अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत और मलेशिया के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी
- 21 Aug 2024
- 20 min read
प्रिलिम्स के लिये:आसियान-भारत वस्तु व्यापार समझौता, फिनटेक, आयुर्वेद, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, अनुच्छेद 370, डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना, अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध, अंतर्राष्ट्रीय बिग कैट गठबंधन, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, दक्षिण चीन सागर मेन्स के लिये:भारत-मलेशिया संबंध और हालिया घटनाक्रम, भारत की एक्ट ईस्ट नीति और आसियान संबंध |
स्रोत : इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों ?
हाल ही में भारत और मलेशिया ने अपने संबंधों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी में उन्नत करके इसे आगे बढ़ाने हेतु एक महत्त्वपूर्ण कदम उठाया है।
- यह घटनाक्रम मलेशियाई प्रधानमंत्री की भारत यात्रा के दौरान हुआ। भारत और मलेशिया के प्रधानमंत्री के बीच चर्चा ने गहन सहयोग और आपसी हितों पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने के लिये मंच तैयार किया है।
मलेशियाई प्रधानमंत्री की भारत यात्रा के मुख्य परिणाम क्या हैं?
- व्यापक रणनीतिक साझेदारी: वर्ष 2015 में स्थापित मौजूदा उन्नत रणनीतिक साझेदारी को व्यापक रणनीतिक साझेदारी में अपग्रेड किया गया।
- आर्थिक और व्यापार संवर्द्धन: भारत और मलेशिया के बीच द्विपक्षीय व्यापार 19.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुँच गया। यह उपलब्धि मज़बूत आर्थिक संबंधों और व्यापार संबंधों के विस्तार में आपसी रुचि को रेखांकित करती है।
- दोनों नेताओं ने आर्थिक सहयोग को मज़बूत करने के लिये फिनटेक, ऊर्जा, डिजिटल प्रौद्योगिकियों और स्टार्ट-अप सहित विभिन्न क्षेत्रों में और अधिक निवेश को प्रोत्साहित किया।
- आसियान-भारत वस्तु व्यापार समझौता (AITIGA): अभिकर्त्ताओं ने AITIGA की समीक्षा प्रक्रिया का समर्थन करने एवं उसे तेज़ करने पर सहमति जताई ताकि इसे और अधिक प्रभावी व व्यापार के अनुकूल बनाया जा सके। इसका उद्देश्य वर्ष 2025 तक समीक्षा पूरी करना और भारत और आसियान देशों के बीच आपूर्ति शृंखला कनेक्शन को बढ़ाना है।
- समझौता ज्ञापन और समझौते: कई क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने के लिये कई समझौता ज्ञापनों (MoU) पर हस्ताक्षर किये गए:
- श्रमिकों की भर्ती, रोज़गार और वापसी: दोनों देशों के बीच श्रमिकों की आवाज़ाही और प्रबंधन से संबंधित प्रक्रियाओं को कारगर बनाने हेतु समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए।
- आयुर्वेद और पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियाँ: आयुर्वेद और अन्य पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के क्षेत्र में सहयोग हेतु समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए।
- भारत मलेशिया में यूनिवर्सिटी टुंकू अब्दुल रहमान में आयुर्वेद चेयर की स्थापना करेगा, जिससे पारंपरिक चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा।
- डिजिटल प्रौद्योगिकी: हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन में साइबर सुरक्षा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), क्वांटम कंप्यूटिंग और डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डिजिटल लेनदेन हेतु भारत के एकीकृत भुगतान इंटरफ़ेस (UPI) को मलेशिया के पेनेट से जोड़ने पर कार्य करने पर सहमति) सहित विभिन्न डिजिटल क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- संस्कृति, कला और विरासत: सांस्कृतिक आदान-प्रदान और विरासत के संरक्षण को प्रोत्साहित करना।
- पर्यटन: पर्यटन को बढ़ावा देना और देशों के बीच आसान यात्रा की सुविधा प्रदान करना।
- भारत ने मलेशिया द्वारा वर्ष 2026 को विजिट मलेशिया वर्ष के रूप में नामित करने पर ध्यान दिया।
- लोक प्रशासन और शासन सुधार: शासन और प्रशासनिक सुधारों में सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना।
