अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत और मालदीव
- 20 Jan 2023
- 9 min read
प्रिलिम्स के लिये:सागर, नेबरहुड फर्स्ट, सामुदायिक विकास परियोजना (HICDP), भारत की पड़ोस नीति, मोतियों की माला/स्ट्रिंग ऑफ पर्ल। मेन्स के लिये:भारत-मालदीव संबंध और आगे की राह। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत और मालदीव ने मालदीव में विकास परियोजनाओं पर समझौते पर हस्ताक्षर किये।
- मालदीव एवं श्रीलंका दोनों हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के प्रमुख समुद्री पड़ोसी हैं जो प्रधानमंत्री के 'सागर/SAGAR' (क्षेत्र में सभी हेतु सुरक्षा और विकास) तथा 'नेबरहुड फर्स्ट' के दृष्टिकोण में विशेष स्थान रखते हैं।
समझौता:
- अनुदान सहायता:
- इसमें उच्च प्रभाव सामुदायिक विकास परियोजना (High Impact Community Development Project- HICDP) के लिये 100 मिलियन रूफिया/Rufiyaa (मालदीव की मुद्रा) की अनुदान सहायता शामिल है।
- इस वित्तपोषण के तहत पूरे देश में कई सामाजिक-आर्थिक विकास परियोजनाओं को लागू करने की योजना है।
- खेल परिसर और शैक्षणिक सहयोग:
- इसमें गहधू में एक खेल परिसर का विकास और मालदीव नेशनल यूनिवर्सिटी एवं कोचीन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के बीच अकादमिक सहयोग भी शामिल है।
मालदीव के साथ भारत के संबंध:
- सुरक्षा भागीदारी:
- रक्षा सहयोग संयुक्त अभ्यास के क्षेत्रों तक विस्तृत है जैसे- ‘एकुवेरिन’, ‘दोस्ती’, ‘एकथा’ और ‘ऑपरेशन शील्ड’ (वर्ष 2021 में शुरू)।
- मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल (Maldivian National Defence Force- MNDF) के लिये भारत इस क्षेत्र में उसकी 70% से अधिक ज़रूरतों को पूरा करते हुए सबसे अधिक प्रशिक्षण संभावनाएँ प्रदान करता है।
- पुनर्सुधार केंद्र:
- अड्डू रिक्लेमेशन और तट संरक्षण परियोजना के लिये 80 मिलियन अमेरिकी डॉलर के अनुबंध पर हस्ताक्षर।
- अड्डू में भारत की सहायता से एक ड्रग डिटॉक्सिफिकेशन और रिहैबिलिटेशन सेंटर निर्मित किया गया है।
- यह केंद्र स्वास्थ्य, शिक्षा, मत्स्य पालन, पर्यटन, खेल और संस्कृति जैसे क्षेत्रों में भारत द्वारा कार्यान्वित की जा रही 20 उच्च प्रभाव वाली सामुदायिक विकास परियोजनाओं में से एक है।
- आर्थिक सहयोग:
- पर्यटन मालदीव की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है। यह देश अब भारतीयों के लिये एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, जबकिअन्य के लिये रोज़गार का साधन है।
- अगस्त 2021 में भारतीय कंपनी ऐफ्कोंस ने मालदीव में अब तक की सबसे बड़ी अवसंरचनात्मक परियोजना के लिये एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किये जो ग्रेटर मेल कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट (GMCP) है।
- भारत वर्ष 2018 के चौथे स्थान से बढ़ते हुए मालदीव का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। वर्ष 2021 में महामारी से संबंधित चुनौतियों का सामना करते हुए द्विपक्षीय व्यापार में पिछले वर्ष की तुलना में 31% की वृद्धि दर्ज की गई।
- 22 जुलाई, 2019 को RBI और मालदीव मौद्रिक प्राधिकरण के बीच एक द्विपक्षीय अमेरिकी डॉलर मुद्रा स्वैप समझौते पर हस्ताक्षर किये गए।
- अवसंरचनात्मक परियोजनाएँ:
