कृषि
नैनो लिक्विड यूरिया की वैज्ञानिक प्रामाणिकता
- 26 Aug 2023
- 11 min read
प्रिलिम्स के लिये:नैनो लिक्विड यूरिया की वैज्ञानिक प्रामाणिकता, भारतीय किसान और उर्वरक सहकारी लिमिटेड (IFFCO), जलवायु परिवर्तन, महासागर अम्लीकरण, ओज़ोन क्षरण मेन्स के लिये:नैनो लिक्विड यूरिया की वैज्ञानिक प्रामाणिकता, नैनो लिक्विड यूरिया के उपयोग से संबंधित मुद्दे |
स्रोत: डाउन टू अर्थ
चर्चा में क्यों?
हाल ही में "प्लांट एंड सॉयल" पत्रिका में प्रकाशित एक संपादकीय में भारतीय किसान और उर्वरक सहकारी लिमिटेड(Indian Farmers and Fertiliser Cooperative- IFFCO) द्वारा उत्पादित नैनो लिक्विड यूरिया की वैज्ञानिक वैधता को लेकर चिंता जताई गई है।
- इसमें उत्पाद की प्रभावकारिता और लाभों के बारे में किये गए दावों पर सवाल उठाए गए हैं, यह बाज़ार में नैनो उर्वरकों को उतारने से पहले उनके कठोर वैज्ञानिक जाँच व परीक्षण की आवश्यकता पर ज़ोर देता है।
नैनो लिक्विड यूरिया:
- परिचय:
- यह नैनो कण के रूप में यूरिया का एक प्रकार है। यह यूरिया के परंपरागत विकल्प के रूप में पौधों को नाइट्रोजन प्रदान करने वाला एक पोषक तत्त्व (तरल) है।
- यूरिया सफेद रंग का एक रासायनिक नाइट्रोजन उर्वरक है, जो कृत्रिम रूप से नाइट्रोजन प्रदान करता है तथा पौधों के लिये एक आवश्यक प्रमुख पोषक तत्त्व है।
- नैनो यूरिया को पारंपरिक यूरिया के स्थान पर विकसित किया गया है और यह पारंपरिक यूरिया की आवश्यकता को न्यूनतम 50 प्रतिशत तक कम कर सकता है।
- इसकी 500 मिली.की एक बोतल में 40,000 मिलीग्राम/लीटर नाइट्रोजन होता है, जो सामान्य यूरिया के एक बैग/बोरी के बराबर नाइट्रोजन पोषक तत्त्व प्रदान करेगा।
- यह नैनो कण के रूप में यूरिया का एक प्रकार है। यह यूरिया के परंपरागत विकल्प के रूप में पौधों को नाइट्रोजन प्रदान करने वाला एक पोषक तत्त्व (तरल) है।
- निर्माण:
- इसे स्वदेशी रूप से नैनो बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर (कलोल, गुजरात) में आत्मनिर्भर भारत अभियान और आत्मनिर्भर कृषि के अनुरूप विकसित किया गया है।
- भारत अपनी यूरिया की ज़रूरतों को पूरा करने के लिये आयात पर निर्भर है।
- इसे स्वदेशी रूप से नैनो बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर (कलोल, गुजरात) में आत्मनिर्भर भारत अभियान और आत्मनिर्भर कृषि के अनुरूप विकसित किया गया है।
- महत्त्व:
- तरल नैनो यूरिया (Liquid Nano Urea) को पौधों के पोषण के लिये प्रभावी और कुशल पाया गया है जो बेहतर पोषण गुणवत्ता के साथ उत्पादन बढ़ाता है।
- यह मिट्टी में यूरिया के अतिरिक्त उपयोग को कम करके संतुलित पोषण प्रक्रिया को बढ़ाने में सक्षम है तथा फसलों को सशक्त एवं स्वस्थ बना सकता है और उन्हें लॉजिंग प्रभाव (lodging effect) से बचाता है।
- इसका भूमिगत जल की गुणवत्ता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है तथा जलवायु परिवर्तन एवं धारणीय विकास पर प्रभाव के साथ ग्लोबल वार्मिंग में बहुत महत्त्वपूर्ण कमी आती है।
- तरल नैनो यूरिया (Liquid Nano Urea) को पौधों के पोषण के लिये प्रभावी और कुशल पाया गया है जो बेहतर पोषण गुणवत्ता के साथ उत्पादन बढ़ाता है।
पृष्ठभूमि:
- IFFCO ने दावा किया था कि नैनो तरल यूरिया की थोड़ी मात्रा पारंपरिक यूरिया की पर्याप्त मात्रा की जगह ले सकती है।
- केंद्र सरकार और IFFCO ने नैनो यूरिया उत्पादन और निर्यात का विस्तार करने के लिये महत्त्वाकांक्षी योजनाएँ बनाई हैं।
- शोधकर्ता इन योजनाओं के संभावित परिणामों के बारे में चिंता व्यक्त करते हैं, क्योंकि अतिरंजित दावों से गंभीर उपज हानि हो सकती है, जिससे खाद्य सुरक्षा और किसानों की आजीविका प्रभावित हो सकती है।
शोध में उठाई गई चिंताएँ:
- दावों और परिणामों के बीच विसंगति:
- नैनो तरल यूरिया को पारंपरिक दानेदार यूरिया के एक आशाजनक विकल्प के रूप में पेश किया गया था।
- नैनो तरल यूरिया क्षेत्र में उल्लेखनीय परिणाम देने में विफल रहा है। उर्वरक का उपयोग करने वाले किसानों को फसल की उपज में सुधार के बिना इनपुट लागत में वृद्धि का अनुभव हुआ है।
- यह उत्पाद के दावों और वास्तविक दुनिया के परिणामों के बीच विसंगति को दर्शाता है।
- पर्यावरणीय चिंताएँ:
- IFFCO ने नैनो यूरिया को पर्यावरण के अनुकूल के रूप में विज्ञापित किया था, जबकि अखबार को इस दावे का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं मिला।
- इसमें इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि फसल वृद्धि के लिये एक महत्त्वपूर्ण यौगिक नाइट्रोजन, जलवायु परिवर्तन, महासागरीय अम्लीकरण और ओज़न क्षरण जैसे कई पर्यावरणीय मुद्दों से जुड़ा हुआ है।
सिफारिशें:
- अध्ययन पर्यावरण पर इसके प्रतिकूल प्रभाव के कारण अतिरिक्त नाइट्रोजन को संबोधित करने की आवश्यकता पर ज़ोर देता है।
- यह मत नवीन कृषि प्रौद्योगिकियों को शुरू करने से पहले पारदर्शी और कठोर वैज्ञानिक मूल्यांकन के महत्त्व पर प्रकाश डालता है।
- खाद्य सुरक्षा, किसानों की आजीविका और पर्यावरण पर निहितार्थ के साथ यह विवाद कृषि क्षेत्र में ज़िम्मेदार नवाचार एवं साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव लिमिटेड:
- परिचय:
- यह भारत की सबसे बड़ी सहकारी समितियों में से एक है जिसका पूर्ण स्वामित्व भारतीय सहकारी समितियों के पास है।
- वर्ष 1967 में केवल 57 सहकारी समितियों के साथ स्थापित, यह वर्तमान में 36,000 से अधिक भारतीय सहकारी समितियों का एक समामेलन है, जिसमें उर्वरकों के निर्माण और बिक्री के अपने मुख्य व्यवसाय के अलावा सामान्य बीमा से लेकर ग्रामीण दूरसंचार तक के विविध व्यावसायिक हित हैं।
- उद्देश्य:
- भारतीय किसानों को पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ तरीके से विश्वसनीय, उच्च गुणवत्ता वाले कृषि आदानों और सेवाओं की समय पर आपूर्ति के माध्यम से समृद्ध होने तथा उनके कल्याण में सुधार के लिये अन्य गतिविधियाँ करने में सक्षम बनाना।
निष्कर्ष:
- नैनो तरल यूरिया विवाद कृषि क्षेत्र में पारदर्शिता और ज़िम्मेदार नवाचार की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
- तकनीकी प्रगति और पर्यावरणीय स्थिरता के बीच संतुलन बनाना किसानों, खाद्य सुरक्षा और ग्रह की भलाई के लिये महत्त्वपूर्ण है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. भारत में रासायनिक उर्वरकों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर : (b) व्याख्या
अतः विकल्प (b) सही है। |