- युवा और खेल: युवा जुड़ाव और खेल सहयोग को बढ़ावा देना
- रक्षा और सुरक्षा सहयोग: नेताओं ने नियमित आदान-प्रदान, संयुक्त अभ्यास और क्षमता निर्माण पहल के माध्यम से रक्षा सहयोग को बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की।
- रक्षा उद्योग और अनुसंधान एवं विकास (R&D) सहयोग का विस्तार करने की भी प्रतिबद्धता थी।
- दोनों देशों ने आतंकवाद की निंदा की और आतंकवाद और अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध के साथ इसके संबंधों का मुकाबला करने के लिये मिलकर काम करने का संकल्प लिया।
- शैक्षिक सहयोग: मलेशिया ने साइबर सुरक्षा, AI और मशीन लर्निंग जैसे क्षेत्रों में मलेशियाई छात्रों के लिये भारत के तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग (ITEC) कार्यक्रम के तहत 100 सीटों के विशेष आवंटन का स्वागत किया।
- बहुपक्षीय सहयोग: मलेशिया ने ASEAN की केंद्रीयता और वर्ष 2025 में आगामी ASEAN अध्यक्षता के लिये भारत के समर्थन की सराहना की। वे ASEAN के नेतृत्व वाले तंत्रों के माध्यम से जुड़ाव को सुदृढ़ करने पर सहमत हुए। भारत BRICS में शामिल होने के मलेशिया के अनुरोध पर उसके साथ कार्य करेगा।
- नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र में सहयोग बढ़ाने के लिये प्रतिबद्धता जताई, जिसमें सुधारित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में स्थायी सदस्यता के लिये भारत की बोली का समर्थन भी शामिल है।
- सतत् विकास और जलवायु कार्रवाई: उन्होंने सतत् ऊर्जा पहल और जलवायु परिवर्तन शमन पर सहयोग करने पर सहमति व्यक्त की, जिसमें मलेशिया अंतर्राष्ट्रीय बिग कैट एलायंस (IBCA) में शामिल हो गया।
- अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) और आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन (CDRI) जैसी भारत की पहलों को स्वीकार किया गया, जो वैश्विक जलवायु कार्रवाई के लिये साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
भारत के सामरिक हितों के लिये इस यात्रा का क्या महत्त्व है?
- भारत की एक्ट ईस्ट नीति: यह यात्रा भारत की एक्ट ईस्ट नीति के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ संबंधों को सुदृढ़ करना है। मलेशिया के साथ जुड़कर, भारत ने एशिया में अपने प्रभाव और संपर्क को बढ़ाते हुए, ASEAN क्षेत्र की ओर अपनी सामरिक धुरी को जारी रखा है।
- पिछले संघर्ष: इससे पहले भारत मलेशिया संबंधों को जम्मू और कश्मीर (अनुच्छेद 370) और नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) पर भारत की नीतियों की मलेशिया द्वारा आलोचना के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ा था।
- वर्ष 2019 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में मलेशिया ने भारत पर कश्मीर पर ‘आक्रमण और कब्ज़ा’ करने का आरोप लगाया।
- जवाबी कार्रवाई में भारत ने मलेशिया के लिये एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र, मलेशियाई पाम ऑयल के आयात को कम कर दिया। इसका एक महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ा, मलेशिया के पाम तेल क्षेत्र में भारत को निर्यात में गिरावट का अनुभव हुआ।
- दोनों देशों के बीच राजनयिक विवाद पश्चात् चार महीने के अंतराल पर भारत ने मलेशियाई पाम तेल की खरीद फिर से शुरू कर दी है।
- विश्व में पाम ऑयल का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक होने के नाते मलेशिया पर भारत के आयात में कमी का नकारात्मक प्रभाव पड़ा; तथापि पाकिस्तानी आयात ने भारतीय क्रय पर प्रतिबंध से पैदा हुई कमी को पूरा कर दिया।
- कोविड-19 महामारी ने भारत में मलेशियाई लोगों की लॉकडाउन-संबंधी रोक के साथ तनाव को बढ़ा दिया था।
- हालिया यात्रा विशेष रूप से पिछले नेतृत्व के दौरान तनावपूर्ण संबंधों की अवधि के बाद के राजनयिक संबंधों को पुनर्जीवित करने और सुदृढ़ करने का अवसर प्रदान करती है।
