डेली न्यूज़ (06 Feb, 2024)



पहला मानव न्यूरालिंक प्रत्यारोपण

प्रिलिम्स के लिये:

ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस, न्यूरालिंक, एपिलेप्सी (मिर्गी), पार्किंसंस रोग, आभासी और संवर्द्धित वास्तविकता, लॉक-इन सिंड्रोम, ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस के संभावित अनुप्रयोग।

मेन्स के लिये:

ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस से संबंधित नैतिक विचार

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में एलन मस्क ने एक मानव में न्यूरालिंक उपकरण के सफल प्रत्यारोपण की घोषणा की।

  • यह उपकरण मुख्य रूप से एक बड़े सिक्के के आकार का है, जिसे विशेष रूप से ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस के लिये खोपड़ी (skull) में प्रत्यारोपित करने के लिये निर्मित किया गया है।
  • न्यूरालिंक ने "अन्वेषणात्मक उपकरण से छूट" के तहत अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (US Food and Drug Administration - FDA) से मंज़ूरी प्राप्त कर ली है।

ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस क्या है? 

  • यह एक ऐसी तकनीक है जो नसों और माँसपेशियों जैसे पारंपरिक न्यूरोमस्कुलर मार्गों का उपयोग किये बिना, ब्रेन तथा कंप्यूटर या प्रोस्थेटिक्स जैसे बाहरी उपकरणों के बीच सीधे संचार को सक्षम बनाती है।
  • इसमें आम तौर पर ब्रेन की गतिविधियों का पता लगाने के लिये सेंसर का उपयोग किया जाता है, जिसे बाद में आदेशों या कार्यों में परिवर्तित किया जाता है जिससे व्यक्तियों को उपकरणों को नियंत्रित करने या अपने विचारों का उपयोग करके बाहरी दुनिया के साथ संपर्क होता है।

ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस के संभावित अनुप्रयोग क्या हैं?

  • चिकित्सकीय उपचार:
    • तंत्रिका संबंधी विकार: यह प्रत्यक्ष रूप से ब्रेन से संपर्क कर मिर्गी, पार्किंसंस रोग तथा न्यूरोडीजेनेरेटिव विकारों जैसी स्थितियों की निगरानी तथा उपचार करने में सहायता प्रदान करेगा।
    • स्ट्रोक संबंधी सहायता: स्ट्रोक के बाद पेशीय प्रकार्य की रिकवरी तथा सुधार में सहायता करता है।
  • सहायक प्रौद्योगिकी: यह पक्षाघात अथवा पेशीय विकारों से पीड़ित व्यक्तियों को अपने ब्रेन का उपयोग करके प्रोस्थेटिक्स, व्हीलचेयर अथवा रोबोटिक अंगों जैसे उपकरणों को नियंत्रित करने में सक्षम बनाता है।
    • लॉक-इन सिंड्रोम (नेत्रों की गति को नियंत्रित करने वाली मांसपेशियों के अतिरिक्त लकवाग्रस्त) से पीड़ित व्यक्तियों के लिये संचार में सुविधा प्रदान करता है।
  • मानसिक स्वास्थ्य निगरानी: इसके उपयोग से अवसाद अथवा चिंता जैसी मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों की निगरानी एवं प्रबंधन के लिये वास्तविक समय डेटा प्राप्त किया जा सकता है।
  • आभासी तथा संवर्द्धित वास्तविकता इंटरेक्शन: उपयोगकर्त्ताओं को अपने ब्रेन का उपयोग करके डिजिटल वातावरण से जुड़ने में सहायता प्रदान कर आभासी तथा संवर्द्धित वास्तविकता अनुभवों को बढ़ाने में सहायता प्रदान करेगा।

ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (BCI) से संबंधित नैतिक विचार क्या हैं?

  • गोपनीयता संबंधी चिंताएँ: BCI संभावित रूप से ब्रेन के विचारों तथा भावनाओं को डिकोड कर सकते हैं। इस जानकारी तक अनधिकृत पहुँच संज्ञानात्मक गोपनीयता से संबंधित चिंता उत्पन्न करती है।
    • किसी भी अन्य तकनीक के समान जिसमें संवेदनशील डेटा का संग्रह एवं भंडारण शामिल होता है, BCI के उपयोग में हैकिंग तथा ब्रेन के डेटा तक अनधिकृत पहुँच संबंधी जोखिम होते हैं जिससे उपयोगकर्त्ता के पहचान की चोरी अथवा अन्य दुर्भावनापूर्ण उपयोग की संभावना होती है।
  • न्यूरोसिक्योरिटी: किसी व्यक्ति के विचारों अथवा कार्यों पर अनधिकृत नियंत्रण अथवा हेरफेर करने के लिये BCI के उपयोग करने का जोखिम है।
  • समानता और पहुँच: आलोचकों का तर्क है कि यदि केवल विशिष्ट सामाजिक-आर्थिक समूह ही इसकी उच्च लागत के कारण प्रौद्योगिकी का खर्च उठा सकते हैं तो BCI मौजूदा सामाजिक असमानताओं को बढ़ा सकता है और इससे "संज्ञानात्मक विभाजन" की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
  • चिकित्सा और चिकित्सीय अनुप्रयोग: BCI के चिकित्सीय उपयोग और सामान्य संज्ञानात्मक कार्य के लिये खतरों के बीच अंतर करना व्यक्तिपरक है।

आगे की राह

  • न्यूरोएथिक्स और न्यूरोप्राइवेसी: BCI के चिकित्सीय और सहायक अनुप्रयोगों को परिभाषित करने वाले नैतिक ढाँचे की स्थापना करना और इससे जुड़ी गोपनीयता, सुरक्षा तथा सहमति के मुद्दों में सुधार करना।
  • पारदर्शिता और सूचित सहमति: उपयोगकर्त्ताओं के बीच जागरूकता सुनिश्चित करनेके लिये BCI की क्षमताओं, सीमाओं और संभावित जोखिमों के बारे में पारदर्शिता को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।
  • न्यायसंगत पहुँच: डिजिटल और संज्ञानात्मक विभाजन को समाप्त करने की पहल को लागू करना ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि BCI विविध पृष्ठभूमि के व्यक्तियों, विशेष रूप से शारीरिक और मानसिक विकलांगताओं का सामना करने वाले लोगों के लिये पहुँच सुलभ हो।
  • शिक्षा और जागरूकता: नैतिक प्रथाओं को सुनिश्चित करने के लिये शोधकर्त्ताओं, स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों और आम जनता हेतु शिक्षा तथा प्रशिक्षण प्रदान करना।

विदेश मंत्रालय की विकास सहायता

प्रिलिम्स के लिये:

अंतरिम बजट 2024-25, भारत की 'नेबरहुड फर्स्ट' नीति, मंगदेछू जलविद्युत परियोजना, खोलोंगछू HEP, बौद्ध धर्म

मेन्स के लिये:

भारत-भूटान संबंध, भारत और पड़ोसी देश- संबंध, द्विपक्षीय, क्षेत्रीय तथा वैश्विक समूह एवं भारत से जुड़े और/या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिये अंतरिम बजट प्रस्तुत किया गया जिसमें विदेश मंत्रालय (MEA) ने रणनीतिक भागीदारों तथा पड़ोसी देशों पर ध्यान केंद्रित करते हुए अपनी विकास सहायता योजनाओं की रूपरेखा तैयार की।

  • विदेश मंत्रालय की विकास सहायता विदेश नीति के लक्ष्यों के अनुरूप भारत के वैश्विक प्रभाव तथा हितों के विस्तार एवं सुरक्षा पर केंद्रित है। इसका उद्देश्य रणनीतिक विकास सहायता के माध्यम से क्षेत्रीय कनेक्टिविटी, सहयोग एवं स्थिरता को बढ़ावा देना है।

देशों के बीच विकास सहायता का आवंटन किस प्रकार किया गया?