- भारतीय क्रेडिट लाइन के तहत हनीमाधू अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा विकास परियोजना प्रतिवर्ष 1.3 मिलियन यात्रियों को समायोजित करने के लिये एक नया टर्मिनल स्थापित करेगी।
- भारत के विदेश मंत्री द्वारा वर्ष 2022 में ‘नेशनल कॉलेज फॉर पुलिसिंग एंड लॉ एनफोर्समेंट’ (NCPLE) का उद्घाटन किया गया।
- NCPLE मालदीव में भारत द्वारा निष्पादित सबसे बड़ी अनुदान परियोजना है।
भारत-मालदीव संबंधों में विद्यमान चुनौतियाँ:
- राजनैतिक अस्थिरता:
- भारत की प्रमुख चिंता पड़ोसी देशों की राजनीतिक अस्थिरता के कारण इसकी सुरक्षा और विकास पर प्रभाव रहा है।
- फरवरी 2015 में मालदीव के विपक्षी नेता मोहम्मद नशीद की आतंकवाद के आरोपों में गिरफ्तारी और उसके परिणामस्वरूप उत्पन्न हुए राजनीतिक संकट ने भारत की पड़ोस नीति के समक्ष एक वास्तविक कूटनीतिक परीक्षा जैसी स्थिति उत्पन्न कर दी।
- कट्टरता:
- पिछले एक दशक में इस्लामिक स्टेट (IS) और पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी समूहों का मालदीव में प्रभाव बढ़ता देखा गया है।
- यह पाकिस्तान स्थित आतंकी समूहों द्वारा भारत और भारतीय हितों के खिलाफ आतंकी हमलों के लिये लॉन्च पैड के रूप में मालदीव के द्वीपों का उपयोग करने की आशंका को जन्म देता है।
- पिछले एक दशक में इस्लामिक स्टेट (IS) और पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी समूहों का मालदीव में प्रभाव बढ़ता देखा गया है।
- चीनी पक्ष:
- हाल के वर्षों में भारत के पड़ोसी देशों में चीन के सामरिक दखल में वृद्धि देखने को मिली है। मालदीव दक्षिण एशिया में चीन की ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ (String of Pearls) रणनीति का एक महत्त्वपूर्ण घटक बनकर उभरा है।
- चीन-भारत संबंधों की अनिश्चितता को देखते हुए मालदीव में चीन की रणनीतिक उपस्थिति चिंता का विषय बनी हुई है।
आगे की राह
- दक्षिण एशिया और आसपास की समुद्री सीमाओं में क्षेत्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये भारत को इंडो-पैसिफिक सुरक्षा क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिये।
- भारत के समुद्री प्रभाव के क्षेत्र में अतिरिक्त क्षेत्रीय शक्तियों (विशेष रूप से चीन) के विकास की प्रतिक्रिया के रूप में हिंद-प्रशांत सुरक्षा क्षेत्र को विकसित किया गया है।
- वर्तमान में 'इंडिया आउट' अभियान को सीमित आबादी का समर्थन प्राप्त है, लेकिन भारत सरकार द्वारा इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता है।
- यदि 'इंडिया आउट' के समर्थकों द्वारा उठाए गए मुद्दों को सावधानी पूर्वक नहीं संभाला जाता है और भारत राष्ट्र द्वीप पर परियोजनाओं के पीछे अपने इरादों के बारे में मालदीव के लोगों को प्रभावी ढंग से आश्वस्त नहीं करता है, तो यह अभियान मालदीव की घरेलू राजनीतिक स्थिति को बदल सकता है तथा मालदीव के साथ भारत के वर्तमान अनुकूल संबंधों में हलचल उत्पन्न कर सकता है।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. 'मोतियों की माला' से आप क्या समझते हैं? यह भारत को कैसे प्रभावित करती है? इसका मुकाबला करने के लिये भारत द्वारा उठाए गए कदमों की संक्षेप में रूपरेखा प्रस्तुत कीजिये। (2013) प्रश्न. पिछले दो वर्षों के दौरान मालदीव में राजनीतिक घटनाक्रमों पर चर्चा कीजिये। क्या उन्हें भारत के लिये चिंता का कारण होना चाहिये? (2013) |