संयुक्त राष्ट्र विश्व पुनर्स्थापन फ्लैगशिप्स
प्रिलिम्स के लिये:संयुक्त राष्ट्र, विश्व पुनर्स्थापन फ्लैगशिप पुरस्कार, भूमध्यसागरीय वनों की पुनर्स्थापन पहल, लिविंग इंडस पहल, तराई आर्क लैंडस्केप पहल, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम, खाद्य और कृषि संगठन मेन्स के लिये:विश्व पुनर्स्थापन फ्लैगशिप, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, संरक्षण |
स्रोत: डाउन टू अर्थ
चर्चा में क्यों?
संयुक्त राष्ट्र ने अफ्रीका, लैटिन अमेरिका, भूमध्यसागरीय और दक्षिण पूर्व एशिया की पारिस्थितिकी तंत्र के पुनर्स्थापन से संबंधित सात पहलों को विश्व पुनर्स्थापन प्रमुख पहलों (World Restoration Flagships) के रूप में मान्यता दी है।
- पारिस्थितिकी तंत्र के निम्नीकरण की रोकथाम के उद्देश्य के साथ शुरू की गई ये पहलें पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान देती हैं।
- इन पहलों के संयुक्त प्रयासों से लगभग 40 मिलियन हेक्टेयर भूमि की पुनर्स्थापन और लगभग 500,000 रोज़गार के अवसर सृजित होने का अनुमान है।
संयुक्त राष्ट्र द्वारा हाल ही में मान्यता प्राप्त 7 विश्व पुनर्स्थापन फ्लैगशिप कौन से हैं?
- भूमध्यसागरीय वनों को पुनर्स्थापित करने की पहल:
- इस पहल में लेबनान, मोरक्को, ट्यूनीशिया और तुर्की जैसे देश शामिल हैं।
- इस पहल के अंतर्गत एक नवीन दृष्टिकोण को अपनाते हुए प्राकृतिक आवासों तथा सुभेद्य पारिस्थितिक तंत्रों को संरक्षित और पुनर्स्थापित किया गया है।
- इस पहल के तहत वर्ष 2017 से अभी तक लगभग 2 मिलियन हेक्टेयर में विस्तरित वनों का पुनर्स्थापन किया गया है तथा इसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक 8 मिलियन से अधिक क्षेत्रफल का पुनर्स्थापन करना है।
- लिविंग इंडस पहल:
- वर्ष 2022 में हुए जलवायु परिवर्तन के कारण आए बाढ़ के बाद पाकिस्तान की संसद द्वारा इस पहल का अनुमोदन किया गया। आधिकारिक तौर पर इसका शुभारंभ शर्म अल-शेख में जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क अभिसमय के पक्षकारों के 27वें सम्मेलन में किया गया।
- इसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक सिंधु नदी बेसिन के 25 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र को पुनर्स्थापित करना है।
- इसका उद्देश्य सिंधु नदी को संरक्षित कर उसे एक जीवंत इकाई के रूप में प्रतिबिंबित करते हुए विश्व की अन्यत्र नदियों की संरक्षा करना है।
- इसमें ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, बोलीविया, ब्राज़ील, कनाडा, इक्वाडोर, भारत, न्यूज़ीलैंड, पेरू और श्रीलंका जैसे देश शामिल हैं।
- एक्सिओन एंडिना सामाजिक आंदोलन:
- इसका नेतृत्व एक गैर-लाभकारी संगठन, एंडियन इकोसिस्टम एसोसिएशन (ECOAN) द्वारा किया जाता है तथा इसका लक्ष्य दस लाख हेक्टेयर एंडियन वन भूमि की रक्षा और पुनर्स्थापना करना है।
- एंडियन वन एक प्रकार के उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय वन हैं जो दक्षिण अमेरिका में एंडीज़ पहाड़ों के समतल पर स्थित हैं।
- यह पहल स्थानीय समुदायों के लिये भूमि स्वामित्व सुरक्षित करने और वन की कटाई तथा खनन की रोकथाम में सहायता करती है।
- इसका नेतृत्व एक गैर-लाभकारी संगठन, एंडियन इकोसिस्टम एसोसिएशन (ECOAN) द्वारा किया जाता है तथा इसका लक्ष्य दस लाख हेक्टेयर एंडियन वन भूमि की रक्षा और पुनर्स्थापना करना है।
- श्रीलंका मैंग्रोव उत्थान पहल:
- यह स्थानीय समुदायों के सह-नेतृत्व वाला एक विज्ञान-संचालित कार्यक्रम है। इसका उद्देश्य पारिस्थितिकी तंत्र में प्राकृतिक संतुलन पुनर्स्थापित करना है।
- संयुक्त राष्ट्र के अनुसार वर्ष 2015 में इसकी शुरुआत की गई तथा इसके तहत अभी तक 500 हेक्टेयर मैंग्रोव क्षेत्र को पुनर्स्थापित किया गया है।
- इसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक 10,000 हेक्टेयर मैंग्रोव क्षेत्र का पुनर्स्थापन करना है।
- तराई आर्क लैंडस्केप (TAL) पहल:
- इस पहल का उद्देश्य नागरिक वैज्ञानिकों, समुदाय-आधारित अवैध शिकार-रोधी इकाइयों तथा वन रक्षकों के रूप में कार्य करने वाले स्थानीय समुदायों के सहयोग से TAL के महत्त्वपूर्ण कॉरिडोर के वनों को पुनर्स्थापित करना है।
- इस पहल का उद्देश्य नेपाल के 66,800 हेक्टेयर वन क्षेत्रों को पुनर्स्थापित करना है जिससे अनुमानित तौर पर देश के लगभग 500,000 परिवारों की आजीविका में सुधार होगा।
- इसके अतिरिक्त इस पहल के तहत भारत और नेपाल द्वारा साझा किये गए संबद्ध क्षेत्र में बाघों के संरक्षण का भी प्रयास किया जाता है जिसकी संख्या वर्तमान में 1,174 हो गई है।
- इसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक 350,000 हेक्टेयर वन क्षेत्र को पुनर्स्थापित करना है।
- रीग्रीनिंग अफ्रीका एग्रीकल्चर:
- इस पहल का उद्देश्य कार्बन भंडारण में वृद्धि करना, फसल और घास की पैदावार को बढ़ाना, बाढ़ के प्रति मृदा का लचीलापन बढ़ाना तथा मृदा को निश्चित नाइट्रोजन प्रदान करना है जो प्राकृतिक उर्वरक के रूप में कार्य करता है।
- अफ्रीका के शुष्क क्षेत्रों में वनवृद्धि की पहल:
- वर्ष 2030 तक पुनर्स्थापन का विस्तार 41,000 से 229,000 हेक्टेयर तक।
- इसमें अफ्रीकी किसानों को शामिल किया गया है, जो प्रतिवर्ष लाखों पेड़ लगाते हैं।
- सतत् विकास का समर्थन करते हुए 230,000 से अधिक नौकरियाँ पैदा करता है।
संयुक्त राष्ट्र विश्व पुनर्स्थापन फ्लैगशिप क्या हैं?
- परिचय:
- विश्व पुनर्स्थापन फ्लैगशिप संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UN Environment Programme - UNEP) के नेतृत्व में पारिस्थितिकी तंत्र की पुनर्स्थापन पर संयुक्त राष्ट्र दशक का हिस्सा हैं और संयुक्त राष्ट्र का खाद्य एवं कृषि संगठन (Agriculture Organization of the UN - FAO) जिसका उद्देश्य सभी महाद्वीप और महासागर में पारिस्थितिक तंत्र के क्षरण का प्रतिकार करना है।
- संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2021-2030 को पारिस्थितिकी तंत्र की पुनर्स्थापन पर संयुक्त राष्ट्र दशक घोषित किया है।
- संयुक्त राष्ट्र विश्व पुनर्स्थापन फ्लैगशिप पुरस्कार के माध्यम से विश्व पुनर्स्थापन फ्लैगशिप को मान्यता देता है।
- यह पुरस्कार UNEP और FAO के नेतृत्व में पारिस्थितिकी तंत्र की पुनर्स्थापन पर संयुक्त राष्ट्र दशक का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य सभी महाद्वीपों तथा महासागरों में पारिस्थितिकी तंत्र के क्षरण का प्रतिकार करना है।
- इस पुरस्कार के प्राप्तकर्त्ता UNO से तकनीकी और वित्तीय सहायता के पात्र बन जाते हैं।
- यह पुरस्कार एक अरब हेक्टेयर (चीन से बड़ा क्षेत्र) की पुनर्स्थापन करने की वैश्विक प्रतिबद्धताओं के बाद उल्लेखनीय पहलों पर नज़र रखता है।
- विश्व पुनर्स्थापन फ्लैगशिप संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UN Environment Programme - UNEP) के नेतृत्व में पारिस्थितिकी तंत्र की पुनर्स्थापन पर संयुक्त राष्ट्र दशक का हिस्सा हैं और संयुक्त राष्ट्र का खाद्य एवं कृषि संगठन (Agriculture Organization of the UN - FAO) जिसका उद्देश्य सभी महाद्वीप और महासागर में पारिस्थितिक तंत्र के क्षरण का प्रतिकार करना है।
- महत्त्व:
- उनकी पुनर्स्थापन की सफलता की कहानियों की वैश्विक मान्यता और उत्सव।
- प्रति चयनित पहल (केवल विकासशील देशों के लिये) 500,000 अमेरिकी डॉलर तक की तकनीकी और वित्तीय सहायता।
- वैश्विक ध्यान और निवेश का आकर्षण।
- संयुक्त राष्ट्र दशक के प्रकाशनों, अभियानों, आउटरीच, वकालत और शिक्षा प्रयासों में विशेषता।
- महासभा में संयुक्त राष्ट्र महासचिव की रिपोर्ट में सूचीबद्ध करना।
पारिस्थितिक पुनर्स्थापन क्या है?
