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शासन व्यवस्था

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग

  • 26 Sep 2020
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग, भारतीय चिकित्सा परिषद

मेन्स के लिये

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग और इसकी आवश्यकता, आयोग से संबंधित अन्य मुद्दे

चर्चा में क्यों?

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, देश में चिकित्सा शिक्षा और व्यवसाय के शीर्ष नियामक के तौर पर राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (National Medical Commission- NMC) अस्तित्त्व में आ गया है। 

प्रमुख बिंदु

  • इस प्रकार देश में चिकित्सा शिक्षा का विनियमन अब राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) द्वारा किया जाएगा, जिसने दशकों पुरानी संस्था भारतीय चिकित्सा परिषद (MCI) का स्थान लिया है। 
  • इसके साथ ही भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम, 1956 को निरस्त कर दिया गया है और अब राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम, 2019 लागू हो गया है।
  • राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) के तहत चार बोर्ड्स का भी गठन किया गया है, जो राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग को उसके दिन प्रतिदिन के काम काज में मदद करेंगे।
  • दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के ENT (Ear Nose Throat) विभाग के पूर्व प्रमुख डॉ. सुरेश चंद्र शर्मा को तीन वर्ष के लिये आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।

महत्त्व

  • विशेषज्ञों के अनुसार, इस ऐतिहासिक सुधार के चलते भारतीय चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता आएगी और गुणवत्तापूर्ण तथा उत्तरदायी व्यवस्था बनाने में मदद मिलेगी।
  • सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि अब से नियामक नियंत्रक का चयन योग्यता के आधार पर किया जाएगा ना कि चुने गए नियामक नियंत्रक द्वारा। 

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC)

  • उद्देश्य: राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) की स्थापना मुख्यतः चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में सुधार लाने के लिये एक सरकारी कदम के रूप में की गई है। ध्यातव्य है कि इससे पूर्व सरकार ने भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण भारतीय चिकित्सा परिषद (MCI) को समाप्त करने का निर्णय लिया था।
  • संरचना: राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग में कुल 33 सदस्य होंगे, जिनकी नियुक्ति एक विशेष समिति की सिफारिशों पर केंद्र सरकार द्वारा की  जाएगी।
    • इन सदस्यों में एक अध्यक्ष और अलावा 10 पदेन सदस्य और 22 अंशकालिक शामिल होंगे।
    • आयोग में अंशकालिक सदस्य के तौर पर प्रबंधन, कानून, चिकित्सा नैतिकता आदि क्षेत्रों और राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा नामांकित विशेषज्ञों को शामिल किया जाएगा।
  • कार्य: राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) का मुख्य कार्य चिकित्सा क्षेत्र की नियामक व्यवस्था को सुव्यवस्थित करना, संस्थाओं का मूल्यांकन और शोध पर अधिक ध्यान देना है।
    • इसके अलावा राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग MBBS के उपरांत होने वाली फाइनल ईयर परीक्षा (राष्ट्रीय एग्जिट टेस्ट-NEXT) के तौर-तरीकों पर, निजी चिकित्सा विद्यालयों के शुल्क ढाँचे का नियमन करने और सामुदायिक स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल उपलब्ध कराने के बारे में मानक तय करने से संबंधित कार्य भी करेगा। 
  • राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) में चार अलग स्वायत्त बोर्ड शामिल होंगे-
    • स्नातक चिकित्सा शिक्षा बोर्ड (UGMEB): यह निकाय स्नातक स्तर पर चिकित्सा योग्यता, पाठ्यक्रम, चिकित्सा शिक्षा के लिये दिशा-निर्देश तैयार करने और चिकित्सा योग्यता को मान्यता देने का कार्य करेगा।
    • स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा बोर्ड (PGMEB): यह निकाय स्नातकोत्तर स्तर पर चिकित्सा योग्यता, पाठ्यक्रम, चिकित्सा शिक्षा के लिये दिशा-निर्देश तैयार करने और चिकित्सा योग्यता को मान्यता देने का कार्य करेगा।
    • चिकित्सा मूल्यांकन एवं रेटिंग बोर्ड: इस बोर्ड को उन संस्थानों पर मौद्रिक दंड लगाने की शक्ति होगी जो UGMEB और PGMEB द्वारा निर्धारित न्यूनतम मानकों को बनाए रखने में विफल रहेंगे। यह बोर्ड नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना, स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम शुरू करने और मेडिकल कॉलेज में सीटों की संख्या बढ़ाने की भी अनुमति देगा।
    • एथिक्स और मेडिकल रजिस्ट्रेशन बोर्ड: यह बोर्ड देश में सभी लाइसेंस प्राप्त चिकित्सकों का एक राष्ट्रीय रजिस्टर बनाएगा और चिकित्सकों के पेशेवर आचरण को भी विनियमित करेगा। यह बोर्ड देश में सभी लाइसेंस प्राप्त सामुदायिक स्वास्थ्य प्रदाताओं के एक रजिस्टर का भी निर्माण करेगा।

पृष्ठभूमि

  • राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) की स्थापना से पूर्व देश में मेडिकल शिक्षा और व्यवसाय का विनियमन भारतीय चिकित्सा परिषद (MCI) द्वारा किया जा रहा था। 
    • हालाँकि इसके गठन से अब तक भारतीय चिकित्सा परिषद (MCI) पर उत्तरदायित्त्व, भ्रष्टाचार और इसके संगठन तथा विनियमन में इसकी भूमिका को लेकर कई मुद्दे सामने आते रहे हैं।
  • वर्ष 2018 में सरकार ने भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद भारतीय चिकित्सा परिषद (MCI) को भंग कर दिया और इसे बोर्ड ऑफ गवर्नर्स (BoG) के साथ बदल दिया गया, जिसकी अध्यक्षता नीति आयोग (NITI Aayog) के एक सदस्य द्वारा की गई।
  • इसके पश्चात् वर्ष 2019 में लोकसभा द्वारा राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक, 2019 पारित किया गया और इस प्रकार राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) अस्तित्त्व में आया।

आगे की राह

  • भारत लंबे समय से कुशल चिकित्सकों की कमी की समस्या से जूझ रहा है। भारत में ऐसे कुछ ही चिकित्सा संस्थान है जो उच्च कोटि के चिकित्सकों का निर्माण करते हैं।
  • ऐसे में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) की स्थापना देश में चिकित्सा शिक्षा और व्यवसाय क्षेत्र के बुनियादी ढाँचे के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती है, साथ ही यह देश में उच्च कोटि के चिकित्सा संस्थानों के निर्माण में भी सहायक होगा।

स्रोत: द हिंदू

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