भारतीय अर्थव्यवस्था
चीनी से इथेनॉल के उत्पादन पर अंकुश
- 15 Dec 2023
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स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा इथेनॉल उत्पादन के लिये गन्ने के रस/सिरप के उपयोग को प्रतिबंधित करने का निर्देश दिया गया जो इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (Ethanol Blended Petrol- EBP) में एक प्रमुख घटक है।
- भारत सरकार ने घरेलू स्तर पर उत्पादित चीनी की पर्याप्त उपलब्धता को बनाए रखने के लिये कड़े उपाय लागू किये हैं। प्रारंभ में इसने चीनी निर्यात पर प्रतिबंध लगाया।
इथेनॉल सम्मिश्रण क्या है?
- इथेनॉल:
- यह प्रमुख जैव ईंधन में से एक है, जो प्राकृतिक रूप से यीस्ट द्वारा शर्करा के किण्वन अथवा एथिलीन हाइड्रेशन जैसी पेट्रोकेमिकल प्रक्रियाओं के माध्यम से उत्पन्न होता है।
- इथेनॉल 99.9% शुद्ध अल्कोहल है जिसे पेट्रोल के साथ मिश्रित किया जा सकता है।
- इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम:
- इसका उद्देश्य कच्चे तेल के आयात पर देश की निर्भरता को कम करना, कार्बन उत्सर्जन में कटौती करना तथा किसानों की आय को बढ़ाना है।
- भारत सरकार ने पेट्रोल में 20% इथेनॉल मिश्रण (जिसे E20 भी कहा जाता है) का लक्ष्य वर्ष 2030 से बढ़ाकर वर्ष 2025 तक कर दिया है।
- पेट्रोल के साथ इथेनॉल का मिश्रण संपूर्ण भारत में वर्ष 2013-14 में 1.6% से बढ़कर वर्ष 2022-23 में 11.8% हो गया है।
सरकार ने इथेनॉल उत्पादन के लिये चीनी के डायवर्ज़न को प्रतिबंधित क्यों किया है?
- चीनी की कमी संबंधी चिंताएँ:
- चीनी उत्पादन में संभावित कमी को लेकर चिंताएँ हैं।
- इथेनॉल उत्पादन के लिये गन्ने के रस या सिरप के उपयोग को प्रतिबंधित करने के कदम का उद्देश्य इस प्रत्याशित कमी को दूर करना है।
- ईंधन से अधिक भोजन को प्राथमिकता देना:
- यह निर्णय ईंधन उत्पादन (इथेनॉल) पर खाद्य उत्पादन (चीनी) को प्राथमिकता देने को दर्शाता है।
- भारत में एक महत्त्वपूर्ण वस्तु, चीनी के उत्पादन पर ज़ोर देकर, सरकार उपभोक्ताओं के लिये खाद्य सुरक्षा और उपलब्धता सुनिश्चित करने की प्राथमिकता के अनुरूप है।
- आपूर्ति-माँग गतिशीलता का प्रबंधन:
- सरकार चीनी बाज़ार में आपूर्ति और मांग के बीच नाज़ुक संतुलन का प्रबंधन करने का प्रयास कर रही है। इथेनॉल उत्पादन के लिये डायवर्ज़न पर अंकुश लगाकर, यह चीनी की उपलब्धता को स्थिर करने और बाज़ार में किसी भी कीमत की अस्थिरता को संभावित रूप से कम करने का प्रयास करता है।
इस कदम के निहितार्थ क्या हैं?
- इथेनॉल उत्पादन पर प्रभाव:
- यह निर्णय कुल इथेनॉल उत्पादन का लगभग 28% प्रभावित करता है, जिससे इस उच्च-मूल्य वाले फीडस्टॉक से उत्पन्न इथेनॉल की मात्रा कम हो जाती है।
- इथेनॉल उत्पादन के लिये गन्ने के रस या सिरप के उपयोग पर प्रतिबंध से चीनी मिलों की कमाई प्रभावित होने की उम्मीद है, क्योंकि इन स्रोतों से इथेनॉल उत्पादन में उपयोग किये जाने वाले अन्य फीडस्टॉक की तुलना में अधिक कीमतें मिलती हैं।
- इथेनॉल मिश्रण लक्ष्य के लिये चुनौतियाँ:
- सरकार का लक्ष्य वर्ष 2023-24 में इथेनॉल ईंधन-मिश्रण लक्ष्य को 12% से बढ़ाकर 15% करना और वर्ष 2025-26 तक पेट्रोल में 20% इथेनॉल मिश्रण प्राप्त करना है।
- हालाँकि इथेनॉल उत्पादन के लिये गन्ने के रस/सिरप पर प्रतिबंध के साथ इन लक्ष्यों को पूरा करना अधिक चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
इथेनॉल उत्पादन के अन्य स्रोत क्या हैं?
- अनाज: मकई (मक्का), जौ, गेहूँ और अन्य अनाज में स्टार्च होता है, जिसे इथेनॉल उत्पादन के लिये किण्वन शर्करा (Fermentable Sugars) में परिवर्तित किया जा सकता है।
- सेल्युलोसिक बायोमास: कृषि अवशेष (मकई स्टोवर, गेहूँ का भूसा), वानिकी अवशेष, समर्पित ऊर्जा फसलें (स्विचग्रास, मिसेंथस) और नगरपालिका ठोस अपशिष्ट में सेलूलोज़ और हेमिसेल्युलोज़ होते हैं जिन्हें इथेनॉल किण्वन के लिये शर्करा में विघटित किया जा सकता है।
- चावल: विघटित या क्षतिग्रस्त अनाज सहित अधिशेष चावल भी इथेनॉल उत्पादन के स्रोत के रूप में काम कर सकता है। चावल में मौजूद स्टार्च सामग्री को किण्वन के लिये शर्करा में परिवर्तित किया जा सकता है।
- फल और सब्ज़ियाँ: उच्च चीनी सामग्री वाले कुछ फल और सब्ज़ियाँ, जैसे– अँगूर तथा आलू का उपयोग इथेनॉल उत्पादन के लिये किया जा सकता है।
आगे की राह
- इथेनॉल उत्पादन के लिये अनाज, चावल, क्षतिग्रस्त/टूटे हुए अनाज और सेल्युलोसिक बायोमास जैसे वैकल्पिक फीडस्टॉक के उपयोग का पता लगाने तथा प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।
- विविधीकरण गन्ना आधारित स्रोतों पर निर्भरता कम करता है और एक स्थिर आपूर्ति शृंखला सुनिश्चित करता है।
- ऐसी नीतियाँ लागू करना जो इथेनॉल उत्पादन के लिये विविध फीडस्टॉक के उपयोग को प्रोत्साहित करें। पिछली सरकार की रणनीति के समान विभेदक मूल्य निर्धारण, गैर-गन्ना स्रोतों से इथेनॉल के उत्पादन को प्रोत्साहित कर सकता है। स्पष्ट और स्थिर नीतियाँ विविध फीडस्टॉक उपयोग में दीर्घकालिक निवेश का समर्थन करती हैं।