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भारतीय अर्थव्यवस्था

अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष 2023

  • 23 Sep 2022
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

पोषक अनाज और इसका महत्त्व, UNEP FAO, खाद्य सुरक्षा।

मेन्स के लिये:

अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष 2023 और इसका महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

देश में प्राचीन और पौष्टिक अनाज के प्रति जागरूकता बढ़ाने एवं भागीदारी की भावना पैदा करने के लिये कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष 2023 की समयावधि तक पूर्व में शुरू किये गए कार्यक्रमों तथा पहलों की एक शृंखला का आयोजन किया गया।

  • इसके तहत कई कार्यक्रम शुरू किये गए जैसे-'इंडिया वेल्थ, मिलेट्स फॉर हेल्थ', मिलेट स्टार्टअप इनोवेशन चैलेंज, माइटी मिलेट्स क्विज, लोगो और स्लोगन प्रतियोगिता आदि।

अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष (IYM):

  • परिचय:
    • वर्ष 2023 में अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाजा वर्ष मनाने के भारत के प्रस्ताव को वर्ष 2018 में खाद्य और कृषि संगठन (FAO) द्वारा अनुमोदित किया गया था और संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष के रूप में घोषित किया है।
    • इसे संयुक्त राष्ट्र के एक प्रस्ताव द्वारा अपनाया गया और इसका नेतृत्व भारत ने किया तथा 70 से अधिक देशों ने इसका समर्थन किया।
  • उद्देश्य:
    • खाद्य सुरक्षा और पोषण में पोषक अनाज/बाजरा/मोटे अनाज के योगदान के बारे में जागरूकता का प्रसार करना।
    • पोषक अनाज के टिकाऊ उत्पादन और गुणवत्ता में सुधार के लिये हितधारकों को प्रेरित करना।
    • उपर्युक्त दो उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिये अनुसंधान और विकास एवं विस्तार सेवाओं में निवेश बढ़ाने पर ध्यान देना।

पोषक अनाज/बाजरा/मोटे अनाज:

  • परिचय:
    • पोषक अनाज सामूहिक शब्द है जो कई छोटे-बीज वाले फसलों कों संदर्भित करता है, जिसकी  खाद्य फसल के रूप में मुख्य रूप से समशीतोष्ण, उपोष्णकटिबंधीय और उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों   व शुष्क क्षेत्रों में सीमांत भूमि पर खेती की जाती है।
    • भारत में उपलब्ध कुछ सामान्य फसलों में बाजरा रागी (फिंगर मिलेट), ज्वार (सोरघम), समा (छोटा बाजरा), बाजरा (मोती बाजरा) और वरिगा (प्रोसो मिलेट) शामिल हैं।
    • इन अनाजों के प्रमाण सबसे पहले सिंधु सभ्यता में पाए गए और ये भोजन के लिये उगाए गए पहले पौधों में से थे।
    • यह लगभग 131 देशों में उगाया जाता है और एशिया एवं अफ्रीका में लगभग 60 करोड़ लोगों का पारंपरिक भोजन है।
    • विश्व में भारत बाजरा का सबसे बड़ा उत्पादक है।
    • यह वैश्विक उत्पादन का 20% और एशिया में उत्पादन का 80% हिस्सा है।
  • वैश्विक वितरण:
    • दुनिया में भारत, नाइजीरिया और चीन, बाजरा के सबसे बड़े उत्पादक हैं, जो वैश्विक उत्पादन के 55% से अधिक हैं।
    • कई वर्षों तक भारत बाजरा का प्रमुख उत्पादक था। हालाँकि हाल के वर्षों में अफ्रीका में बाजरा उत्पादन में नाटकीय रूप से वृद्धि हुई है।
  • महत्त्व:
    • पौष्टिक रूप से संपन्न:
      • उच्च प्रोटीन, फाइबर, विटामिन, लौह तत्त्व जैसे खनिजों के कारण बाजरा कम खर्चीला और पौष्टिक रूप से गेहूँ एवं चावल से बेहतर होता है।
      • बाजरा कैल्शियम और मैग्नीशियम से भी भरपूर होता है। उदाहरण के लिये रागी को सभी खाद्यान्नों में सबसे अधिक कैल्शियम सामग्री के लिये जाना जाता है।
      • बाजरा पोषण सुरक्षा प्रदान कर सकता है और विशेष रूप से बच्चों एवं महिलाओं में पोषण की कमी के खिलाफ एक ढाल के रूप में कार्य कर सकता है। इसकी उच्च लौह सामग्री भारत में प्रजनन आयु की महिलाओं तथा शिशुओं में एनीमिया के उच्च प्रसार से लड़ सकती है।
    • ग्लूटेन फ्री लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स:
      • बाजरा जीवनशैली की समस्याओं और मोटापे एवं मधुमेह जैसी स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने में मदद कर सकता है क्योंकि यह ग्लूटेन फ्री (एक प्रकार का प्रोटीन जो कभी-कभी सेहत के लिये हानिकारक भी हो सकता है) होता है और इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है (खाद्य पदार्थों में कार्बोहाइड्रेट की एक सापेक्ष रैंकिंग यह है कि वे रक्त शर्करा के स्तर को कैसे प्रभावित करते हैं)।
    • उपज में काफी बेहतर :
      • बाजरा प्रकाश के प्रति असंवेदनशील होता है (फलने के एक विशिष्ट समय में इसे प्रकाश की आवश्यकता नहीं होती है) और इस पर जलवायु परिवर्तन का अधिक प्रभाव नहीं पड़ता है। बाजरा खराब मिट्टी में भी बहुत कम या बिना किसी सहायता के उग सकता है।
      • बाजरा कम पानी की खपत वाला अन्नाज है और बहुत कम वर्षा वाले क्षेत्रों, सूखे की स्थिति, गैर-सिंचित परिस्थितियों में उत्पादन में सक्षम है।
      • बाजरे में कार्बन और वाटर फुटप्रिंट कम होता है (बाजरे की तुलना में चावल के पौधों को बढ़ने के लिये कम-से-कम 3 गुना अधिक पानी की आवश्यकता होती है)।
  • सरकार द्वारा की गई पहल:
    • ‘गहन बाजरा संवर्द्धन के माध्यम से पोषण सुरक्षा हेतु पहल (Initiative for Nutritional Security through Intensive Millet Promotion-INSIMP):
    • MSP में बढ़ोतरी: भारत सरकार द्वारा बाजरे के MSP में बढ़ोतरी की गई है, जिससे किसान बाजरा उत्पादन के लिये प्रोत्साहित होंगे।
      • इसके अलावा बाजरे की उपज के लिये एक स्थिर बाज़ार प्रदान करने के लिये भारत सरकार द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली में बाजरे को भी शामिल किया गया है।
    • इनपुट सहायता (Input Support): बाजरे के उत्पादन के लिये भारत सरकार द्वारा किसानों को बीज किट (Seed Kits) और इनपुट सहायता के रूप में किसान उत्पादक संगठनों (Farmer Producer Organisations) के माध्यम से मूल्य शृंखला का निर्माण तथा बाजरे के लिये बाज़ार क्षमता को विकसित करने में मदद की जा रही है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. गहन बाजरा संवर्द्धन के माध्यम से पोषण सुरक्षा हेतु पहल' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2016)