- परिचय:
- यह उन पारिस्थितिक तंत्रों की पुनर्स्थापन में सहायता करने की प्रक्रिया है जो खराब हो गए हैं, क्षतिग्रस्त हो गए हैं या नष्ट हो गए हैं।
- क्षरण के कारण:
- कटाई, सड़क निर्माण, अवैध शिकार, अत्यधिक मछली पकड़ना, आक्रामक प्रजातियाँ, भूमि साफ करना, शहरीकरण, तटीय कटाव और खनन जैसी मानवीय गतिविधियाँ पारिस्थितिक तंत्र के क्षरण, क्षरण या विनाश का कारण बन सकती हैं।
- लक्ष्य और उद्देश्य:
- पारिस्थितिक पुनर्स्थापन का उद्देश्य पौधों, जानवरों और सूक्ष्मजीवों के लिये पुनर्प्राप्ति प्रक्रिया को स्वयं पूरा करने के लिये परिस्थितियाँ बनाकर पारिस्थितिकी तंत्र की पुनर्प्राप्ति शुरू करना या तेज़ करना है।
- विधियाँ एवं क्रियाएँ:
- पुनर्स्थापन में आक्रामक प्रजातियों को नष्ट करना, लुप्त प्रजातियों को पुनर्स्थापित करना, भू-आकृतियों को बदलना, वनस्पति रोपण, जल विज्ञान का पुनर्चक्रण करना और वन्य जीवन को फिर से शामिल करना जैसी कार्रवाइयाँ शामिल हो सकती हैं।
- पुनर्स्थापन एक बार की गतिविधि नहीं है, यह पारिस्थितिकी तंत्र के ठीक होने और परिपक्व होने के साथ जारी रहती है। पुनर्प्राप्ति प्रक्रिया के दौरान अप्रत्याशित बाधाएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
- पुनर्स्थापन एवं संरक्षण:
- पुनर्स्थापन संरक्षण का विकल्प नहीं है। हालाँकि यह पारिस्थितिक तंत्र में जैवविविधता, संरचना और कार्य को बहाल कर सकता है, लेकिन इसका उपयोग विनाश या अस्थिर उपयोग को उचित ठहराने के लिये नहीं किया जाना चाहिये।
- भारत की पुनर्स्थापन पहल:
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा भौगोलिक क्षेत्र में जैवविविधता के लिये संकट हो सकते हैं? (2012)
नीचे दिये गए कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2 और 3 उत्तर: (a) प्रश्न. जैवविविधता निम्नलिखित तरीकों से मानव अस्तित्व के लिये आधार बनाती है: (2011)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिये: (a) केवल 1, 2 और 3 उत्तर: (d) मेन्स:प्रश्न. भारत में जैवविविधता किस प्रकार अलग अलग पाई जाती है? वनस्पतिजात और प्राणिजात के संरक्षण में जैव विविधिता अधिनियम,2002 किस प्रकार सहायक है? (2018) |
फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन
प्रिलिम्स के लिये:महिला जननांग विकृति, महिला जननांग विकृति के लिये शून्य सहनशीलता का अंतर्राष्ट्रीय दिवस, संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष मेन्स के लिये:महिलाओं से संबंधित चुनौतियाँ, FGM उन्मूलन में चुनौतियाँ |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने कहा कि वर्ष 2024 में दुनिया भर में लगभग 44 लाख लड़कियों पर महिला जननांग विकृति (female genital mutilation) का खतरा मंडरा रहा है।
महिला जननांग विकृति क्या है?
- परिचय: महिला जननांग विकृति (Female genital mutilation - FGM) में वे सभी प्रक्रियाएँ शामिल हैं जिनमें गैर-चिकित्सीय कारणों से महिला जननांग को बदलना या घायल करना शामिल है और इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लड़कियों तथा महिलाओं के मानवाधिकारों, स्वास्थ्य एवं अखंडता के उल्लंघन के रूप में मान्यता प्राप्त है।
- प्रसार: यह मुख्यतः पश्चिमी, पूर्वी और उत्तर-पूर्वी अफ्रीका के साथ-साथ चुनिंदा मध्य पूर्वी तथा एशियाई देशों में केंद्रित है।
- हालाँकि बढ़ते प्रवासन के साथ, FGM एक वैश्विक चिंता बन गया है, जो यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और उत्तरी अमेरिका में भी लड़कियों एवं महिलाओं को प्रभावित कर रहा है।
- प्रभाव: जो लड़कियाँ, महिला जननांग विकृति से गुज़रती हैं उन्हें गंभीर दर्द, आघात, अत्यधिक रक्तस्राव, संक्रमण और पेशाब करने में कठिनाई जैसी अल्पकालिक जटिलताओं का सामना करना पड़ता है, साथ ही उनके यौन और प्रजनन स्वास्थ्य तथा मानसिक स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक परिणाम भी होते हैं।
- भारत में स्थिति: वर्तमान में ऐसा कोई कानून नहीं है जो देश में FGM प्रथा पर प्रतिबंध लगाता हो।
- वर्ष 2017 में, सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका के जवाब में, महिला और बाल विकास मंत्रालय ने कहा था कि "वर्तमान में कोई आधिकारिक डेटा या अध्ययन नहीं है जो भारत में FGM के अस्तित्व का समर्थन करता हो।"
- हालाँकि कुछ अन्य अनौपचारिक रिपोर्टों के अनुसार, FGM की प्रक्रियाएँ मुख्य रूप से महाराष्ट्र, केरल, राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश राज्यों में बोहरा समुदाय के बीच प्रचलित हैं।
- FGM उन्मूलन में चुनौतियाँ:
- सांस्कृतिक और सामाजिक मानदंड: FGM अक्सर सांस्कृतिक और सामाजिक मानदंडों में गहराई से निहित होता है, समुदाय इसे पीढ़ियों से चली आ रही परंपरा के रूप में मानते हैं।