- हिंद-प्रशांत महासागर पहल (IPOI): प्रगति के बावज़ूद भारत द्वारा वर्ष 2019 में सात स्तंभों (समुद्री सुरक्षा, समुद्री पारिस्थितिकी, समुद्री संसाधन, क्षमता निर्माण, संसाधन साझाकरण, आपदा जोखिम न्यूनीकरण और प्रबंधन, व्यापार संपर्क, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी) में सहयोग को बढ़ावा देने के लिये शुरू की गई हिंद-प्रशांत महासागर पहल (IPOI) एक चूका/खोया हुआ अवसर बना हुआ है।
- वियतनाम और फिलीपींस ने IPOI को मंजूरी दे दी है, लेकिन मलेशिया की संभावित भागीदारी इंडो-पैसिफिक में इसकी स्थिति को मज़बूत कर सकती है और इसके रणनीतिक लक्ष्यों में योगदान दे सकती है।
- दक्षिण चीन सागर संबंधी चिंताओं का समाधान: दक्षिण चीन सागर के विषय में चर्चा से चीन के बढ़ते प्रभाव पर मलेशिया की स्थिति की जानकारी मिलेगी।
- मलेशिया के परिप्रेक्ष्य को समझने से भारत को जटिल क्षेत्रीय सुरक्षा गतिशीलता को समझने और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपनी रणनीति तैयार करने में सहायता मिलेगी।
- व्यापार संबंधों को बढ़ावा देना: अप्रैल 2000 से सितंबर 2023 तक 1.18 बिलियन अमरीकी डॉलर के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के साथ मलेशिया भारत में 31वें सबसे बड़े निवेशक के रूप में स्थान रखता है।
- भारत में लगभग 70 मलेशियाई कंपनियाँ निर्माण से लेकर मानव संसाधन तक के विविध क्षेत्रों में कार्य करती हैं।
- मलेशिया आसियान के भीतर भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, जबकि भारत दक्षिण-पूर्व एशिया में मलेशिया का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
- इस यात्रा का उद्देश्य द्विपक्षीय व्यापार एवं आर्थिक सहयोग को बढ़ाते हुए इन निवेशों को और सुरक्षित तथा विस्तारित करना है।
भारत मलेशिया संबंधों की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- ऐतिहासिक संबंध: भारत और मलेशिया के बीच ऐतिहासिक संबंध एक सहस्राब्दी से भी अधिक पुराने हैं, जो चोल साम्राज्य (9वीं-13वीं शताब्दी) से काफी प्रभावित हैं।
- चोलों ने व्यापक समुद्री व्यापार मार्ग स्थापित किये जो दक्षिण भारत को मलय प्रायद्वीप से जोड़ते थे जिससे सांस्कृतिक और आर्थिक आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलता था।
- राजराजा चोल प्रथम और राजेंद्र चोल प्रथम जैसे सम्राटों के शासनकाल में, चोलों ने वर्तमान मलेशिया सहित दक्षिण पूर्व एशिया के कुछ हिस्सों पर नियंत्रण स्थापित कर लिया।
- चोलों ने व्यापक समुद्री व्यापार मार्ग स्थापित किये जो दक्षिण भारत को मलय प्रायद्वीप से जोड़ते थे जिससे सांस्कृतिक और आर्थिक आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलता था।
- आर्थिक एवं वाणिज्यिक संबंध: मलेशिया भारत का 13वाँ सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है तथा भारत मलेशिया के शीर्ष दस व्यापारिक साझेदारों में शामिल है तथा आसियान में तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
- भारत से निर्यात: इसमें खनिज ईंधन, एल्यूमीनियम, माँस, लोहा व इस्पात, तांबा, कार्बनिक रसायन और मशीनरी शामिल हैं।
- भारत में आयात: इसमें पाम ऑयल, खनिज ईंधन, विद्युत मशीनरी, पशु या वनस्पति वसा और लकड़ी शामिल हैं।
- व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता (CECA), जो वर्ष 2011 में प्रभावी हुआ, वस्तुओं, सेवाओं और निवेश को शामिल करता है।
- भारतीय रुपए में व्यापार निपटान: जुलाई 2022 से भारत और मलेशिया के बीच व्यापार अन्य मुद्राओं के अलावा भारतीय रुपए में भी किया जा सकेगा, जिसकी सुविधा मलेशिया के इंडिया इंटरनेशनल बैंक द्वारा दी जाएगी।
- आसियान-भारत व्यापार शिखर सम्मेलन 2023: भारतीय और मलेशियाई हितधारकों की महत्त्वपूर्ण भागीदारी के साथ आसियान-भारत जुड़ाव के 30 वर्षों का जश्न मनाया जाएगा।
- रक्षा सहयोग: रक्षा सहयोग पर वर्ष 1993 का समझौता ज्ञापन संयुक्त उद्यमों, विकास परियोजनाओं और खरीद के लिये आधारशिला रहा है।
- जुलाई 2023 में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की यात्रा के परिणामस्वरूप वर्ष 1993 के समझौता ज्ञापन में संशोधन किया गया और कुआलालंपुर में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के क्षेत्रीय कार्यालय का उद्घाटन किया गया।
