साहित्य का नोबेल पुरस्कार 2024
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
ऐतिहासिक आघातों और जीवन की नाज़ुकता का पता लगाने वाले "गहन काव्यात्मक गद्य" के लिये, दक्षिण कोरियाई उपन्यासकार हान कांग को स्वीडिश अकादमी, स्टॉकहोम, स्वीडन द्वारा वर्ष 2024 के साहित्य के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
- हान कांग साहित्य में नोबेल पुरस्कार जीतने वाली पहली दक्षिण कोरियाई लेखक हैं,जो दक्षिण कोरिया के साहित्यिक परिदृश्य के लिये एक ऐतिहासिक क्षण है।
हान कांग कौन है?
- परिचय: वर्ष 1970 में जन्मी हान कांग एक प्रसिद्ध उपन्यासकार और कवि हैं, उन्हें उनके गहन काव्यात्मक गद्य के लिये जाना जाता है, जिसमें गीतात्मकता एवं कथात्मकता का संयोजन है। उनकी शैली ने शारीरिक और भावनात्मक सहानुभूति को विशिष्ट ढंग से सम्मिश्रित करके समकालीन साहित्य को पुनर्परिभाषित किया है।
- प्रमुख साहित्यिक योगदान:
- द वेजिटेरियन (वर्ष 2007): यह उनका सफल उपन्यास था, जिसका अनुवाद वर्ष 2015 में डेबोरा स्मिथ ने किया और इसने वर्ष 2016 का मैन बुकर अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार जीता।
- अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार, जिसे वर्ष 2005 में मैन बुकर अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार के रूप में स्थापित किया गया था, अंग्रेज़ी में अनुवादित और साथ ही यूनाइटेड किंगडम या आयरलैंड में प्रकाशित किसी एकल उपन्यास के लिये दिया जाता है, जिसका उद्देश्य वैश्विक साहित्य को बढ़ावा देना तथा लेखक व अनुवादक दोनों के योगदान को प्रोत्साहित करना शामिल है।
- ह्यूमन एक्ट्स (वर्ष 2016) : वर्ष 1980 के ग्वांगजू नरसंहार पर केंद्रित है, जहाँ दक्षिण कोरियाई सैन्य बलों ने प्रदर्शनकारी छात्रों एवं नागरिकों को मार डाला था।
- यह पुस्तक आघात और सामूहिक स्मृति का दूरदर्शी किंतु संक्षिप्त तरीके से अन्वेषण करती है।
- द वेजिटेरियन (वर्ष 2007): यह उनका सफल उपन्यास था, जिसका अनुवाद वर्ष 2015 में डेबोरा स्मिथ ने किया और इसने वर्ष 2016 का मैन बुकर अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार जीता।
नोट: वर्ष 1913 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार रवीन्द्रनाथ टैगोर को "उनकी अत्यधिक मार्मिक और सुंदर कविता” के लिये प्रदान किया गया था, जिसे उन्होंने अपने अंग्रेज़ी शब्दों में व्यक्त किया तथा पश्चिमी साहित्य का हिस्सा बनाया।
- रवींद्रनाथ टैगोर के उल्लेखनीय साहित्यिक योगदानों में मानसी, गीतांजलि, साधना: जीवन का बोध, तथा चित्रा: एक नाटक शामिल हैं।
- वर्ष 2023 के लिये साहित्य का नोबेल पुरस्कार नॉर्वे के लेखक और नाटककार जॉन फॉसे को उनके अभिनव नाटकों और गद्य के लिये दिया गया, जो अवर्णनीय को आवाज़ देते हैं।"
नोबेल पुरस्कार 2024 की अन्य घोषणाओं का संदर्भ: भौतिकी, फिजियोलॉजी या चिकित्सा, रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार
भारत-ASEAN संबंधों पर 10 सूत्री योजना
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने लाओस के वियनतियाने में 21वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन 2024 में 10 सूत्री योजना की घोषणा की।
- उन्होंने 44वें आसियान शिखर सम्मेलन (जिसका विषय था ASEAN: कनेक्टिविटी और लचीलापन बढ़ाना') तथा 19वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भी भाग लिया।
- वर्ष 2024 में भारत की एक्ट ईस्ट नीति (जिसकी घोषणा वर्ष 2014 में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में व्यापार, सुरक्षा और कनेक्टिविटी के संदर्भ में भारत-आसियान संबंधों को मज़बूत करने के लिये की गई थी) के 10 वर्ष भी पूरे हुए हैं।
21वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन 2024 के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- आसियान और भारत अवलोकन: आसियान और भारत की संयुक्त रूप से विश्व के सकल घरेलू उत्पाद में 7% तथा वैश्विक जनसंख्या में 26% की हिस्सेदारी है।
- उभरती प्रौद्योगिकियाँ: भारत और आसियान ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), ब्लॉकचेन, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), रोबोटिक्स, क्वांटम कंप्यूटिंग और 6-G तकनीक पर सहयोग करने पर सहमति व्यक्त की।
- डिजिटल परिवर्तन: उन्होंने डिजिटल बुनियादी ढाँचे, फिनटेक और साइबर सुरक्षा को कवर करते हुए डिजिटल परिवर्तन को आगे बढ़ाने पर संयुक्त प्रस्ताव रखा।
- भारत, आधार और UPI जैसे डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढाँचे में अपनी विशेषज्ञता आसियान देशों के साथ साझा करेगा।
- आसियान-भारत व्यापार वृद्धि: पिछले दस वर्षों में भारत-आसियान व्यापार दोगुना होकर 130 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गया है।
- हालाँकि, आसियान के साथ भारत का व्यापार घाटा वित्त वर्ष 2013 के 8 बिलियन अमेरिकी डॉलर की तुलना में वित्त वर्ष 2023 में बढ़कर 44 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है।
- भारत, आसियान का छठा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और आसियान वार्ता साझेदारों में FDI का आठवाँ सबसे बड़ा स्रोत है।
- स्थानीय मुद्रा में व्यापार: कुछ आसियान देशों और भारत ने स्थानीय मुद्राओं में व्यापार करना शुरू कर दिया है, जिसमें मलेशिया अग्रणी है तथा अन्य आसियान देशों से भी इसका अनुसरण करने की उम्मीद है।
- निवेश प्रवाह: भारत और आसियान की वैश्विक मूल्य शृंखला (GVC) में वृद्धि हुई, जिसमें वर्ष 2000 से 2023 तक कुल निवेश 125 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गया है।
- वित्तीय एकीकरण: जून 2024 में भारतीय रिज़र्व बैंक आधिकारिक तौर पर आसियान के साथ प्रोजेक्ट नेक्सस में शामिल हो गया, जो भारत के यूपीआई और सिंगापुर की पेनाउ प्रणाली के बीच वास्तविक समय में सीमा पार लेनदेन को सक्षम बनाता है।
- क्षेत्रीय सुरक्षा: दोनों पक्षों ने क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिये आसियान-भारत व्यापक रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की, जो भारत-प्रशांत पर आसियान दृष्टिकोण (AOIP) के अनुरूप है और भारत की एक्ट ईस्ट नीति (AEP) द्वारा समर्थित है।
- दक्षिण चीन सागर के लिये आचार संहिता: दोनों ने दक्षिण चीन सागर में पक्षों के आचरण पर घोषणा (DOC) के पूर्ण कार्यान्वयन का समर्थन किया और UNCLOS वर्ष 1982 के अनुरूप एक प्रभावी आचार संहिता (COC) का आह्वान किया।
- रक्षा और सुरक्षा सहयोग: दोनों देश संयुक्त सैन्य अभ्यास और नौसैनिक बंदरगाहों पर कॉल के माध्यम से समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद-रोधी, साइबर सुरक्षा आदि सुनिश्चित करने पर सहमत हुए। उदाहरण के लिये आसियान भारत समुद्री अभ्यास।
नोट: भारत के प्रधानमंत्री ने वर्ष 2023 में भारत-आसियान आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिये ज़कार्ता में 12-सूत्री एजेंडे की घोषणा की, जिसमें इस साझेदारी के लिये भारत की सुदृढ़ प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला गया।
आसियान सहयोग के लिये भारत की 10 सूत्री योजना क्या है?