  • मंत्रालय ने अंतरिम बजट में वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिये कुल 22,154 करोड़ रुपए आवंटित किये जबकि वित्त वर्ष का परिव्यय 18,050 करोड़ रुपए था।
    • भारत की 'नेबरहुड फर्स्ट' नीति के अनुरूप भूटान को विकास सहायता का सबसे बड़ा अंश 2,400 करोड़ रुपए आवंटित किया गया। वर्ष 2023-24 में भूटान को आवंटित राशि 2,068 करोड़ रुपए थी।
      • भूटान विकास सहायता का एक बड़ा अंश प्राप्त करते हुए अन्य देशों की सूची में अग्रणी बनकर उभरा है।
    • बजट दस्तावेज़ों के अनुसार मालदीव को 770 करोड़ रुपए की विकास सहायता आवंटित की गई जो विगत वर्ष 600 करोड़ रुपए थी।
    • अफगानिस्तान के निवासियों के साथ भारत के विशेष संबंधों को जारी रखते हुए देश के लिये 200 करोड़ रुपए की बजटीय सहायता प्रदान की गई।
    • बांग्लादेश को विकास सहायता के तहत 120 करोड़ रुपए की राशि प्रदान की जाएगी जबकि नेपाल को 700 करोड़ रुपए प्रदान किये जाएंगे।
    • श्रीलंका, मॉरीशस तथा म्याँमार को क्रमशः 75 करोड़, 370 करोड़ एवं 250 करोड़ रुपए की विकास सहायता प्रदान की जाएगी।
    • अफ्रीकी देशों के लिये 200 करोड़ रुपए राशि का आवंटन किया गया।
    • विभिन्न देशों और क्षेत्रों जैसे लैटिन अमेरिका तथा यूरेशिया को कुल 4,883 करोड़ रुपए विकास सहायता प्रदान की जाएगी।
    • ईरान के साथ कनेक्टिविटी परियोजनाओं पर भारत के फोकस को रेखांकित करते हुए चाबहार बंदरगाह के विकास के लिये 100 करोड़ रुपए की राशि आवंटित की गई।

विदेश मंत्रालय की अन्य विकास साझेदारियाँ क्या हैं?

  • मानवीय सहायता:
    • विदेश मंत्रालय प्राकृतिक आपदाओं, आपात स्थितियों तथा महामारी के समय में भागीदार देशों को मानवीय सहायता प्रदान करता है।
      • भारत ने कई देशों को राहत सामग्री, चिकित्सा दल और वित्तीय सहायता प्रदान की है तथा कोविड-19 महामारी से निपटने के लिये 150 से अधिक देशों को दवाएँ, टीके एवं चिकित्सा उपकरण भी प्रदान किये हैं।
  • सांस्कृतिक और विरासत सहयोग:
  • विदेश मंत्रालय साझेदार देशों के साथ सांस्कृतिक और विरासत सहयोग को बढ़ावा देता है। भारत के सहायता कार्यक्रम से 50 से अधिक सांस्कृतिक तथा विरासत परियोजनाएँ पूरी हो चुकी हैं, जिसमें आनंद मंदिर, श्वेदागोन पैगोडा (म्याँमार), सेक्रेड टूथ रेलिक टेम्पल, कैंडी (श्रीलंका) में भारतीय गैलरी, बालातिरिपुरासुंदरी मंदिर का नवीनीकरण, धर्मशाला-पशुपतिनाथ मंदिर (नेपाल) का निर्माण शामिल है।
  • वर्तमान में विभिन्न देशों में लगभग 25 सांस्कृतिक और विरासत परियोजनाएँ कार्यान्वित की जा रही हैं।
  • क्षमता निर्माण और तकनीकी सहायता:
    • भारत की विकास साझेदारी क्षमता निर्माण, नागरिक और सैन्य प्रशिक्षण, ऑन-साइट कार्यक्रम तथा मित्र देशों में विशेषज्ञ प्रतिनियुक्ति की पेशकश को प्राथमिकता देती है।
      • भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (ITEC) कार्यक्रम वर्ष 1964 में शुरू किया गया था यह 160 भागीदार देशों तक फैला हुआ है, जो विभिन्न विषयों में अल्पकालिक प्रशिक्षण प्रदान करता है, जिसमें वर्ष 2019-20 तक 4,000 से 14,000 स्थान (Slot)  तक महत्त्वपूर्ण वृद्धि देखी गई है।
        • पाठ्यक्रम इंजीनियरिंग, जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य और महिला सशक्तीकरण जैसे क्षेत्रों को कवर करते हैं, जो विश्व स्तर पर समग्र कौशल वृद्धि में योगदान करते हैं।
  • विकास परियोजनाओं के लिये ऋण शृंखलाएँ:
    • भारत द्वारा भारतीय एक्ज़िम बैंक के माध्यम से भारतीय विकास और आर्थिक सहायता योजना (IDEAS) के तहत रियायती ऋण शृंखला ( Lines of Credit- LOC) के रूप में विकास सहायता (Development Assistance) प्रदान की जाती है।
      • कुल मिलाकर 30.59 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य की 306 LOC 65 देशों तक विस्तारित की गई हैं। LOC के तहत परियोजनाएँ परिवहन, विद्युत उत्पादन जैसे महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचा क्षेत्रों को कवर करती है; कृषि, विनिर्माण उद्योग, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और क्षमता निर्माण।

भारत के लिये भूटान क्यों महत्त्वपूर्ण है?

  • जटिल संबंधों वाले दो एशियाई दिग्गज भारत और चीन के बीच भूटान एक बफर राज्य के रूप में कार्य करता है। भूटान की रणनीतिक स्थिति भारत को उत्तर से संभावित खतरों के खिलाफ सुरक्षा की एक अतिरिक्त परत प्रदान करती है।
  • वर्ष 2017 में भारत और चीन के बीच डोकलाम गतिरोध के दौरान, भूटान ने चीनी घुसपैठ का विरोध करने के लिये भारतीय सैनिकों को अपने क्षेत्र में प्रवेश करने की अनुमति देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • भूटान के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिये भारत का पूर्ण समर्थन सीमा पार कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने और व्यापार, बुनियादी ढाँचे तथा ऊर्जा में संबंधों का विस्तार करने की प्राथमिकताओं पर आधारित है।
  • भारत सरकार ने भूटान की 12वीं पंचवर्षीय योजना (2018-2023) के लिये 45 अरब रुपए देने की प्रतिबद्धता जताई है, जिसमें प्रोजेक्ट टाईड असिस्टेंस (PTA) हेतु 28 अरब रुपए शामिल हैं।
    • PTA कार्यक्रम में स्वास्थ्य, शिक्षा, संस्कृति, पशुधन विकास और बुनियादी ढाँचे सहित विभिन्न क्षेत्रों की परियोजनाएँ शामिल हैं।
  • भूटान में सतही विकास के लिये भारत उच्च प्रभाव सामुदायिक विकास परियोजनाओं (High Impact Community Development Projects -HICDPs)/लघु विकास परियोजनाओं (Small Development Projects - SDPs) के लिये प्रतिबद्ध हैं।
    • ये खेतों तक सड़क पहुँच, पशुधन केंद्र, जल आपूर्ति और सिंचाई प्रणाली तथा स्थानीय स्तर पर क्षमता विकास जैसे अवसंरचनात्मक निर्माण के लिये भूटान के दूरदराज़ के हिस्सों में स्थित छोटी अवधि की लघु परियोजनाएँ हैं।
  • भूटान के साथ पारस्परिक रूप से लाभप्रद जल-विद्युत सहयोग द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग का एक प्रमुख स्तंभ है। भूटान के लिये, जल-विद्युत विकास सामाजिक-आर्थिक विकास के लिये एक महत्त्वपूर्ण  उत्प्रेरक बना हुआ है।
  • जलविद्युत क्षेत्र में भारत और भूटान के बीच चल रहा सहयोग वर्ष 2006 के द्विपक्षीय सहयोग समझौते और वर्ष 2009 में हस्ताक्षरित इसके प्रोटोकॉल के तहत शामिल है।
    • भूटान में कुल 2136 मेगावाट की चार जलविद्युत परियोजनाएँ (hydroelectric projects- HEPs) पहले से ही चालू हैं और भारत को बिजली की आपूर्ति कर रही हैं।
    • 720 मेगावाट की मंगदेछु (Mangdechhu) जलविद्युत परियोजना को अगस्त 2019 में चालू किया गया था और दिसंबर 2022 में भूटान को सौंप दिया गया था।
    • दोनों देश 1200 मेगावाट की पुनात्सांगछू-I (Punatsangchhu-I) एवं 1020 मेगावाट की पुनात्सांगछू-II (Punatsangchhu-II) सहित अन्य परियोजनाओं का कार्यान्वयन विभिन्न चरणों में हैं।
    • दोनों देशों ने पहली बार संयुक्त उद्यम परियोजना 600 मेगावाट खोलोंगछू जलविद्युत परियोजना शुरू की। इस परियोजना का उद्देश्य भूटान के लिये अधिशेष जलविद्युत पैदा करना है जिसे भारत को निर्यात किया जाएगा, जिससे भूटान के राजस्व के साथ-साथ रोज़गार सृजन में भी मदद मिलेगी।
  • भारत आयात स्रोत और निर्यात गंतव्य दोनों के रूप में भूटान का शीर्ष व्यापार भागीदार है।
  • दोनों पड़ोसियों के बीच सदियों पुराना घनिष्ठ सभ्यतागत, सांस्कृतिक संबंध है। भूटान भारत को ग्यागर अर्थात पवित्र भूमि मानता है, क्योंकि बौद्ध धर्म की उत्पत्ति भारत में हुई थी, जो कि बहुसंख्यक भूटानी लोगों द्वारा अपनाया जाने वाला धर्म है।