  1. इस पहल का उद्देश्य उचित उत्पादन और कटाई के बाद की तकनीकों का प्रदर्शन करना तथा मूल्यवर्द्धन तकनीकों को समेकित तरीके से क्लस्टर दृष्टिकोण के साथ प्रदर्शित करना है।
  2. इस योजना में गरीब, छोटे, सीमांत और आदिवासी किसानों की बड़ी हिस्सेदारी है।
  3. इस योजना का एक महत्त्वपूर्ण उद्देश्य वाणिज्यिक फसलों के किसानों को पोषक तत्त्वों और सूक्ष्म सिंचाई उपकरणों के आवश्यक आदानों की निःशुल्क किट देकर बाजरा की खेती में स्थानांतरित करने के लिये प्रोत्साहित करना है।

नीचे दिये गए कूट का उपयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 2
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: c

व्याख्या:

  • गहन बाजरा संवर्द्धन के माध्यम से पोषण सुरक्षा हेतु पहल (INSIMP)' का उद्देश्य देश में बाजरा के बढ़े हुए उत्पादन को उत्प्रेरित करने हेतु दृश्य प्रभाव के साथ एकीकृत तरीके से बेहतर उत्पादन और कटाई के बाद की प्रौद्योगिकियों को प्रदर्शित करना है। बाजरा उत्पादन में वृद्धि के अलावा योजना,का लक्ष्य प्रसंस्करण और मूल्य संवर्द्धन तकनीकों के माध्यम से बाजरा आधारित खाद्य उत्पादों की उपभोक्ता मांग उत्पन्न करना है। अत: कथन 1 सही है।
  • मोटे अनाज की चार श्रेणियों - ज्वार, बाजरा, रागी और कुटकी (Small Millets) के लिये चयनित ज़िलों के कॉम्पैक्ट ब्लॉकों में प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन किया जाएगा। इस योजना में गरीब, छोटे, सीमांत और आदिवासी किसानों की बड़ी हिस्सेदारी है। अत: कथन 2 सही है।
  • किसानों को वाणिज्यिक फसलों से बाजरे की खेती में स्थानांतरित करने हेतु प्रोत्साहित करने के लिये ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। अत: कथन 3 सही नहीं है।

अतः विकल्प (c) सही उत्तर है

स्रोत: पी.आई.बी.

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