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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण प्रोत्साहन हेतु योजनाएँ

  • 03 Jun 2020
  • 9 min read

प्रीलिम्स के लिये

इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण उद्योग

मेन्स के लिये

योजना संबंधी विवरण, इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण उद्योग पर इन योजनाओं का प्रभाव

चर्चा में क्यों?

इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने हाल ही में देश में इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों के व्यापक पैमाने पर विनिर्माण को बढ़ावा देने हेतु तीन प्रोत्साहन योजनाएँ शुरू की हैं।

प्रमुख बिंदु

  • इन तीन परियोजनाओं में शामिल हैं- (1) उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन योजना (Production Linked Incentive Scheme-PLI) (2) इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट एवं सेमीकंडक्टरों के विनिर्माण के संवर्द्धन के लिये योजना (Scheme for Promotion of Manufacturing of Electronic Components and Semiconductors-SPECS) (3) संशोधित इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्लस्टर (ईएमसी 2.0) योजना (Modified Electronics Manufacturing Clusters (EMC 2.0) Scheme)
  • इन तीनों योजनाओं के लिये लगभग 50,000 करोड़ रुपए की आवश्यकता है। ये योजनाएँ घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण उद्योग के समक्ष मौजूदा चुनौतियों को समाप्त करेंगी और देश में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण तंत्र को मज़बूत बनाएंगी।
  • उक्त वर्ष 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर GDP के लक्ष्य में उल्लेखनीय योगदन देंगी।
  • अनुमान के अनुसार, इन योजनाओं से लगभग 5 लाख प्रत्यक्ष और 15 लाख अप्रत्यक्ष रोज़गार सृजित होंगे।

 उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन योजना 

(Production Linked Incentive Scheme-PLI)

  • भारत का घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स हार्डवेयर विनिर्माण क्षेत्र पर्याप्त बुनियादी ढाँचे और घरेलू आपूर्ति की कमी तथा वित्त की उच्च लागत, सीमित डिज़ाइन क्षमताओं और कौशल विकास में अपर्याप्तता के कारण तनाव का सामना कर रहा है।
  • उल्लेखनीय है कि राष्‍ट्रीय इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स नीति-2019 में सभी महत्त्वपूर्ण घटकों को देश में विकसित करने की क्षमता को प्रोत्‍साहित कर और विश्‍व स्‍तर पर प्रतिस्पर्द्धा करने हेतु उद्योग के लिये अनुकूल माहौल बना कर भारत को ‘इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स सिस्‍टम डिज़ाइन एंड मैन्‍युफैक्‍चरिंग (Electronics System Design and Manufacturing-ESDM)' के एक वैश्विक केंद्र के रूप में स्‍थापित करने की परिकल्‍पना की गई है।
  • उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन योजना (PLI) के तहत घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और मोबाइल फोन निर्माण तथा निर्दिष्ट इलेक्ट्रॉनिक घटकों में व्यापक निवेश को आकर्षित करने के लिये उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन प्रदान करती है।
  • इस योजना से भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण को काफी बढ़ावा मिलेगा और वैश्विक स्तर पर इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में भारत को एक नई पहचान मिल सकेगी। 
  • इस योजना के तहत भारत में निर्मित और लक्षित क्षेत्रों में शामिल वस्तुओं की वृद्धिशील बिक्री (आधार वर्ष) पर पात्र कंपनियों को 5 वर्ष की अवधि के लिये 4-6 प्रतिशत तक की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।

 इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट एवं सेमीकंडक्टरों के विनिर्माण के संवर्द्धन हेतु योजना 

(Scheme for Promotion of Manufacturing of Electronic Components and Semiconductors-SPECS)

  • उच्च घरेलू मूल्य संवर्द्धन के साथ इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के विनिर्माण के लिये आपूर्ति श्रृंखला का विकास आवश्यक है।
  • इलेक्ट्रानिक घटक इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग की बुनियादी इकाई होते हैं और इसमें अधिकतम मूल्यवर्द्धन होता है।
  • इसलिये भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के समग्र दीर्घकालिक और सतत् विकास हेतु एक जीवंत इलेक्ट्रॉनिक घटक विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र काफी महत्त्वपूर्ण है।
  • इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट एवं सेमीकंडक्टरों के विनिर्माण के संवर्द्धन हेतु यह योजना (SPECS) देश में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र को मज़बूत करने के लिये इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट एवं सेमीकंडक्टरों के घरेलू विनिर्माण से संबंधित बाधाओं को कम करने में मदद करेगी।
  • इस योजना के तहत कुछ निश्चित इलेक्ट्रॉनिक सामानों के लिये पूंजीगत व्यय पर 25 प्रतिशत वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा।
  • यह योजना नई इकाइयों में निवेश और मौजूदा इकाइयों की क्षमता विस्तार तथा आधुनिकीकरण/विविधीकरण पर लागू होगी।

संशोधित इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्लस्टर (ईएमसी 2.0) योजना 

(Modified Electronics Manufacturing Clusters (EMC 2.0) Scheme)

  • गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढाँचे को लेकर उद्योग के समक्ष मौजूदा चुनौतियों का सामना करने और भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण हब बनाने हेतु देश में एक मज़बूत इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने हेतु संशोधित इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्लस्टर (ईएमसी 2.0) योजना शुरू की गई है। इसका उद्देश्य उद्योग की कमियों को संबोधित करना और विश्व स्तर के बुनियादी ढाँचे के निर्माण को समर्थन प्रदान करना है।
  • यह योजना आपूर्ति श्रृंखला में जवाबदेही को बढ़ाकर आपूर्तिकर्त्ताओं के समेकन और लॉजिस्टिक्स की लागत कम करके घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार के मध्य संबंध को मज़बूत करेगी।

भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण

  • इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण का संवर्द्धन ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम का एक प्रमुख घटक रहा है। सरकार द्वारा इस संदर्भ में किये गए विभिन्न प्रयासों का ही परिणाम है कि भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन 2014 के 29 बिलियन डॉलर से बढ़कर वर्ष 2019 में 70 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया है।
    • इस अवधि के दौरान मोबाइल फोन विनिर्माण की बढ़ोतरी विशेष रूप से उल्लेखनीय रही है।
  • जहाँ एक ओर वर्ष 2014 में भारत में केवल दो मोबाइल फैक्ट्रियों की तुलना में अब भारत विश्व में दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन उत्पादक देश बन गया है। वित्तीय वर्ष 2018-19 में मोबाइल हैंडसेटों का उत्पादन 29 करोड़ इकाइयों तक पहुँच गया जो 1.70 लाख करोड़ रुपए के बराबर है।
  • जहाँ वित्तीय वर्ष 2014-15 में देश में इलेक्ट्रॉनिक्स का निर्यात 38,263 करोड़ रुपए का था, वहीं वित्तीय वर्ष 2018-19 में यह बढ़कर 61,908 करोड़ रुपए तक पहुँच गया। वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन में वर्ष 2012 में भारत का हिस्सा केवल 1.3 प्रतिशत था जो कि वर्ष 2018 में बढ़कर 3 प्रतिशत तक पहुँच गया है। 

स्रोत: पी.आई.बी.

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