- आसियान-भारत पर्यटन वर्ष 2025: भारत संयुक्त पर्यटन गतिविधियों के लिये 5 मिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान देगा।
- एक्ट ईस्ट नीति के एक दशक का योगदान: युवा शिखर सम्मेलन, स्टार्ट-अप महोत्सव, हैकाथॉन, संगीत महोत्सव और थिंक टैंक पहल जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाएँगे।
- महिला वैज्ञानिक सम्मेलन: महिला वैज्ञानिकों के लिये एक सम्मेलन के माध्यम से आसियान-भारत विज्ञान सहयोग।
- शैक्षिक छात्रवृत्तियाँ: नालंदा विश्वविद्यालय की छात्रवृत्तियों को दोगुना करना तथा भारतीय कृषि विश्वविद्यालयों में आसियान छात्रों के लिये नई छात्रवृत्तियाँ प्रदान करना।
- व्यापार समझौते की समीक्षा: आसियान-भारत वस्तु व्यापार समझौते की वर्ष 2025 तक समीक्षा की जाएगी।
- आपदा में लचीलापन: भारत आसियान की आपदा में लचीलेपन को मज़बूत करने के लिये 5 मिलियन अमेरिकी डॉलर प्रदान करेगा।
- स्वास्थ्य मंत्रियों का ट्रैक: स्वास्थ्य को लचीलापन बनाने के लिये आसियान और भारतीय स्वास्थ्य मंत्रियों के बीच नियमित संवाद।
- साइबर नीति वार्ता: डिजिटल और साइबर संबंधी लचीलेपन के लिये आसियान-भारत वार्ता की स्थापना।
- हरित हाइड्रोजन कार्यशाला: हरित हाइड्रोजन कार्यशाला के माध्यम से आसियान के ऊर्जा परिवर्तन को समर्थन प्रदान करना।
- जलवायु लचीलापन पहल: आसियान नेताओं को भारत के " माँ के लिये एक पेड़ लगाओ" अभियान में शामिल होने के लिये आमंत्रित किया गया।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रारंभिक परीक्षाप्रश्न: निम्नलिखित देशों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त में से कौन-कौन आसियान (ए. एस.इ.ए. एन.) के 'मुक्त व्यापार भागीदारों' में से हैं? (a) 1, 2, 4 और 5 उत्तर: (c) Q. भारत निम्नलिखित में से किसका सदस्य है? (2015)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करते हुए सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) |
THAAD, UNIFIL और ड्रैगन ड्रोन
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
चर्चा में क्यों?
हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका ने इज़रायल को एक THAAD बैटरी भेजी और इस क्रम में इज़रायली टैंकों ने लेबनान में UNIFIL पर हमला किया।
- एक अन्य घटनाक्रम में रूस-यूक्रेन युद्ध में दोनों पक्षों द्वारा ड्रैगन ड्रोन के उपयोग को देखा गया।
टर्मिनल हाई एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस (THAAD) क्या है?
- THAAD का अवलोकन: THAAD एक उन्नत अमेरिकी एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल प्रणाली है जिसे छोटी, मध्यम और मध्यवर्ती दूरी की मिसाइलों को रोकने एवं नष्ट करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- इसमें "हिट-टू-किल" दृष्टिकोण का उपयोग किया गया है जहाँ एक इंटरसेप्टर मिसाइल, विस्फोटकों के बजाय केवल प्रभाव बल का उपयोग करके अपने लक्ष्य से सीधे टकराकर उसे नष्ट कर देती है।
- हालाँकि, यह प्रणाली ड्रोन जैसी निम्न ऊँचाई पर उड़ान वाली वस्तुओं का पता लगाने में सक्षम नहीं है।
- विकास: अमेरिका ने वर्ष 1991 के खाड़ी युद्ध के दौरान इराक के स्कड मिसाइल हमलों (जिसमें कई अमेरिकी सैनिक मारे गए थे) के बाद THAAD का विकास किया।
- THAAD की तैनाती: वर्ष 2008 में अमेरिका ने THAAD प्रणाली के एक भाग के रूप में प्रारंभिक मिसाइल चेतावनी रडार को इज़राइल में तैनात किया। मिसाइलों को रोकने की इज़राइल की क्षमता को बढ़ाने के लिये वर्ष 2012 और वर्ष 2019 में भी इसी तरह की तैनाती की गई थी।
ड्रैगन ड्रोन क्या हैं?
