के उप-उत्पादों से लाभ: ईंधन के रूप में उपयोगी होने के अतिरिक्त इथेनॉल उत्पादन से मूल्यवान उप-उत्पाद प्राप्त होते हैं, जैसे कि घुलनशील पदार्थों के साथ आसवित शुष्क अनाज़ तथा इंसिनरेशन बॉयलर की राख से पोटाश, जिनका उपयोग विभिन्न उद्योगों में किया जाता है।
      • घुलनशील पदार्थों के साथ आसवित शुष्क अनाज़ (DDGS):
        • DDGS अनाज़ आधारित इथेनॉल उत्पादन का एक उपोत्पाद है।
        • यह अनाज़ में स्टार्च के किण्वन और इथेनॉल के निष्कासन के बाद बचा हुआ अवशेष है।
        • DDGS उच्च प्रोटीन सामग्री वाला एक मूल्यवान पशु चारा है, इसका उपयोग पशुओं के आहार के पूरक के रूप में किया जाता है।
      • इंसिनरेशन बॉयलर की राख से पोटाश:
        • बॉयलर में इथेनॉल उत्पादन के बाद बची हुई राख में 28% तक पोटाश होता है। 
        • यह राख पोटाश का एक समृद्ध स्रोत है, इसका उपयोग उर्वरक के रूप में किया जा सकता है।
  • चुनौतियाँ:
    • खाद्य बनाम ईंधन: खाद्य उत्पादन और इथेनॉल उत्पादन के बीच फीडस्टॉक के लिये प्रतिस्पर्द्धा एक बड़ी चुनौती है। पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (EPA) के अनुसार, मक्का आधारित इथेनॉल उत्पादन से खाद्य कीमतों में वृद्धि हो सकती है, जो उन देशों में वनों की कटाई में भी सहायक हो सकती है, जिन पर फसलों के लिये अधिक भूमि पर कृषि करने का दबाव है।
    • भूमि और जल उपयोग: बड़े पैमाने पर इथेनॉल उत्पादन, विशेष रूप से मक्के से, के लिये भूमि और जल की महत्त्वपूर्ण मात्रा की आवश्यकता होती है। इससे संसाधनों पर दबाव पड़ सकता है और मृदा अपरदन एवं मीठे जल की आपूर्ति में कमी जैसी समस्याएँ हो सकती हैं।
    • सीमित पर्यावरणीय लाभ: इसे नवकरणीय ईंधन के रूप में जाना जाता है, मक्का इथेनॉल का जीवनचक्र में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का गैसोलीन के साथ तुलना हो सकती है, विशेषतः जब अप्रत्यक्ष भूमि-उपयोग परिवर्तनों को ध्यान में रखा जाता है।
    • महँगा प्रसंस्करण: फीडस्टॉक, विशेष रूप से स्विचग्रास जैसी गैर-खाद्य फसलों का प्रसंस्करण है। वर्तमान उपायों में प्रायः किण्वन हेतु इन्हें उपयोग करने योग्य शर्करा में परिवर्तित करने के लिये ऊर्जा-गहन उपचार की आवश्यकता होती है।
    • बुनियादी ढाँचा संबंधी चुनौतियाँ: इथेनॉल में गैसोलीन की तुलना में अधिक जल होता है, जिससे पाइपलाइनों और भंडारण टैंकों में जंग लग सकती है।
    • कच्चे माल की कमी: भारत ने वर्ष 2025 तक इथेनॉल मिश्रण को प्राप्त करने की योजना बनाई है, लेकिन इथेनॉल उत्पादन के लिये कच्चे माल की कमी प्रायः देखने को मिलती है। उदाहरण के लिये गन्ने के कम उत्पादन के कारण, सरकार ने दिसंबर 2023 में इथेनॉल उत्पादन के लिये गन्ने के रस और B-हेवी गुड़ (B-heavy molasses) के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया।

आगे की राह

  • दूसरी पीढ़ी (2G) इथेनॉल प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देना: इथेनॉल उत्पादन के लिये पुआल और खोई जैसे कृषि अपशिष्टों का उपयोग करने वाली 2G प्रौद्योगिकियों की क्षमता का उपयोग खाद्य फसलों के लिये प्रतिस्पर्धा को कम करने और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिये किया जा सकता है।
    • भारत ग्लोबल फ्यूल अलायंस का लाभ उठाकर अपने सदस्यों को ऐसी तकनीक प्रदान कर सकता है जो कृषि अपशिष्ट से इथेनॉल उत्पादन के लिये तकनीकी रूप से व्यवहार्य और आर्थिक रूप से व्यावहारिक दोनों हों।
  • वैकल्पिक चारा भंडार और फसल विविधता का विकास करना: भारत फीडस्टॉक में विविधता लाने और खाद्य सुरक्षा बढ़ाने के लिये ज्वार और मिसकैंथस जैसी गैर-खाद्य फसलों का उपयोग करके ब्राज़ील की इथेनॉल सफलता का अनुकरण कर सकता है।
  • बायोमास खेती और किसान एकीकरण के लिये वित्तीय प्रोत्साहन: विश्व बैंक की रिपोर्ट में किसानों को समर्पित जैव ईंधन फसलों की खेती के लिये प्रोत्साहित करने तथा स्थिर चारा भंडार या फीडस्टॉक आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये वित्तीय प्रोत्साहन, अनुबंध कृषि मॉडल और गारंटीकृत बायबैक कार्यक्रमों की आवश्यकता पर बल दिया गया है।
  • बेहतर दक्षता के लिए अनुसंधान और विकास में निवेश: सेल्यूलोसिक इथेनॉल उत्पादन जैसी प्रौद्योगिकियों में प्रगति पर ध्यान केंद्रित करने के साथ-साथ अनुसंधान निधि में वृद्धि और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से इथेनॉल उत्पादन में उल्लेखनीय सुधार हो सकता है।
  • बुनियादी ढाँचे को मजबूत करना और रसद को सुव्यवस्थित करना: सरकारी रिपोर्टों के डेटा से पता चलता है कि इथेनॉल के लिये भंडारण सुविधाओं और परिवहन नेटवर्क में महत्त्वपूर्ण निवेश की आवश्यकता है।
    • सार्वजनिक-निजी साझेदारी और अभिनव रसद (logistics) समाधान कुशल वितरण और कार्यक्रम मापनीयता सुनिश्चित कर सकते हैं।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. भारत ने अपने E20 कार्यक्रम को प्राप्त करने के लिये जो विभिन्न उपाय किये हैं, उन पर चर्चा कीजिये। इस पहल से जुड़ी चुनौतियों पर प्रकाश डालिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा,विगत वर्ष प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. जैव ईंधन पर भारत की राष्ट्रीय नीति के अनुसार, जैव ईंधन के उत्पादन के लिये निम्नलिखित में से किसका उपयोग कच्चे माल के रूप में किया जा सकता है? (2020)

  1.  कसावा
  2.   क्षतिग्रस्त गेहूंँ के दाने
  3.   मूंँगफली के बीज
  4.   चने की दाल
  5.   सड़े हुए आलू
  6.   मीठे चुकंदर

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2, 5 और 6
(b) केवल 1, 3, 4 और 6
(c) केवल 2, 3, 4 और 5
(d) 1, 2, 3, 4, 5 और 6

उत्तर: (a)


प्रश्न. चार ऊर्जा फसलों के नाम नीचे दिये गये हैं। इनमें से किसकी खेती इथेनॉल के लिये की जा सकती है? (2010)

(a) जट्रोफा
(b) मक्का
(c) पोंगामिया
(d) सूरजमुखी

उत्तर: (b)

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