प्रारंभिक परीक्षा
मानव विकास रिपोर्ट 2021-22
- 09 Sep 2022
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मानव विकास रिपोर्ट 2021-22 के अनुसार मानव विकास सूचकांक (HDI) में भारत की रैंक वर्ष 2020 के 130 से घटकर वर्ष 2022 में 132 हो गई है, जो कि कोविड -19 महामारी के मद्देनजर HDI स्कोर में वैश्विक गिरावट के अनुरूप है।
मानव विकास रिपोर्ट:
- परिचय:
- मानव विकास रिपोर्ट (HDR) वर्ष 1990 से जारी की जाती हैं जिसने मानव विकास दृष्टिकोण के माध्यम से विभिन्न विषयों का पता लगाया है।
- यह मानव विकास रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा प्रकाशित की जाती है।
- लक्ष्य: इसका लक्ष्य अवसरों, विकल्पों और स्वतंत्रता के विस्तार में योगदान करना है।
- थीम: मानव विकास रिपोर्ट, 2021-22 की थीम ‘‘अनिश्चित समय, अनसुलझा जीवन: परिवर्तन में एक दुनिया में हमारे भविष्य को आकार देन’' (Uncertain Times, Unsettled Lives: Shaping our Future in a World in Transformation) है।
मानव विकास सूचकांक:
- HDI एक समग्र सूचकांक है जो चार संकेतकों को ध्यान में रखते हुए मानव विकास में औसत उपलब्धि को मापता है:
- जन्म के समय जीवन प्रत्याशा (सतत् विकास लक्ष्य 3),
- स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्ष (सतत् विकास लक्ष्य 4.3),
- स्कूली शिक्षा के औसत वर्ष (सतत् विकास लक्ष्य 4.4),
- सकल राष्ट्रीय आय-GNI) (सतत् विकास लक्ष्य 8.5)।
रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएं:
- वैश्विक:
- 90% देशों ने वर्ष 2020 या वर्ष 2021 में अपने मानव विकास सूचकांक मूल्य में कमी दर्ज की है, जो सतत् विकास लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में प्रगति को उलट देता है।
- जीवन प्रत्याशा में गिरावट: मानव विकास सूचकांक की गिरावट में एक बड़ा योगदान जीवन प्रत्याशा में वैश्विक गिरावट है, जो वर्ष 2019 के 72.8 वर्ष से घटकर वर्ष 2021 में 71.4 वर्ष हो गया है।
- भारतीय परिप्रेक्ष्य:
- मानव विकास सूचकांक: भारत का HDI मूल्य वर्ष 2021 में 0.633 था, जो विश्व औसत 0.732 से कम था। वर्ष 2020 में भी, भारत ने वर्ष 2019 के पूर्व-कोविड स्तर (0.645) की तुलना में अपने HDI मूल्य (0.642) में गिरावट दर्ज की।
- जीवन प्रत्याशा: वर्ष 2021 में जन्म के समय भारत की जीवन प्रत्याशा 67.2 वर्ष दर्ज की गई थी।
- स्कूली शिक्षा: स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्ष 11.9 वर्ष; स्कूली शिक्षा के औसत वर्ष 6.7 वर्ष।
- सकल राष्ट्रीय आय: प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय 6,590 अमेरिकी डॉलर थी।
- लैंगिक असमानता सूचकांक: लैंगिक असमानता सूचकांक में भारत 122वें स्थान पर है।
- अन्य परिप्रेक्ष्य:
- मनुष्य जलवायु परिवर्तन के लिये तैयार नहीं: इसमें कहा गया है कि हाल के वर्षों में एंथ्रोपोसिन के कारण आग और तूफान और अन्य ग्रह-स्तर के परिवर्तनों जैसे जलवायु संकटों के लिये मानव तैयार नहीं है।
- कीड़ों की जनसंख्या में गिरावट: कीट परागणकों के कमी के कारण मानवों को बड़े पैमाने पर खाद्य और अन्य कृषि उत्पादों के उत्पादन में चुनौती का सामना करना पड़ता है।
- चूँकि कीट अपनी विविधता, पारिस्थितिक भूमिका और कृषि, मानव स्वास्थ्य एवं प्राकृतिक संसाधनों पर प्रभाव के कारण महत्त्वपूर्ण हैं।
- वे सभी स्थलीय पारिस्थितिक तंत्रों के लिये जैविक आधार बनाते हैं, आगे, वे पोषक तत्त्वों का चक्रण करते हैं, पौधों को परागित करते हैं, बीजों का प्रसार करते हैं, मृदा की संरचना और उर्वरता को बनाए रखते हैं, अन्य जीवों की आबादी को नियंत्रित करते हैं और अन्य जीवों के लिये प्रमुख खाद्य स्रोत प्रदान करते हैं।
- माइक्रोप्लास्टिक खतरा: प्लास्टिक अब हर जगह- समुद्र में देश के आकार के कूड़े के ढेर में, संरक्षित जंगलों और पहाड़ों में फ़ैल चुका है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:प्रिलिम्स: Q. UNDP के समर्थन से ऑक्सफ़ोर्ड निर्धनता एव बहु-आयामी निर्धनता सूचकांक में निम्नलिखित में से कौन-सा/से सम्मिलित है/हैं? (2012)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: A व्याख्या:
अतः विकल्प (a) सही है। प्रश्न: लगातार उच्च विकास के बावजूद भारत अभी भी मानव विकास के निम्नतम संकेतकों पर है। उन मुद्दों की जाँच करें जो संतुलित और समावेशी विकास को दुशप्राप्य बनाते हैं। (मुख्य परीक्षा, 2016) |