कृषि
लिक्विड नैनो यूरिया
- 02 Jun 2022
- 8 min read
प्रिलिम्स के लिये:लिक्विड नैनो यूरिया, इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइज़र कोऑपरेटिव लिमिटेड। मेन्स के लिये:पारंपरिक यूरिया की तुलना में लिक्विड नैनो यूरिया का महत्त्व। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री ने गुजरात के कलोल में पहले लिक्विड नैनो यूरिया (LNU) संयंत्र का उद्घाटन किया।
- यह स्वदेशी यूरिया है, जिसे सबसे पहले भारतीय किसान उर्वरक सहकारी लिमिटेड (IFFCO) द्वारा दुनिया भर के किसानों के लिये पेश किया गया था।
भारतीय किसान उर्वरक सहकारी लिमिटेड (IFFCO)
- परिचय:
- यह भारत की सबसे बड़ी सहकारी समितियों में से एक है जिसका पूर्ण स्वामित्व भारतीय सहकारी समितियों के पास है।
- वर्ष 1967 में केवल 57 सहकारी समितियों के साथ इसकी स्थापना की गई थी, वर्तमान में यह 36,000 से अधिक भारतीय सहकारी समितियों का एक समूह है, जिसमें उर्वरकों के निर्माण और बिक्री संबंधी मुख्य व्यवसाय के अतिरिक्त सामान्य बीमा से लेकर ग्रामीण दूरसंचार तक विविध व्यावसायिक हित निहित हैं।
- उद्देश्य:
- भारतीय किसानों को पर्यावरणीय दृष्टिकोण से टिकाऊ, विश्वसनीय, उच्च गुणवत्ता वाले कृषि इनपुट और सेवाओं की समय पर आपूर्ति के माध्यम से समृद्ध होने और उनके कल्याण के लिये अन्य गतिविधियों को शुरू करने में सक्षम बनाना।
लिक्विड नैनो यूरिया:
- परिचय:
- यह नैनो कण के रूप में यूरिया का एक प्रकार है। यह यूरिया के परंपरागत विकल्प के रूप में पौधों को नाइट्रोजन प्रदान करने वाला एक पोषक तत्त्व (तरल) है।
- यूरिया सफेद रंग का एक रासायनिक नाइट्रोजन उर्वरक है, जो कृत्रिम रूप से नाइट्रोजन प्रदान करता है तथा पौधों के लिये एक आवश्यक प्रमुख पोषक तत्त्व है।
- नैनो यूरिया को पारंपरिक यूरिया के स्थान पर विकसित किया गया है और यह पारंपरिक यूरिया की आवश्यकता को न्यूनतम 50 प्रतिशत तक कम कर सकता है।
- इसकी 500 मिली.की एक बोतल में 40,000 मिलीग्राम/लीटर नाइट्रोजन होता है, जो सामान्य यूरिया के एक बैग/बोरी के बराबर नाइट्रोजन पोषक तत्त्व प्रदान करेगा।
- यह नैनो कण के रूप में यूरिया का एक प्रकार है। यह यूरिया के परंपरागत विकल्प के रूप में पौधों को नाइट्रोजन प्रदान करने वाला एक पोषक तत्त्व (तरल) है।
- निर्माण:
- इसे स्वदेशी रूप से नैनो बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर ( कलोल, गुजरात) में आत्मनिर्भर भारत अभियान और आत्मनिर्भर कृषि के अनुरूप विकसित किया गया है।
- भारत अपनी यूरिया की ज़रूरतों को पूरा करने के लिये आयात पर निर्भर है।
- इसे स्वदेशी रूप से नैनो बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर ( कलोल, गुजरात) में आत्मनिर्भर भारत अभियान और आत्मनिर्भर कृषि के अनुरूप विकसित किया गया है।
- उद्देश्य:
- इसका उद्देश्य पारंपरिक यूरिया के असंतुलित और अंधाधुंध उपयोग को कम करना, फसल उत्पादकता में वृद्धि करना तथा मिट्टी, पानी व वायु प्रदूषण को कम करना है।
- महत्त्व:
- पौधों के पोषण में सुधार:
- नैनो यूरिया लिक्विड को पौधों के पोषण के लिये प्रभावी और कुशल पाया गया है। यह बेहतर पोषण गुणवत्ता के साथ उत्पादन बढ़ाने में भी सक्षम है।
- यह मृदा में यूरिया अनुप्रयोग के अतिरिक्त उपयोग को कम करके संतुलित पोषण कार्यक्रम को बढ़ावा देगा, साथ ही फसलों को मज़बूत एवं स्वस्थ बनाएगा और उन्हें लॉजिंग प्रभाव से बचाएगा।
- लॉजिंग प्रभाव से फसल के तने ज़मीन की तरफ झुक जाते है, जिससे फसलों की कटाई करना बहुत मुश्किल हो जाता है और उपज में नाटकीय रूप से कमी आ सकती है।
- पर्यावरण में सुधार:
- भूमिगत जल की गुणवत्ता और सतत् विकास पर भी इसका बड़ा सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, साथ ही जलवायु परिवर्तन एवं ग्लोबल वार्मिंग में कमी लागा।
- किसानों की आय में वृद्धि:
- यह किसानों का पॉकेट फ्रेंडली है और किसानों की आय बढ़ाने में कारगर होगा। इससे लॉजिस्टिक्स एवं वेयरहाउसिंग की लागत में भी काफी कमी आएगी।
- पौधों के पोषण में सुधार:
पारंपरिक यूरिया की तुलना में LNU की गुणवत्ता:
- उच्च दक्षता:
- पारंपरिक यूरिया की दक्षता लगभग 25% है, तरल नैनो यूरिया की दक्षता 85-90% तक हो सकती है।
- परंपरागत यूरिया फसलों पर वांछित प्रभाव डालने में विफल रहता है क्योंकि इसे प्रायः गलत तरीके से इस्तेमाल किया जाता है और इसमें नाइट्रोजन वाष्पीकृत हो जाती है या गैस के रूप में नष्ट हो जाती है। सिंचाई के दौरान भी बहुत सारा नाइट्रोजन बह जाता है।
- फसलों को पोषक तत्त्वों की लक्षित आपूर्ति:
- लिक्विड नैनो यूरिया को सीधे पत्तियों पर छिड़का जाता है और पौधे द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है।
- नैनो रूप में उर्वरक फसलों को पोषक तत्त्वों की लक्षित आपूर्ति प्रदान करते हैं, क्योंकि वे पत्तियों के एपिडर्मिस पर पाए जाने वाले रंध्रों द्वारा अवशोषित होते हैं।
- आर्थिक रूप से वहनीय:
- नैनो यूरिया की एक बोतल, परंपरागत यूरिया के कम-से-कम एक बोरी की मात्रा के बराबर प्रभावी होती है।
- लिक्विड नैनो यूरिया आधा लीटर की बोतल में उपलब्ध होता है जिसकी कीमत 240 रुपए है और वर्तमान में इस पर सब्सिडी भी भारित नहीं है।
- इसके विपरीत एक किसान भारित सब्सिडी वाले यूरिया के 50 किलोग्राम की एक बोरी के लिये लगभग 300 रुपए का भुगतान करता है।
- नैनो यूरिया की एक बोतल, परंपरागत यूरिया के कम-से-कम एक बोरी की मात्रा के बराबर प्रभावी होती है।