- संयुक्त अभ्यास: हरिमौ शक्ति (सेना), समुद्र लक्ष्मण (नौसेना) और उदार शक्ति (वायुसेना)। ये अभ्यास अंतर-सेवा सहयोग और रणनीतिक संबंधों को मज़बूत करते हैं।
- क्षेत्रीय सहयोग: भारतीय नौसेना रॉयल मलेशियाई नौसेना के साथ नियमित रूप से सहयोगात्मक समुद्री संबंध को बढ़ावा देती है।
- भारतीय समुदाय: मलेशिया में लगभग 2.9 मिलियन भारतीय रहते हैं, जो इसे विश्व स्तर पर भारतीय मूल के व्यक्तियों (PIO) (लगभग 2.75 मिलियन PIO) का दूसरा सबसे बड़ा समुदाय बनाता है।
- यह समुदाय मुख्यतः तमिल भाषी है तथा बड़ी संख्या में लोग तेलुगु, मलयालम, पंजाबी और अन्य भाषाएँ भी बोलते हैं।
- सामुदायिक मुद्दे: चिंताओं में अवैध आव्रजन, श्रमिकों का शोषण और मानव तस्करी शामिल हैं। भारतीय समुदाय को कई हिंदू मंदिरों और गुरुद्वारों के साथ धार्मिक स्वतंत्रता प्राप्त है।
- सांस्कृतिक सहयोग: भारतीय सांस्कृतिक केंद्र कुआलालंपुर, जिसकी स्थापना वर्ष 2010 में हुई थी और जिसका नाम बदलकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारतीय सांस्कृतिक केंद्र (NSCBICC) कर दिया गया है, भारत और मलेशिया दोनों के शिक्षकों के साथ कर्नाटक गायन, कथक नृत्य, योग और हिंदी की कक्षाएँ प्रदान करता है।
- रामायण ने भारत में अपनी उत्पत्ति से आगे बढ़कर मलेशिया सहित दक्षिण-पूर्व एशिया की संस्कृतियों को प्रभावित किया है, तथा हिकायत सेरी राम (हिंदू रामायण महाकाव्य का मलय साहित्यिक रूपान्तरण) जैसे संस्करण स्थानीय रूपांतरणों को दर्शाते हैं।
- महाकाव्य के विषय स्थानीय कहानियों, कलाओं और प्रदर्शनों में प्रतिबिंबित होते हैं, तथा साझा सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करते हैं।
- मलेशिया में श्री वीर हनुमान मंदिर साझी सांस्कृतिक विरासत का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जिसकी वास्तुकला और कहानियाँ भारतीय परंपराओं में गहराई से निहित हैं।
- रामायण ने भारत में अपनी उत्पत्ति से आगे बढ़कर मलेशिया सहित दक्षिण-पूर्व एशिया की संस्कृतियों को प्रभावित किया है, तथा हिकायत सेरी राम (हिंदू रामायण महाकाव्य का मलय साहित्यिक रूपान्तरण) जैसे संस्करण स्थानीय रूपांतरणों को दर्शाते हैं।
मलेशिया के बारे में मुख्य तथ्य
- स्थान: दक्षिण पूर्व एशिया; प्रायद्वीपीय मलेशिया और पूर्वी मलेशिया में विभाजित, दक्षिण चीन सागर द्वारा अलग किया गया।
- राजधानी: कुआलालंपुर।
- उच्चतम बिंदु: माउंट किनाबालु, 13,455 फीट (4,101 मीटर)।
- प्रमुख पर्वत शृंखलाएँ: मेन रेंज, क्रॉकर, बिंटांग, होज़।
- प्रमुख नदियाँ: राजंग, सुगुट, पहांग, क्लैंग।
- प्रकृति: उष्णकटिबंधीय वर्षावन, यह विश्व के 17 महाविविधता वाले देशों का एक हिस्सा है, जो मलायन बाघों, बौने हाथियों और बोर्नियन ओरांगुटान जैसी प्रजातियों का घर है।
- मलेशिया एक संवैधानिक राजतंत्र है जिसने वर्ष 1957 में यूनाइटेड किंगडम से स्वतंत्रता प्राप्त की थी।
- प्रायद्वीपीय मलेशिया थाईलैंड के साथ स्थलीय और समुद्री सीमा साझा करता है, तथा सिंगापुर, वियतनाम और इंडोनेशिया के साथ समुद्री सीमा साझा करता है।
- पूर्वी मलेशिया ब्रुनेई और इंडोनेशिया के साथ स्थलीय तथा समुद्री सीमा साझा करता है, एवं फिलीपींस व वियतनाम के साथ समुद्री सीमा साझा करता है।
- मलक्का जलडमरूमध्य मलय प्रायद्वीप (प्रायद्वीपीय मलेशिया) और इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप के बीच से होकर गुजरता है। यह हिंद महासागर और प्रशांत महासागर के बीच शिपिंग का मुख्य चैनल है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: भारत-मलेशिया संबंधों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी में उन्नत करने का क्या महत्त्व है? क्षेत्रीय स्थिरता और आर्थिक विकास पर इसके संभावित प्रभाव पर चर्चा कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)मेन्सप्रश्न. शीतयुद्धोत्तर अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य के संदर्भ में भारत की पूर्वोन्मुखी नीति के आर्थिक और सामरिक आयामों का मूल्यांकन कीजिये। (2016) |