भारतीय अर्थव्यवस्था
यूरिया में आत्मनिर्भरता
- 24 Aug 2022
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प्रिलिम्स के लिये:लिक्विड नैनो यूरिया, पारंपरिक यूरिया की तुलना में लिक्विड नैनो यूरिया का महत्त्व। मेन्स के लिये:यूरिया उत्पादन में आत्मनिर्भरता की आवश्यकता। |
चर्चा में क्यों?
भारत अगले चार वर्षों के भीतर अर्थात् वर्ष 2025 तक लिक्विड नैनो यूरिया के रूप में ज्ञात स्थानीय रूप से विकसित संस्करण के उत्पादन का विस्तार करके आयातित यूरिया पर अपनी निर्भरता समाप्त करने की उम्मीद कर रहा है।
लिक्विड नैनो यूरिया:
- यह एक नैनोकण के रूप में यूरिया है। यह पारंपरिक यूरिया के विकल्प के रूप में पौधों को नाइट्रोजन प्रदान करने वाला एक पोषक तत्त्व (लिक्विड) है।
- यूरिया सफेद रंग का एक रासायनिक नाइट्रोजन उर्वरक है, जो कृत्रिम रूप से नाइट्रोजन प्रदान करता है जो पौधों के लिये एक आवश्यक प्रमुख पोषक तत्त्व है।
- नैनो यूरिया को पारंपरिक यूरिया के स्थान पर विकसित किया गया है और यह पारंपरिक यूरिया की न्यूनतम खपत को 50 प्रतिशत तक कम कर सकता है।
- इसकी 500 मिली.की एक बोतल में 40,000 मिलीग्राम/लीटर नाइट्रोजन होता है, जो सामान्य यूरिया के एक बैग/बोरी के बराबर नाइट्रोजन पोषक तत्त्व प्रदान करेगा।
- यह स्वदेशी यूरिया है, जिसे सबसे पहले भारतीय किसान उर्वरक सहकारी लिमिटेड (IFFCO) द्वारा दुनिया भर के किसानों के लिये पेश किया गया था।
- प्रधानमंत्री ने गुजरात के कलोल में पहले लिक्विड नैनो यूरिया (LNU) संयंत्र का उद्घाटन किया है।
यूरिया उत्पादन में आत्मनिर्भरता की आवश्यकता:
- आपूर्ति शृंखला में कमी को पूरा करने के लिये भारत दशकों से यूरिया का आयात कर रहा है। भारत, यूरिया के सबसे बड़े आयातकों में से एक होने के कारण, इसकी मांग यूरिया की अंतर्राष्ट्रीय कीमत को प्रभावित करती है।
- भारत यूरिया और डाई-अमोनियम फॉस्फेट (DAP) का दुनिया का सबसे बड़ा खरीदार है।
- DAP, यूरिया के बाद भारत में दूसरा सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला उर्वरक है।
- किसान आमतौर पर इस उर्वरक को बुवाई से ठीक पहले या शुरुआत में इस्तेमाल करते हैं, क्योंकि इसमें फास्फोरस (P) की मात्रा अधिक होती है जो जड़ के विकास को प्रेरित करता है।
- आपूर्ति बाधित होने के कारण इस वर्ष 2022 में वैश्विक उर्वरक कीमतों में तेज़ वृद्धि से यूरिया और DAP प्रभावित हुए हैं।
- कृषि हमारी लगभग 70% आबादी का मुख्य आधार है, आपूर्ति में किसी भी तरह की कमी या उर्वरकों जैसे महत्त्वपूर्ण इनपुट की कीमत में वृद्धि का हमारे ग्रामीण क्षेत्र के समग्र आर्थिक प्रदर्शन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना तय है।
- यह संभावना है कि निकट भविष्य में यूरिया की मांग में कमी नहीं आने वाली है, इसलिये यूरिया के आयात पर हमेशा निर्भर उचित निर्णय साबित नहीं होगा।
- इस संबंध में वर्ष 2016 में सार्वजनिक क्षेत्र में कई ब्राउनफील्ड यूरिया संयंत्र स्थापित करने का निर्णय एक सार्थक कदम था।
- यूरिया में आत्मनिर्भरता से सरकार को करीब 40,000 करोड़ रुपए की बचत होगी।
भारत में उर्वरकों की स्थिति:
- परिचय
- भारत ने पिछले 10 वर्षों में प्रतिवर्ष लगभग 500 एलएमटी (LMT) उर्वरक की खपत की है।
- केंद्र का उर्वरक सब्सिडी भुगतान वित्त वर्ष 2011 में बजटीय राशि से 62% से बढ़कर3 लाख करोड़ रुपया हो गया है।
- चूंँकि गैर-यूरिया (MoP, DAP, कॉम्प्लेक्स) किस्मों की लागत अधिक होती है इसलिये कई किसान वास्तव में आवश्यकता से अधिक यूरिया का उपयोग करना पसंद करते हैं।
- सरकार ने यूरिया की खपत को कम करने के लिये कई उपाय किये हैं। इसने गैर-कृषि उपयोग हेतु यूरिया के अवैध प्रयोग को कम करने के लिये नीम कोटेड यूरिया की शुरुआत की। जैविक और शून्य-बजट खेती को बढ़ावा दिया है।
- वर्ष 2018-19 और वर्ष 2020-21 के बीच भारत का उर्वरक आयात84 मिलियन टन से लगभग 8% बढ़कर 20.33 मिलियन टन हो गया।
- वित्तीय वर्ष 2021 में यूरिया की आवश्यकता का एक-चौथाई से अधिक आयात किया गया था।
- अधिक मात्रा में उर्वरकों की आवश्यकता:
- भारत के कृषि उत्पादन में प्रतिवर्ष वृद्धि हुई है और इसके साथ ही देश में उर्वरकों की मांग भी बढ़ी है।
- आयात के बावजूद स्वदेशी उत्पादन लक्ष्य पूरा न होने के कारण मांग और उपलब्धता के बीच अंतर बना हुआ है।
संबंधित सरकारी पहल:
- नैनो यूरिया उत्पादन:
- आठ नए नैनो यूरिया संयंत्र, जिनकी केंद्र द्वारा निगरानी की जा रही है, नवंबर 2025 तक उत्पादन शुरू कर देंगे।
- ये कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और असम सहित कई राज्यों में स्थित हैं।
- नीम कोटेड यूरिया (Neem Coated Urea- NCU)
- उर्वरक विभाग (DoF) ने सभी घरेलू उत्पादकों के लिये शत-प्रतिशत यूरिया का उत्पादन ‘नीम कोटेड यूरिया’ (NCU) के रूप में करना अनिवार्य कर दिया है। ताकि मिट्टी की सेहत में सुधार हो, पौधों की सुरक्षा करने वाले रसायनों का उपयोग कम हो।
- नई यूरिया नीति 2015:
- नीति के उद्देश्य हैं-
- स्वदेशी यूरिया उत्पादन को बढ़ावा देना।
- यूरिया इकाइयों में ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देना।
- भारत सरकार पर सब्सिडी के भार को युक्तिसंगत बनाना।
- नीति के उद्देश्य हैं-
- नई निवेश नीति, 2012:
- सरकार ने जनवरी 2013 में नई निवेश नीति (New Investment Policy- NIP), 2012 की घोषणा की जिसे वर्ष 2014 में यूरिया क्षेत्र में नए निवेश की सुविधा तथा भारत को यूरिया क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिये संशोधित किया गया।
- सिटी कम्पोस्ट के संवर्द्धन पर नीति:
- भारत सरकार ने सिटी कम्पोस्ट के उत्पादन और खपत को बढ़ाने के लिये 1500 रुपए की बाज़ार विकास सहायता (Market Development Assistance) प्रदान करने हेतु वर्ष 2016 में उर्वरक विभाग द्वारा अधिसूचित सिटी कम्पोस्ट को बढ़ावा देने की नीति को मंज़ूरी दी।
- उर्वरक क्षेत्र में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग:
- उर्वरक विभाग ने भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) और परमाणु खनिज निदेशालय (AMD) के सहयोग से इसरो के तहत राष्ट्रीय्र रिमोट सेंसिंग सेंटर द्वारा "रॉक फॉस्फेट का रिफ्लेक्सेंस स्पेक्ट्रोस्कोपी और पृथ्वी अवलोकन डेटा का उपयोग करके संसाधन मानचित्रण" पर तीन साल का पायलट अध्ययन शुरू किया।
- पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (NBS) योजना:
- इसे रसायन और उर्वरक मंत्रालय के उर्वरक विभाग द्वारा अप्रैल 2010 से लागू किया गया है।
- NBS के तहत, वार्षिक आधार पर तय की गई सब्सिडी की एक निश्चित राशि सब्सिडी वाले फॉस्फेटिक और पोटाशिक (P&K) उर्वरकों के प्रत्येक ग्रेड पर इसकी पोषक सामग्री के आधार पर प्रदान की जाती है।
आगे की राह
- DAP और म्यूरेट ऑफ पोटाश (MOP) जैसे गैर-यूरिया उर्वरकों के लिये, हमें महत्त्वपूर्ण कदम उठाने की ज़रूरत है कि सुनिश्चित कर सकें की हमारे किसानों को उचित मूल्य पर आवश्यक उर्वरकों की निर्बाध आपूर्ति मिलती रहे, हालाँकि अभी तक इन गैर-यूरिया उर्वरकों के कच्चे माल के लिये हम आयात पर निर्भर रहे हैं।
- उर्वरक क्षेत्र में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) को सार्वभौमिक बनाकर सब्सिडी वितरण तंत्र को सुव्यवस्थित करना समय की मांग है।
- दूसरे, उर्वरक सब्सिडी वितरण व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार को सख्ती से रोकने की ज़रूरत है। इन कदमों से उर्वरक सब्सिडी के बोझ में काफी कमी आएगी।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs)प्रश्न. भारत में रासायनिक उर्वरकों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) व्याख्या:
प्रश्न: ‘आठ कोर उद्योग सूचकांक' में निम्नलिखित में से किसको सर्वाधिक महत्त्व दिया गया है? (a) कोयला उत्पादन उत्तर: b व्याख्या:
अतः विकल्प (b) सही है। प्र. सब्सिडी किसानों के फसल प्रतिरूप, फसल विविधता और अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित करती है? लघु और सीमांत किसानों के लिये फसल बीमा, न्यूनतम समर्थन मूल्य और खाद्य प्रसंस्करण का क्या महत्त्व है? (मुख्य परीक्षा, 2017) |