जैव विविधता और पर्यावरण
आपदा रोधी अवसंरचना पर 5वाँ अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन
- 08 Apr 2023
- 5 min read
प्रिलिम्स के लिये:ICDRI, CDRI। मेन्स के लिये:आपदा प्रबंधन। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने आपदा रोधी अवसंरचना (ICDRI) पर 5वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन, 2023 को संबोधित किया।
आपदा रोधी अवसंरचना:
- परिचय:
- ICDRI आपदा और जलवायु-अनुकूल बुनियादी ढाँचे पर वैश्विक समन्वय को मज़बूत करने हेतु सदस्य देशों, संगठनों और संस्थानों की साझेदारी वाला आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढाँचे हेतु गठबंधन (CDRI) के तहत आयोजित वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन है।
- ICDRI 2023 के प्रमुख बिंदु:
- इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि चूँकि भारत G20 समूह का नेतृत्व कर रहा है इसलिये CDRI कई महत्त्वपूर्ण चर्चाओं में शामिल होगा।
- इसका अर्थ है कि CDRI में चर्चा किये गए समाधानों पर वैश्विक नीति निर्माण के उच्चतम स्तर पर विचार किया जाएगा।
- इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि चूँकि भारत G20 समूह का नेतृत्व कर रहा है इसलिये CDRI कई महत्त्वपूर्ण चर्चाओं में शामिल होगा।
CDRI
- परिचय:
- CDRI एक स्वतंत्र अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जिसमें राष्ट्रीय सरकारों, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों और कार्यक्रमों, बहुपक्षीय विकास बैंकों और वित्तपोषण तंत्र, निजी क्षेत्र तथा शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों की वैश्विक भागीदारी शामिल है।
- इसका उद्देश्य जलवायु और आपदा ज़ोखिम रोधी अवसंरचनात्मक ढाँचा प्रणालियों का विकास करना है, जिससे सतत् विकास सुनिश्चित हो सके।
- इसे 2019 में न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र जलवायु कार्रवाई शिखर सम्मेलन में गठित किया गया था।
- CDRI अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) के बाद भारत की दूसरी बड़ी वैश्विक पहल है।
- CDRI का सचिवालय नई दिल्ली, भारत में स्थित है।
- CDRI एक स्वतंत्र अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जिसमें राष्ट्रीय सरकारों, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों और कार्यक्रमों, बहुपक्षीय विकास बैंकों और वित्तपोषण तंत्र, निजी क्षेत्र तथा शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों की वैश्विक भागीदारी शामिल है।
- सदस्य :
- इसकी स्थापना के बाद से 31 देश, 6 अंतर्राष्ट्रीय संगठन और 2 निजी क्षेत्र के संगठन सदस्य के रूप में CDRI में शामिल हुए हैं।
- भारत के लिये महत्त्व:
- यह भारत को जलवायु कार्रवाई और आपदा न्यूनीकरण पर वैश्विक नेता के रूप में उभरने का एक मंच प्रदान करेगा।
- CDRI भारत की सॉफ्ट पॉवर को बढ़ाता है, लेकिन इसका अर्थ अर्थशास्त्र की दृष्टि से कहीं अधिक व्यापक है क्योंकि यह आपदा जोखिम में कमी, सतत् विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goal) और जलवायु समझौते के बीच तालमेल तथा स्थायी एवं समावेशी विकास प्रदान करता है।
CDRI की पहलें:
- इन्फ्रास्ट्रक्चर फॉर रेज़िलियेंट स्टेट्स पहल (IRIS):
- भारत ने इस पहल को CDRI के एक भाग के रूप में शुरू किया था, यह विशेष रूप से छोटे द्वीपीय विकासशील राज्यों अथवा SIDS में क्षमता निर्माण, पायलट परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित करेगा।
- SIDS पर जलवायु परिवर्तन का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है।
- भारत की अंतरिक्ष एजेंसी, ISRO उनके लिये एक विशेष डेटा विंडो का निर्माण करेगी ताकि उन्हें उपग्रह के माध्यम से चक्रवात, प्रवाल भित्ति निगरानी, तटरेखा निगरानी आदि के बारे में समय पर जानकारी प्रदान की जा सके।
- भारत ने इस पहल को CDRI के एक भाग के रूप में शुरू किया था, यह विशेष रूप से छोटे द्वीपीय विकासशील राज्यों अथवा SIDS में क्षमता निर्माण, पायलट परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित करेगा।
- इन्फ्रास्ट्रक्चर रेज़िलियेंस एक्सेलरेटर फंड:
- इंफ्रास्ट्रक्चर रेज़िलियेंस एक्सेलेरेटर फंड संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम और संयुक्त राष्ट्र आपदा जोखिम न्यूनीकरण कार्यालय दोनों द्वारा समर्थित फंड है।
- यह एक ट्रस्ट फंड है जिसे संयुक्त राष्ट्र मल्टी-पार्टनर ट्रस्ट फंड ऑफिस (UN MPTFO) द्वारा प्रबंधित किया जाएगा ताकि विकासशील देशों और छोटे विकासशील द्वीपीय राज्यों (Small Island Developing States-SIDS) पर विशेष ध्यान देने के साथ आपदाओं का सामना करने हेतु बुनियादी ढाँचा प्रणालियों की क्षमता में सुधार करने में मदद मिल सके।