- इन पूर्ववर्ती मान्यताओं और प्रथाओं को बदलना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
- जागरूकता और शिक्षा का अभाव: जिन समुदायों में FGM का अभ्यास किया जाता है उनमें से कई व्यक्ति इस अभ्यास के हानिकारक परिणामों को पूरी तरह समझने में अक्षम हैं।
- FGM से संबंधित शारीरिक और मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में जागरूकता तथा शिक्षा की कमी इस प्रथा को जारी रखने में योगदान दे सकती है।
- पर्याप्त डेटा संग्रह और रिपोर्टिंग का अभाव: FGM प्रचलन पर सीमित डेटा संग्रह और रिपोर्टिंग का अभाव है जो इस मुद्दे के दायरे को समझने तथा इसका समाधान करने के प्रयासों में बाधा डालती है।
- सांस्कृतिक और सामाजिक मानदंड: FGM अक्सर सांस्कृतिक और सामाजिक मानदंडों में गहराई से निहित होता है, समुदाय इसे पीढ़ियों से चली आ रही परंपरा के रूप में मानते हैं।
- FGM के उन्मूलन हेतु वैश्विक पहलें:
- संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ने वर्ष 2008 से फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन (FGM) के उन्मूलन हेतु संयुक्त रूप से सबसे बड़े वैश्विक कार्यक्रम का नेतृत्व किया।
- वर्ष 2012 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस प्रथा के उन्मूलन के प्रयासों में प्रगति करने के उद्देश्य से 6 फरवरी को इंटरनेशनल डे ऑफ ज़ीरो टॉलरेंस फॉर फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन के रूप में घोषित किया।
- वर्ष 2024 थीम: हर वॉइस, हर फ्यूचर आवाज़ (Her Voice. Her Future)।
- संयुक्त राष्ट्र, सतत् विकास लक्ष्य 5 का अनुपालन करते हुए वर्ष 2030 तक इस प्रथा को पूर्ण रूप से समाप्त करने के लिये प्रयासरत है।
- SDG 5.3 का उद्देश्य समाज में व्याप्त सभी कुप्रथाओं, जैसे कि बाल, अल्प आयु तथा ज़बरन विवाह और फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन को खत्म करना है।
आगे की राह
- विधान और नीति प्रवर्तन: FGM को पूर्ण रूप से प्रतिबंधित करने के लिये मौजूदा कानूनों को सुदृढ़ करना चाहिये तथा इसका अभ्यास करने अथवा इसे करने की सुविधा प्रदान कराने वालों पर दंड अधिरोपित करने की आवश्यकता है।
- सरकारों को विधि प्रवर्तन एजेंसियों के माध्यम से इन विधियों का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करना चाहिये।
- जागरूकता और शिक्षा: शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और लैंगिक स्वास्थ्य पर FGM के हानिकारक प्रभावों के बारे में समुदायों को शिक्षित करने के लिये व्यापक जागरूकता अभियान की शुरुआत की जानी चाहिये।
- इन अभियानों में न केवल अभ्यास करने वाले समुदायों के व्यक्तियों को बल्कि अन्य लोगों को भी शामिल किया जाना चाहिये।
- मानवाधिकार ढाँचे में शामिल करना: यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि FGM से निपटने के प्रयास मानवाधिकार सिद्धांतों पर आधारित हों तथा महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों का सम्मान सुनिश्चित किया जाए।
- अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार ढाँचे में FGM की रोकथाम तथा निवारण उपायों को शामिल करने का समर्थन किया जाना चाहिये।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नमेन्स:प्रश्न. भारत में महिलाओं पर वैश्वीकरण के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों पर चर्चा कीजिये? (2015) |
श्रीलंका और मॉरीशस में UPI सेवाएँ
प्रिलिम्स के लिये:एकीकृत भुगतान इंटरफेस, रुपे कार्ड, भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम, भारतीय रिज़र्व बैंक आधार , डिजीयात्रा, डिजीलॉकर मेन्स के लिये:डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना, भारत-श्रीलंका-मॉरीशस संबंध, आर्थिक और रणनीतिक महत्त्व, द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने के उपाय। |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने श्रीलंका के राष्ट्रपति श्री रानिल विक्रमसिंघे और मॉरीशस के प्रधानमंत्री श्री प्रविंद जगन्नाथ के साथ संयुक्त रूप से श्रीलंका तथा मॉरीशस में एकीकृत भुगतान इंटरफेस (Unified Payment Interface - UPI) सेवाओं एवं रुपे कार्ड (RuPay card) सेवाओं के शुभारंभ का मॉरीशस में उद्घाटन किया।
- इस कदम का उद्देश्य मज़बूत आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देते हुए तीनों देशों के नागरिकों के बीच निर्बाध डिजिटल भुगतान की सुविधा प्रदान करना है।
- इन परियोजनाओं को भारतीय रिज़र्व बैंक के मार्गदर्शन और समर्थन के तहत मॉरीशस तथा श्रीलंका के साझेदार बैंकों/गैर-बैंकों के साथ NPCI इंटरनेशनल पेमेंट्स लिमिटेड(NPCL) द्वारा विकसित तथा निष्पादित किया गया है।
RuPay और UPI क्या हैं?
