जैव विविधता और पर्यावरण
UNEP की अडैप्टेशन गैप रिपोर्ट 2024
- 13 Nov 2024
- 13 min read
प्रिलिम्स के लिये:संयुक्त राष्ट्र (UN), अडैप्टेशन गैप रिपोर्ट, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP), राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) मेंस के लिये:जलवायु वित्तपोषण में सुधार की आवश्यकता, जलवायु अनुकूलन वित्तपोषण में चुनौतियाँ |
स्रोत: डाउन टू अर्थ
चर्चा में क्यों?
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) ने अडैप्टेशन गैप रिपोर्ट 2024: कम हेल एंड हाई वाॅटर (Adaptation Gap Report 2024: Come hell and high water) जारी की।
- इस रिपोर्ट में जलवायु अनुकूलन प्रयासों में वृद्धि की आवश्यकता पर बल (विशेष रूप से विकासशील देशों के लिये अनुकूलन वित्तपोषण के संबंध में) दिया गया है।
अडैप्टेशन गैप रिपोर्ट 2024 के प्रमुख निष्कर्ष क्या हैं?
- अडैप्टेशन वित्त अंतराल: अडैप्टेशन वित्त अंतराल (जो वित्तपोषण आवश्यकताओं एवं वास्तविक निधियों के बीच असमानता को दर्शाता है) बढ़ गया है।
- वर्तमान वित्तपोषण (वर्ष 2022 के अनुसार), आवश्यकताओं से काफी कम है जिसमें केवल 28 बिलियन अमेरिकी डॉलर प्रदान किए गए हैं- जो ग्लासगो जलवायु समझौते के तहत अनुमानित आवश्यकताओं का केवल 5% ही है।
- ग्लासगो जलवायु समझौते का लक्ष्य वर्ष 2030 तक मीथेन उत्सर्जन को वर्ष 2020 के स्तर से कम से कम 30% तक कम करना है।
- UNEP का अनुमान है कि विकासशील देशों को अनुकूलन के लिये वर्ष 2030 तक प्रतिवर्ष 387 बिलियन अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता होगी।
- वित्तपोषण की कमी: अनुकूलन वित्तपोषण अंतराल का केवल एक तिहाई हिस्सा ही ऐसे क्षेत्रों में है, जो आमतौर पर निजी क्षेत्र द्वारा वित्तपोषित होते हैं, जिससे निजी निवेश के लिये महत्त्वपूर्ण अवसर उपलब्ध होते हैं।
- वर्तमान वित्तपोषण (वर्ष 2022 के अनुसार), आवश्यकताओं से काफी कम है जिसमें केवल 28 बिलियन अमेरिकी डॉलर प्रदान किए गए हैं- जो ग्लासगो जलवायु समझौते के तहत अनुमानित आवश्यकताओं का केवल 5% ही है।
- ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव: उत्सर्जन अंतराल रिपोर्ट, 2024 से संकेत मिलता है कि वर्ष 2100 तक वैश्विक तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तर की तुलना में 2.6°C से 3.1°C तक बढ़ सकता है।
- वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में न्यूनतम योगदान के बावजूद विकासशील देश जलवायु-प्रेरित मौसम की घटनाओं से सबसे अधिक पीड़ित हैं।
- नेपाल, नाइजीरिया और चाड में हाल में आई बाढ़ से इन देशों की वित्तीय और ढाँचागत कमज़ोरियों पर प्रकाश पड़ा है।
