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गैर-संक्रामक रोग

  • 23 Sep 2022
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), गैर-संक्रामक रोग (NCD), सतत् विकास लक्ष्य, हृदय रोग (CVD), राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM), प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (PMSSY)।

मेन्स के लिये:

गैर-संक्रामक रोगों के प्रभाव

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अपनी रिपोर्ट "अदृश्य संख्याएँ-गैर-संक्रामक रोगों की वास्तविक स्थिति और उनके लिये आवश्यक कदम” जारी की, जिसमें कहा गया है कि हर दो सेकंड में 70 वर्ष से कम आयु के एक व्यक्ति की मृत्यु गैर-संक्रामक रोग (NCD) के कारण होती है जिनमें 86% मौतें निम्न और मध्यम आय वाले देशों  में होती हैं।

रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु:

  • विश्व स्तर पर तीन मौतों में से एक यानी प्रतिवर्ष 17.9 मिलियन मौतें हृदय रोगों (CVD) के कारण होती हैं।
  • उच्च रक्तचाप वाले दो-तिहाई लोग निम्न और मध्यम आय वाले देशों में रहते हैं, लेकिन उच्च रक्तचाप वाले लगभग आधे लोगों को पता भी नहीं है कि उन्हें यह रोग हैवर्तमान में यह 30-79 वर्ष की आयु वाले लगभग 1.3 बिलियन वयस्कों को प्रभावित करता है।
  • प्रमुख रोग:
    • मधुमेह: प्रत्येक वर्ष 2 मिलियन के आँकड़े के साथ 28 में से एक मौत मधुमेह के कारण होती है।
      • विश्व स्तर पर मधुमेह के 95% से अधिक मामलों का कारण टाइप 2 मधुमेह है।
    • कैंसर: यह प्रति छह मौतों में से एक यानी प्रतिवर्ष 9.3 मिलियन मौतों का कारण बनता है, स्वास्थ्य संबंधी जोखिमों को कम करके कैंसर से होने वाली 44% मौतों को रोका जा सकता था।
    • श्वसन रोग: रिपोर्ट के अनुसार, स्वास्थ्य संबंधी जोखिमों को कम करके साँस संबंधी  पुरानी बीमारियों के कारण होने वाली 70% मौतों को रोका जा सकता था।
  • इसके अलावा कोविड-19 ने NCD देखभाल पर गंभीर प्रभावों के साथ गैर-संक्रामक और संक्रामक रोग के बीच संबंधों को स्पष्ट किया। महामारी के शुरुआती महीनों में 75% देशों ने आवश्यक NCD की सेवाओं में विघटन की सूचना दी।
  • WHO पोर्टल के अनुसार, वर्ष 2030 तक गैर-संक्रामक रोगों के कारण असमय होने वाली मौतों को एक- तिहाई तक कम करने के सतत् विकास लक्ष्य की पूर्ति की दिशा में गिने-चुने देश ही अग्रसर थे।

गैर- संक्रामक रोग:

  • विषय:
    • गैर-संक्रामक रोगों को दीर्घकालिक बीमारियों के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि ये लंबे समय तक बने रहते हैं तथा आमतौर पर ये रोग आनुवंशिक, शारीरिक, पर्यावरण और जीवन-शैली जैसे कारकों के संयोजन का परिणाम होते हैं।
    • मुख्य गैर-संक्रामक रोग हैं- हृदय रोग (जैसे दिल का दौरा और स्ट्रोक), कैंसर, साँस की पुरानी बीमारियाँ (जैसे क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिज़ीज एवं अस्थमा) और मधुमेह
  • कारण:
    • तंबाकू का सेवन, अस्वास्थ्यकर आहार, शराब का अत्यधिक सेवन, शारीरिक निष्क्रियता और वायु प्रदूषण इस प्रकार की स्थितियों में योगदान देने वाले मुख्य कारक हैं।
  • भारत में गैर-संक्रामक रोगों की स्थिति:
    • WHO के अनुसार, वर्ष 2019 में इस प्रकार की बीमारियों से मरने वाले लोगों की संख्या 60.46 लाख थी
    • साल 2019 में हृदय रोग से मरने वालो की संख्या 25.66 लाख से अधिक और लंबे समय से साँस की बीमारी की समस्या से मरने वालो की संख्या46 लाख थी।
    • देश में कैंसर के कारण 9.20 लाख मौतें हुईं, जबकि 3.49 लाख मौतें मधुमेह के कारण हुईं।
  • भारत द्वारा की गई पहल:
    • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग और स्ट्रोक (NPCDCS) की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिये राष्ट्रीय कार्यक्रम लागू किया जा रहा है।
    • केंद्र सरकार देश के विभिन्न हिस्सों में राज्य कैंसर संस्थानों (SCI) और तृतीयक देखभाल केंद्रों (TCC) की स्थापना का समर्थन करने के लिये तृतीयक देखभाल कैंसर सुविधाओं के सुदृढ़ीकरण योजना को लागू कर रही है।
    • ऑन्कोलॉजी अपने विभिन्न पहलुओं में नए एम्स और प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (PMSSY) के तहत कई उन्नत संस्थानों पर ध्यान केंद्रित करती है।
    • रोगियों को रियायती कीमतों पर कैंसर और हृदय रोग की दवाएँ तथा प्रत्यारोपण सुविधाउपलब्ध कराने के उद्देश्य से 159 संस्थानों/अस्पतालों में सस्ती दवाएँ एवं उपचार के लिये विश्वसनीय प्रत्यारोपण (अमृत) दीनदयाल आउटलेट खोले गए हैं।
    • जन औषधि स्टोर की स्थापना फार्मास्युटिकल विभाग द्वारा सस्ती कीमतों पर जेनेरिक दवाएँ उपलब्ध कराने के लिये की जाती है।
  • वैश्विक पहल:
    • सतत् विकास हेतु एजेंडा: सतत् विकास एजेंडा 2030 के हिस्से के रूप में राज्य सरकारों ने रोकथाम एवं उपचार (SDG लक्ष्य 3.4) के माध्यम से NCD से समयपूर्व होने वाली एक-तिहाई मृत्यु दर को कम करने के लिये वर्ष 2030 तक महत्त्वाकांक्षी राष्ट्रीय प्रतिक्रियाएँ विकसित करने के लिये प्रतिबद्धता व्यक्त की  है।
      • WHO, NCD के खिलाफ वैश्विक लड़ाई के समन्वय और प्रचार में महत्त्वपूर्ण नेतृत्वकर्त्ता की भूमिका निभाता है।
    • वैश्विक कार्ययोजना: वर्ष 2019 में विश्व स्वास्थ्य सभा ने NCD की रोकथाम और नियंत्रण के लिये WHO की वैश्विक कार्ययोजना को वर्ष 2013-2020 की अवधि से बढ़ाकर वर्ष 2030 तक कर दिया है और NCD की रोकथाम एवं नियंत्रित करने की प्रगति में तेज़ी लाने के लिये कार्यान्वयन रोडमैप वर्ष 2023 से 2030 के विकास का आह्वान किया।
    • यह NCD की रोकथाम और प्रबंधन की दिशा में सबसे अधिक प्रभाव वाले नौ वैश्विक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये कार्यों का समर्थन करता है।

आगे की राह

  • मज़बूत स्वास्थ्य प्रणाली के लिय ऐसे कार्यक्रमों की आवश्यकता है जिससे स्वास्थ्य को बढ़ावा देकर जोखिम कारकों का जल्दी और प्रभावी ढंग से पता लगाकर उन्हें नियंत्रित किया जा सके तथा साथ ही बीमारी का लागत प्रभावी ढंग से इलाज कर मौतों को रोका जाना चाहिये।
  • इसके अलावा प्राथमिक देखभाल पर ज़ोर देने के साथ वित्तीय आवंटन और स्वास्थ्य प्रणाली को मज़बूत करने की पहल में NCD को उच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. कई घरेलू उत्पादों जैसे गद्दे और असबाब में ब्रोमिनेटेड फ्लेम रिटार्डेंट्स का उपयोग किया जाता है। उनके उपयोग के बारे में चिंताएँ क्यों हैं? (2014)

  1. वे पर्यावरण में गिरावट के लिये अत्यधिक प्रतिरोधी हैं।
  2. वे मनुष्यों और जानवरों शरीर में संचित होने में सक्षम हैं।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: c

व्याख्या:

  • ब्रोमिनेटेड फ्लेम रिटार्डेंट्स (BFR) मानव निर्मित रसायनों के मिश्रण हैं जिन्हें कम ज्वलनशील बनाने के लिये विभिन्न प्रकार के उत्पादों में मिलाया जाता है। वे आमतौर पर प्लास्टिक, कपड़ा और इलेक्ट्रिकल / इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में उपयोग किये जाते हैं।
  • BFR प्राकृतिक पर्यावरण में गिरावट के लिये अत्यधिक प्रतिरोधी हैं। अत: कथन 1 सही है।
  • BFR मनुष्यों और जानवरों शरीर में संचित होने में सक्षम हैं। और मधुमेह, न्यूरोबिहेवियरल एवं विकास संबंधी विकार, कैंसर, प्रजनन स्वास्थ्य प्रभाव तथा थायराइड में परिवर्तन का कारण बन सकते हैं। अत: कथन 2 सही है।
  • अतः विकल्प (c) सही है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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