शासन व्यवस्था
राष्ट्रीय पर्यटन नीति मसौदा
- 19 Mar 2022
- 12 min read
प्रिलिम्स के लिये:भारत में पर्यटन, पर्यटन से संबंधित योजनाएँ, राष्ट्रीय पर्यटन नीति मसौदा। मेन्स के लिये:सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप, भारत में पर्यटन का महत्त्व और चुनौतियाँ। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सरकार ने ग्रीन और डिजिटल पर्यटन पर ध्यान केंद्रित करते हुए राष्ट्रीय पर्यटन नीति का मसौदा तैयार किया है और इसे अनुमोदन के लिये भेजे जाने से पूर्व उद्योग भागीदारों, राज्य सरकारों, अन्य संबद्ध मंत्रालयों को प्रतिक्रिया के लिये भेजा गया है।
- इससे पहले पर्यटन मंत्रालय ने भारत में ग्रामीण पर्यटन के विकास और MICE उद्योग को बढ़ावा देने हेतु चिकित्सा एवं कल्याण पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये रोडमैप के साथ तीन मसौदा रणनीतियाँ तैयार की हैं।
मसौदा नीति संबंधी प्रमुख बिंदु:
- पर्यटन सेक्टर को उद्योग का दर्जा:
- इस मसौदे के तहत पर्यटन क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने हेतु इस क्षेत्र को उद्योग का दर्जा देने के साथ-साथ होटलों को औपचारिक रूप से बुनियादी अवसंरचना का दर्जा दिये जाने का उल्लेख है।
- पाँच प्रमुख क्षेत्र:
- अगले 10 वर्षों में पाँच प्रमुख महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों पर ध्यान दिया जाएगा, जिसमें हरित पर्यटन, डिजिटल पर्यटन, गंतव्य प्रबंधन, आतिथ्य क्षेत्र को कुशल बनाना और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSMEs) से संबंधित पर्यटन का समर्थन करना शामिल है।
- राहत उपाय और कराधान विराम:
- पर्यटन उद्योग, जो पिछले दो वर्षों में महामारी के कारण सबसे अधिक प्रभावित रहा है, ने राहत उपायों के साथ-साथ कराधान विराम के लिये सरकारी प्रतिनिधियों को कई अभ्यावेदन भेजे थे।
- फ्रेमवर्क शर्तें प्रदान करना:
- यह मसौदा नीति विशिष्ट परिचालन मुद्दों को संबोधित नहीं करता है, हालाँकि इसमें विशेष रूप से महामारी के मद्देनज़र इस क्षेत्र की मदद करने के लिये फ्रेमवर्क प्रस्तुत किया गया है।
- विदेशी एवं स्थानीय पर्यटकों के अनुभव को बेहतर बनाने के लिये समग्र मिशन एवं विज़न तैयार किया जा रहा है।
भारत में पर्यटन परिदृश्य:
- परिचय:
- भारत ने अतीत में अपनी समृद्धि के कारण बहुत से यात्रियों को आकर्षित किया। चीनी बौद्ध धर्मनिष्ठ ह्वेनसांग की यात्रा इसका एक प्रमुख उदाहरण है।
- तीर्थयात्रा को तब बढ़ावा मिला जब अशोक और हर्ष जैसे सम्राटों ने तीर्थयात्रियों के लिये विश्राम गृह बनाना शुरू किया।
- अर्थशास्त्र पुस्तक के तहत राज्य के लिये यात्रा बुनियादी अवसंरचना के महत्त्व को इंगित किया गया है।
- स्वतंत्रता के बाद पर्यटन लगातार विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं (FYP) का हिस्सा बना रहा।
