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कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने भारत में कृषि सुधार के लिये उठाए कई महत्त्वपूर्ण कदम

  • 09 Jun 2018
  • 11 min read

संदर्भ

फरवरी, 2004 में राष्‍ट्रीय किसान आयोग का गठन किया गया था। उसके बाद देश में आयोग की सिफारिशों के आधार पर किसानों के लिये राष्‍ट्रीय नीति मंज़ूर की गई, जिसका उद्देश्‍य कृषि क्षेत्र की आर्थिक स्‍थिति में सुधार लाने के साथ-साथ किसानों की निवल आय में भी वृद्धि करना था। वार्तमान सरकार में कृषि क्षेत्र में सुधार के लिये कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं।

महत्त्वपूर्ण प्रयास
Model Agricultural Land Leasing Act, 2016

  • Model Agricultural Land Leasing Act, 2016 राज्‍यों को जारी किया गया, जो कृषि सुधारों के संदर्भ में अत्‍यंत ही महत्त्वपूर्ण कदम है जिसके माध्‍यम से न सिर्फ भू-धारकों वरन लीज प्राप्‍तकर्त्ता की ज़रूरतों का भी ख्‍याल रखा गया है।
  • इस एक्‍ट के माध्‍यम से भू-धारक वैधानिक रूप से कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों के लिये आपसी सहमति से भूमि लीज पर दे सकते हैं।
  • यहाँ यह भी ध्‍यान रखा गया है कि किसी भी परिस्‍थिति में लीज प्राप्‍तकर्त्ता का कृषि भूमि पर कोई दावा मान्‍य नहीं होगा।
  • लीज प्राप्‍तकर्त्ता के दृष्‍टिकोण से यह ध्‍यान दिया गया है कि उसे संस्‍थागत ऋण, इंश्‍योरेंस तथा आपदा राहत राशि उपलब्‍ध हों, जिससे उसके द्वारा अधिक-से-अधिक कृषि पर निवेश हो सके।

राष्‍ट्रीय कृषि मंडी स्‍कीम

  • अप्रैल, 2016 में ही राष्‍ट्रीय कृषि मंडी स्‍कीम (ई-नाम) के तहत बेहतर मूल्‍य खोज सुनिश्‍चित करके, पारदर्शिता और प्रतियोगिता के माध्यम से कृषि मंडियों में क्रांति लाने की एक नवाचारी मंडी प्रक्रिया प्रारंभ की गई।

कृषि उपज और पशुधन विपणन (संवर्द्धन और सरलीकरण) अधिनियम, 2017

  • 24 अप्रैल, 2017 को मॉडल “कृषि उपज और पशुधन विपणन (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम, 2017” राज्‍यों/संघ राज्‍य क्षेत्रों द्वारा अपनाये जाने हेतु जारी किया गया। जिसमें ई-व्‍यापार, सब-यार्ड के रूप में गोदामों, सिल्‍लोज, शीत भंडारण की घोषणा, मंडी शुल्‍क एवं कमीशन प्रभार को तर्कसंगत बनाना तथा कृषि क्षेत्र में निजी मंडी जैसे सुधार शामिल हैं।
  • वर्ष 2018 में देश के 22,000 ग्रामीण कृषि मंडियों के विकास के लिये नाबार्ड के माध्‍यम से दो हज़ार करोड़ रुपएकी राशि भी प्रस्‍तावित की गई है। यहाँ स्‍पष्‍ट है कि राष्‍ट्रीय कृषि बाज़ार के संबंध में वर्ष 2004 के बाद दिये गए आयोग के सुझाव का क्रियान्‍वयन भी इन्हीं 4 सालों के अंदर किया गया।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना तथा मौसम आधारित फसल बीमा योजना

  •  पुरानी योजनाओं के विस्‍तृत अध्‍ययन के बाद उनमें सुधार किया गया है तथा विश्‍व की सबसे बड़ी किसान अनुकूल फसल बीमा योजना अर्थात प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना तथा मौसम आधारित फसल बीमा योजना को शुरू किया है।
  • वर्ष 2019-20 तक सकल फसल क्षेत्र के 50 प्रतिशत को कवर किये जाने का लक्ष्‍य है।

सूक्ष्‍म सिंचाई

  • सूक्ष्‍म सिंचाई को अपनाने में पर्याप्‍त वृद्धि दर्ज की गई है।
  • सूक्ष्‍म सिंचाई (MI) कवरेज की चक्रवृद्धि वार्षिक विकास दर 15 प्रतिशत है।
  • वर्ष 2017-18 के दौरान लगभग 9.26 लाख हेक्‍टेयर क्षेत्र को एमआई के तहत लाया गया है, जो कि एक कैलेंडर वर्ष में प्राप्‍त अब तक का अधिकतम कवरेज है।
  • वर्ष 2022-23 तक 1.5 से 2 मिलियन हेक्‍टेयर प्रतिवर्ष कवरेज़ का लक्ष्‍य है।
  • बजटीय आवंटन में वृद्धि के साथ-साथ 5,000 करोड़ का कॉर्पस फण्‍ड भी स्‍थापित किया गया है।