- RuPay:
- रुपे कार्ड भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (National Payments Corporation of India - NPCI) द्वारा विकसित एक भुगतान प्रणाली और वित्तीय सेवा उत्पाद है।
- यह एक घरेलू कार्ड भुगतान नेटवर्क है जिसका उपयोग पूरे भारत में स्वचालित टेलर मशीन (automated teller machines- ATMs), पॉइंट ऑफ सेल/बिक्री का एक बिंदु (PoS) उपकरणों और ई-कॉमर्स वेबसाइटों पर किया जा सकता है।
- भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के तहत प्रावधान, भारतीय रिज़र्व बैंक तथा भारतीय बैंक संघ (Indian Banks’ Association-IBA) को भारत में एक सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक भुगतान एवं निपटान प्रणाली बनाने का अधिकार देता है।
- RuPay ने समाज के विभिन्न वर्गों के लिये विभिन्न कार्ड वेरिएंट लॉन्च किये हैं।
- सरकारी योजना कार्डों के अलावा, RuPay क्लासिक, प्लैटिनम और सेलेक्ट वेरिएंट कार्ड आम जनता तथा समृद्ध ग्राहकों के लिये डिज़ाइन किये गए हैं।
- RuPay कार्ड अब मॉरीशस के माध्यम से अफ्रीका में उपलब्ध है, जो नेपाल, भूटान, सिंगापुर और संयुक्त अरब अमीरात के बाद इसे जारी करने वाला पहला गैर-एशियाई देश है।
- RuPay तकनीक के उपयोग से मॉरीशस में बैंकों को मॉरीशस सेंट्रल ऑटोमेटेड स्विच (MauCAS) कार्ड नेटवर्क के माध्यम से स्थानीय रूप से RuPay कार्ड जारी करने की अनुमति मिलेगी।
- MauCAS ऑपरेटरों के बीच भुगतान रूट करने के लिये बैंक ऑफ मॉरीशस द्वारा पूरी तरह से स्वामित्व और संचालित एक अनोखा अत्याधुनिक डिजिटल हब है।
- RuPay तकनीक के उपयोग से मॉरीशस में बैंकों को मॉरीशस सेंट्रल ऑटोमेटेड स्विच (MauCAS) कार्ड नेटवर्क के माध्यम से स्थानीय रूप से RuPay कार्ड जारी करने की अनुमति मिलेगी।
- UPI:
- एकीकृत भुगतान इंटरफेस (Unified Payment Interface - UPI) एक डिजिटल और वास्तविक समय भुगतान प्रणाली है जिसे NPCI द्वारा वर्ष 2016 में विकसित किया गया था।.
- UPI, IMPS (तत्काल भुगतान सेवा) बुनियादी अवसंरचना पर बनाया गया है और उपयोगकर्त्ताओं को किसी भी दो पक्षों के बैंक खातों के बीच तुरंत धन हस्तांतरित करने की अनुमति देता है।
- UPI कई बैंकिंग सुविधाओं, निर्बाध फंड रूटिंग और मर्चेंट भुगतान को एक मोबाइल एप्लिकेशन में विलय करने की अनुमति देता है।
- वर्ष 2023 में UPI के माध्यम से 2 लाख करोड़ रुपए के 100 अरब से अधिक लेन-देन हुए।
- UPI भुगतान स्वीकार करने वाले देश फ्राँस, संयुक्त अरब अमीरात, मॉरीशस, श्रीलंका, सिंगापुर, भूटान और नेपाल हैं।
RuPay और UPI से मॉरीशस तथा श्रीलंका के उपयोगकर्त्ताओं को क्या लाभ होगा?
- निर्बाध लेन-देन की सुविधा:
- मॉरीशस व श्रीलंका में उपयोगकर्त्ताओं को RuPay और UPI को अपनाने के माध्यम से घरेलू तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लेन-देन करने में सुविधा होगी।
- RuPay कार्ड और UPI कनेक्टिविटी के साथ, भारत, मॉरीशस तथा श्रीलंका के बीच यात्रा करने वाले व्यक्ति मुद्रा विनिमय की आवश्यकता को समाप्त करने एवं लेन-देन संबंधी जटिलताओं को कम करने के लिये निर्बाध रूप से लेन-देन कर सकते हैं।
- मॉरीशस व श्रीलंका में उपयोगकर्त्ताओं को RuPay और UPI को अपनाने के माध्यम से घरेलू तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लेन-देन करने में सुविधा होगी।
- वित्तीय पहुँच:
- मॉरीशस में ATM और PoS टर्मिनलों पर रुपे कार्ड स्वीकार किये जाएँगे, जिससे क्षेत्र में उपयोगकर्त्ताओं के लिये डिजिटल भुगतान की पहुँच बढ़ जाएगी।
- श्रीलंका में UPI कनेक्टिविटी उपयोगकर्त्ताओं को पारंपरिक भुगतान विधियों के लिये एक सुविधाजनक विकल्प प्रदान करते हुए, व्यापारी स्थानों पर QR कोड-आधारित भुगतान करने में सक्षम बनाती है।
- वित्तीय समावेशन को प्रोत्साहन:
- RuPay कार्ड और UPI सेवाओं की उपलब्धता विविध सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के व्यक्तियों को वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने वाली डिजिटल अर्थव्यवस्था में भाग लेने के लिये सशक्त बनाती है।