- राष्ट्रीय अनुकूलन योजनाओं (NAPs) की प्रगति: 171 देशों की कम से कम एक अनुकूलन नीति है लेकिन बिना अनुकूलन नीति वाले 26 देशों में से 10 देश इसे विकसित करने में रुचि नहीं रखते हैं, जिससे NAP नियोजन एवं कार्यान्वयन में धीमी प्रगति पर प्रकाश पड़ता है।
- UNFCCC COP28 में प्रस्तुत वैश्विक जलवायु अनुकूलन हेतु UAE फ्रेमवर्क (UAE-FGCR) के तहत अनुकूलन के क्रम में विषयगत लक्ष्य (जैसे, कृषि, जल, स्वास्थ्य) निर्धारित किये गए हैं, फिर भी इनका कार्यान्वयन धीमा बना हुआ है।
- यह अपनी तरह का पहला अंतर्राष्ट्रीय घोषणापत्र है जिसका प्राथमिक लक्ष्य जलवायु अनुकूलन है।
- UNFCCC COP28 में प्रस्तुत वैश्विक जलवायु अनुकूलन हेतु UAE फ्रेमवर्क (UAE-FGCR) के तहत अनुकूलन के क्रम में विषयगत लक्ष्य (जैसे, कृषि, जल, स्वास्थ्य) निर्धारित किये गए हैं, फिर भी इनका कार्यान्वयन धीमा बना हुआ है।
- परिवर्तनकारी अनुकूलन: UNEP द्वरा प्रतिक्रियात्मक से रणनीतिक अनुकूलन की ओर बदलाव का आह्वान किया गया है, जिसमें पारिस्थितिकी तंत्र संरक्षण एवं सांस्कृतिक विरासत जैसे क्षेत्रों पर बल दिया गया है।
- "परिवर्तनकारी अनुकूलन" की अवधारणा COP28 के दौरान विवादास्पद थी लेकिन बढ़ते जोखिमों से निपटने के लिये इसे महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है।
- परिवर्तनकारी अनुकूलन से तात्पर्य उन कार्यों से है जो वर्तमान प्रथाओं में मात्र समायोजन से परे, संरचना या कार्य में पर्याप्त परिवर्तन के साथ जलवायु परिवर्तन के अनुकूल होते हैं।
- "परिवर्तनकारी अनुकूलन" की अवधारणा COP28 के दौरान विवादास्पद थी लेकिन बढ़ते जोखिमों से निपटने के लिये इसे महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है।
विकासशील देशों हेतु जलवायु अनुकूलन वित्तपोषण में क्या चुनौतियाँ हैं?
- सीमित वित्तीय क्षमता: समुद्र के किनारे दीवार निर्माण, अनुकूल बुनियादी ढाँचा और जल सुरक्षा जैसी अनुकूलन परियोजनाएँ विकासशील देशों के लिये वित्तीय रूप से बोझिल होती हैं।
- विकसित देशों के योगदान में कमी: जलवायु समझौतों के तहत दायित्वों के बावजूद, विकसित राष्ट्र वादा किये गए वित्तीय समर्थन (विशेष रूप से वर्ष 2020 के लिये निर्धारित 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर के लक्ष्य) को पूरा करने में काफी पीछे हैं।
- उच्च ब्याज दर वाले ऋणों पर निर्भरता: वर्तमान वित्तपोषण का अधिकांश हिस्सा उच्च ब्याज दर वाले ऋणों पर आधारित है, जिससे ऋण बोझ बढ़ने के साथ प्राप्तकर्त्ता देशों पर वित्तीय दबाव बढ़ रहा है।
- COP29 में वित्तीय प्रतिबद्धता की तात्कालिकता: वर्ष 2025 तक अनुकूलन वित्त को दोगुना करने का लक्ष्य केवल आंशिक रूप से ही इस अंतराल को कम करने में सक्षम है।
जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये किये गए प्रयास और प्रतिबद्धताएँ क्या हैं?