- परिचय: ड्रैगन ड्रोन घातक UAV हैं जो थर्माइट से लैस होते हैं।
- थर्माइट एल्युमीनियम और आयरन ऑक्साइड का मिश्रण है, जिसे रेल की पटरियों को वेल्ड करने के लिये विकसित किया गया है।
- ड्रैगन ड्रोन की कार्यप्रणाली: विद्युत फ्यूज द्वारा थर्माइट को सक्रिय करने के साथ एक स्व-अभिक्रिया को सक्रिय किया जाता है, जिसे रोकना अत्यंत कठिन होता है।
- इससे सैन्य वाहनों, पेड़ों और यहाँ तक कि जल के नीचे विभिन्न सामग्रियों को जलाया जा सकता है।
- रूस-यूक्रेन युद्ध में तैनाती: यूक्रेनी सेना ने इनका उपयोग उन वनस्पतियों को जलाने के लिये किया था, जिनका उपयोग रूसी सैनिक कवर के रूप में करते थे।
- रूस ने जल्द ही जवाबी कार्रवाई में ड्रैगन ड्रोन का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया।
- युद्ध में थर्माइट का इतिहास: प्रथम विश्व युद्ध के दौरान जर्मन ज़ेपेलिंस द्वारा थर्माइट से भरे बम गिराए गए, जिसे उस समय एक नवाचार माना गया।
- द्वितीय विश्व युद्ध में मित्र राष्ट्रों और धुरी राष्ट्रों ने अपने बमों और हथगोले में थर्माइट को शामिल किया था।
- ऐसे हथियारों को वस्तुओं को जलाने या ज्वाला एवं ऊष्मा के माध्यम से श्वसन संबंधी क्षति पहुँचाने के लिये डिज़ाइन किया जाता है।
- युद्ध में थर्माइट की विधिक स्थिति: युद्ध में थर्माइट का उपयोग अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत प्रतिबंधित नहीं है लेकिन आग लगाने वाले हथियारों को नागरिकों के खिलाफ उपयोग करने से कतिपय पारंपरिक हथियारों पर कन्वेंशन द्वारा निषिद्ध किया गया है।
- कतिपय पारंपरिक हथियारों पर कन्वेंशन के प्रोटोकॉल III के अनुसार इनका उपयोग केवल सैन्य लक्ष्यों तक ही सीमित है।
लेबनान में संयुक्त राष्ट्र अंतरिम बल (UNIFIL) क्या है?
- UNIFIL बेस पर सेंध: दो इज़रायली मर्कवा टैंक दक्षिणी लेबनान में UNIFIL बेस के दरवाज़ों को तोड़कर अंदर घुस गए और विषैला धुआँ छोड़ा, जिसके कारण 15 संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिक बीमार हो गए।
- इज़रायल के प्रधानमंत्री ने लेबनान के युद्ध क्षेत्रों से UNIFIL सैनिकों को वापस बुलाने का आग्रह किया तथा दावा किया कि उनकी उपस्थिति अप्रत्यक्ष रूप से हिज़बुल्लाह को सुरक्षा प्रदान करती है।
- अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन: UNIFIL ने इज़रायल के हमलों को अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून और संकल्प 1701 का उल्लंघन बताया, जो शांति सैनिकों की आवागमन की स्वतंत्रता सुनिश्चित करता है।
- यूनिफिल की भूमिका: वर्ष 1978 में स्थापित, UNIFIL संकल्प 1701 को लागू करने के लिये ज़िम्मेदार है, जो यह अनिवार्य करता है कि ब्लू लाइन और लितानी नदी के बीच केवल लेबनानी राज्य बल और यूनिफिल ही मौज़ूद रहें।
- प्रस्ताव 1701 को वर्ष 2006 में सर्वसम्मति से अपनाया गया था, इसका उद्देश्य हिज़बुल्लाह और इज़रायल के बीच शत्रुता को समाप्त करना है।
- ब्लू लाइन: ब्लू लाइन लेबनान की दक्षिणी सीमा और इज़रायल की उत्तरी सीमा पर 120 किमी तक फैली हुई है।
- यह कोई सीमा नहीं है, बल्कि वापसी की रेखा है। इसे संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2000 में लेबनान के दक्षिण से इज़रायली सेना की वापसी की पुष्टि के लिये निर्धारित किया था।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रारंभिकQ. कभी-कभी समाचारों में उल्लिखित "टर्मिनल हाई एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस (THAAD)" क्या है? (2018) (a) इज़रायल की एक रडार प्रणाली उत्तर: (c) प्रश्न: भूमध्य सागर निम्नलिखित में से किस देश की सीमा है? (2017)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2 और 3 उत्तर: (c) |