भारत की नेबरहुड फर्स्ट नीति (India’s Neighbourhood First Policy):

  • भारत की 'नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी' अपने निकटतम पड़ोस के देशों, यानी अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, म्याँमार, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका के साथ संबंधों के प्रबंधन के प्रति इसके दृष्टिकोण का मार्गदर्शन करती है।
  • नेबरहुड फर्स्ट नीति का उद्देश्य अन्य बातों के साथ-साथ पूरे क्षेत्र में भौतिक, डिजिटल और लोगों से लोगों की कनेक्टिविटी बढ़ाने के साथ-साथ व्यापार तथा वाणिज्य को बढ़ाना है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

मेन्स:

प्रश्न: शीत युद्ध के बाद के अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य के संदर्भ में भारत की लुक ईस्ट नीति (पूर्व की ओर देखो नीति) के आर्थिक और रणनीतिक आयामों का मूल्यांकन कीजिये। (2016)


उधार पर राज्य की गारंटी पर दिशा-निर्देश

प्रिलिम्स के लिये:

उधार पर राज्य की गारंटी पर RBI के दिशा-निर्देश, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI), भारतीय संविदा अधिनियम, 1872

प्रिलिम्स के लिये:

उधार पर राज्य की गारंटी पर RBI के दिशा-निर्देश।

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा गठित एक कार्य समूह ने राज्य सरकारों द्वारा दी गई गारंटी से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिये कुछ सिफारिशें की हैं। 

  • जुलाई 2022 में आयोजित राज्य वित्त सचिवों के 32वें सम्मेलन के दौरान कार्य समूह का गठन किया गया।

गारंटी क्या है?

  • परिचय:
    • भुगतान करने और किसी निवेशक/ऋणदाता को उधारकर्त्ता द्वारा डिफाॅल्ट के जोखिम से बचाने के लिये 'गारंटी' राज्य हेतु एक कानूनी दायित्व है।
    • भारतीय संविदा अधिनियम, 1872 के अनुसार, एक गारंटी, किसी तीसरे व्यक्ति के डिफाॅल्ट के मामले में "वादा पूरा करने या दायित्व का निर्वहन करने" का एक अनुबंध है। इसमें तीन पक्ष शामिल हैं: प्रमुख देनदार, लेनदार और ज़मानतदार।
      • लेनदार: वह संस्था जिसे गारंटी दी गई है। यह वह पक्ष है जिसे भुगतान देय है और वे गारंटी द्वारा सुरक्षित हैं।
      • प्रमुख देनदार: वह संस्था जिसकी ओर से गारंटी दी गई है। यह वह पार्टी है जिस पर क़र्ज़ बकाया या देनदारी है।
      • ज़मानतदार: गारंटी प्रदान करने वाली इकाई (इस संदर्भ में राज्य सरकारें), जो वादा पूरा करने या डिफाॅल्ट के मामले में मुख्य देनदार की देनदारी का निर्वहन करने का वादा करती है।
        • यदि गारंटीकर्त्ता डिफाॅल्ट करता है तो वह वादा पूरा करने या प्रमुख देनदार की देनदारी का निर्वहन करने के लिये कानूनी दायित्व लेता है।
    • एक गारंटी को 'क्षतिपूर्ति' अनुबंध के साथ भ्रमित नहीं किया जाना चाहिये जो ऋणदाता को वचनकर्त्ता/प्रॉमिसर (या मूल देनदार) के आचरण से होने वाले नुकसान से बचाता है।
  • चित्रण (Illustration):
    • यदि A, B को कुछ सामान या सेवाएँ वितरित करता है और B सहमत भुगतान नहीं करता है, तो B चूककर्त्ता है तथा उस पर ऋण के लिये मुकदमा दायर होने का जोखिम है।
    • जब C आगे आता है और वादा करता है कि वह B के लिये भुगतान करेगा। A मना करने के अनुरोध से सहमत है। C की कार्रवाई एक गारंटी का गठन करती है।
  • गारंटी का उद्देश्य:
    • राज्य स्तर पर, गारंटियों का उपयोग आमतौर पर तीन स्थितियों में किया जाता है।
      • रियायती ऋण की मांग: सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के लिये द्विपक्षीय या बहुपक्षीय एजेंसियों से रियायती ऋण की मांग करते समय, अक्सर संप्रभु गारंटी की आवश्यकता होती है।
      • परियोजनाओं की व्यवहार्यता में सुधार के लिये: महत्त्वपूर्ण सामाजिक और आर्थिक लाभ का वादा करने वाली परियोजनाओं की व्यवहार्यता सुधार हेतु गारंटियाँ नियोजित की जाती हैं।
      • कम ब्याज पर संसाधनों को सुरक्षित करना: सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम कम ब्याज़ दरों अथवा अधिक अनुकूल शर्तों पर संसाधनों को सुरक्षित करने के लिये गारंटी का उपयोग कर सकते हैं।
  • गारंटी से संबंधित जोखिम:
    • उपयुक्त समय में गारंटियाँ उपयोगी होती हैं किंतु इनके उपयोग से राजकोषीय जोखिम उत्पन्न होता है।
    • कार्य-दल की रिपोर्ट के अनुसार गारंटी के मामले में आमतौर पर अग्रिम नकद भुगतान की आवश्यकता नहीं होती है जिसके परिणामस्वरूप इसका व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
    • गारंटी ट्रिगर तथा संबंधित लागतों का अनुमान लगाना अक्सर चुनौतीपूर्ण होता है जिससे इस प्रथा से अप्रत्याशित नकदी बहिर्वाह हो सकता है एवं राज्य के लिये ऋण में वृद्धि हो सकती है।
    • वाणिज्यिक बैंकों अथवा वित्तीय संस्थानों से ऋण प्राप्त करने के लिये राज्य सरकारें अक्सर राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों, सहकारी संस्थानों और शहरी स्थानीय निकायों जैसी विभिन्न संस्थाओं की ओर से गारंटी प्रदान करने के लिये बाध्य होती है।
      • राज्य द्वारा गारंटी दिये जाने के बदले में ये संस्थाएँ राज्य सरकार को गारंटी कमीशन अथवा शुल्क का भुगतान करती हैं।

गारंटी के संबंध में RBI कार्य-दल की प्रमुख अनुशंसाएँ क्या हैं?

  • गारंटी की परिभाषा:
    • कार्य-दल के अनुसार गारंटी शब्द का उपयोग व्यापक अर्थ में किया जाना चाहिये तथा इनमें वे सभी कारक शामिल होने चाहिये जिनके अंतर्गत उधारकर्त्ता द्वारा भविष्य में भुगतान करने में विफल रहने की दशा में गारंटीकर्त्ता (राज्य) द्वारा उसके ऋण भुगतान के दायित्व का निर्वहन किया जाता है।
    • इसके अतिरिक्त राजकोषीय जोखिम का आकलन करने के लिये राज्य को सशर्त अथवा शर्त रहित अथवा वित्तीय अथवा निष्पादन गारंटी के बीच अंतर स्पष्ट करना चाहिये।
      • ये सशर्त देनदारियाँ हैं जो भविष्य में संभावित जोखिम पेश कर सकती हैं।
  • केवल मूल ऋण के लिये गारंटी:
    • सरकारी गारंटी का उपयोग राज्य के स्वामित्व वाली संस्थाओं के माध्यम से वित्त प्राप्त करने के लिये नहीं किया जाना चाहिये जो राज्य सरकार के बजटीय संसाधनों के विकल्प के रूप में कार्य करती हैं।
      • इसके अतिरिक्त गारंटी का उपयोग करके राज्य पर प्रत्यक्ष दायित्व/वस्तुतः दायित्व बनाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिये।
    • संबद्ध विषय में भारत सरकार के दिशा-निर्देशों का अनुपालन किया जाना चाहिये जो यह निर्धारित करते हैं कि गारंटी केवल मूल राशि तथा अंतर्निहित ऋण के सामान्य ब्याज के लिये प्रदान की  जानी चाहिये।
    • बाह्य वाणिज्यिक उधार (External Commercial Borrowings) के लिये गारंटी नहीं दी जानी चाहिये, परियोजना ऋण के 80% से अधिक के लिये गारंटी दी जानी चाहिये (ऋणदाता द्वारा लगाई गई शर्तों के आधार पर) और साथ ही निजी क्षेत्र की कंपनियों तथा संस्थानों को गारंटी प्रदान नहीं किया जाना चाहिये।
    • उचित पूर्व शर्तें जैसे कि गारंटी की अवधि, जोखिम को कवर करने के लिये (गारंटी) शुल्क लगाना, उधार लेने वाली इकाई के प्रबंधन बोर्ड में सरकारी प्रतिनिधित्व तथा अंकेक्षण का अधिकार आदि निर्दिष्ट किया जाना चाहिये।
  • जोखिम निर्धारण, शुल्क तथा उच्चतम सीमा:
    • कार्य-दल द्वारा अनुशंसा की गई है कि राज्य संबद्ध इकाई के विगत व्यतिक्रम (Default) इतिहास को ध्यान में रखते हुए गारंटी से जुड़े जोखिम का आकलन उच्च, मध्यम अथवा निम्न जोखिम के रूप में वर्गीकृत करके किया जाना चाहिये।
      • इन जोखिम भारों को निर्दिष्ट करने के लिये उपयोग की जाने वाली पद्धति पारदर्शी और सुस्पष्ट होनी चाहिये।
      • जोखिम मूल्यांकन के आधार पर न्यूनतम गारंटी शुल्क न्यूनतम 2.5% प्रति वर्ष निर्धारित किया जाना चाहिये।
    • यह रिपोर्ट इस बात पर बल देती है कि गारंटी लागू करने से राज्य सरकार पर काफी वित्तीय दबाव पड़ सकता है।
  • प्रकटीकरण एवं प्रतिबद्धताओं का सम्मान:
    • समूह की सिफारिश है कि आरबीआई को बैंकों/NBFC को राज्य सरकार की गारंटी के साथ राज्य के स्वामित्व वाली संस्थाओं को दिये गए ऋण का खुलासा करने का सुझाव देना चाहिये। 
    • रिपोर्ट में विस्तारित गारंटी को ट्रैक करने के लिये एक व्यापक डेटाबेस की आवश्यकता पर बल दिया गया है, इस उद्देश्य के लिये राज्य स्तर पर एक इकाई के निर्माण का प्रस्ताव भी है।
    • संभावित जोखिमों को स्वीकार करते हुए, रिपोर्ट इस बात पर प्रकाश डालती है कि गारंटी का सम्मान करने में देरी राज्य सरकार की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचा सकती है और कानूनी जोखिम पैदा कर सकती है।
    • यह राज्यों को प्रतिबद्धताओं को पूरा न करने के इतिहास वाली संस्थाओं को वित्त प्रदान करते समय सतर्क रहने की सलाह देता है।
    • इसके अतिरिक्त, रिपोर्ट ऋणदाताओं और निवेशकों के बीच विश्वसनीयता बनाए रखने के लिये गारंटी का तुरंत सम्मान करने के महत्त्व पर बल देती है।

सरकार द्वारा दी गई विभिन्न गारंटियाँ क्या हैं?

  • धन के पुनर्भुगतान और ब्याज के भुगतान, नकद ऋण सुविधा, मौसमी कृषि कार्यों के वित्तपोषण तथा कंपनियों, निगम सहकारी समितियों एवं सहकारी बैंकों के संबंध में कार्यशील पूंजी प्रदान करने के लिये RBI, अन्य बैंकों व वित्तीय संस्थानों (भारतीय औद्योगिक वित्त निगम,भारतीय बीमा निगम, भारतीय यूनिट ट्रस्ट) को दी गई गारंटी।
  • धन की अदायगी, ब्याज के भुगतान आदि के लिये भारत सरकार द्वारा अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के साथ किये गए समझौतों के अनुसरण में दी गई गारंटी।
  • बैंकों द्वारा कंपनियों/निगमों के पक्ष में क्रेडिट आधार पर की गई आपूर्ति/सेवाओं के लिये विदेशी आपूर्तिकर्त्ताओं को प्राधिकार पत्र जारी करने पर विचार करते हुए बैंकों को जवाबी गारंटी
  • कंपनियों/निगमों द्वारा बकाया/माल ढुलाई शुल्क के उचित और समय पर भुगतान के लिये रेलवे/राज्य विद्युत बोर्डों को दी गई गारंटी। (पिछले कुछ वर्षों से शून्य)
  • भारतीय कंपनियों या विदेशी कंपनियों को विदेशों में किये गए अनुबंधों/परियोजनाओं की पूर्ति के लिये दी गई प्रदर्शन की गारंटी। (पिछले कुछ वर्षों से शून्य)

नैनो डीएपी

प्रिलिम्स के लिये:

अंतरिम बजट 2024-25, नैनो उर्वरक, इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइज़र कोऑपरेटिव (इफको) 

मेन्स के लिये:

नैनो डीएपी, नैनो डीएपी के उपयोग से संबंधित मुद्दे।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

वित्त मंत्री ने अंतरिम बजट 2024-25 में सभी कृषि-जलवायु क्षेत्रों में विभिन्न फसलों पर उर्वरक के रूप में नैनो डीएपी/DAP (डाई-अमोनियम फॉस्फेट) के अनुप्रयोग के विस्तार की घोषणा की है।

  • नैनो उर्वरक अत्यधिक कुशल प्रकार के उर्वरक हैं जो सूक्ष्म कणों (छोटे-छोटे दानों) के माध्यम से फसलों को नाइट्रोजन जैसे पोषक तत्त्व प्रदान करते हैं।

नैनो DAP क्या है?