- UPI लेनदेन उपयोगकर्त्ताओं को पारंपरिक बैंकिंग सेवाओं से जुड़े खर्चों को कम करने और किफायती वित्तीय लेनदेन की सुविधा प्रदान करने के लिये एक लागत प्रभावी समाधान प्रदान करता है।
- मज़बूत आर्थिक संबंध:
- निर्बाध भुगतान समाधान भारत, मॉरीशस और श्रीलंका के बीच व्यापार व पर्यटन के विकास में योगदान करते हैं, आर्थिक सहयोग तथा संबंध को बढ़ावा देते हैं।
- बढ़े हुए डिजिटल लेन-देन से नकदी रहित लेन-देन को बढ़ावा देने, पारदर्शिता बढ़ाने और नकदी आधारित लेन-देन पर निर्भरता कम करके स्थानीय व्यवसायों को समर्थन मिलता है।
- भारत की "नेबरहुड फर्स्ट (neighbourhood first)" नीति और "सागर (Security and Growth for All in the Region) vision - SAGAR)" (क्षेत्र में सभी के लिये सुरक्षा और विकास) दृष्टिकोण के हिस्से के रूप में, UPI तथा रुपे सेवाओं के लॉन्च से तीन देशों के बीच आर्थिक एवं रणनीतिक संबंध भी मजबूत होंगे।
- निर्बाध भुगतान समाधान भारत, मॉरीशस और श्रीलंका के बीच व्यापार व पर्यटन के विकास में योगदान करते हैं, आर्थिक सहयोग तथा संबंध को बढ़ावा देते हैं।
- नवप्रवर्तन और तकनीकी उन्नति:
- RuPay और UPI की शुरूआत डिजिटल नवाचार को अपनाने, मॉरीशस और श्रीलंका को वैश्विक डिजिटल परिदृश्य में प्रगतिशील अर्थव्यवस्थाओं के रूप में स्थापित करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
- ये उन्नत भुगतान प्रौद्योगिकियाँ उपयोगकर्त्ता को नवीन वित्तीय समाधानों तक पहुँच प्रदान करने में सहायता करती हैं जो उन्हें अपने धान को अधिक कुशलतापूर्वक तथा सुरक्षित रूप से प्रबंधित करने के लिये सशक्त बनाते हैं।
- RuPay और UPI की शुरूआत डिजिटल नवाचार को अपनाने, मॉरीशस और श्रीलंका को वैश्विक डिजिटल परिदृश्य में प्रगतिशील अर्थव्यवस्थाओं के रूप में स्थापित करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
भारत का डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI)
- भारत का DPI जिसे इंडिया स्टैक के रूप में भी जाना जाता है, मुक्त और अंतर-संचालित प्लेटफाॅर्मों का एक समूह है जिसमें स्वतंत्र ‘ब्लॉक’ (Blocks) मौजूद होते हैं जो विभिन्न डिजिटल अनुप्रयोगों के लिये पहचान, भुगतान, डेटा साझाकरण तथा सहमति प्रणाली प्रदान करता है।
- ये प्लेटफाॅर्म उपयोगकर्त्ता-केंद्रित डिज़ाइन, नीति उद्देश्यों, विकासशील उपयोग के मामलों और सहभागिता के सिद्धांतों पर विकसित किये गए हैं।
- भारत के DPI के कुछ प्रमुख घटकों में आधार, डिजियात्रा, डिजीलॉकर और अकाउंट एग्रीगेटर (AA) शामिल हैं।
- DPI में समावेशी विकास और आर्थिक परिवर्तन को गति प्रदान करने की क्षमता है। इंडिया स्टैक की मॉड्यूलर परतें डिजिटल क्षेत्र में प्रतिस्पर्धात्मकता, समावेशिता और नवाचार को बढ़ावा देती हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. डिजिटल भुगतान के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (a) प्रश्न. 'एकीकृत भुगतान अंतराप्रष्ठ (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस/UPI)' को कार्यान्वित करने से निम्नलिखित में से किसके होने की सर्वाधिक संभाव्यता है? (2017) (a) ऑनलाइन भुगतानों के लिये मोबाइल वॉलेट आवश्यक नहीं होंगे। उत्तर: (a) प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (c) मेन्स:प्रश्न. सूचना और संप्रेषण प्रौद्योगिकी (आई.सी.टी) आधारित परियोजनाओं/कार्यक्रमों का कार्यान्वयन आमतौर पर कुछ विशेष महत्त्वपूर्ण कारकों की दृष्टि से ठीक नहीं रहता है। इन कारकों की पहचान कीजिये और उनके प्रभावी कार्यान्वयन के उपाय सुझाइये। (2019) |
स्मार्ट ग्राम पंचायत
प्रिलिम्स के लिये:PM-वाणी, राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान, पंचायती राज संस्थान (PRI), सतत् विकास लक्ष्य, भारतनेट मेन्स के लिये:भारत के डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) में PM-WANI की भूमिका, डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI), ग्रामीण डिजिटल साक्षरता में सुधार, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप |
स्रोत: पी.आई.बी.
