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भारत में खेल शासन

  • 29 Jul 2022
  • 13 min read

यह एडिटोरियल 28/07/2022 को ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित “India at Commonwealth Games: Sports governance needs to change” पर आधारित है। इसमें आगामी राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन और भारत में खेल शासन के बारे में चर्चा की गई है।

संदर्भ

राष्ट्रमंडल खेलों का 21वाँ संस्करण बर्मिंघम, यूनाइटेड किंगडम में उद्घाटन समारोह के साथ शुरू हुआ। प्रतिस्पर्द्धा में भारत एक प्रबल दल के रूप में आगे बढ़ रहा है।

  • भारत की अर्थव्यवस्था और देश की युवा जनसांख्यिकी को देखते हुए भारत में खेलों का आख्यान एक परिवर्तन के दौर से गुज़र रहा है। लेकिन क्रिकेट और निशानेबाजी जैसे कुछ खेलों को छोड़ दें तो भारत में खेल प्रतिस्पर्द्धाओं के प्रति बढ़ती दिलचस्पी आवश्यक रूप से समग्र खेल क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन में रूपांतरित नहीं हो रही।
  • भारतीय खेल क्षेत्र में उच्च स्तर की जटिलता मौजूद है क्योंकि भारत में खेल के वितरण और प्रबंधन के लिये विविध संगठन (जैसे शासी निकाय, निजी कंपनियाँ, गैर-लाभकारी संस्थाएँ, आदि) ज़िम्मेदार हैं। इसके साथ ही भारत में खेल क्षेत्र का वृहत आकार और व्यापक जटिलताएँ इसके लिये कई प्रकार की विशिष्ट शासन चुनौतियाँ उत्पन्न करता है।

भारत में खेल शासन का इतिहास

  • 1950 के दशक की शुरुआत में केंद्र सरकार ने देश में खेलों के गिरते मानकों पर विचार करने के लिये अखिल भारतीय खेल परिषद (All India Council of Sports- AICS) की स्थापना की।
  • वर्ष 1982 में नई दिल्ली में एशियाई खेलों के आयोजन दौरान देश में सर्वप्रथम एक खेल विभाग (Department of Sports) की स्थापना की गई जिसे वर्ष 1985 में अंतर्राष्ट्रीय युवा वर्ष के अवसर पर युवा कार्यक्रम और खेल विभाग (Department of Youth Affairs and Sports) में बदल दिया गया।
  • राष्ट्रीय खेल नीति वर्ष 1984 में घोषित हुई।
  • वर्ष 2000 में युवा कार्यक्रम और खेल विभाग को युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय में रूपांतरित कर दिया गया।
  • वर्ष 2011 में युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय ने भारत के राष्ट्रीय खेल विकास संहिता, 2011 (National Sports Development Code of India 2011) को अधिसूचित किया।
  • वर्ष 2022 में नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा एरोबेटिक्स, एरो मॉडलिंग, बैलूनिंग, ड्रोन, हैंग ग्लाइडिंग और पावर्ड हैंग ग्लाइडिंग, पैराशूटिंग आदि के लिये राष्ट्रीय वायु खेल नीति, 2022 (NASP 2022) लॉन्च की गई।

भारत में खेल शासन का वर्तमान मॉडल

  • खेल शासन के भारतीय मॉडल में युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय (MYAS), भारतीय ओलंपिक संघ (IOA), राज्य ओलंपिक संघ (SOA), राष्ट्रीय खेल महासंघ (NSF), भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) जैसे कई हितधारक संलग्न हैं।
  • उनके मध्य व्यवस्थाओं का एक व्यापक स्तरीय ग्राफ़िक निरूपण इस प्रकार किया जा सकता है:

Olympic-charter

भारत में खेल शासन से संबद्ध समस्याएँ

  • अधिकारों और उत्तरदायित्व का अस्पष्ट सीमांकन: खेल से कई अलग-अलग पक्षकार संबद्ध हैं। वर्तमान में भारतीय खेल के अंदर प्रबंधन और शासन के बीच बहुत कम अंतर है। कई भारतीय खेल संगठनों में कार्यकारी समिति (शासन के लिये प्रत्यक्ष रूप से उत्तरदायी निकाय) आमतौर पर स्वयं ही प्रबंधन कार्य से भी संलग्न होती है।
    • नियंत्रण और संतुलन का अभाव: स्वायत्तता के नाम पर बिना किसी नियंत्रण और संतुलन के उन्हें किसी भी तरह से कार्य करने की अनुमति दे दी गई है।
  • पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी: वर्तमान खेल मॉडल में जवाबदेही की समस्याएँ हैं (जैसे कि उन्हें प्राप्त असीमित विवेकाधीन शक्तियाँ), जबकि राजस्व प्रबंधन में अनियमितता के साथ ही निर्णय लेने में पारदर्शिता के अभाव की स्थिति नज़र आती है।
  • अपर्याप्त व्यावसायीकरण: कई भारतीय खेल संगठनों, विशेष रूप से शासी निकायों ने व्यावसायिक और पेशेवर क्षेत्र की संबद्ध चुनौतियों का मुक़ाबला करने के लिये संरचनात्मक अनुकूलन की स्थापना नहीं की है।
    • ये संगठन बढ़े हुए कार्यभार को संभालने के लिये कुशल पेशेवरों को कार्य नियुक्त करने के बजाय संगठन के कार्यकरण प्रबंधन के लिये अभी भी स्वयंसेवकों पर निर्भर बने हुए हैं।
  • शौक बनाम पेशा: भारत में खेल को इसकी निम्न सफलता दर, शैक्षणिक दबाव और जॉब-सीकर मानसिकता के कारण मुख्यतः एक शौक के रूप में ही देखा जाता है, जिससे युवाओं के लिये खेल को एक पेशे के रूप में लेकर आगे बढ़ाना कठिन हो जाता है।
  • पर्याप्त अवसंरचना का अभाव: भारत में खेल अवसंरचना की स्थिति अभी भी वांछित स्तर तक नहीं पहुँच पाई है। यह देश में खेल की संस्कृति के विकास में बाधा उत्पन्न करती है।
    • भारत के संविधान के अनुसार खेल राज्य सूची का विषय है, इसलिये पूरे देश में एकसमान रूप से खेल अवसंरचना के विकास के लिये कोई व्यापक दृष्टिकोण मौजूद नहीं है।
  • प्रदर्शन बढ़ाने वाली दवाएँ: खेल क्षेत्र में प्रदर्शन बढ़ाने वाली दवाओं (Performance Enhancing Drugs) का उपयोग अभी भी एक बड़ी समस्या है। देश में राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी के निर्माण के बावजूद इस समस्या को अभी भी प्रभावी ढंग से संबोधित करने की आवश्यकता है ।

