भारतीय अर्थव्यवस्था
OECD रिपोर्ट में भारतीय किसानों के कराधान पर प्रकाश
- 02 Nov 2023
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प्रिलिम्स के लिये:आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD), बाज़ार समर्थन मूल्य (MPS) मेन्स के लिये:सरकारी खरीद और वितरण, सरकारी नीतियों एवं पहलों का प्रभाव |
स्रोत: डाउन टू अर्थ
चर्चा में क्यों?
आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) की कृषि नीति निगरानी तथा मूल्यांकन, 2023 नामक एक नवीनतम रिपोर्ट ने वर्ष 2022 में भारतीय किसानों के अंतर्निहित कराधान पर अपना स्पष्टीकरण दिया है।
- एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2022 में भारतीय किसानों पर 169 अरब अमेरिकी डॉलर का टैक्स लगाया गया।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:
- भारत का नकारात्मक MPS प्रभुत्व:
- वर्ष 2022 में OECD रिपोर्ट में विश्लेषण किये गए 54 देशों के बीच भारत के नकारात्मक बाज़ार समर्थन मूल्य (MPS) का वैश्विक स्तर पर 80% से अधिक ऐसे करों के लिये योगदान था।
- 54 देशों में किसानों के लिये कुल अंतर्निहित कराधान लगभग 200 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। भारतीय किसानों पर लगाया गया अंतर्निहित कराधान आश्चर्यजनक रूप से 169 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया, जिससे भारत इस परिदृश्य में एक अग्रणी राष्ट्र बन गया।
बाज़ार समर्थन मूल्य (MPS):
- इसे घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों के बीच मूल्य अंतर उत्पन्न करने वाले नीतिगत उपायों के कारण "उपभोक्ताओं एवं करदाताओं द्वारा कृषि उत्पादकों को सकल हस्तांतरण के वार्षिक मौद्रिक मूल्य" के रूप में परिभाषित किया गया है।
- यह किसानों द्वारा अनुभव किये गए लाभ या हानि का माप है जब घरेलू कीमतें वैश्विक कीमतों से भिन्न होती हैं।
- उभरती अर्थव्यवस्थाओं में ऑफसेट प्रयास:
- नकारात्मक MPS वाली कई उभरती अर्थव्यवस्थाओं ने बाह्य बजट समर्थन के माध्यम से MPS की भरपाई की है।
- हालाँकि, भारत के मामले में, परिवर्तनीय इनपुट उपयोग के लिये बड़ी सब्सिडी के रूप में किसानों को विभिन्न बजटीय हस्तांतरण, जैसे उर्वरक, विद्युत और सिंचाई जल, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) ने घरेलू विपणन नियमों और व्यापार नीति उपायों के मूल्य-दबाने के प्रभाव को कम नहीं किया।
- नकारात्मक MPS वाली कई उभरती अर्थव्यवस्थाओं ने बाह्य बजट समर्थन के माध्यम से MPS की भरपाई की है।
- भारतीय किसानों पर प्रभाव:
- जबकि बजटीय हस्तांतरण सकल कृषि प्राप्तियों का 11% था तथा विभिन्न वस्तुओं के लिये नकारात्मक MPS 27.5% था।
- इस विसंगति के परिणामस्वरूप किसानों को सकल कृषि प्राप्तियों का 15% नकारात्मक शुद्ध समर्थन प्राप्त हुआ, जो उनके लिये एक चिंताजनक स्थिति है।
- जबकि बजटीय हस्तांतरण सकल कृषि प्राप्तियों का 11% था तथा विभिन्न वस्तुओं के लिये नकारात्मक MPS 27.5% था।
- वर्ष 2022 में निर्यात नीतियाँ:
- वर्ष 2022 में भारत ने मुख्य रूप से यूक्रेन में युद्ध और वर्ष 2022 हीटवेव की प्रतिक्रिया के रूप में कई वस्तुओं पर निर्यात प्रतिबंध, शुल्क और परमिट प्रस्तुत किये।
- इन नीतियों का उद्देश्य घरेलू कीमतों में उतार-चढ़ाव को रोकना था, लेकिन ऐसा करने से किसानों की प्राप्ति में कमी आई है।
- इन निर्यात नीतियों से प्रभावित वस्तुओं में विभिन्न प्रकार के चावल, गेहूँ, चीनी, प्याज और संबंधित उत्पाद, जैसे- गेहूँ का आटा, शामिल हैं।
