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जैव विविधता और पर्यावरण

स्वच्छ वायु लक्ष्य में विविध प्रगति

  • 11 Jan 2024
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

स्वच्छ वायु लक्ष्य में विविध प्रगति, राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP), इंडो-गैंगेटिक मैदान (IGP), मौसम विज्ञान, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB)

मेन्स के लिये:

स्वच्छ वायु लक्ष्य में विविध प्रगति, पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण

स्रोत: द हिंदू  

चर्चा में क्यों?

हाल ही में क्लाइमेट ट्रेंड्स (Climate Trends) तथा रेस्पायरर लिविंग साइंसेज़ (Respirer Living Sciences) ने एक अध्ययन किया जिसके अनुसार भारत के अधिकांश शहर राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (National Clean Air Campaign- NCAP) के स्वच्छ वायु लक्ष्यों को प्राप्त करने में विफल रहे हैं।

नोट: क्लाइमेट ट्रेंड्स तथा रेस्पिरर लिविंग साइंसेज़ दोनों NCAP ट्रैकर में शामिल हैं जो भारत की स्वच्छ वायु नीति पर अपडेट प्रदान करने के लिये एक ऑनलाइन केंद्र है। 

  • क्लाइमेट ट्रेंड्स एक शोध-आधारित परामर्श तथा क्षमता निर्माण पहल है जो पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और सतत् विकास पर केंद्रित है।
  • रेस्पायरर लिविंग साइंसेज़ भारत सरकार का क्लाइमेट-टेक स्टार्टअप (Climate-Tech Startup) साझेदार है। इसने स्वच्छ वायु प्रौद्योगिकियों पर उत्कृष्टता केंद्र ATMAN का समर्थन किया, जिसे IIT कानपुर में स्थापित किया गया था।

अध्ययन से संबंधित मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • PM2.5 स्तर में कमी का अभाव:
    • पाँच वर्षों में निरंतर PM2.5 डेटा वाले 49 शहरों में से केवल 27 शहरों में PM2.5 के स्तर में गिरावट देखी गई जबकि केवल चार शहर राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) लक्ष्यों के अनुसार लक्षित गिरावट को पूरा कर पाए अथवा उससे बेहतर कर पाए।
      • NCAP का लक्ष्य 131 शहरों में वर्ष 2026 तक औसत पार्टिकुलेट मैटर (PM) सांद्रता को 40% तक कम करना है।
      • प्रारंभ में वर्ष 2024 तक 20-40% की कटौती का लक्ष्य रखा गया था जिसे बाद में वर्ष 2026 तक विस्तारित कर दिया गया।
  • सभी शहरों में मिश्रित प्रगति:
    • वाराणसी, आगरा तथा जोधपुर जैसे कुछ शहरों में PM2.5 के स्तर में उल्लेखनीय कमी देखी गई जबकि दिल्ली सहित अन्य शहरों में मानक स्तर में मामूली गिरावट (केवल 5.9%) दर्ज की गई और साथ ही कई शहरों में प्रदूषण भार में वृद्धि दर्ज की गई।
      • वाराणसी में वर्ष 2019 से वर्ष 2023 तक PM2.5 के स्तर में 72% की औसत कमी तथा PM10 के स्तर में 69% की कमी के साथ सबसे बड़ा सुधार देखा गया।
  •   क्षेत्रीय सुभेद्यता:
    • इंडो-गैंगेटिक प्लेन (IGP) उच्च कणिका पदार्थ सांद्रता के प्रति अत्यधिक सुभेद्य/संवेदनशील बना हुआ है और PM2.5 वाले शीर्ष 20 सबसे प्रदूषित शहरों में से लगभग 18 शहर इसी क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं।
      • IGP के बाहर, केवल गुवाहाटी और राउरकेला, PM 2.5 के लिये 20 सबसे प्रदूषित शहरों में से थे।
  • निगरानी चुनौतियाँ:
    • निरंतर परिवेशी वायु गुणवत्ता मॉनिटर की उपलब्धता और वितरण वार्षिक प्रदूषक सांद्रता को गंभीर रूप से प्रभावित करते हैं।
    • हालाँकि, कई भारतीय शहरों में पर्याप्त संख्या में ऐसे निगरानी स्टेशनों का अभाव है।
    • जहाँ मुंबई और दिल्ली जैसे शहरों में ऐसे कई स्टेशन हैं, तो वहीं अधिकांश भारतीय शहरों में केवल कुछ ही हैं।
      • 92 शहरों में से केवल चार में 10 से अधिक ऐसे स्टेशन हैं।
  • प्रदूषण को प्रभावित करने वाले कारक:
    • प्रदूषण के स्तर में भिन्नता के लिये भौगोलिक स्थान, विविध उत्सर्जन स्रोत, मौसम संबंधी प्रभाव और उत्सर्जन एवं मौसम विज्ञान के बीच अंतरसंबंध को ज़िम्मेदार ठहराया जा सकता है, जिसके लिये आगामी जाँच की आवश्यकता है।

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम क्या है?

  • इसे जनवरी 2019 में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (Ministry of Environment, Forests and Climate Change- MoEFCC) द्वारा लॉन्च किया गया था।
  • समयबद्ध रूप से वायु प्रदुषण में कमी के लक्ष्य के साथ वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिये एक राष्ट्रीय फ्रेमवर्क तैयार करने का यह देश में पहला प्रयास है।
  • NCAP का लक्ष्य 131 शहरों में वर्ष 2026 तक औसत कणिका पदार्थ/पार्टिकुलेट मैटर (PM) सांद्रता को 40% तक कम करना है। प्रारंभ में वर्ष 2024 तक 20-40% की कटौती का लक्ष्य रखा गया था, बाद में लक्ष्य को वर्ष 2026 तक बढ़ा दिया गया।
  • इसमें 131 गैर-प्राप्ति वाले शहर शामिल हैं जिनकी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board- CPCB) द्वारा पहचान की गई थी।
    • गैर-प्राप्ति शहर वे हैं जिन्होंने 5 वर्षों से अधिक समय से राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों (National Ambient Air Quality Standards- NAAQS) को पूरा नही किया है।
      • NAAQ वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के तहत CPCB द्वारा अधिसूचित चिह्नित किये गए प्रदूषकों के संदर्भ में परिवेशी वायु गुणवत्ता के मानक हैं। 
      • NAAQS के तहत प्रदूषकों की सूची: PM10, PM2.5, SO2, NO2, CO, NH3, ओज़ोन, सीसा, बेंज़ीन, बेंज़ो-पाइरीन, आर्सेनिक और निकल।
  • गैर-प्राप्ति शहरों में वायु-प्रदूषण के विनियमन के लिये पोर्टल PRANA (Portal for Regulation of Air-pollution in Non-Attainment cities), NCAP के कार्यान्वयन की निगरानी के लिये एक पोर्टल है।

वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिये क्या पहल की गई हैं?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा,विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स: 

प्रश्न1. हमारे देश के शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (Air Quality Index) का परिकलन करने में साधारणतया निम्नलिखित वायुमंडलीय गैसों में से किनको विचार में लिया जाता है? (2016)

  1. कार्बन डाईऑक्साइड
  2.  कार्बन मोनोऑक्साइड
  3.  नाइट्रोजन डाइऑक्साइड
  4.  सल्फर डाइऑक्साइड
  5.  मीथेन

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 1, 4 और 5
(d) 1, 2, 3, 4 और 5

उत्तर: (b)


मेन्स:

प्रश्न1. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा हाल ही में जारी किये गए संशोधित वैश्विक वायु गुणवत्ता दिशा-निर्देशों (AQGs) के मुख्य बिंदुओं का वर्णन कीजिये। विगत  2005 के अद्यतन से, यह किस प्रकार भिन्न हैं? इन संशोधित मानकों को प्राप्त करने के लिये, भारत के राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम में किन परिवर्तनों की आवश्यकता है? (2021)

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