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ब्लैक सी ग्रेन पहल

  • 08 Nov 2022
  • 4 min read

हाल ही में रूस ब्लैक सी ग्रेन पहल में फिर से शामिल हुआ।

ब्लैक सी ग्रेन पहल:

  • परिचय:
    • ब्लैक सी ग्रेन पहल का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर 'ब्रेडबास्केट' में रूसी कार्रवाइयों के कारण आपूर्ति शृंखला में होने वाले व्यवधानों से उत्पन्न खाद्य कीमतों में वृद्धि से निपटने का प्रयास करना है।
    • जुलाई 2022 में इस्तांबुल में संयुक्त राष्ट्र (UN) और तुर्की द्वारा इस समझौते पर हस्ताक्षर किये गए थे।
  • उद्देश्य:
    • प्रारंभ में इसे 120 दिनों की अवधि के लिये शुरू किया गया था, इसके तहत यूक्रेन के निर्यात (विशेष रूप से खाद्यान्न) के लिये सुरक्षित समुद्री मानवीय गलियारा प्रदान किया गया था।
    • इस पहल का प्रमुख विचार अनाज की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करके खाद्य मूल्य में मुद्रास्फीति को सीमित करना था।
  • संयुक्त समन्वय केंद्र (JCC) की भूमिका:
    • इस समझौते ने संयुक्त समन्वय केंद्र (JCC) की स्थापना की, जिसमें निरीक्षण और समन्वय के लिये रूस, तुर्किये, यूक्रेन तथा संयुक्त राष्ट्र के वरिष्ठ प्रतिनिधि शामिल थे।
    • उचित निगरानी, निरीक्षण और सुरक्षित मार्ग सुनिश्चित करने के लिये सभी वाणिज्यिक जहाज़ों को सीधे JCC के साथ पंजीकरण करना आवश्यक है। इनबाउंड और आउटबाउंड जहाज़ (निर्दिष्ट कॉरिडोर के लिये) JCC पोस्ट निरीक्षण द्वारा सहमत अनुसूची के अनुसार पारगमन करते हैं।
      • ऐसा इसलिये किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जहाज़ पर कोई अनधिकृत कार्गो या कर्मी नहीं है।
      • इसके बाद उन्हें निर्दिष्ट कॉरिडोर के माध्यम से लोड करने के लिये यूक्रेनी बंदरगाहों के लिये आगे बढ़ने की अनुमति होती है।

ब्लैक सी ग्रेन पहल का महत्त्व:

  • यूक्रेन विश्व स्तर पर गेहूँ, मक्का, रेपसीड, सूरजमुखी के बीज़ और सूरजमुखी के तेल के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक है।
    • काला सागर में गहरे समुद्र तक पहुँच इसे मध्य-पूर्व और उत्तरी अफ्रीका के बंदरगाह के साथ रूस एवं यूरोप से सीधे संपर्क रखने में सक्षम बनाती है।
  • इस पहल को वैश्विक स्तर पर संकट के आलोक में जीवन निर्वाह में सहायता करने का श्रेय भी दिया गया है।
    • इस पहल के शुरू होने के बाद से लगभग 9.8 मिलियन टन अनाज का निर्यात किया गया है।
    • आपूर्ति की कमी के समय अधिक मुनाफे के लिये अनाज को न बेचने वाले और अनाज की जमाखोरी करने वालों को अब उसी अनाज को बेचने के लिये बाध्य हैं।  
  • हालाँकि यह पहल अकेले वैश्विक भुखमरी का निदान नहीं कर सकती है, लेकिन यह वैश्विक खाद्य संकट को बढ़ने से रोक सकती है।

स्रोत: द हिंदू

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