अंतर्राष्ट्रीय संबंध
रूस-यूक्रेन संघर्ष का एक वर्ष
- 24 Feb 2023
- 12 min read
प्रिलिम्स के लिये:न्यू स्टार्ट संधि, उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (NATO), काला सागर अनाज पहल। मेन्स के लिये:भारत पर रूस-यूक्रेन युद्ध के प्रभाव, वैश्विक प्रभाव। |
चर्चा में क्यों?
रूस-यूक्रेन संघर्ष के एक वर्ष पूरे होने के बाद भी विश्व के कई क्षेत्रों में तनाव बढ़ने के संकेत हैं। दोनों पक्षों का यह मानना था कि यह एक तीव्र और कम समय तक चलने वाला युद्ध होगा, जो कि गलत साबित हुआ है।
- न्यू स्टार्ट संधि से रूस के बाहर निकलने के समय इस युद्ध/संघर्ष को एक वर्ष पूरा हो रहा है।
संघर्ष की वर्तमान स्थिति:
- पश्चिमी देशों ने हाल ही में यूक्रेन को अधिक उन्नत हथियारों की आपूर्ति करने की घोषणा की है, जिससे इस संघर्ष में उनकी भागीदारी गहरी हुई है।
- जवाब में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पहले ही यूक्रेन में 1,000 किलोमीटर लंबी सीमा रेखा निर्माण के साथ रूस की स्थिति को मज़बूत कर दिया है।
- युद्ध के विस्तार से रूस और उत्तर अटलांटिक संधि संगठन, दोनों परमाणु शक्तियों के बीच सीधे टकराव का जोखिम भी बढ़ रहा है।
- रूस, यूक्रेन को पूर्व और दक्षिण, उत्तर-पूर्व में खार्किव से लेकर पूर्व में डोनबास (जिसमें लुहांस्क और दोनेत्स्क शामिल हैं) से दक्षिण-पश्चिम में काला सागर बंदरगाह शहर ओडेसा तक आधिपत्य स्थापित कर इस देश को एक भू-आबद्ध छोटे क्षेत्र (Land-locked Rump) में परिवर्तित करना चाहता था। रूस यहाँ मास्को के अनुकूल शासन भी स्थापित करना चाहता था परंतु रूस इनमें से किसी भी लक्ष्य को पूरा करने में विफल रहा है।
- फिर भी रूस ने मारियुपोल सहित यूक्रेनी क्षेत्रों के पर्याप्त हिस्से पर कब्ज़ा कर लिया है। यूक्रेन में रूस का क्षेत्रीय लाभ मार्च 2022 में चरम पर था, जब उसने वर्ष 2014 से पहले के यूक्रेन के लगभग 22% हिस्से पर नियंत्रण कर लिया था।
- यूक्रेन ने खार्किव और खेरसॉन में कुछ भूमि पर पुनः कब्ज़ा कर लिया फिर भी यूक्रेन के लगभग 17% हिस्से पर रूस का नियंत्रण है।
- बखमुत, दोनेत्स्क और ज़ापोरिज़्ज़िया सहित कुछ सीमावर्ती क्षेत्रों पर लड़ाई जारी है।
पश्चिम की प्रतिक्रिया:
- दृष्टिकोण:
- रूस पर प्रतिबंध लगाकर उसकी अर्थव्यवस्था और युद्ध क्षमता को कमज़ोर करना।
- रूसी आक्रमण का मुकाबला करने के लिये यूक्रेन को हथियार प्रदान करना।
- प्रमुख सहायता प्रदाता:
- संयुक्त राज्य अमेरिका यूक्रेन का सबसे बड़ा सहायता प्रदाता है, इसने 70 बिलियन अमेरिकी डाॅलर से अधिक की सैन्य और वित्तीय सहायता का वादा किया है।
- यूरोपीय संघ ने 37 बिलियन डाॅलर का वादा किया है और यूरोपीय संघ के देशों में ब्रिटेन और जर्मनी सूची में शीर्ष पर हैं।
- पश्चिमी प्रतिक्रिया का मूल्यांकन:
- यूक्रेन को सैन्य-उपकरण प्रदान करने का दृष्टिकोण हालाँकि रूसी प्रगति को रोकने में प्रभावी रहा है, जबकि रूस को आर्थिक रूप से क्षति पहुँचाना एक दोधारी तलवार के समान रहा है।