- पर्यटन के विभिन्न रूपों जैसे- व्यापार पर्यटन, स्वास्थ्य पर्यटन और वन्यजीव पर्यटन आदि को भारत में सातवीं पंचवर्षीय योजना के बाद शुरू किया गया था।
- स्थिति:
- विश्व यात्रा और पर्यटन परिषद की 2019 की रिपोर्ट में विश्व जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में योगदान के मामले में भारत के पर्यटन क्षेत्र को 10वें स्थान पर रखा गया है।
- वर्ष 2019 के दौरान सकल घरेलू उत्पाद में यात्रा और पर्यटन का योगदान कुल अर्थव्यवस्था में 13,68,100 करोड़ रुपए का था जो कि सकल घरेलू उत्पाद का 6.8% था (194.30 अरब अमेरिकी डॉलर)।
- भारत में वर्ष 2021 तक 'विश्व विरासत सूची' के तहत 40 साइट्स सूचीबद्ध हैं। इस मामले में विश्व में भारत का छठा स्थान (32 सांस्कृतिक, 7 प्राकृतिक और 1 मिश्रित स्थल) है।
- इनमें धौलावीरा और रामप्पा मंदिर (तेलंगाना) शामिल होने वाली नवीनतम साइट्स हैं।
- वित्त वर्ष 2020 में भारत में पर्यटन क्षेत्र में 39 मिलियन नौकरियाँ थीं जिनकी देश में कुल रोज़गार में 8.0% हिस्सेदारी थी। वर्ष 2029 तक यह आंँकड़ा लगभग 53 मिलियन नौकरियों तक पँहुचने की उम्मीद है।
- विश्व यात्रा और पर्यटन परिषद की 2019 की रिपोर्ट में विश्व जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में योगदान के मामले में भारत के पर्यटन क्षेत्र को 10वें स्थान पर रखा गया है।
- महत्त्व:
- सेवा क्षेत्र:
- यह सेवा क्षेत्र को गति प्रदान करता है। पर्यटन उद्योग के विकास के साथ एयरलाइन, होटल भूतल परिवहन आदि जैसे सेवा क्षेत्र में लगे व्यवसायों की संख्या में बढ़ोतरी होती है।
- विदेशी विनिमय:
- भारत में आने वाले विदेशी यात्रियों से विदेशी मुद्रा की प्राप्ति होती है।
- वर्ष 2016 से 2019 तक विदेशी मुद्रा आय में 7% की CAGR की बढ़ोतरी हुई लेकिन वर्ष 2020 में COVID-19 महामारी के कारण इसमें गिरावट आई।
- राष्ट्रीय विरासत का संरक्षण:
- पर्यटन साइट्स के महत्त्व और उन्हें संरक्षित करने की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित करके राष्ट्रीय विरासत एवं पर्यावरण के संरक्षण में मदद मिल सकती है।
- सांस्कृतिक गौरव का नवीनीकरण:
- वैश्विक स्तर पर पर्यटन स्थलों की सराहना होने पर भारतीय निवासियों में गर्व की भावना पैदा होती है।
- ढांँचागत विकास:
- आजकल यात्रियों को किसी भी समस्या का सामना न करना पड़े, इसके लिये अनेक पर्यटन स्थलों पर बहु-उपयोगी अवसंरचना विकसित की जा रही है।
- मान्यता:
- यह भारतीय पर्यटन को वैश्विक मानचित्र पर लाने, प्रशंसा अर्जित करने, मान्यता प्राप्त करने और सांस्कृतिक आदान-प्रदान की पहल करने में मदद करता है।
- सांस्कृतिक कूटनीति को बढ़ावा:
- एक सॉफ्ट पावर के रूप में पर्यटन, सांस्कृतिक कूटनीति को बढ़ावा देने में मदद करता है, लोगों के मध्य जुड़ाव से भारत और अन्य देशों के बीच दोस्ती व सहयोग को बढ़ावा देता है।
- सेवा क्षेत्र:
- चुनौतियांँ:
- बुनियादी ढांँचे में कमी:
- भारत में पर्यटकों को अभी भी कई बुनियादी सुविधाओं से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ता है जैसे-खराब सड़कें, पानी, सीवर, होटल और दूरसंचार आदि।
- बचाव और सुरक्षा:
- पर्यटकों, विशेषकर विदेशी पर्यटकों की सुरक्षा पर्यटन के विकास में एक बड़ी बाधा है। विदेशी नागरिकों पर हमले अन्य देशों के पर्यटकों का भारत में स्वागत करने की क्षमता पर प्रश्नचिह्न लगाता है।
- कुशल जनशक्ति की कमी:
- कुशल जनशक्ति की कमी भारत में पर्यटन उद्योग के लिये एक और चुनौती है।
- मूलभूत सुविधाओं का अभाव :
- पर्यटन स्थलों पर पेयजल, सुव्यवस्थित शौचालय, प्राथमिक उपचार, अल्पाहार गृह आदि जैसी मूलभूत सुविधाओं का अभाव।
- मौसमी:
- अक्तूबर से मार्च तक छह महीने पर्यटन में मौसमी व्यस्तता सीमित होती है, जबकि नवंबर और दिसंबर में भारी भीड़ होती है।
- बुनियादी ढांँचे में कमी:
- संबंधित पहल:
- स्वदेश दर्शन योजना: इसके तहत पर्यटन मंत्रालय 13 चिह्नित थीम आधारित सर्किट्स के बुनियादी ढाँचे के विकास हेतु राज्य सरकारों/केंद्रशासित प्रदेशों के प्रशासन को केंद्रीय वित्तीय सहायता (CFA) प्रदान करता है।
- तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक, विरासत संवर्द्धन अभियान पर राष्ट्रीय मिशन:
- पर्यटन मंत्रालय द्वारा वर्ष 2014-15 में चिह्नित तीर्थस्थलों के समग्र विकास के उद्देश्य से प्रसाद योजना शुरू की गई थी।
- प्रतिष्ठित पर्यटक स्थल:
- बोधगया, अजंता और एलोरा में बौद्ध स्थलों की पहचान प्रतिष्ठित पर्यटक स्थल (भारत की सॉफ्ट पावर को बढ़ाने के उद्देश्य से) के रूप में विकसित करने के लिये की गई है।
- बौद्ध सम्मेलन:
- बौद्ध सम्मेलन भारत को बौद्ध गंतव्य और दुनिया भर के प्रमुख बाज़ारों के रूप में बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रत्येक एक वर्ष के अंतराल में आयोजित किया जाता है।
- देखो अपना देश' पहल:
- इसे पर्यटन मंत्रालय द्वारा वर्ष 2020 में शुरू किया गया था ताकि नागरिकों को देश के भीतर व्यापक रूप से यात्रा करने के लिये प्रोत्साहित किया जा सके तथा इस प्रकार घरेलू पर्यटन सुविधाओं एवं बुनियादी ढाँचे के विकास को सक्षम बनाया जा सके।
आगे की राह
- सभी प्रकार के बुनियादी ढाँचे (भौतिक, सामाजिक और डिजिटल) का तेज़ी से विकास समय की मांग है।
- पर्यटकों की सुरक्षा प्राथमिक कार्य है, जिसके लिये एक आधिकारिक गाइड प्रणाली शुरू की जा सकती है।
- भारतीय निवासियों को पर्यटकों के साथ उचित व्यवहार करने के लिये प्रेरित किया जाना चाहिये ताकि पर्यटकों को किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी का सामना न करना पड़े।
- मौसमी समस्या को हल करने के लिये पर्यटन के अन्य रूपों जैसे चिकित्सा पर्यटन, साहसिक पर्यटन आदि को बढ़ावा देना चाहिये, साथ ही ऑफ-सीज़न रियायत इसका दूसरा उपाय हो सकता है।
- भारत का विशाल आकार और प्राकृतिक, भौगोलिक, सांस्कृतिक एवं कलात्मक विविधता भारतीय पर्यटन उद्योग को अपार अवसर प्रदान करती है।