कृषि वानिकी उपमिशन-राष्‍ट्रीय कृषि-वानिकी नीति

  • किसानों की आय में वृद्धि करने तथा जलवायु सहायता प्राप्‍त करने के लिये कृषि वानिकी उपमिशन-राष्‍ट्रीय कृषि-वानिकी नीति तैयार की गई है।
  • वर्ष 2016-17 के दौरान “हर मेढ़ प्रति पेड़” के उद्देश्‍य से एक विशेष स्‍कीम “कृषि वानिकी उपमिशन”  को शुरू तथा संचालित किया गया था।
  • कृषि वानिकी उप-मिशन के तहत सहायता के लिये पारगमन विनियमों में छूट एक पूर्व अपेक्षा है।
  • 21 राज्‍यों ने इस विनियम में छूट प्रदान कर दी है तथा सभी राज्‍यों को इस दिशा में प्रेरित किया जा रहा है।

पुनर्गठित राष्‍ट्रीय बाँस मिशन

  • राष्‍ट्रीय बाँस मिशन (NBM) को प्रारंभिक रूप से वर्ष 2006-07 में केंद्रीय प्रायोजित स्‍कीम के रूप में शुरू किया गया था तथा वर्ष 2014-15 के दौरान इसे समेकित बागवानी विकास मिशन (MIDH) के तहत लाया गया था और वर्ष 2015-16 तक जारी रखा गया था।
  • यह योजना मुख्‍यत: सीमित मौसम और शोधन इकाइयों तथा बाँस बाज़ार के कारण बाँस की खेती और प्रचार-प्रसार तक ही सीमित है।
  • इस योजना की मुख्‍य कमियों में उत्‍पादकों (किसानों) और उद्योगों के बीच संपर्क का अभाव था।
  • भारतीय वन अधिनियम, 1927 में पिछले वर्ष संशोधन किया गया था जिससे वन क्षेत्र के बाहर बोए गए बाँस को ‘पेड़ों’ की परिभाषा से हटा दिया गया है तथा 1,290 करोड़ रुपए के परिव्‍यय से पुनर्गठित राष्‍ट्रीय बाँस मिशन का क्रियान्‍वयन भी किया जा रहा है।

यूनिवर्सल मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड योजना

  • सरकार ने 12 मानदंडों के अनुसार परिक्षित मृदा नमूनों के आधार पर किसानों को भूमि की उर्वरता के बारे में सूचना प्रदान करने के लिये विश्‍व में सबसे बड़ा यूनिवर्सल मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड योजना प्रारंभ की है।
  • यह अध्‍ययन दर्शाता है कि मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड के सिफारिशों के अनुसार उर्वरक एवं सूक्ष्‍म पोषक तत्त्वों के अनुप्रयोग के परिणामस्‍वरूप 8 से 10 प्रतिशत के बीच रासायनिक उर्वरक अनुप्रयोग की कमी पाई गई है और फसल पैदावार में 5-6 प्रतिशत तक की समग्र वृद्धि हुई है।

 परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY)

  • परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) को देश में जैविक खेती को प्रोत्‍साहित करने के उद्देश्‍य से कार्यान्‍वित किया जा रहा है।
  • यह मृदा स्‍वास्‍थ्‍य एवं जैविक पदार्थ सामग्री में सुधार लाएगी तथा इससे किसानों की निवल आय में बढ़ोत्‍तरी होगी ताकि प्रीमियम मूल्‍यों की पहचान की जा सके।
  • लक्षित 50 एकड़ (2015-16 से 2017-18) तक की प्रगति संतोषजनक है।
  • अब इसे क्लस्टर आधार (लगभग प्रति 1000 हेक्‍टेयर) पर शुरू किया गया है।
  • यहाँ उल्‍लेखनीय है कि सतत् कृषि को बढ़ावा देने के लिये जैविक खेती की सिफारिश भी मोदी सरकार के समय ही संस्‍थागत एवं व्‍यवस्‍थित रूप से कार्यान्वित की गई।

 जैविक मूल्‍य श्रृंखला विकास मिशन (MOVCDNER)

  • पूर्वोत्‍तर क्षेत्र के लिये जैविक मूल्‍य श्रृंखला विकास मिशन (MOVCDNER) को देश के पूर्वोत्‍तर क्षेत्र में जैविक खेती की क्षमता को पहचान कर केंद्रीय क्षेत्र योजना के तौर पर शुरू किया गया है और पूर्वोत्‍तर को भारत के जैविक केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है।

Model Contract Farming and Services Act, 2018

  • सरकार ने वर्ष 2018 में Model Contract Farming and Services Act, 2018 जारी किया है जिसमें पहली बार देश के अन्‍नदाता किसानों तथा कृषि आधारित उद्योगों को जोड़ा गया है।
  • इस एक्‍ट के माध्‍यम से जहाँ एक ओर कृषि जिंसों का अच्‍छा दाम किसानों को मिल सकेगा, वहीं फसल कटाई उपरांत नुकसान को भी कम किया जा सकेगा।
  • साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार के अवसर भी पैदा हो सकेंगे। 

शत-प्रतिशत नीम कोटेड यूरिया

  • वर्ष 2003-05 के बीच में इस देश के वैज्ञानिकों ने यूरिया को शतप्रतिशत नीम कोटेड करने की बात कही थी और यह भी ठंडे बस्‍ते में पड़ा हुआ था जिसे वर्तमान सरकार के आने के बाद दो वर्षों में पूरा किया गया।
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