भारत में शव दान
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
एक हालिया अध्ययन से पता चलता है कि मेडिकल कॉलेजों की संख्या में वृद्धि के कारण शवों की मांग में वृद्धि हुई है लेकिन भारत में शवों के दान में हुई कमी के कारण इन संस्थानों को चिकित्सा शिक्षा के लिये लावारिस शवों पर निर्भर रहना पड़ रहा है।
- शव दान के विषय में: मृत्यु के बाद अपना संपूर्ण शरीर को वैज्ञानिक उद्देश्य हेतु दान को शव दान कहा जाता है, इसका मुख्य उद्देश्य चिकित्सा पेशेवरों को शल्य चिकित्सक बनने तथा मानव शरीर रचना को समझने के लिये प्रशिक्षण में सहायता प्रदान करना है।
- पात्रता: 18 वर्ष से अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति कानूनी रूप से अपना शरीर दान करने के लिये सहमति दे सकता है। पूर्व सहमति न होने की स्थिति में, निकटतम रिश्तेदार दान कर सकते हैं।
- अपवर्जन: अंग दाताओं या तपेदिक, एचआईवी या सेप्सिस जैसे संक्रामक रोगों से पीड़ित व्यक्तियों तथा चिकित्सीय-कानूनी मामलों में शामिल व्यक्तियों के शवों को अस्वीकार किया जा सकता है।
- लावारिस शव: राज्य के एनाटॉमी अधिनियम के तहत कॉलेज लावारिस शवों का उपयोग करते हैं, जहाँ रिश्तेदारों को 48 घंटों के भीतर शव पर दावा करना होता है।
- लावारिस शव प्रायः हाशिए पर पड़े या गरीब व्यक्तियों के होते हैं, जिससे सहमति के बारे में नैतिक प्रश्न उठते हैं।
- अंग दान के विपरीत,संपूर्ण शरीर के दान की निगरानी के लिये कोई राष्ट्रीय संगठन नहीं है। आमतौर पर, यह उत्तरदायित्त्व सीधे मेडिकल कॉलेजों के एनाटॉमी विभागों पर।
- स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन, मृत दाताओं से अंग प्रत्यारोपण का प्रबंधन करता है ।
और पढ़ें: भारत में चिकित्सा शिक्षा की स्थिति
ब्रिटेन में नगा मानव खोपड़ी की नीलामी संबंधी विवाद
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
हाल ही में नगालैंड एवं भारत के अधिकारियों की कड़ी प्रतिक्रिया के बाद 19वीं शताब्दी की "सींग वाली नगा खोपड़ी" की ब्रिटेन में नीलामी को रद्द किया गया, जिससे मानव अवशेषों के संवेदनशील मुद्दे तथा औपनिवेशिक विरासतों के संदर्भ में विमर्श को बढ़ावा मिला है।
- नीलामी में 19वीं सदी की नगा खोपड़ी की कीमत 3,500-4,500 पाउंड आंकी गई साथ ही पापुआ न्यू गिनी, बोर्नियो, सोलोमन द्वीप एवं बेनिन, कांगो और नाइजीरिया जैसे अफ्रीकी देशों से संबंधित अवशेष भी नीलामी में मौजूद थे।
- नगालैंड के मुख्यमंत्री और नागरिक समाज ने नीलामी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।
- इन्होने इसे औपनिवेशिक हिंसा और नस्लवाद की निरंतरता के रूप में संदर्भित किया तथा नगा लोगों को "असभ्य" एवं "शिकारी " के रूप में संदर्भित करने जैसी हानिकारक रूढ़ियों को नकारा, जो ब्रिटिश उपनिवेशवाद में निहित एक चरित्र-चित्रण है।
- स्थानीय मानव अवशेषों की बिक्री (विशेष रूप से औपनिवेशिक शासन के दौरान चुराए गए अवशेषों की) की नैतिक उल्लंघन के रूप में कड़ी निंदा की गई।
- कहा जाता है कि मानव अवशेषों की नीलामी स्थानीय लोगों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र घोषणा (UNDRIP) के अनुच्छेद 15 का उल्लंघन है जिसमें कहा गया है: " स्थानीय लोगों को अपनी संस्कृतियों, परंपराओं, इतिहास और आकांक्षाओं की गरिमा एवं विविधता का अधिकार है, जो शिक्षा एवं सार्वजनिक सूचना में उचित रूप से परिलक्षित होना चाहिये।"