- तेल एवं गैस के शीर्ष वैश्विक उत्पादकों में से एक रूस पर प्रतिबंधों ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया, जिससे पश्चिम में, विशेष रूप से यूरोप में मुद्रास्फीति का संकट गहरा गया।
- इससे रूस को भी आघात लगा लेकिन उसने एशिया में ऊर्जा निर्यात के लिये अपने वैकल्पिक बाज़ार खोज लिये, जिससे वैश्विक ऊर्जा निर्यात परिदृश्य का पुनर्निर्धारण हुआ। वर्ष 2022 में प्रतिबंधों के बावजूद रूस ने अपने तेल उत्पादन में 2% की वृद्धि की और तेल निर्यात आय में 20% की वृद्धि हुई।
- रूसी अर्थव्यवस्था में वर्ष 2023 में 2% की गिरावट का अनुमान लगाया गया था, लेकिन IMF के अनुसार, इसके वर्ष 2023 में 0.3% और वर्ष 2024 में 2.1% वृद्धि की उम्मीद है।
- इसकी तुलना में यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी में वर्ष 2023 में 0.1% की वृद्धि होने की उम्मीद है, जबकि यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े समर्थक ब्रिटेन में 0.6% की गिरावट का अनुमान है।
- यूक्रेन को सैन्य-उपकरण प्रदान करने का दृष्टिकोण हालाँकि रूसी प्रगति को रोकने में प्रभावी रहा है, जबकि रूस को आर्थिक रूप से क्षति पहुँचाना एक दोधारी तलवार के समान रहा है।
क्या बातचीत के ज़रिये समाधान की संभावना है?
- दोनों पक्षों ने मार्च 2022 में संभावित शांति योजना के बारे में कई मसौदों का आदान-प्रदान किया था, लेकिन अमेरिका और ब्रिटेन ने यूक्रेन के रूस के साथ किसी भी समझौते पर पहुँचने का कड़ा विरोध किया था इसलिये वार्ता विफल हो गई।
- जुलाई 2022 में तुर्की ने काला सागर के माध्यम से रूसी और यूक्रेनी खाद्यान्न की निकासी पर एक सौदा किया, जिसे ब्लैक सी ग्रेन पहल के रूप में जाना जाता है। इसके अलावा युद्धरत पक्ष कुछ कैदी विनिमय समझौतों पर पहुँचे थे।
- इन्हें छोड़कर दोनों पक्षों के मध्य वार्तालाप न के बराबर है।
- रूस अपने "विशेष सैन्य अभियान" की धीमी प्रगति के बावजूद अडिग है।
- ज़ेलेंस्की ने हाल ही में कहा था कि वह रूस के साथ क्षेत्रीय समझौता करने वाले किसी भी समझौते पर मध्यस्ता नहीं करेंगे।
- वार्तालाप हेतु पश्चिमी देशों द्वारा किसी भी प्रकार का प्रयास नहीं किया गया है।
- चीन ने अपनी शांति पहल के साथ कदम रखा है, जो अभी तक अधिकार क्षेत्र (domain) में नहीं है।
- किसी भी शांति योजना को सफल होने के लिये कुछ प्रमुख मुद्दों पर ध्यान देना होगा।
- यूक्रेन की क्षेत्रीय चिंताएँ।
- रूस की सुरक्षा चिंताएँ।
- वाशिंगटन और मास्को को किसी निष्कर्ष तक पहुँचना चाहिये क्योंकि यूक्रेन की पश्चिम के देशों पर निर्भरता को देखते हुए उसे किसी भी अंतिम समझौते पर सहमति के लिये पश्चिम के देशों से मंज़ूरी लेने की आवश्यकता होगी।
- हालाँकि नई स्टार्ट(START) संधि से रूसी वापसी के संदर्भ में निकट भविष्य में किसी तरह के समझौतें की संभावना धूमिल दिखती है।
युद्ध ने भू-राजनीति को किस प्रकार नया रूप दिया है?