- निर्यात प्रतिबंधों ने एक आपूर्तिकर्ता के रूप में भारत की विश्वसनीयता को सीधे प्रभावित किया और न्यून कृषि आय की चुनौती को बढ़ा दिया।
- इन नीतियों ने न केवल घरेलू बाज़ारों को बल्कि वैश्विक कृषि उत्पादक के रूप में देश की स्थिति को भी प्रभावित किया।
- वर्ष 2022 में भारत ने मुख्य रूप से यूक्रेन में युद्ध और वर्ष 2022 हीटवेव की प्रतिक्रिया के रूप में कई वस्तुओं पर निर्यात प्रतिबंध, शुल्क और परमिट प्रस्तुत किये।
- वैश्विक परिप्रेक्ष्य:
- OECD रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि सत्र 2020-2022 के दौरान 54 देशों में कृषि क्षेत्र को प्राप्त उत्पादक समर्थन सालाना औसतन 851 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जो कि कोविड -19 महामारी, मुद्रास्फीति के दबाव और यूक्रेन युद्ध के नतीजों की प्रतिक्रिया के कारण पर्याप्त वृद्धि को प्रदर्शित करता है।
- विरूपण की संभावना:
- 54 देशों में से उत्पादकों को दिये गए दो-तिहाई सकारात्मक समर्थन ने व्यापार और उत्पादन के लिये "संभावित रूप से सबसे अधिक विकृत" माने जाने वाले उपायों का रूप लिया।
- इन रूपों में आउटपुट पर आधारित भुगतान तथा परिवर्तनीय इनपुट का अप्रतिबंधित उपयोग शामिल है, जिससे अक्षमता और लक्षित समर्थन की कमी हो सकती है।
- अंतर्राष्ट्रीय असमानताएँ:
- उभरती अर्थव्यवस्थाओं में संभावित रूप से अधिक विकृत नीतियाँ व्याप्त थीं, जिससे वर्ष 2020-2022 के दौरान उत्पादकों को सकारात्मक समर्थन (सकल कृषि प्राप्तियों का 10%) और अंतर्निहित कराधान (सकल कृषि प्राप्तियों का 6%) उत्पन्न हुए।
- इसके विपरीत OECD देशों में संभावित रूप से विकृत करने वाली नीतियों का स्तर कम था, लेकिन वे उत्पादकों पर परोक्ष रूप से कर नहीं लगाते थे।
किसानों से संबंधित भारत की पहल
- प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN)
- किसान क्रेडिट कार्ड (KCC)
- उत्तर पूर्वी क्षेत्र हेतु मिशन जैविक मूल्य शृंखला विकास (MOVCDNER)
- सतत् कृषि पर राष्ट्रीय मिशन
- परम्परागत कृषि विकास योजना (PKVY)
- कृषि वानिकी पर उप-मिशन (SMAF)
- राष्ट्रीय कृषि विकास योजना
- एग्री-टेक (AgriStack)
- डिजिटल कृषि मिशन
आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (OECD):
- परिचय:
- OECD एक अंतरसरकारी आर्थिक संगठन है जिसकी स्थापना आर्थिक प्रगति और विश्व व्यापार को प्रोत्साहित करने के लिये की गई है।
- अधिकांश OECD सदस्य राष्ट्र उच्च आय वाली अर्थव्यवस्थाएँ हैं जिनका मानव विकास सूचकांक (HDI) बहुत उच्च है और उन्हें विकसित देश माना जाता है।
- नींव:
- इसके मुख्यालय की स्थापना वर्ष 1961 में पेरिस, फ्राँस में की गई थी और इसमें कुल 38 सदस्य देश हैं।
- OECD में शामिल होने वाले सबसे हालिया देश अप्रैल 2020 में कोलंबिया और मई 2021 में कोस्टा रिका थे।
- भारत इसका सदस्य नहीं है, बल्कि एक प्रमुख आर्थिक भागीदार है।
- OECD द्वारा रिपोर्ट और सूचकांक:
- सरकार एक नज़र में
- बेहतर जीवन सूचकांक
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. भारत में निम्नलिखित में से किन्हें कृषि में सार्वजनिक निवेश माना जा सकता है? (2020)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2 और 5 उत्तर:C प्रश्न. 'राष्ट्रीय कृषि बाज़ार' (नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट) स्कीम को क्रियान्वित करने का/के क्या लाह है/हैं? (2017)
नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: C मेन्सप्रश्न. भारत में कृषि उत्पादों के परिवहन एवं विपणन में मुख्य बाधाएँ क्या हैं? (2020) |