- नगा समुदाय ऑक्सफोर्ड स्थित पिट रिवर्स म्यूज़ियम से अपने पूर्वजों के अवशेषों को वापस लाने के प्रयासों में शामिल रहा है, जहाँ ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के दौरान एकत्र की गई लगभग 6,500 नगा कलाकृतियाँ रखी हुई हैं।
अधिक पढ़ें: नगा विद्रोह
टेली मानस
स्रोत: द हिंदू
जवाहरलाल नेहरू स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (JIPMER) ने "टेलीमानस" (राज्यों में टेली मानसिक स्वास्थ्य सहायता एवं नेटवर्किंग) टोल-फ्री हेल्पलाइन आरंभ की है, जो मानसिक संकट का सामना कर रहे व्यक्तियों को परामर्श संबंधी सेवाएँ प्रदान करती है।
- वर्ष 2023 में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने मानसिक स्वास्थ्य तक पहुँच में अंतर को पाटने के उद्देश्य से सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को कवर करते हुए टोल-फ्री मानसिक स्वास्थ्य हेल्पलाइन 14416 (टेली-मानस) आरंभ की।
- यह ऐप भारत के राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम का भाग है और मानसिक स्वास्थ्य पर व्यापक जानकारी उपलब्ध कराता है।
- यह अवसाद, चिंता और भावनात्मक चुनौतियों के शुरुआती लक्षणों के प्रबंधन पर भी मार्गदर्शन प्रदान करता है।
- राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (NTMHP):
- देश में गुणवत्तापूर्ण मानसिक स्वास्थ्य परामर्श और देखभाल सेवाओं तक पहुँच में सुधार हेतु NTMHP को अक्तूबर 2022 में लॉन्च किया गया था।
- राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य एवं तंत्रिका विज्ञान संस्थान (NIMHANS), बंगलूरू राष्ट्रीय शीर्ष केंद्र है, जो संपूर्ण भारत में टेली मानस की गतिविधियों का समन्वय करता है।
और पढ़ें: भारत में आत्महत्या के रोकथाम प्रयासों को मज़बूत करना
अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस और बेटी बचाओ - बेटी पढ़ाओ
स्रोत: पी.आई.बी.
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने 2 अक्तूबर से 11 अक्तूबर तक अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस के 10 दिवसीय राष्ट्रव्यापी उत्सव का नेतृत्व किया। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने बचाओ बेटी पढ़ाओ (BBBP) पहल के बैनर तले 10 दिवसीय विशेष कार्यक्रम आयोजित किया।
- इस वर्ष के अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस की थीम "Girls’ Vision for the Future अर्थात भविष्य के लिये बालिकाओं का दृष्टिकोण" है, जो बालिकाओं के लिये लैंगिक समानता, शिक्षा और अवसरों के महत्त्व पर प्रकाश डालता है।
- इतिहास: सर्वप्रथम वर्ष 1995 के बीजिंग घोषणापत्र और कार्यवाही मंच ने लड़कियों के अधिकारों को बढ़ावा देने और आगे बढ़ाने के लिये एक व्यापक योजना की पेशकश की।
- वर्ष 2011 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने संकल्प 66/170 को अपनाकर 11 अक्तूबर को अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस घोषित किया।
- BBBP योजना:
- इसे जनवरी 2015 में प्रारंभ किया गया था, जिसका उद्देश्य लिंग आधारित गर्भपात और घटते बाल लिंगानुपात (0-6 वर्ष) को संबोधित करना था, जो वर्ष 2011 में प्रत्येक 1,000 लड़कों पर 919 लड़कियाँ थी।
- यह महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय की संयुक्त पहल है।
- यह कार्यक्रम देश के 640 ज़िलों में क्रियान्वित किया जा रहा है ।
- लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिये सरकारी पहल:
और पढ़ें: अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस