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डेली अपडेट्स

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत-मॉरीशस संयुक्त व्यापार समिति

  • 05 Aug 2022
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

मॉरीशस का भूगोल, व्यापक आर्थिक सहयोग और साझेदारी समझौता, भारत-मॉरीशस संबंध।

मेन्स के लिये:

अंतर्राष्ट्रीय भागीदार के रूप में मॉरीशस का महत्त्व, सीईसीपीए का महत्त्व, भारत-मॉरीशस संबंध।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, भारत ने "भारत-मॉरीशस व्यापक आर्थिक सहयोग और भागीदारी समझौते (CECPA)" के तहत "भारत-मॉरीशस उच्च-शक्ति वाली संयुक्त व्यापार समिति" के पहले सत्र की मेज़बानी की।

Mauritius

सत्र के परिणाम:

  • व्यापार:
    • भारत और मॉरीशस के बीच द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2021-22 में बढ़कर 786.72 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जो वर्ष 2019-20 में 690.02 मिलियन अमेरिकी डॉलर था।
      • दोनों पक्ष द्विपक्षीय व्यापार को और बढ़ाने के लिये द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने तथा विशेष रूप से CECPA के तहत द्विपक्षीय संबंधों की वास्तविक क्षमता के महत्त्व को स्वीकार करने पर सहमत हुए।
  • भारत-मॉरीशस व्यापक आर्थिक सहयोग और भागीदारी समझौता (CECPA):
    • CECPA में सामान्य आर्थिक सहयोग (GEC) अध्याय और स्वचालित ट्रिगर सुरक्षा तंत्र (ATSM) को शामिल किया गया है।
      • GEC अध्याय निर्यात प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़ाने एवं निवेश, वित्तीय सेवाओं, कपड़ा, लघु और मध्यम उद्यमों, हस्तशिल्प, रत्न तथा आभूषण आदि के क्षेत्र में सहयोग के मौजूदा दायरे को बढ़ाने में सक्षम होगा।
      • ATSM आयात में अचानक या नाटकीय वृद्धि से देश की रक्षा करता है।
        • इस तंत्र के तहत यदि किसी उत्पाद का आयात प्रतिकूल रूप से बढ़ रहा है, तो एक निश्चित सीमा तक पहुँचने के बाद भारत स्वचालित रूप से मॉरीशस से आयात पर रक्षोपाय शुल्क लगा सकता है।
        • यही प्रावधान मॉरीशस के साथ-साथ भारतीय आयातों पर भी लागू होता है।
  • कुशल पेशेवर:
    • कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय तथा मॉरीशस में इसके समकक्ष के बीच कौशल विकसित करने पर विभिन्न पेशेवर निकायों की व्यवस्था के प्रमाणीकरण, कौशल और लाइसेंसिंग आवश्यकताओं में समानता स्थापित करने के संबंध में सेवा क्षेत्र में दोनों पक्षों के मध्य वार्ता हुई।
    • मॉरीशस पक्ष ने सूचना और संचार प्रौद्योगिकियों (ICT), वित्तीय सेवाओं, फिल्म निर्माण, इंजीनियरिंग, स्वास्थ्य आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों में मॉरीशस में पेशेवरों की कमी से अवगत कराते हुए भारत से मॉरीशस में उच्च कुशल पेशेवरों की गतिविधियों का स्वागत किया।

भारत-मॉरीशस व्यापक आर्थिक सहयोग और भागीदारी समझौता:

  • परिचय:
    • यह एक तरह का मुक्त व्यापार समझौता है जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच व्यापार को प्रोत्साहित करने और बेहतर बनाने के लिये एक संस्थागत तंत्र प्रदान करना है।
    • यह एक सीमित समझौता है जो केवल चुनिंदा क्षेत्रों को कवर करेगा।
      • इसमें वस्तुओं और सेवाओं के व्यापार, व्यापार में तकनीकी बाधाओं, विवाद निपटान, नागरिकों के आवागमन, दूरसंचार, वित्तीय सेवाओं, सीमा शुल्क जैसे क्षेत्र शामिल होंगे।
  • भारत को लाभ:
    • मॉरीशस के बाज़ार में भारत के कृषि, कपड़ा, इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे 300 से अधिक घरेलू सामानों को रियायती सीमा शुल्क पर पहुँच मिलेगी।
    • भारतीय सेवा प्रदाताओं को 11 व्यापक सेवा क्षेत्रों जैसे- पेशेवर सेवाओं, कंप्यूटर से संबंधित सेवाओं, दूरसंचार, निर्माण, वितरण, शिक्षा, पर्यावरण, वित्तीय, मनोरंजन, योग आदि के अंतर्गत लगभग 115 उप-क्षेत्रों तक पहुँच प्राप्त होगी।
  • मॉरीशस को लाभ:
    • मॉरीशस को विशेष प्रकार की चीनी, बिस्कुट, ताज़े फल, जूस, मिनरल वाटर, बीयर, मादक पेय, साबुन, बैग, चिकित्सा और शल्य-चिकित्सा उपकरण तथा परिधान सहित अपने 615 उत्पादों के लिये भारतीय बाज़ार में पहुँच का लाभ मिलेगा।
    • भारत ने 11 व्यापक सेवा क्षेत्रों के अंतर्गत लगभग 95 उप-क्षेत्रों की पेशकश की है, जिनमें पेशेवर सेवाएँ, अन्य व्यावसायिक सेवाएँ, दूरसंचार, उच्च शिक्षा, पर्यावरण, स्वास्थ्य, मनोरंजन सेवाएँ आदि शामिल हैं।

