कृषि
नैनो उर्वरक
- 28 Mar 2023
- 11 min read
प्रिलिम्स के लिये:नैनो यूरिया, समष्टि पोषक तत्त्व, लॉजिंग प्रभाव मेन्स के लिये:नैनो उर्वरकों का महत्त्व, भारतीय किसान उर्वरक सहकारी लिमिटेड |
चर्चा में क्यों?
रसायनों और उर्वरकों पर गठित समिति ने 'सतत् फसल उत्पादन और मृदा स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिये नैनो उर्वरक' (Nano-Fertilisers for Sustainable Crop production and Maintaining Soil Health) शीर्षक वाली अपनी रिपोर्ट में नैनो उर्वरकों के प्रयोग पर फील्ड परीक्षणों के गहन ऑडिट/लेखा-परीक्षण की सिफारिश की है।
- समिति ने अपनी रिपोर्ट में इस बात की इच्छा व्यक्त की है कि विभाग द्वारा अन्य मंत्रालयों/संगठनों के समन्वय में नैनो उर्वरकों के उपयोग पर क्षेत्र परीक्षणों की व्यापक लेखा-परीक्षा आयोजित की जा सकती है, ताकि प्रमुख कृषि अनुसंधान संस्थानों आदि द्वारा विभिन्न फसलों और विभिन्न क्षेत्रों में नाइट्रोजन की बचत के कारणों का आकलन किया जा सके।
- समिति ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया है कि क्षेत्र परीक्षण के दौरान नैनो यूरिया के उपयोग से टॉपड्रेस नाइट्रोजन में बचत 25 से 50 प्रतिशत के बीच पाई गई।
- टॉपड्रेसिंग किसी भी कमी की भरपाई के लिये फसलों में नाइट्रोजन छिड़काव के दूसरे दौर को शामिल करने की प्रक्रिया है।
- नैनो यूरिया के उपयोग से सरकार को सालाना सब्सिडी बिलों में लगभग 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 24,687 करोड़ रुपए) बचाने में मदद मिल सकती है और इससे यूरिया आयात पर भारत की निर्भरता कम होगी।
नैनो उर्वरक:
- परिचय:
- नैनो उर्वरक अत्यधिक कुशल उर्वरक हैं जो सूक्ष्म कणों के माध्यम से फसलों को नाइट्रोजन जैसे पोषक तत्त्व प्रदान करते हैं।
- पादपों की कार्यप्रणाली हेतु नाइट्रोजन एक आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्त्व है और यूरिया सबसे अधिक सांद्रित नाइट्रोजनयुक्त उर्वरकों में से एक है।
- नैनो उर्वरक अत्यधिक कुशल उर्वरक हैं जो सूक्ष्म कणों के माध्यम से फसलों को नाइट्रोजन जैसे पोषक तत्त्व प्रदान करते हैं।
- लिक्विड नैनो यूरिया:
- लिक्विड नैनो यूरिया को वर्ष 2022 में भारतीय किसान उर्वरक सहकारी लिमिटेड (IFFCO) द्वारा पारंपरिक यूरिया को बदलने और इसकी आवश्यकता को 50% कम करने के लिये विकसित किया गया था।
- सरकार ने इसके विकास के बाद से नैनो उर्वरकों के उपयोग को बहुत बढ़ावा दिया है।
- लिक्विड नैनो यूरिया को वर्ष 2022 में भारतीय किसान उर्वरक सहकारी लिमिटेड (IFFCO) द्वारा पारंपरिक यूरिया को बदलने और इसकी आवश्यकता को 50% कम करने के लिये विकसित किया गया था।
- महत्त्व:
- कम हानि:
- नैनो उर्वरक पोषक तत्त्वों के वितरण, नाइट्रोजन वितरण की प्रभावशीलता में सुधार और पर्यावरण को होने वाली हानि को कम करने के लिये पादपों के सूक्ष्म रंध्र क्षेत्र का लाभ उठाते हैं।
- किसानों की आय में वृद्धि:
- यह किसानों के लिये वहनीय होने के साथ-साथ उनकी आय में वृद्धि करने में सहायक होगा। इससे रसद और भांडागारण की लागत में भी काफी कमी आएगी।
- 500 मिलीलीटर नैनो यूरिया स्प्रे की एक छोटी बोतल को 45 किलोग्राम यूरिया के पूरे बैग का विकल्प के रूप में माना जा रहा है।
- यह किसानों के लिये वहनीय होने के साथ-साथ उनकी आय में वृद्धि करने में सहायक होगा। इससे रसद और भांडागारण की लागत में भी काफी कमी आएगी।
- फसलों को स्वस्थ बनाना:
- यह मिट्टी में यूरिया के अधिक उपयोग को भी कम करेगा और फसलों को स्वस्थ बनाएगा एवं उन्हें गिरने से बचाएगा।
- लॉजिंग (Lodging) अनाज की फसलों के ज़मीनी स्तर के पास तनों के झुकने की स्थिति को कहते हैं, जिससे उनकी कटाई करना बहुत मुश्किल हो जाता है एवं उपज में अप्रत्याशित कमी आ सकती है।
- यह मिट्टी में यूरिया के अधिक उपयोग को भी कम करेगा और फसलों को स्वस्थ बनाएगा एवं उन्हें गिरने से बचाएगा।
- कम हानि:
- चुनौतियाँ:
- लागत: उन्नत तकनीक और उत्पादन विधियों के उपयोग के कारण नैनो-उर्वरकों के उत्पादन की लागत पारंपरिक उर्वरकों की तुलना में अधिक है।
- यह छोटे किसानों के लिये वहनीय नहीं है और इसके परिणामस्वरूप इस तकनीक की पहुँच सीमित हो गई है।
- गुणवत्ता नियंत्रण: नैनो-उर्वरकों के उत्पादन में उनकी प्रभावशीलता एवं सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये सख्त गुणवत्ता नियंत्रण उपायों की आवश्यकता होती है।
- हालाँकि उनके उत्पादन और वितरण के लिये मानकीकृत नियमों की कमी के कारण खराब गुणवत्ता नियंत्रण एवं असंगत परिणाम सामने आए हैं।
- पर्यावरण संबंधी चिंताएँ: नैनो उर्वरकों के संभावित पर्यावरणीय प्रभावों को लेकर चिंताएँ हैं, जैसे कि मृदा स्वास्थ्य, जल की गुणवत्ता और पारिस्थितिक तंत्र संतुलन पर उनके दीर्घकालिक प्रभाव।
- इन चिंताओं को उनके सतत् उपयोग को सुनिश्चित करने के लिये उचित परीक्षण एवं विनियमन के माध्यम से संबोधित किया जाना चाहिये।
- लागत: उन्नत तकनीक और उत्पादन विधियों के उपयोग के कारण नैनो-उर्वरकों के उत्पादन की लागत पारंपरिक उर्वरकों की तुलना में अधिक है।
भारतीय किसान उर्वरक सहकारी लिमिटेड:
- परिचय:
- यह भारत की सबसे बड़ी सहकारी समितियों में से एक है जिसका पूर्ण स्वामित्त्व भारतीय सहकारी समितियों के पास है।
- इसकी स्थापना वर्ष 1967 में केवल 57 सहकारी समितियों के साथ की गई थी, जिसमें वर्तमान में 36,000 से अधिक भारतीय सहकारी समितियाँ शामिल हैं, यह सामान्य बीमा से लेकर ग्रामीण दूरसंचार तक के विविध आर्थिक हितों के अलावा उर्वरकों के निर्माण एवं वितरण जैसे प्राथमिक व्यवसाय में संग्लग्न है।
- उद्देश्य:
- इसका उद्देश्य भारतीय किसानों को पर्यावरण के अनुकूल तरीके से विश्वसनीय, उच्च गुणवत्ता वाले कृषि आदानों और सेवाएँ प्रदान करने के साथ-साथ उनके लिये कल्याणकारी अन्य गतिविधियों द्वारा भारतीय किसानों को समृद्ध बनाना है।
निष्कर्ष:
- नैनो उर्वरकों में फसल की पैदावार बढ़ाने, किसान की उत्पादन लागत कम करने और सब्सिडी बिलों एवं यूरिया आयात संबंधी सरकारी धन को बचाने की क्षमता है। दूसरी ओर पोषण गुणवत्ता, जैव-सुरक्षा, प्रभावकारिता तथा विश्वसनीयता जैसे दीर्घकालिक प्रभाव, फसलों के आधार पर नैनो उर्वरकों को नियोजित करने, उपयोगिता व सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु अतिरिक्त शोध और फील्ड परीक्षणों के पूर्ण लेखा-परीक्षण की आवश्यकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:प्रश्न. भारत में रासायनिक उर्वरकों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) व्याख्या:
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