भारतीय अर्थव्यवस्था
इथेनॉल
- 26 Jul 2023
- 11 min read
प्रिलिम्स के लिये:इथेनॉल, जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति 2018, E100 पायलट प्रोजेक्ट, इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम, घुलनशील पदार्थों के साथ डिस्टिलरीज़ का सूखा अनाज मेन्स के लिये:इथेनॉल सम्मिश्रण और इसका महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री ने G20 ऊर्जा मंत्रियों की बैठक में घोषणा की कि भारत ने वर्ष 2023 में 20% इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल लॉन्च किया है तथा वर्ष 2025 तक पूरे देश को कवर करने का लक्ष्य है।
- भारत में इथेनॉल का उत्पादन गन्ने से निर्मित गुड़ से लेकर चावल, मक्का और अन्य अनाज जैसे विभिन्न फीडस्टॉक द्वारा किया जाता है।
- यह कदम जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने और सतत् ऊर्जा समाधानों को बढ़ावा देने के लिये भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
इथेनॉल:
- परिचय:
- इथेनॉल जिसे एथिल अल्कोहल भी कहा जाता है, यह गन्ना, मक्का, चावल, गेहूँ और बायोमास जैसे विभिन्न स्रोतों से उत्पादित जैव ईंधन है।
- इथेनॉल की उत्पादन प्रक्रिया में खमीर द्वारा या एथिलीन हाइड्रेशन जैसी पेट्रोकेमिकल प्रक्रियाओं के माध्यम से शर्करा का किण्वन किया जाता है।
- इथेनॉल 99.9% शुद्ध अल्कोहल है जिसे स्वच्छ ईंधन विकल्प बनाने के लिये पेट्रोल के साथ मिश्रित किया जा सकता है।
- ईंधन योज्य होने के अतिरिक्त इथेनॉल उत्पादन से घुलनशील पदार्थों के साथ डिस्टिलरीज़ का सूखा अनाज और बॉयलर की भस्मक राख से पोटाश जैसे मूल्यवान उप-उत्पाद प्राप्त होते हैं जिनका विभिन्न उद्योगों में अनुप्रयोग होता है।
- इथेनॉल उत्पादन के उपोत्पाद:
- घुलनशील पदार्थों के साथ डिस्टिलरीज़ का सूखा अनाज (DDGS):
- DDGS अनाज आधारित इथेनॉल उत्पादन का एक उपोत्पाद है।
- यह अनाज में स्टार्च के किण्वन और इथेनॉल निकालने के बाद बचा हुआ अवशेष है।
- DDGS उच्च प्रोटीन सामग्री वाला एक मूल्यवान पशु चारा है और इसका उपयोग पशुधन आहार के पूरक के लिये किया जाता है।
- बॉयलर की भस्मक राख से पोटाश:
- बॉयलर में इथेनॉल उत्पादन के बाद बची राख में 28% तक पोटाश होता है।
- यह राख पोटाश का एक समृद्ध स्रोत है और इसका उपयोग उर्वरक के रूप में किया जा सकता है।
- घुलनशील पदार्थों के साथ डिस्टिलरीज़ का सूखा अनाज (DDGS):
- ईंधन के रूप में इथेनॉल के अनुप्रयोग:
- इथेनॉल का उपयोग परिवहन क्षेत्र में गैसोलीन के नवीकरणीय और स्थायी जैव ईंधन विकल्प के रूप में किया जाता है।
- इसे विभिन्न अनुपातों में पेट्रोल के साथ मिश्रित किया जा सकता है, जैसे- E10 (10% इथेनॉल, 90% पेट्रोल) और E20 (20% इथेनॉल, 80% पेट्रोल)।
- भारत सरकार ने नवीकरणीय ईंधन के रूप में इथेनॉल के उपयोग को बढ़ावा देने के लिये इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम शुरू किया है।
- इस कार्यक्रम का उद्देश्य आयातित कच्चे तेल पर देश की निर्भरता को कम करने, कार्बन उत्सर्जन में कटौती और किसानों की आय को बढ़ावा देने के लिये पेट्रोल के साथ इथेनॉल का मिश्रण करना है।
- इथेनॉल मिश्रण ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और वायु प्रदूषकों को कम करने, स्वच्छ हवा में योगदान देने तथा जलवायु परिवर्तन को कम करने में मदद करता है।
भारत के फीडस्टॉक्स का विविधीकरण:
- फीडस्टॉक विविधीकरण:
- भारत में इथेनॉल का उत्पादन मुख्य रूप से 'C-भारी' गुड़ पर आधारित था, जिसमें 40-45% चीनी सामग्री होती थी, जिससे प्रति टन 220-225 लीटर इथेनॉल प्राप्त होता था।
- भारत ने इथेनॉल उत्पादन, उपज और दक्षता बढ़ाने के लिये सीधे गन्ने के रस की खोज की।
- देश ने चावल, क्षतिग्रस्त अनाज, मक्का, ज्वार, बाजरा और कदन्न को शामिल करके अपने फीडस्टॉक में विविधता प्रदर्शित की है।
- अनाज से इथेनॉल की पैदावार गुड़ की तुलना में अधिक होती है, चावल से 450-480 लीटर और अन्य अनाज से 380-460 लीटर प्रति टन का उत्पादन होता है।
- चीनी मिलों ने चावल, क्षतिग्रस्त अनाज, मक्का और कदन्न को फीडस्टॉक के रूप में उपयोग कर इसमें विविधता ला दी है।
- अग्रणी चीनी कंपनियों ने डिस्टिलरीज़ स्थापित की हैं जो पूरे वर्ष कई फीडस्टॉक पर कार्य कर सकती हैं।
- सरकार की विभेदक मूल्य निर्धारण नीति ने वैकल्पिक फीडस्टॉक के उपयोग को प्रोत्साहित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। कुछ फीडस्टॉक से उत्पादित इथेनॉल के लिये उच्च कीमतें तय करके मिलों को कम चीनी उत्पादन के लिये मुआवज़ा दिया गया।
- वर्ष 2018-19 से भारत सरकार ने B-भारी गुड़ और साबुत गन्ने के रस/सिरप से उत्पादित इथेनॉल के लिये उच्च कीमतें तय करना शुरू कर दिया।
- चुनौतियाँ:
- अनाज से अधिक इथेनॉल निकलता है लेकिन उसमें लंबे समय तक प्रसंस्करण की आवश्यकता होती है। अनाज में खमीर (Saccharomyces Cerevisiae) का उपयोग करके इथेनॉल में उनके किण्वन से पहले ही स्टार्च को सुक्रोज़ और सरल शर्करा (ग्लूकोज़ एवं फ्रुक्टोज़) में परिवर्तित किया जाता है। गुड़ में पहले से ही सुक्रोज़, ग्लूकोज़ और फ्रुक्टोज़ होता है।
- फीडस्टॉक की गुणवत्ता एवं परिवर्तनशीलता उत्पादन को प्रभावित कर रही है।
- गैर-पारंपरिक फीडस्टॉक्स से संबंधित पर्यावरणीय चिंताएँ।
- लाभ:
- फीडस्टॉक के विविधीकरण से किसी एक फसल के कारण आपूर्ति में उतार-चढ़ाव के साथ कीमत में अस्थिरता कम हो जाएगी।
- इथेनॉल उत्पादन के लिये नए फीडस्टॉक को शामिल करने से नई अनाज मांग उत्पन्न हो सकती है।
गुड़ के प्रकार:
- A गुड़ (प्रारंभिक गुड़): प्रारंभिक चीनी क्रिस्टल निष्कर्षण से प्राप्त एक मध्यवर्ती उप-उत्पाद, जिसमें 80-85% शुष्क पदार्थ (DM) होता है। यदि भंडारण किया जाए तो क्रिस्टलीकरण को रोकने के लिये इसे आर्द्र किया जाना चाहिये।
- B गुड़ (द्वितीयक गुड़): A गुड़ के समान DM सामग्री लेकिन कम चीनी और कोई सहज क्रिस्टलीकरण नहीं।
- C गुड़ (अंतिम गुड़, ब्लैकस्ट्रैप गुड़, ट्रेकल): चीनी प्रसंस्करण का अंतिम उप-उत्पाद, जिसमें पर्याप्त मात्रा में सुक्रोज़ (लगभग 32 से 42%) होता है। यह क्रिस्टलीकृत नहीं होता है और इसका उपयोग तरल या सूखे रूप में वाणिज्यिक फीड घटक के रूप में किया जाता है।
भारत में इथेनॉल मिश्रण को बढ़ावा देने के लिये सरकार की पहल:
- जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति 2018
- E100 पायलट प्रोजेक्ट
- प्रधानमंत्री जी-वन योजना 2019
- प्रयुक्त खाना पकाने के तेल का पुन: उपयोग (RUCO)
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. भारत की जैव ईंधन की राष्ट्रीय नीति के अनुसार, जैव ईंधन के उत्पादन के लिये निम्नलिखित में से किनका उपयोग कच्चे माल के रूप में हो सकता है? (2020)
नीचे दिये गए कूट का उपयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2, 5 और 6 उत्तर: (a) व्याख्या:
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