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प्रीलिम्स फैक्ट्स: 22 नवंबर, 2019

  • 22 Nov 2019
  • 7 min read

कुफरी सह्याद्रि

Kufri Sahyadri 

हाल ही में केंद्रीय आलू अनुसंधान केंद्र (Central Potato Research Institute) शिमला द्वारा आलू की एक नई किस्म कुफरी सह्याद्रि (Kufri sahyadri) का विकास किया गया है।

Potato

कुफरी सह्याद्रि के बारे में:

  • हिमाचल क्षेत्र में आलू में नेमोटोड्स पाए जाने के कारण आलू के उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ा है जिसके लिये कुफरी सह्याद्रि का विकास किया गया।
  • इस नई किस्म पर नेमोटोड्स का प्रभाव नहीं पड़ेगा तथा यह किस्म आलू की कुफरी ज्योति और कुफरी स्वर्ण किस्म का स्थान लेगी।

नेमोटोड्स क्या होते हैं?

  • नेमोटोड्स गोलकृमि होते हैं जिन्हें नग्न आँखों से नहीं देखा जा सकता। 
  • ये आलू की जड़ों को प्रभावित करते हैं, इनसे प्रभावित आलू से स्वास्थ्य पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता परंतु आलू उत्पादन कम हो जाता है।

टारगेट ओलंपिक पोडियम योजना

Target Olympic Podium Scheme

वर्तमान में टारगेट ओलंपिक पोडियम (Target Olympic Podium- TOP) योजना के तहत लगभग 352 एथलीट सहायता प्राप्त कर चुके हैं।

TOP

TOP के बारे में:

  • टारगेट ओलंपिक पोडियम योजना की शुरुआत वर्ष 2014 में राष्ट्रीय खेल विकास कोष (National Sports Development Fund- NSDF) के तहत हुई थी।
    • अभी तक NSDF के कुल खर्च का लगभग 54.40% TOP योजना पर खर्च किया जा चुका है।
  • इसका लक्ष्य ओलंपिक खेलों में पदक जीतने की संभावना रखने वाले एथलीटों की पहचान कर उन्हें ओलंपिक की तैयारी के लिये समर्थन तथा सहायता देना है।
  • ऐसे खेल जिनमें भारत की ओलंपिक में पदक जीतने की संभावना है, को उच्च प्राथमिकता वाले खेलों की सूची में रखा गया है, जो इस प्रकार हैं-
    • (i) एथलेटिक्स, (ii) बैडमिंटन, (iii) हॉकी, (iv) शूटिंग, (v) टेनिस, (vi) भारोत्तोलन, (vii) कुश्ती, (viii) तीरंदाजी (ix) मुक्केबाज़ी
  • उच्च प्राथमिकता वाले खेलों के अलावा अन्य खेलों को राष्ट्रीय खेल महासंघ (National Sports Federations- NSF) द्वारा सहायता प्रदान की जाती है।
    • अंतर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेने, भारत में अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों का आयोजन करने, राष्ट्रीय चैंपियनशिप और कोचिंग शिविरों का आयोजन कराने के लिये यह सहायता दी जाती है।

एमके- 45 नौसैनिक बंदूक

MK- 45 Naval Gun

संयुक्त राज्य अमेरिका ने भारत को 13 एमके- 45 (MK- 45) नौसैनिक बंदूकें और संबंधित उपकरणों की बिक्री किये जाने के समझौते को मंज़ूरी दी है।

MK- 45

MK-45 नौसैनिक बंदूक के बारे में:

  • इसका इस्तेमाल तटों पर बमबारी, युद्धपोतों तथा युद्धक विमानों के खिलाफ किया जाता है।
  • इनका निर्माण बीएइ सिस्टम्स लैंड एंड आर्मामेंट्स (BAE Systems Land and Armaments) द्वारा किया जाएगा।
  • इसकी मारक क्षमता 20 समुद्री मील से भी अधिक है।
  • ऑस्ट्रेलिया, जापान, दक्षिण कोरिया और थाईलैंड के बाद भारत उन देशों की श्रेणी में शामिल हो गया है। जिन्हें अमेरिका ने इस बंदूक के नवीनतम संस्करण (MOD4) बेचने का फैसला किया है।

आँसू गैस- जिनेवा प्रोटोकॉल 1925

Tear Gas- Geneva Protocol 1925

हाल ही में अमेरिका ने हाॅन्गकाॅन्ग में जारी सरकार विरोधी प्रदर्शनों के मद्देनजर एक विधेयक पारित किया है जो कुछ भीड़-नियंत्रण संबंधी सामानों जैसे- आँसू गैस आदि के निर्यात पर प्रतिबंध लगाएगा।

Tear Gas

  • आँसू गैस (Tear Gas) एक रासायनिक संघटक है जिसका इस्तेमाल अक्सर दंगा नियंत्रण के लिये किया जाता है।
    • यह एक विषैली गैस है।
  • आँसू गैस के रूप में सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाला पदार्थ सिंथेटिक कार्बनिक हैलोजन यौगिक हैं
  • इसे औपचारिक रूप से एक लैक्रिमेट्री एजेंट (Lacrimatory Agent) या लैक्रिमेटर (Lacrimator) के रूप में जाना जाता है यह आंखों में कॉर्निया की नसों को उत्तेजित कर देता है जिससे आँखों में आँसू, दर्द और यहाँ तक ​​कि अंधापन भी हो सकता है।
  • पहली बार इसका प्रयोग प्रथम विश्व युद्ध में रासायनिक हथियार के रुप में किया गया था।

जिनेवा प्रोटोकॉल 1925

  • वर्ष 1925 का जिनेवा प्रोटोकॉल युद्ध में रासायनिक और जैविक हथियारों के इस्तेमाल पर रोक लगाता है।
  • यह प्रोटोकॉल 8 फरवरी, 1928 को लागू हुआ था।

कोआला भालू

Koala Bear

हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स प्रांत के जंगल में आग लगने से लगभग 350 कोआला भालुओं ( Koala Bear) के मरने की आशंका जताई जा रही है।

Koala Bear

कोआला भालू के बारे में:

  • यह पूर्वी ऑस्ट्रेलिया के तटीय क्षेत्रों में वृक्षों पर निवास करने वाला धानी-प्राणी (Marsupial) है।
  • यह प्रतिरक्षा प्रणाली के बिना ही गर्भावस्था के 34-36 दिनों के बाद जन्म लेता है और इसके बाद लगभग 6 माह तक पेट के पाउच/थैले में इसका विकास होता है।   
  • इसे प्रकृति संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ (International Union for Conservation of Nature- IUCN) की रेड डेटा बुक के अंतर्गत सुभेद्य (Vulnerable) प्रजाति  के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
  • निवास स्थान की क्षति और आहार की कमी  के कारण इनकी जनसंख्या में तेज़ी से कमी आई है।
  • इनका मुख्य आहार यूकेलिप्टस की पत्तियाँ हैं।
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