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री ने बिहार के बेगुसराय ज़िले के पपरौर ग्राम पंचायत में 'स्मार्ट ग्राम पंचायत: ग्राम पंचायत के डिजिटलीकरण की दिशा में क्रांति' परियोजना का उद्घाटन किया। यह पहल ग्रामीण भारत में डिजिटल सशक्तीकरण की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण प्रगति है।
स्मार्ट ग्राम पंचायत परियोजना क्या है?
- इस परियोजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र की कनेक्टिविटी में एक आदर्श परिवर्तन के साथ बेगुसराय की सभी ग्राम पंचायतों तक PM-वाणी (प्रधानमंत्री वाई-फाई एक्सेस नेटवर्क इंटरफेस) सेवा पहुँचाना है।
- बेगूसराय अब PM-वाणी योजना के तहत सभी ग्राम पंचायतों को वाई-फाई सेवाओं से लैस करने वाला बिहार का पहला ज़िला बन गया है।
- इसे संशोधित राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान (RGSA) के तहत वित्त पोषित किया गया है। इस परियोजना का लक्ष्य बिहार में बेगुसराय और रोहतास ज़िलों की 37 ब्लॉकों में 455 ग्राम पंचायतों को वाई-फाई सेवा पहुँचाना है। इसका कार्यान्वन पंचायती राज मंत्रालय द्वारा किया गया।
- स्वास्थ्य, शिक्षा और कौशल जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में ऑनलाइन सेवाओं तक पहुँच बढ़ाने, ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिये प्रौद्योगिकी के उपयोग पर ज़ोर दिया गया है।
- छात्र, किसान, कारीगर और महिला स्वयं सहायता समूहों (SHG) को इस पहल से लाभ प्राप्त होगा।
- समय के साथ परियोजना के प्रभाव को बनाए रखने के उद्देश्य के साथ संचालन और रखरखाव (O&M) के लिये सुदृढ़ तंत्र स्थापित किया जाएगा।
- परियोजना का उद्देश्य ग्रामीण-शहरी विभाजन को पाटना, स्थानीय स्वशासन में उत्तरदायित्व और दक्षता को बढ़ावा देना तथा डिजिटल फुटप्रिंट के माध्यम से समुदायों को सशक्त बनाना है।
राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान (RGSA ):
- RGSA पंचायती राज मंत्रालय की एक योजना है, जिसे वर्ष 2018 में लॉन्च किया गया था। इसे बेह्तर बनाते हुए RGSA की केंद्र प्रायोजित योजना को पंचायती राज संस्थाओं (PRI) के निर्वाचित प्रतिनिधियों (ER) की क्षमता निर्माण के लिये वर्ष 2022-23 से वर्ष 2025-26 की अवधि के साथ कार्यान्वयन के लिये मंज़ूरी दी गई।
- संशोधित RGSA का प्राथमिक उद्देश्य सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) को पूरा करने के लिये पंचायतों की शासन क्षमताओं को विकसित करना है। योजना के तहत पंचायतों के निर्वाचित प्रतिनिधियों को चुनाव के बाद छह महीने के भीतर बुनियादी अभिविन्यास प्रशिक्षण तथा दो वर्ष के भीतर पुनश्चर्या प्रशिक्षण सुनिश्चित किया गया है। राज्य घटकों के लिये केंद्र और राज्यों की हिस्सेदारी क्रमशः 60:40 के अनुपात में होगी, पूर्वोत्तर तथा पहाड़ी राज्यों तथा जम्मू-कश्मीर के अतिरिक्त जहाँ केंद्र एवं राज्य का अनुपात 90:10 होगा। सभी केंद्रशासित प्रदेशों के लिये केंद्रीय हिस्सा 100% होगा।
- RGSA का मूल उद्देश्य:
- ई-गवर्नेंस और SHG के स्थानीयकरण पर विभिन्न स्तरों पर पंचायत-SHG अभिसरण तथा प्रशिक्षण को सुदृढ़ करना।
- इंटरैक्टिव क्षमता निर्माण और मानकीकृत प्रशिक्षण के लिये उभरती प्रौद्योगिकियों का उपयोग करना। डिजिटल साक्षरता और नेतृत्व भूमिकाओं के संबंध में PRI को सक्षम बनाना।
पीएम-वाणी क्या है?