मॉरीशस के साथ भारत के संबंध:

  • आर्थिक:
    • सामाजिक आवास इकाइयाँ:
      • मई, 2016 में भारत ने मॉरीशस को विशेष आर्थिक पैकेज (SEP) के रूप में 353 मिलियन अमेरिकी डॉलर का अनुदान दिया था, जिसमें मॉरीशस द्वारा पहचानी गई पाँच प्राथमिकता वाली परियोजनाओं को निष्पादित किया गया, ये हैं:
        • मेट्रो एक्सप्रेस परियोजना
        • सर्वोच्च न्यायालय भवन
        • नया ENT अस्पताल
        • प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को डिजिटल टैबलेट की आपूर्ति
        • सामाजिक आवास परियोजना
      • सामाजिक आवास परियोजना के उद्घाटन के साथ SEP के तहत सभी प्रमुख परियोजनाओं को लागू किया गया है।
    • अत्याधुनिक सिविल सेवा महाविद्यालय का निर्माण:
      • मॉरीशस के प्रधानमंत्री की भारत यात्रा के दौरान वर्ष 2017 में हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन के तहत इसे 4.74 मिलियन अमेरिकी डॉलर के अनुदान समर्थन के माध्यम से वित्तपोषित किया जा रहा है।
    • 8 मेगावाट सोलर पीवी फार्म:
      • इसमें मॉरीशस के लगभग 10,000 घरों को विद्युतीकृत करने के लिये सालाना लगभग 14 GWh हरित ऊर्जा उत्पन्न करने हेतु 25,000 PV सेल की स्थापना शामिल है।
    • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश:
  • हाल के घटनाक्रम:
    • भारत ने उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर एमके III के निर्यात के लिये मॉरीशस के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किये हैं।
      • हेलीकॉप्टर का उपयोग मॉरीशस पुलिस बल द्वारा किया जाएगा।
    • भारत और मॉरीशस ने 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर के रक्षा ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किये।
    • दोनों पक्षों ने चागोस द्वीपसमूह विवाद पर भी चर्चा की, जो संयुक्त राष्ट्र (UN) के समक्ष संप्रभुता और सतत् विकास का मुद्दा था।
      • वर्ष 2019 में भारत ने इस मुद्दे पर मॉरीशस की स्थिति के समर्थन में संयुक्त राष्ट्र महासभा में मतदान किया। भारत उन 116 देशों में से एक था, जिन्होंने ब्रिटेन से द्वीपीय देशों से "औपनिवेशिक प्रशासन" को समाप्त करने की मांग करते हुए मतदान किया था।
  • भारत द्वारा मॉरीशस को 1,00,000 कोविशील्ड के टीके प्रदान किये गए हैं।

आगे की राह

  • भारत का रुझान मॉरीशस की तरफ तेज़ी से बढ़ रहा है जैसा कि मिशन सागर (Mission Sagar) के अंतर्गत भारत की पहल को हिंद महासागर क्षेत्र के देशों को कोविड-19 से संबंधित सहायता प्रदान करने में देखा जा सकता है।
    • भारत को इस जुड़ाव को आगे भी बनाए रखने के लिये मॉरीशस, कोमोरोस, मेडागास्कर, सेशेल्स, मालदीव और श्रीलंका जैसे समान विचारधारा वाले साझेदारों के साथ सक्रिय रहने की आवश्यकता है।
  • हिंद महासागर (Indian Ocean) के उभरते भू-राजनीतिक परिदृश्य ने इस महासागर और सीमावर्ती देशों के लिये नई चुनौतियों के साथ-साथ अवसर को जन्म दिया है। मॉरीशस, भारत के अन्य छोटे द्वीपीय पड़ोसियों के साथ अपनी समुद्री पहचान एवं भू-स्थानिक मूल्य के विषय में गहराई से जानता है। ये पड़ोसी भली-भाँति समझते हैं कि एक बड़े पड़ोसी देश के रूप में भारत उनके लिये क्या मायने रखता है।
  • जैसा कि भारत दक्षिण-पश्चिमी हिंद महासागर में अपने सुरक्षा सहयोग के बारे में एक एकीकृत दृष्टिकोण अपनाता है, मॉरीशस इसके लिये प्राकृतिक नोड है।
    • इसलिये भारत को अपनी नेबरहुड फर्स्ट की नीति में सुधार करना महत्त्वपूर्ण है।

स्रोत : पी.आई.बी.

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