  • DAP (डाई-अमोनियम फॉस्फेट):
    • DAP, भारत में यूरिया के बाद दूसरा सर्वाधिक इस्तेमाल किया जाने वाला उर्वरक है।
    • DAP को भारत में अधिक वरीयता दी जाती है क्योंकि इसमें नाइट्रोजन और फॉस्फोरस दोनों शामिल होते हैं। उल्लेखनीय है कि ये दोनों ही तत्त्व मैक्रोन्यूट्रिएंट्स हैं और पौधों के लिये आवश्यक 18 पोषक तत्त्वों का हिस्सा हैं।
    • उर्वरक ग्रेड DAP में 18% नाइट्रोजन और 46% फॉस्फोरस होता है। इसका निर्माण उर्वरक संयंत्रों में नियंत्रित परिस्थितियों में फॉस्फोरिक एसिड के साथ अमोनिया की अभिक्रिया द्वारा किया जाता है।
  • नैनो DAP:
    • नैनो DAP, DAP का एक विशेष रूप है जिसे पौधों की वृद्धि एवं विकास को प्रोत्साहित करने में उर्वरक की प्रभावशीलता में सुधार लाने के लक्ष्य के साथ तैयार किया गया है।
    • वर्ष 2023 में इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइज़र कोऑपरेटिव (IFFCO/इफको) ने अपना नैनो DAP लॉन्च किया, जिसमें मात्रा के हिसाब से 8% नाइट्रोजन और 16% फॉस्फोरस था।
    • पारंपरिक DAP, जो दानेदार रूप में होता है, के विपरीत इफको का नैनो DAP तरल रूप में प्राप्त होता है

पौधों की वृद्धि के लिये आवश्यक प्राथमिक मैक्रोन्यूट्रिएंट्स

पोषक तत्त्व

पौधे के विकास में योगदान

नाइट्रोजन 

पत्ती और तने की वृद्धि, प्रोटीन संश्लेषण तथा समग्र शक्ति के लिये आवश्यक

फॉस्फोरस 

जड़ के विकास, पुष्पन, फलन और ऊर्जा परिवहन/स्थानांतरण के लिये महत्त्वपूर्ण है

पोटैशियम

पौधों के समग्र स्वास्थ्य, तनाव प्रतिरोध और जल के नियमन में सहायता

कैल्शियम

कोशिका भित्ति की संरचना, कोशिका विभाजन और एंज़ाइम सक्रियण के लिये महत्त्वपूर्ण

मैग्नीशियम 

क्लोरोफिल का आवश्यक घटक, प्रकाश संश्लेषण और चयापचय में शामिल

सल्फर

प्रोटीन संश्लेषण, एंज़ाइम कार्यप्रणाली और पोषक तत्त्व ग्रहण के लिये आवश्यक

कार्बन

प्रकाश संश्लेषण के लिये आवश्यक कार्बनिक अणुओं का मुख्य घटक

हाइड्रोजन

जैव-रासायनिक अभिक्रियाओं, जल ग्रहण करने और pH बनाए रखने के लिये महत्वपूर्ण

ऑक्सीजन

श्वसन, ऊर्जा के निर्मुक्त होने और पोषक तत्त्वों के परिवहन में शामिल

लौह/आयरन

क्लोरोफिल संश्लेषण, इलेक्ट्रॉन स्थानांतरण और एंज़ाइम सक्रियण का उपाय

ज़िंक

एंजाइम फंक्शन, हार्मोन विनियमन और प्रोटीन संश्लेषण के लिये आवश्यक

मैंगनीज

प्रकाश संश्लेषण, एंज़ाइम सक्रियण और नाइट्रोजन चयापचय के लिये आवश्यक है

कॉपर

एंजाइम गतिविधि, लिग्निन निर्माण और पोषक तत्त्व ग्रहण के लिये महत्त्वपूर्ण

बोरॉन

कोशिका विभाजन, शर्करा परिवहन और हार्मोन विनियमन की सुविधा प्रदान करता है

मोलिब्डेनम

नाइट्रोजन स्थिरीकरण, एंज़ाइम गतिविधि और अमीनो एसिड संश्लेषण के लिए आवश्यक

क्लोरीन

प्रकाश संश्लेषण, जल विनियमन और आयन संतुलन में शामिल

निकल

नाइट्रोजन चयापचय, एंज़ाइम सक्रियण और बीज विकास के लिये आवश्यक है

कोबाल्ट

नाइट्रोजन स्थिरीकरण, विटामिन B12 संश्लेषण और एंज़ाइम गतिविधि के लिये आवश्यक

नैनो DAP को प्रोत्साहित करने का क्या महत्त्व है?

  • पारंपरिक DAP से अधिक कुशल:
    • 100 नैनोमीटर (nm) से कम आकार का यह छोटा कण, नैनो DAP को अपने पारंपरिक समकक्ष की तुलना में अधिक कुशल बनाता है, जिससे उर्वरक "बीज की सतह के अंदर या रंध्र और अन्य पौधों के छिद्रों के माध्यम से आसानी से प्रवेश कर पाता है"।
    • पौधे प्रणाली के अंदर उर्वरक के बेहतर अवशोषण से "उच्च बीज शक्ति, अधिक क्लोरोफिल, प्रकाश संश्लेषक दक्षता, बेहतर गुणवत्ता और फसल की पैदावार में वृद्धि होती है।"
  • पॉकेट फ्रेंडली:
    • यह अपने पारंपरिक समकक्ष की तुलना में अधिक पॉकेट-फ्रेंडली है। पारंपरिक DAP के 50 किलोग्राम बैग के बराबर नैनो DAP की 500 मिलीलीटर की बोतल की कीमत केवल 600 रुपए (बैग के लिये 1,350 रुपए की तुलना में) है।
    • चूँकि सरकार DAP पर आवश्यक सब्सिडी प्रदान करती है, इसलिये अधिक सस्ते उर्वरक को अपनाने से सरकार के सब्सिडी बोझ में महत्त्वपूर्ण राहत मिलेगी।
  • किसानों के लिये अधिक सुविधाजनक:
    • किसानों के लिये नैनो DAP काफी सुविधाजनक है क्योंकि यह 500 मिलीलीटर की छोटी बोतलों में आती है, जिन्हें 50 किलोग्राम के भारी बैग की तुलना में ले जाना, स्टोर करना और लगाना आसान होता है।
    • नैनो DAP का उपयोग करने के लिये, किसान बस इसकी 250-500 मिलीलीटर मात्रा को जल में मिलाकर अपनी फसलों पर स्प्रे करते हैं, प्रति एकड़ में स्प्रे हेतु इस मात्रा की आवश्यकता होती है।
  • आयात बोझ में कमी:
    • भारत वर्तमान में घरेलू मांग को पूरा करने के लिये महत्वपूर्ण मात्रा में उर्वरक का आयात करता है।
    • घरेलू स्तर पर उत्पादित नैनो DAP (कलोल, गुजरात में उत्पादित) को अपनाने से इस आयात बोझ में काफी कमी आएगी।
    • यह न केवल भारतीय कृषि को खाद्यान्न उत्पादन में आगे ले जाएगा बल्कि यह भारत को उर्वरक उत्पादन में भी आत्मनिर्भर बनाएगा।
  • पर्यावरण पर कम प्रभाव:
    • अपनी तरल प्रकृति के कारण, नैनो DAP का पर्यावरण पर कम प्रभाव पड़ेगा, जिससे अन्य उर्वरकों की तुलना में भूमि प्रदूषण कम होगा।
    • तरल DAP और तरल यूरिया का उपयोग करके, किसान अपने खेतों में केंचुओं की संख्या बढ़ा सकते हैं तथा उत्पादकता या लाभप्रदता से समझौता किये बिना प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ सकते हैं।

नैनो यूरिया क्या है?

  • परिचय:
    • नैनो यूरिया  नैनो कण के रूप में यूरिया का एक प्रकार है। यह यूरिया के परंपरागत विकल्प के रूप में पौधों को नाइट्रोजन प्रदान करने वाला एक पोषक तत्त्व (तरल) है। 
      • यूरिया सफेद रंग का एक रासायनिक नाइट्रोजन उर्वरक है, जो कृत्रिम रूप से नाइट्रोजन प्रदान करता है तथा पौधों के लिये एक आवश्यक प्रमुख पोषक तत्त्व है। 
    • नैनो यूरिया को पारंपरिक यूरिया के स्थान पर विकसित किया गया है और यह पारंपरिक यूरिया की आवश्यकता को न्यूनतम 50 प्रतिशत तक कम कर सकता है।
      • इसकी 500 मिली. की एक बोतल में 40,000 मिलीग्राम/लीटर नाइट्रोजन होती है, जो सामान्य यूरिया के एक बैग/बोरी के बराबर नाइट्रोजन युक्त पोषक तत्त्व प्रदान करेगी। 
  • निर्माण:
  • उद्देश्य: 
    • इसका उद्देश्य पारंपरिक यूरिया के असंतुलित और अंधाधुंध उपयोग को कम करना, फसल उत्पादकता में वृद्धि करना तथा मिट्टी, जल व वायु प्रदूषण को कम करना है। 

नैनो DAP के उपयोग के बारे में क्या चिंताएँ हैं?