- वैश्विक प्रयास:
- ग्लासगो जलवायु समझौता और वित्तपोषण लक्ष्य को दोगुना करना: UNFCCC COP26 में विकसित देशों ने अनुकूलन वित्त को वर्ष 2019 के 19 बिलियन अमेरिकी डॉलर के स्तर से वर्ष 2025 तक दोगुना करते हुए 38 बिलियन अमेरिकी डॉलर तथा वर्ष 2030 तक एक नया जलवायु वित्तपोषण लक्ष्य स्थापित करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
- ADB जलवायु अनुकूलन निवेश योजना कार्यक्रम (एशियाई विकास बैंक 2023): यह एक क्षेत्रीय कार्यक्रम है जो ADB से संबंधित विकासशील सदस्य देशों को अपनी राष्ट्रीय अनुकूलन प्राथमिकताओं एवं लक्ष्यों के अनुसार अनुकूलन निवेश योजनाएँ बनाने में सहायता करता है।
- UNDP अडैप्टेशन एक्सलेरेटर (UNFCCC 2024): UNDP-अडैप्टेशन फंड क्लाइमेट इनोवेशन एक्सलेरेटर (AFCIA) एक ऐसा कार्यक्रम है जिसके तहत समुदायों को जलवायु परिवर्तन के प्रति अधिक लचीला बनने में मदद करने के क्रम में स्थानीय स्तर पर संचालित अनुकूलन प्रथाओं का समर्थन किया जाता है।
- भारत के प्रयास:
- आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 के अनुसार, वर्ष 2021-2022 में भारत का जलवायु लचीलापन एवं अनुकूलन खर्च सकल घरेलू उत्पाद का 5.6% था।
- वित्तीय वर्ष 2019 में अंतर्राष्ट्रीय वित्तपोषण 13% से बढ़कर वित्तीय वर्ष 2020 में 17% हो गया है।
- UNFCCC कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज़ (COP26) के 26वें सत्र में भारत ने अपने राष्ट्रीय स्तर पर अभिनिर्धारित योगदान (NDC) के रूप में पाँच अमृत तत्त्व (पंचामृत) प्रस्तुत किये।
जलवायु वित्तपोषण
- इसका तात्पर्य स्थानीय, राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय वित्तपोषण से है- जो सार्वजनिक, निजी और वैकल्पिक वित्तपोषण स्रोतों से प्राप्त होता है- जिसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये शमन एवं अनुकूलन कार्यों का समर्थन करना है।
- UNFCCC, क्योटो प्रोटोकॉल और पेरिस समझौते के तहत विकसित देशों से अपेक्षा की गई है कि वे समान लेकिन विभेदित उत्तरदायित्व (CBDR) के सिद्धांत का पालन करते हुए विकासशील देशों को वित्तीय सहायता प्रदान करें।
आगे की राह
- मज़बूत वित्तीय व्यवस्था: इस रिपोर्ट में अनुकूलन प्रयासों को समर्थन देने के लिये मज़बूत वित्तीय प्रतिबद्धता की आवश्यकता पर बल दिया गया है।
- वित्तपोषण मॉडल: इस रिपोर्ट में वैकल्पिक वित्तपोषण मॉडल के रूप में जोखिम वित्त, अनुकूलन बॉण्ड, अनुकूलन हेतु ऋण स्वैप एवं पारिस्थितिकी तंत्र सेवा भुगतान का सुझाव दिया गया है।
- सुधार: अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं में सुधार से गैर-ऋण निधियों तक पहुँच में सुधार हो सकता है।
- परिवर्तनकारी प्रभाव: क्षमता निर्माण एवं प्रौद्योगिकी हस्तांतरण योजनाओं के तहत विभिन्न क्षेत्रों में विकास प्राथमिकताओं में अनुकूलन को बढ़ावा देने के साथ परिवर्तनकारी प्रभाव हेतु क्षमता निर्माण पर बल देना चाहिये।
निष्कर्ष
अडैप्टेशन गैप रिपोर्ट, 2024 में विकासशील देशों को सहायता देने के क्रम में अनुकूलन वित्तपोषण तथा अभिनव समाधानों पर तत्काल कार्रवाई करने का आह्वान किया गया है। इस रिपोर्ट में वैश्विक जलवायु एजेंडे के तहत जलवायु अनुकूलन के महत्त्व को रेखांकित करने के साथ अनुकूलन वित्त अंतराल को कम करने की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है, जो UNFCCC COP29 वार्ता का निर्णायक बिंदु बना हुआ है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न प्रश्न: UNEP की अडैप्टेशन गैप रिपोर्ट,2024 में पहचाने गए वैश्विक जलवायु अनुकूलन प्रयासों से संबंधित वित्तीय एवं रणनीतिक अंतराल पर चर्चा करने के साथ इन चुनौतियों का समाधान करने के उपाय बताइये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्सप्रश्न: वर्ष 2015 में पेरिस में UNFCCC बैठक में हुए समझौते के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2016)
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 3 उत्तर: (b) प्रश्न: "मोमेंटम फाॅर चेंज : क्लाइमेट न्यूट्रल नाउ" यह पहल किसके द्वारा प्रवर्तित की गई है? (2018) (a) जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल उत्तर: (c) |