खेल संस्कृति को बढ़ावा देने के लिये सरकार की विभिन्न पहलें

आगे की राह

  • अवसंरचना में पर्याप्त निवेश: एक अग्रणी खेल राष्ट्र बनने के लिये भारत को सभी प्रमुख खेलों पर पर्याप्त ध्यान देने के अतिरिक्त विभिन्न खेल संस्थानों में खेल प्रशिक्षण, खेल चिकित्सा, अनुसंधान एवं विश्लेषण में सर्वोत्तम अंतर्राष्ट्रीय अभ्यासों के साथ एक आधुनिक अवसंरचना के निर्माण हेतु भारी निवेश करना होगा।
    • अवसंरचना की गुणवत्ता को ग्राम स्तर तक बढ़ाया जा सकता है और क्षेत्रीय केंद्र उन लोगों के लिये उपलब्ध कराये जाने चाहिये जो अपने खेल को पेशेवर रूप से आगे बढ़ाने के प्रति गंभीर हैं।
  • प्रभावी विधायी समर्थन: प्रबल कानून के अभाव में खेल प्राधिकरणों के कार्यों में कोई प्रभाव उत्पन्न नहीं होगा। इसके अलावा, पूर्ण राजनीतिक हस्तक्षेप की स्थिति भी हो सकती है जिसे आसानी से विसंगतियों को दूर करने वाले एक अच्छी तरह से तैयार किये गए कानून के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता है।
  • शासन और प्रबंधन का पुनर्गठन: संसाधनों के उपयोग को अधिकतम करने के लिये भारतीय खेल क्षेत्र से संलग्न विभिन्न निकायों के बीच भूमिकाओं और उत्तरदायित्वों का उचित सीमांकन होना चाहिये और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिये कि खेल की आवश्यकताओं की पूर्ति में कोई अंतराल न हो।
    • हालाँकि इसे संलग्न हितधारक क्षेत्रों के संयोजन में किये जाने की आवश्यकता है और यह तानाशाहीपूर्ण नहीं हो; इसके साथ ही रणनीतिक एवं प्रबंधन पदों पर पेशेवरों को शामिल किया जाना चाहिये।
    • प्रायोजनों/स्पांसरशिप, मीडिया अधिकारों और सरकारी वित्तपोषण के प्रबंधन के लिये पृथक कॉर्पोरेट कार्यसमूह के गठन से राजस्व प्रबंधन की ज़िम्मेदारी तय करने में मदद मिलेगी।
  • खेल जागरूकता पैदा करना: बच्चों के दैनिक जीवन में खेलों को शामिल करने से यह न केवल उनके आत्मविश्वास, आत्म-छवि और व्यक्तित्व को बढ़ावा देगा, बल्कि खेल में एक संभावित करियर के द्वार भी खोलेगा।
    • ऊर्ध्वगामी दृष्टिकोण: देश में खेल संस्कृति के निर्माण के लिये प्राथमिक शिक्षा स्तर से परिवर्तन की शुरुआत करनी होगी।
      • बच्चों के समग्र विकास में खेलों को समान महत्त्व देने के लिये शिक्षा प्रणाली में सुधार किया जाना चाहिये।
  • एक संभावित प्रशिक्षण केंद्र के रूप में विकास: भारत में विभिन्न खेलों में विशाल अनुभव के साथ प्रचुर कोचिंग प्रतिभा मौजूद है जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कबड्डी और क्रिकेट जैसे खेलों के लिये प्रशिक्षण केंद्र के रूप में भारत के विकास के लिये उत्प्रेरक के रूप में कार्य कर सकती है।
    • इटेन (Iten) का उदाहरण: केन्या में इटेन नामक एक छोटा सा क़स्बा है। इसने पिछले कुछ दशकों में एथलेटिक्स में 10 से अधिक विश्व चैंपियन दिए हैं।
      • दुनिया में लगभग प्रत्येक मध्यम दूरी का धावक अपने जीवनकाल में कम से कम एक बार प्रशिक्षण के लिये इटेन अवश्य गया है।

अभ्यास प्रश्न: ‘‘खेल शासन के मौजूदा मॉडल की जटिलता भारत में खेल संस्कृति के विकास के मार्ग की विभिन्न चुनौतियों में एक महत्त्वपूर्ण योगदानकर्ता है।’’ टिप्पणी कीजिये।

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