  • उर्वरकता में कमी: 
    • जबकि नैनो यूरिया और नैनो DAP प्रबंधन तथा अनुप्रयोग में सुविधा प्रदान करते हैं, उनके उपयोग से पारंपरिक उर्वरकों की तुलना में लागू उर्वरक की कुल मात्रा में कमी आ सकती है। 
    • इस कमी के परिणामस्वरूप फसलों को पोषक तत्त्वों की उपलब्धता कम हो सकती है, जिससे उत्पादकता में कमी आ सकती है।
  • पोषक तत्त्वों का असंतुलन: 
    • नैनो फॉर्मूलेशन मिट्टी और पौधों में पोषक तत्त्वों के संतुलन को बदल सकते हैं, जिससे संभावित रूप से फसल की वृद्धि तथा विकास प्रभावित हो सकता है। इस असंतुलन के परिणामस्वरूप कुछ पोषक तत्त्वों की कमी या विषाक्तता हो सकती है, जिससे समग्र उपज और गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है।
  • पर्यावरणीय प्रभाव: 
    • नैनो-उर्वरकों के दीर्घकालिक पर्यावरणीय प्रभाव को अभी तक पूरी तरह से समझा नहीं जा सका है। मिट्टी और जल में नैनो कणों के संभावित संचय के बारे में चिंताएँ हैं, जो पारिस्थितिक तंत्र और जैवविविधता को प्रभावित कर सकते हैं।
  • स्वास्थ्य और सुरक्षा: 
    • इन कणों के खाद्य शृंखला में प्रवेश करने और मानव स्वास्थ्य को प्रभावित करने की क्षमता शामिल है। उत्पादन, अनुप्रयोग और उपभोग के दौरान नैनो कणों के संपर्क से जुड़े संभावित जोखिमों का आकलन करना महत्त्वपूर्ण है।
    • नैनो-आकार के कणों की अत्यधिक सांद्रता शरीर के ऊतकों और कोशिकाओं में गहराई से प्रवेश करने की उनकी क्षमता के कारण स्वास्थ्य जोखिम पैदा करती है।

नोट: भारतीय किसान उर्वरक सहकारी लिमिटेड (IFFCO) भारत की सबसे बड़ी सहकारी समितियों में से एक है जिसका पूर्ण स्वामित्व भारतीय सहकारी समितियों के पास है। 

  • वर्ष 1967 में केवल 57 सहकारी समितियों के साथ इसकी स्थापना की गई थी, वर्तमान में यह 36,000 से अधिक भारतीय सहकारी समितियों का एक समूह है, जिसमें उर्वरकों के निर्माण और बिक्री संबंधी मुख्य व्यवसाय के अतिरिक्त सामान्य बीमा से लेकर ग्रामीण दूरसंचार तक विविध व्यावसायिक हित निहित हैं। 

निष्कर्ष

  • यह ध्यान रखना महत्त्वपूर्ण है कि इन चिंताओं को दूर करने और नैनो-उर्वरक से जुड़े लाभों तथा जोखिमों को बेहतर ढंग से समझने के लिये निरंतर शोध किया जा रहा है। किसी भी नई तकनीक की तरह, कृषि में टिकाऊ और ज़िम्मेदार उपयोग सुनिश्चित करने के लिये सतर्क तथा सुविज्ञ दृष्टिकोण महत्त्वपूर्ण है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा,विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स: 

प्रश्न. भारत में रासायनिक उर्वरकों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)

  1. वर्तमान में रासायनिक उर्वरकों का खुदरा मूल्य बाज़ार-संचालित है और यह सरकार द्वारा नियंत्रित नहीं है।
  2.  अमोनिया, जो यूरिया बनाने में काम आता है, वह प्राकृतिक गैस से उत्पन्न होता है।
  3.  सल्फर, जो फॉस्फोरिक अम्ल उर्वरक के लिये कच्चा माल है, वह तेल-शोधक कारखानों का उपोत्पाद है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 2
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)

व्याख्या:

  • भारत सरकार उर्वरकों पर सब्सिडी देती है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि किसानों को उर्वरक आसानी से उपलब्ध हों तथा देश कृषि उत्पादन में आत्मनिर्भर बना रहे। यह काफी हद तक उर्वरक की कीमत और उत्पादन की मात्रा को नियंत्रित करके प्राप्त किया जाता है। अतः कथन 1 सही नहीं है।
  • प्राकृतिक गैस से अमोनिया (NH3) का संश्लेषण किया जाता है। इस प्रक्रिया में प्राकृतिक गैस के अणु कार्बन और हाइड्रोजन में परिवर्तित हो जाते हैं। फिर हाइड्रोजन को शुद्ध किया जाता है तथा अमोनिया के उत्पादन के लिये नाइट्रोजन के साथ प्रतिक्रिया कराई जाती है। इस सिंथेटिक अमोनिया को यूरिया, अमोनियम नाइट्रेट तथा मोनो अमोनियम या डायमोनियम फॉस्फेट के रूप में संश्लेषण के बाद प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उर्वरक के तौर पर प्रयोग किया जाता है। अत: कथन 2 सही है।
  • सल्फर, तेलशोधन और गैस प्रसंस्करण का एक प्रमुख उप-उत्पाद है। अधिकांश कच्चे तेल ग्रेड में कुछ सल्फर होता है, जिनमें से अधिकांश को परिष्कृत उत्पादों में शोधन प्रक्रिया के दौरान हटाया जाना चाहिये। यह कार्य हाइड्रोट्रीटिंग के माध्यम से किया जाता है और इसके परिणामस्वरूप H2S गैस का उत्पादन होता है जो मौलिक सल्फर में परिवर्तित हो जाता है। सल्फर का खनन भूमिगत, प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले निक्षेपों से भी किया जा सकता है लेकिन यह तेल और गैस से प्राप्त करने की तुलना में अधिक महँगा है तथा वर्तमान में इसे काफी हद तक कम कर दिया गया है। सल्फ्यूरिक एसिड का उपयोग मोनोअमोनियम फॉस्फेट (Monoammonium Phosphate- MAP) एवं डाइ-अमोनियम फॉस्फेट (Di-Ammonium Phosphate- DAP) दोनों के उत्पादन में किया जाता है। अत: कथन 3 सही है।

अतः विकल्प (b) सही है।


मेन्स:

प्रश्न. राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर किसानों को दी जाने वाली विभिन्न प्रकार की कृषि सब्सिडी क्या हैं? इसके द्वारा उत्पन्न विकृतियों के संदर्भ में कृषि सब्सिडी व्यवस्था का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिये।(2013)


IEA की नवीकरणीय ऊर्जा 2023 रिपोर्ट

प्रिलिम्स के लिये:

अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी,  नवीकरणीय ऊर्जा, सौर ऊर्जा, 2050 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन, पंचामृत लक्ष्य, राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान, प्रधानमंत्री- किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान, उच्च दक्षता वाले सौर PV मॉड्यूल के लिये उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (PLI), अपतटीय पवन ऊर्जा नीति, वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन

  • मेन्स के लिये:
  • नवीकरणीय ऊर्जा 2023 रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष, भारत के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य और संबंधित सरकारी हस्तक्षेप।

स्रोत: आई. इ. ए

चर्चा में क्यों? 

अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (International Energy Agency- IEA) की हालिया नवीकरणीय ऊर्जा 2023 रिपोर्ट नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र की एक जटिल छवि प्रस्तुत करती है, जो प्रगति और चुनौतियों दोनों को उजागर करती है।

नवीकरणीय ऊर्जा 2023 रिपोर्ट की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं? 

  • रिकॉर्ड वृद्धि और चीन का प्रभुत्व: वर्ष 2023 में वैश्विक वार्षिक नवीकरणीय क्षमता वृद्धि लगभग 50% बढ़कर लगभग 510 गीगावाट (GW) हो गई, जो दो दशकों में सबसे तेज़ विकास दर है।
    • चीन ने वर्ष 2023 में उतने ही सोलर फोटोवोल्टिक (Solar Photovoltaic- SPV) को चालू करके एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, जितनी पूरी दुनिया ने वर्ष 2022 में की थी, जबकि पवन संयोजन में वर्ष-दर-वर्ष 66% की वृद्धि हुई।
  • वैश्विक पावर मिक्स परिवर्तन: वर्ष 2025 तक नवीकरणीय ऊर्जा के बिजली उत्पादन के सबसे बड़े स्रोत के रूप में कोयले को पीछे छोड़ने का अनुमान है, वर्ष 2028 तक पवन और सौर पीवी प्रमुख स्रोत बन जाएंगे।
  • वैश्विक पावर मिक्स परिवर्तन: अनुमान है कि वर्ष 2025 तक नवीकरणीय ऊर्जा विद्युत उत्पादन के सबसे बड़े स्रोत के रूप में कोयले से आगे निकल जाएगी और वर्ष 2028 तक पवन और सौर PV प्रमुख स्रोत बन जाएंगे।

  • प्रमुख क्षेत्रों में त्वरित विकास:
    • अमेरिका, यूरोपीय संघ, भारत, ब्राज़ील: सहायक नीतियों और आर्थिक आकर्षण में सुधार से इन क्षेत्रों में सौर PV तथा तटवर्ती पवन प्रतिष्ठानों में त्वरित वृद्धि हो रही है।
    • मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका: नीतिगत प्रोत्साहन नवीकरणीय क्षमता वृद्धि को बढ़ावा दे रहे हैं।
      • जबकि उप-सहारा अफ्रीका अपनी संसाधन क्षमता के बावजूद पिछड़ रहा है।
  • भारत के लिये विकास पूर्वानुमान: भारत का वर्ष 2023-2028 में 205 गीगावॉट जोड़ने का अनुमान है, जो वर्ष 2022 की संचयी स्थापित क्षमता को दोगुना कर देगा, जिससे यह नवीकरणीय ऊर्जा के लिये विश्व का तीसरा सबसे बड़ा बाज़ार बन जाएगा।
  • सौर PV बाज़ार की गतिशीलता: विनिर्माण क्षमता में वृद्धि के कारण वर्ष 2023 में सौर PV मॉड्यूल की कीमतों में लगभग 50% की गिरावट आई।
    • सौर PV और तटवर्ती पवन नए तथा मौजूदा दोनों जीवाश्म ईंधन संयंत्रों की तुलना में सस्ते हैं, जिससे वैश्विक स्तर पर इन्हें तेज़ी से अपनाया जा रहा है।
  • जैव ईंधन विस्तार और EV अपनाना: ब्राज़ील के नेतृत्व में उभरती अर्थव्यवस्थाएँ जैव ईंधन विस्तार को बढ़ावा दे रही हैं।
    • EV में जैव ईंधन और नवीकरणीय बिजली की पूरक भूमिका पर ज़ोर देते हुए वर्ष 2028 तक महत्त्वपूर्ण तेल मांग को पूरा करने का अनुमान है।
  • रिपोर्ट में प्रमुख चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया: 
    • वित्तीय बाधाएँ: उभरती और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को नवीकरणीय परियोजनाओं के लिये अपर्याप्त वित्तपोषण का सामना करना पड़ता है।
      • बढ़ती ब्याज दरों के कारण वित्तपोषण लागत बढ़ रही है जिससे नवीकरणीय ऊर्जा डेवलपर्स के लिये चुनौतियाँ पैदा हो रही हैं।
    • ग्रिड बाधाएँ: परिवर्तनीय नवीकरणीय का तीव्र विकास एकीकरण चुनौतियों का सामना करता है, जिससे अपर्याप्त ग्रिड विस्तार के कारण कई देशों में कटौती बढ़ जाती है।
    • पवन उद्योग की चुनौती: पवन उद्योग को विशेष रूप से अपतटीय पवन में आपूर्ति शृंखला व्यवधानों से चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
  • प्रमुख अनुशंसाएँ: IEA ने सरकारों से 2050 परिदृश्य तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन (NZE) के अनुरूप, वर्ष 2030 तक वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना करने का लक्ष्य रखा गया है।
    • नीतिगत अनिश्चितताओं को दूर करते हुए वर्ष 2030 के लक्ष्यों को पूरा करने के लिये, ग्रिड अवसंरचना में निवेश करना, प्रशासनिक बाधाओं को कम करना और उभरती अर्थव्यवस्थाओं में वित्तपोषण बढ़ाना महत्त्वपूर्ण है।

भारत के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य और संबंधित सरकारी हस्तक्षेप क्या हैं? 

अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) क्या है?

  • स्थापना और विकास: IEA की स्थापना 1973-1974 के तेल संकट का सामना करने हेतु में तेल आपूर्ति सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 1974 में की गई थी।
    • प्रारंभ में तेल आपूर्ति सुरक्षा और नीति सहयोग पर ध्यान केंद्रित करते हुए, समय के साथ ऊर्जा मुद्दों की एक विस्तृत श्रृंखला को शामिल करने के लिये इसका विस्तार हुआ।
    • वर्तमान में IEA के फोकस के चार मुख्य क्षेत्र हैं: विश्व में ऊर्जा सुरक्षा, आर्थिक विकास, पर्यावरण जागरूकता और सहभागिता।
      • 2022 में, IEA सदस्य सरकारें देशों को शुद्ध-शून्य उत्सर्जन ऊर्जा प्रणालियों के निर्माण की दिशा में मार्गदर्शन करने और स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के लिये महत्त्वपूर्ण खनिजों और धातुओं को शामिल करने के लिये एजेंसी के विस्तार करने पर सहमत हुईं।
  • सदस्यता: IEA में 31 सदस्य देश शामिल हैं। 
    • इसके अतिरिक्त IEA में तेरह सहयोगी देश (भारत सहित) भी शामिल हैं।
    • चिली, कोलंबिया, इज़रायल, लातविया तथा कोस्टा रिका जैसे पाँच देश पूर्ण सदस्यता की मांग कर रहे हैं।
    • IEA की सदस्यता प्राप्त करने को इच्छुक उम्मीदवार देश को OECD का सदस्य देश होना अनिवार्य है।
  • प्रमुख रिपोर्टः

और पढ़ें…IEA की इलेक्ट्रिसिटी 2024 रिपोर्ट

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स: 

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2022)

  1. ‘‘जलवायु समूह (दि क्लाइमेट ग्रुप)’’ एक अंतर्राष्ट्रीय गैर-लाभकारी संगठन है जो बड़े नेटवर्क बना कर जलवायु क्रिया को प्रेरित करता है और उन्हें संचालित करता है।  
  2. अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने जलवायु समूह की भागीदारी में एक वैश्विक पहल "EP100" प्रारंभ की।  
  3. EP100, ऊर्जा दक्षता में नवप्रवर्तन को प्रेरित करने एवं उत्सर्जन न्यूनीकरण लक्ष्यों को प्राप्त करते हुए प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़ाने के लिये प्रतिबद्ध अग्रणी कंपनियों को साथ लाता है।  
  4. कुछ भारतीय कंपनियाँ EP100 की सदस्य हैं।  
  5. अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ‘‘अंडर 2 कोएलिशन’’ का सचिवालय है।

उपर्युक्त कथनों में कौन-से सही हैं?

(a) 1, 2, 4 और 5
(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 2, 3 और 5
(d) 1, 2, 3, 4 और 5

उत्तर: (b)


प्रश्न. 'अभीष्ट राष्ट्रीय निर्धारित अंशदान (Intended Nationally Determined Contributions)’ पद को कभी-कभी समाचारों में किस संदर्भ में  देखा जाता है? (2016)

(a) युद्ध प्रभावित मध्य-पूर्व के शरणार्थियों के पुनर्वास के लिये यूरोपीय देशों द्वारा दिये गए वचन।
(b) जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिये विश्व के देशों द्वारा बनाई गई कार्य-योजना।
(c) एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक (एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक) की स्थापना करने में सदस्य राष्ट्रों द्वारा किया गया पूंजी योगदान। 
(d) धारणीय विकास लक्ष्यों के बारे में विश्व के देशों द्वारा बनाई गई कार्य-योजना।

उत्तर: (b)


मेन्स:

प्रश्न. पारंपरिक ऊर्जा उत्पादन के विपरीत सूर्य के प्रकाश से विद्युत ऊर्जा प्राप्त करने के लाभों का वर्णन कीजिये। इस उद्देश्य की प्राप्ति हेतु सरकार द्वारा क्या पहल की गई है? (2020)

प्रश्न. "वहनीय, विश्वसनीय, धारणीय तथा आधुनिक ऊर्जा तक पहुँच सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) को प्राप्त करने के लिये अनिवार्य है।" भारत में इस संबंध में हुई प्रगति पर टिप्पणी कीजिये। (2018)


बजट 2024-25 में अनुमोदित योजनाएँ

प्रिलिम्स के लिये:

उर्वरक (यूरिया), आत्मनिर्भर भारत, केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृत प्रमुख योजनाएँ, अंत्योदय अन्न योजना (AAY)

मेन्स के लिये:

केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदित प्रमुख योजनाएँ, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप।

स्रोत: पी.आई.बी.

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कई प्रमुख आर्थिक निर्णयों को मंज़ूरी दी है, जिसमें चीनी सब्सिडी योजना (Subsidised Sugar Scheme) जैसी विभिन्न योजनाओं का विस्तार भी शामिल है।

केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदित प्रमुख योजनाएँ कौन-सी हैं?

  • चीनी सब्सिडी योजना का विस्तान:
    • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सार्वजनिक वितरण योजना (PDS) के माध्यम से वितरित अंत्योदय अन्न योजना (AAY) के लाभार्थी परिवारों के लिये चीनी सब्सिडी की योजना को दो और वर्षों यानी 31 मार्च, 2026 तक बढ़ाने को अनुमति दे दी है।
    • यह योजना निर्धनतम लोगों तक चीनी की पहुँच को सुगम बनाती है और उनके आहार में ऊर्जा को शामिल करती है ताकि उनके स्वास्थ्य में सुधार हो।
    • इस योजना के तहत, केंद्र सरकार प्रतिभागी राज्यों के AAY परिवारों को चीनी पर प्रति माह प्रति किलोग्राम 18.50 रुपए की सब्सिडी देती है। 
    • भारत सरकार पहले से ही प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PM-GKAY) के तहत निशुल्क राशन प्रदान कर रही है।
      • PM-GKAY के अलावा भी नागरिकों को पर्याप्त भोजन सुनिश्चित करने के उपाय के तौर पर किफायती और उचित कीमतों पर 'भारत आटा', 'भारत दाल' और टमाटर तथा प्याज की बिक्री की जाती है । 
    • इस अनुमति के साथ, सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के माध्यम से AAY परिवारों को प्रति माह प्रति परिवार एक किलोग्राम की दर से चीनी वितरण के लिये प्रतिभागी राज्यों को सब्सिडी देना जारी रखेगी।
      • चीनी की खरीद और वितरण की ज़िम्मेदारी राज्यों की है।
  • परिधान/वस्‍त्रों के निर्यात के लिये राज्य और केंद्रीय करों तथा लेवी में छूट की योजना (RoSCTL):
    • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने परिधान/वस्‍त्रों और मेड अप्‍स के निर्यात के लिये राज्य एवं केंद्रीय करों तथा लेवी (RoSCTL) की छूट योजना 31 मार्च, 2026 तक जारी रखने की अनुमति दे दी।
    • दो वर्षों की प्रस्तावित अवधि के लिये योजना को जारी रखने से स्थिर नीतिगत व्यवस्था मिलेगी जो दीर्घकालिक व्यापार योजना हेतु आवश्यक है, विशेष रूप से कपड़ा क्षेत्र में।
      • अन्य कपड़ा उत्पाद जो RoSCTLके अंतर्गत शामिल नहीं हैं, अन्य उत्पादों के साथ RoDTEP के तहत लाभ प्राप्त करने के पात्र हैं।
  • पशुपालन अवसंरचना विकास कोष (AHIDF) का विस्तार:
    • मंत्रिमंडल ने अवसंरचना विकास कोष (Infrastructure Development Fund- IDF) के तहत लागू किए जाने वाले पशुपालन अवसंरचना विकास कोष (Animal Husbandry Infrastructure Development Fund- AHIDF) को वर्ष 2025-26 तक अगले तीन वर्षों के लिये जारी रखने की मंज़ूरी दे दी है। 
    • योजना का उद्देश्य डेयरी प्रसंस्करण, उत्पाद विविधीकरण, मांस प्रसंस्करण, पशु चारा संयंत्र और नस्ल गुणन फार्म के लिये निवेश को प्रोत्साहित करना है।
    • AHIDF एक ऐसी योजना है जिसका उद्देश्य भारत में पशुपालन क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देना तथा प्रोत्साहित करना है।
      • भारत सरकार अनुसूचित बैंको तथा अन्य वित्तीय संस्थानों से 90 प्रतिशत तक ऋण के लिये दो वर्ष की मोहलत सहित 8 वर्षों के लिये 3 प्रतिशत ब्याज अनुदान प्रदान करेगी।
  • उर्वरक (यूरिया) इकाइयों के लिये घरेलू गैस की आपूर्ति के लिये विपणन मार्जिन:
    • मंत्रिमंडल ने 1 मई, 2009 से 17 नवंबर, 2015 की अवधि में उर्वरक (यूरिया) इकाइयों को घरेलू गैस की आपूर्ति पर विपणन मार्जिन के निर्धारण को अनुमति दे दी है।
    • यह अनुमति एक संरचनात्मक सुधार है। विपणन मार्जिन, गैस के विपणन से जुड़े अतिरिक्त जोखिम और लागत को वहन करने के लिये गैस विपणन कंपनी द्वारा उपभोक्ताओं से गैस की लागत के अतिरिक्‍त वसूला जाता है। 
      • इससे पहले सरकार ने वर्ष 2015 में यूरिया और LPG उत्पादकों को घरेलू गैस की आपूर्ति पर विपणन मार्जिन निर्धारित किया था।
    • यह अनुमोदन विभिन्न उर्वरक (यूरिया) इकाइयों को 2009 से 2015 की अवधि के दौरान खरीदी गई घरेलू गैस पर उनके द्वारा भुगतान किये गए विपणन मार्जिन के घटक के लिये अतिरिक्त पूंजी प्रदान करेगा।
    • सरकार के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप, इस अनुमति से निर्माताओं को निवेश बढ़ाने के लिये प्रोत्साहन मिलेगा। 
      • बढ़े हुए निवेश से उर्वरक क्षेत्र में आत्मनिर्भरता आएगी और गैस अवसंरचना के क्षेत्र में भविष्य के निवेश के लिये निश्चितता आएगी।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के अधीन बनाए गए उपबंधों के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. केवल वे ही परिवार सहायता प्राप्त खाद्यान्न लेने की पात्रता रखते हैं जो "गरीबी रेखा से नीचे" (बी.पी.एल.) श्रेणी में आते हैं।
  2. परिवार में 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र की सबसे अधिक उम्र वाली महिला ही राशन कार्ड निर्गत किये जाने के प्रयोजन से परिवार का मुखिया होगी।
  3. गर्भवती महिलाएँ एवं दुग्ध पिलाने वाली माताएँ गर्भावस्था के दौरान और उसके छः महीने बाद तक प्रतिदिन      1600 कैलोरी वाला राशन घर ले जाने की हक़दार हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) केवल 3

उत्तर: (b)


मेन्स:

प्रश्न 1. प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डी.बी.टी.) के द्वारा कीमत सहायिकी का प्रतिस्थापन भारत में सहायिकियों के परिदृश्य का किस प्रकार परिवर्तन कर सकता है? चर्चा कीजिये। (2015)

प्रश्न 2. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं ? खाद्य सुरक्षा विधेयक ने भारत में भूख तथा कुपोषण को दूर करने में किस प्रकार सहायता की है ? (2021)