- सुरक्षा और रक्षा पर अधिक ध्यान:
- युद्ध ने यूरोप-अमेरिका सुरक्षा गठबंधन को फिर से सक्रिय कर दिया है। नाटो ने स्वीडन और फिनलैंड के प्रस्तावित अंतर्वेशन (Inclusion) के लिये अपने द्वार खोल दिये है, जो एक बार (तुर्की की मंज़ूरी की प्रतीक्षा है) रूस के खिलाफ गठबंधन की नई सैन्य सीमाओं का निर्माण करेगा।
- विश्वास की कमी:
- रूस और पश्चिम के मध्य विश्वास की कमी अब तक के उच्चतम स्तर पर है। अमेरिका के नेतृत्त्व वाला गठबंधन यूक्रेन में हथियारों की आपूर्ति कर रहा है।
- हालाँकि अमेरिकी राष्ट्रपति यूक्रेन की सभी मांगों को स्वीकार करने के लिये अनिच्छुक प्रतीत होते हैं, जिसमें F16s सहित लड़ाकू विमान की मांग शामिल है; शायद अमेरिकी राष्ट्रपति युद्ध के व्यापक होने के जोखिम के प्रति सचेत हैं।
- रूस और पश्चिम के मध्य विश्वास की कमी अब तक के उच्चतम स्तर पर है। अमेरिका के नेतृत्त्व वाला गठबंधन यूक्रेन में हथियारों की आपूर्ति कर रहा है।
- चीन की भूमिका:
- मास्को ने वर्ष 2022 में चीन के साथ अपनी दोस्ती को "असीमित" घोषित किया लेकिन चीन भी अपने यूरोप के साथ संबंधों को खतरे में नहीं डालना चाहता है।
- चीन ने रूस को हथियारों में योगदान नहीं दिया है और परमाणु युद्ध के खिलाफ अपनी आपत्ति भी व्यक्त की है।
- हालाँकि अमेरिका और यूरोप रूस को चीनी हथियारों की आपूर्ति के बारे में अभी भी चिंतित हैं।
भारत की स्थिति:
- यूक्रेन युद्ध सामरिक स्वायत्तता का अभ्यास करने का एक अवसर रहा है। भारत ने तटस्थता अपनाते हुए वैश्विक शांति का समर्थन करते हुए मास्को, रूस के साथ अपने संबंध बनाए रखा है।
- भारत ने रूस से तेल खरीदने हेतु पश्चिमी प्रतिबंधों के वातावरण में काम किया। भारत, रूस से 25% तेल खरीद कर रहा है, जो पहले 2% से भी कम थी।
- भारत हाल ही में युद्ध की पहली वर्षगाँठ पर UNGA के एक प्रस्ताव से अनुपस्थित रहा, जिसमें रूस को अपने क्षेत्र से हटने के लिये कहा गया, क्योंकि प्रस्ताव में स्थायी शांति स्थापित करने के स्थायी लक्ष्य की कमी थी।
- रूसी आक्रमण के बाद से संयुक्त राष्ट्र महासभा में यूक्रेन संकट पर अब तक हुए तीन बार के मतदान में भारत सभी में अनुपस्थित रहा है।
- लेकिन अगर युद्ध जारी रहता है तो पश्चिमी गठबंधन भारत पर "सही पक्ष" का समर्थन करने हेतु दबाव बढ़ाएगा।
- भारत ने उम्मीद जताई है कि वह शांति हेतु अपनी G-20 अध्यक्षता का उपयोग कर सकता है।
आगे की राह
- संघर्षशील पक्षों फिर से बात करने की तत्काल आवश्यकता है क्योंकि शत्रुता और हिंसा का बढ़ना किसी के हित में नहीं है।
- अंतर्राष्ट्रीय सिद्धांत और न्यायशास्त्र स्पष्ट रूप से कहते हैं कि संघर्ष के पक्षकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि नागरिकों एवं नागरिक बुनियादी ढाँचे को लक्षित नहीं किया जाना चाहिये तथा वैश्विक व्यवस्था अंतर्राष्ट्रीय कानून, संयुक्त राष्ट्र चार्टर और सभी राज्यों की क्षेत्रीय अखंडता एवं संप्रभुता के सम्मान पर स्थापित होती है। इन सिद्धांतों का बिना किसी अपवाद के पालन किया जाना चाहिये।