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जैव विविधता और पर्यावरण

शहरों में वायु गुणवत्ता और स्वास्थ्य

  • 19 Aug 2022
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर, विश्व स्वास्थ्य संगठन, डब्ल्यूएचओ के नए वायु गुणवत्ता दिशानिर्देश, पार्टिकुलेट मैटर।

मेन्स के लिये:

शहरों में वायु गुणवत्ता और स्वास्थ्य रिपोर्ट, वायु प्रदूषण के प्रभाव, पर्यावरण प्रदूषण और गिरावट।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में शहरों में वायु गुणवत्ता और स्वास्थ्य (Air Quality and Health in Cities) शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की गई थी, जिसमें वर्ष 2010 और 2019 के बीच दुनिया भर के 7,000 से अधिक शहरों में प्रदूषण और वैश्विक स्वास्थ्य प्रभावों का विश्लेषण किया गया था।

  • अध्ययन में पाए गए दो प्रमुख वायु प्रदूषकों- फाइन पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5) और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) के आधार पर शहरों की रैंकिंग की गई।

स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर

  • स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर (SoGA) दुनिया भर में वायु गुणवत्ता के बारे में विश्वसनीय, सार्थक जानकारी प्रदान करने के लिये शोध और महत्त्वपूर्ण पहल है।
  • अमेरिका स्थित हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट और इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन के ग्लोबल बर्डन ऑफ डिज़ीज़ प्रोजेक्ट के सहयोग से, नागरिकों, पत्रकारों, नीति निर्माताओं तथा वैज्ञानिकों को वायु प्रदूषण जोखिम एवं इसके स्वास्थ्य प्रभावों के बारे में उच्च गुणवत्ता, उद्देश्यपूर्ण जानकारी तक पहुँच प्रदान करता है।

प्रमुख बिंदु

  • PM 2.5 का स्तर:
    • जब PM 2.5 के स्तर की तुलना की गई तो शीर्ष 10 सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में दिल्ली और कोलकाता पहले और दूसरे स्थान पर हैं।
      • PM 2.5 वायुमंडलीय कण है जिसका व्यास 2.5 माइक्रोमीटर से कम है, जो मानव बाल के व्यास का लगभग 3% है। यह श्वास की समस्याओं का कारण बनता है और दृश्यता को कम करता है।
      • जबकि PM2.5 प्रदूषण का जोखिम निम्न और मध्यम आय वाले देशों में स्थित शहरों में अधिक होता है, NO2 का जोखिम उच्च आय वाले शहरों के साथ-साथ निम्न और मध्यम आय वाले देशों में अधिक होता है।
  • NO2 स्तर:
    • जब NO2 के स्तर की तुलना की गई तो कोई भी भारतीय शहर शीर्ष 10 या शीर्ष 20 प्रदूषित शहरों की सूची में नहीं आया।
      • रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली, कोलकाता और मुंबई में NO2 का औसत स्तर 20-30 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के बीच है।
    • इस सूची में शंघाई को 41 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के औसत वार्षिक जोखिम के साथ शीर्ष पर देखा गया।
      • NO2 मुख्य रूप से पुराने वाहनों, बिजली संयंत्रों, औद्योगिक सुविधाओं और आवासीय खाना पकाने और हीटिंग में ईंधन के जलने से उत्पन्न है।
      • चूंँकि शहर के निवासी सघन यातायात वाली व्यस्त सड़कों के करीब रहते हैं, इसलिये वे अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों के निवासियों की तुलना में NO2 प्रदूषण के ज़्यादा संपर्क में आते हैं।
    • उच्च NO2 स्तर वाले अन्य शहरों में मास्को, बीजिंग, पेरिस, इस्तांबुल और सियोल शामिल हैं।
  • होने वाली मौतें:
    • बीजिंग में PM2.5 प्रदूषक से सर्वाधिक लोग बीमार होते हैं, प्रति 100,000 व्यक्तियों पर होने वाली 124 मौतों के लिये ये प्रदूषक प्रमुख करक हैं।
      • प्रमुख 20 शहरों में चीन के 5 शहर शामिल हैं।
    • दिल्ली प्रति 100,000 में 106 मौतों के साथ छठे और कोलकाता 99 मौतों के साथ आठवें स्थान पर रहा।
  • कारण:
    • वर्तमान में केवल 117 देशों में PM2.5 को ट्रैक करने के लिये जमीनी-स्तर की निगरानी प्रणाली मौज़ूद है और केवल 74 देश ही NO2 स्तर की निगरानी कर रहे हैं।
    • वर्ष 2019 में 7000 से अधिक शहरों में से 86% में प्रदूषकों का जोखिम WHO के मानक से अधिक था, इसने लगभग 2.6 बिलियन लोगों को प्रभावित किया है।

WHO के नए वायु गुणवत्ता दिशानिर्देश:

  • वर्ष 2021 के WHO के दिशा-निर्देश प्रमुख वायु प्रदूषकों के स्तर को कम करके, आबादी के स्वास्थ्य की रक्षा के लिये नए वायु गुणवत्ता स्तरों की सिफारिश करते हैं, जिनमें से कुछ जलवायु परिवर्तन में भी योगदान करते हैं।
  • WHO के नए दिशा-निर्देश 6 प्रदूषकों के लिये वायु गुणवत्ता के स्तर की सलाह देते हैं, जहाँ साक्ष्य जोखिम से स्वास्थ्य प्रभावों पर सबसे अधिक उन्नत हुए हैं।
    • 6 सामान्य प्रदूषकों में पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5 और 10), ओजोन (O3), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2), सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) और कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) शामिल हैं।

अनुशंसाएँ:

  • विस्तारित वायु गुणवत्ता निगरानी टूलबॉक्स:
    • वायु गुणवत्ता की निगरानी के विस्तार के प्रयासों से प्रदूषक स्तरों के अनुमानों की सटीकता और स्थानीय वायु गुणवत्ता प्रवृत्तियों की समझ में सुधार हो सकता है।
    • हालाँकि प्रदूषकों के मापक उपकरण स्थापित करने के अलावा, इन उपकरणों से डेटा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने हेतु जाँच और रखरखाव के लिये संसाधनों में निवेश करना महत्त्वपूर्ण है।
  • स्वास्थ्य रिकॉर्ड एकत्रण और डिजिटाइज़ करना:
    • स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के बोझ के आँकड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य लाभ और आर्थिक प्रभाव दोनों के संदर्भ में हस्तक्षेपों की प्रभावशीलता का आकलन करने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
    • शहर-स्तरीय स्वास्थ्य डेटा को लगातार और व्यवस्थित रूप से एकत्र करना और उन्हें शोधकर्त्ताओं के लिये सुलभ बनाना महत्त्वपूर्ण है। यह शोधकर्त्ताओं को अधिक सटीक और स्थानीय विश्लेषण करने में मदद कर सकता है जो समुदायों और नीति निर्माताओं को जानकारी उपलब्ध कराते हैं।

वायु  प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिये भारत द्वारा की गई पहल:

UPSC सिविल सेवा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs):

प्रश्न: हमारे देश के शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक के मूल्य की गणना में सामान्यतः निम्नलिखित में से किस वायुमंडलीय गैस को ध्यान में रखा जाता है? (2016)

  1. कार्बन डाइऑक्साइड
  2. कार्बन मोनोऑक्साइड
  3. नाइट्रोजन डाइऑक्साइड
  4. सल्फर डाइऑक्साइड
  5. मीथेन

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर के सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 1, 4 और 5
(d) 1,2,3,4 और 5

उत्तर: (b)

व्याख्या:

  • राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) लोगों को हवा की गुणवत्ता को आसानी से समझाने के लिये एक असरदार उपकरण है। यह विभिन्न प्रदूषकों के जटिल वायु गुणवत्ता डेटा को एकल संख्या (सूचकांक मान), नामकरण और रंग में बदल देता है।
  • छह AQI श्रेणियां हैं, अर्थात् अच्छा, संतोषजनक, मध्यम रूप से प्रदूषित, खराब, बहुत खराब और गंभीर।
  • यह आठ प्रदूषकों को ध्यान में रखकर वायु की गुणवत्ता की जाँच करता है:
    • कार्बन मोनोऑक्साइड (CO); अत: 2 सही है।
    • नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2); अत: 3 सही है।
    • सल्फर डाइऑक्साइड (SO2); अतः 4 सही है।
    • ओज़ोन (O3);
    • PM2.5;
    • पीएम 10;
    • अमोनिया (NH3);
    • सीसा धातु (Pb).
  • अतः विकल्प b सही है।

मेन्स के लिये:

Q.विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा हाल ही में जारी संशोधित वैश्विक वायु गुणवत्ता दिशानिर्देशों (AQGs) के प्रमुख बिंदुओं का वर्णन करें। ये वर्ष 2005 में इसके पिछले अद्यतन से किस प्रकार भिन्न हैं? संशोधित मानकों को प्राप्त करने के लिये भारत के राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम में क्या बदलाव आवश्यक हैं? (2021)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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