- परिचय:
- दिसंबर 2020 में दूरसंचार विभाग (Department of Telecom - DoT) द्वारा लॉन्च की गई पीएम-वाणी (PM-WANI), देश भर में, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में एक मज़बूत डिजिटल संचार अवसंरचना स्थापित करने के लिये सार्वजनिक वाई-फाई हॉटस्पॉट तक पहुँच में वृद्धि के उद्देश्य से शुरू की गई एक प्रमुख योजना है, जो कोई भी इकाई राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति, 2018 (ational Digital Communications Policy - NDCP) के अनुरूप हॉटस्पॉट स्थापित कर सकती है।
- पीएम-वाणी (PM-WANI) इकोसिस्टम:
- सार्वजनिक डेटा कार्यालय (PDO):
- PDO वह इकाई है जो वाई-फाई हॉटस्पॉट की स्थापना, रखरखाव और संचालन करती है तथा दूरसंचार सेवा प्रदाताओं या इंटरनेट सेवा प्रदाताओं से इंटरनेट बैंडविड्थ प्राप्त कर उपयोगकर्त्ताओं को अंतिम-मील कनेक्टिविटी (अंतिम उपयोगकर्त्ता तक पहुँच) प्रदान करती है।
- पब्लिक डेटा ऑफिसर एग्रीगेटर (PDOA):
- PDOA वह इकाई है जो PDO को प्राधिकरण और लेखांकन जैसी एग्रीगेशन सर्विसेज़ प्रदान करती है तथा उन्हें अंतिम उपयोगकर्त्ताओं को सेवाएँ प्रदान करने में सुविधा प्रदान करती है।
- एप प्रदाता(App Provider):
- यह वह इकाई है जो उपयोगकर्त्ताओं को पंजीकृत करने और इंटरनेट सेवा तक पहुँच के लिये PM-WANI के अनुरूप वाई-फाई हॉटस्पॉट खोजने तथा प्रदर्शित करने हेतु एक एप्लीकेशन विकसित करती है एवं संभावित उपयोगकर्त्ताओं को प्रामाणित भी करती है।
- केंद्रीय रजिस्ट्री:
- यह वह इकाई है जो एप प्रदाताओं, PDOA और PDO का विवरण रखती है। वर्तमान में इसका रखरखाव सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स (C-DoT) द्वारा किया जाता है।
- सार्वजनिक डेटा कार्यालय (PDO):
- PM-WANI के लाभ:
- PM-WANI ग्रामीण क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड उपलब्धता और सामर्थ्य को बढ़ावा देगा, उद्यमशीलता तथा डिजिटल समावेशन को बढ़ावा देगा। यह भारतनेट परियोजना का पूरक है।
- यह 5G जैसी मोबाइल प्रौद्योगिकियों की तुलना में इंटरनेट एक्सेस हेतु एक किफायती और सुविधाजनक विकल्प प्रदान कर सकता है, जिसके लिये उच्च निवेश तथा सदस्यता लागत की आवश्यकता होती है। यह इंटरनेट बाज़ार में नवाचार और प्रतिस्पर्द्धा को प्रोत्साहित कर सकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा/से भारत सरकार के ‘डिजिटल इंडिया’ योजना का/के उद्देश्य है/हैं? (2018)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) प्रश्न 2. पंचायती राज व्यवस्था का मूल उद्देश्य क्या सुनिश्चित करना है? (2015)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2 और 3 उत्तर: (c) मेन्स:प्रश्न. "चौथी औद्योगिक क्रांति (डिजिटल क्रांति) के प्रादुर्भाव ने ई-गवर्नेंस को सरकार का अविभाज्य अंग बनाने की पहल की है"। विवेचन कीजिये। (2020) प्रश्न. भारत में स्थानीय शासन के एक भाग के रूप में पंचायत प्रणाली के महत्त्व का आकलन कीजिये। विकास परियोजनाओं के वित्तीयन के लिये पंचायतें सरकारी अनुदानों के अलावा और किन स्रोतों को खोज सकती हैं? (2018) |
भारत रत्न पुरस्कार, 2024
प्रिलिम्स के लिये:भारत रत्न, कर्पूरी ठाकुर,, एम.एस स्वामीनाथन, पी.वी. नरसिम्हा राव, लाल कृष्ण आडवाणी , हरित क्रांति, उदारीकरण मेन्स के लिये:महत्त्वपूर्ण व्यक्तित्व, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप |
स्रोत:द हिंदू
चर्चा में क्यों?
भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, प्रतिष्ठित भारत रत्न, राजनीति, शासन एवं कृषि में उल्लेखनीय योगदान देने वाले पाँच प्रतिष्ठित हस्तियों को प्रदान किया जाने वाला है। वे हैं कर्पूरी ठाकुर, मनकोम्बु संबाशिवन (एम.एस) स्वामीनाथन, पामुलपर्थी वेंकट (पी.वी.) नरसिम्हा राव, लाल कृष्ण आडवाणी और चौधरी चरण सिंह है।
भारत रत्न पुरस्कार विजेताओं (2024) के उल्लेखनीय योगदान क्या हैं?
- कर्पूरी ठाकुर:
- कर्पूरी ठाकुर, जिन्हें "जन नायक" के नाम से जाना जाता है, वर्ष 1970-71 और वर्ष 1977-79 तक दो बार बिहार के 11वें मुख्यमंत्री रहे। उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा।
- कर्पूरी ठाकुर अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को आरक्षण का लाभ प्रदान करने में अग्रणी भूमिका निभाई थी क्योंकि उन्होंने वर्ष 1977 से 1979 तक बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान मुंगेरी लाल आयोग की सिफारिशों को लागू किया था।
- वर्ष 1978 में उन्होंने एक अभूतपूर्व आरक्षण मॉडल प्रस्तुत किया, जिसमें OBC, आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों (EBC), महिलाओं और उच्च जातियों के बीच आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिये विशिष्ट कोटे के साथ 26% आरक्षण आवंटित किया गया था।
- ठाकुर ने सामाजिक न्याय और समावेशी विकास पर ज़ोर देते हुए हाशिए पर मौजूद समुदायों के अधिकारों की वकालत की।
- मनकोम्बु संबासिवन (एम.एस.) स्वामीनाथन:
- भारत की हरित क्रांति के जनक एम.एस. स्वामीनाथन ने भारत को कृषि में आत्मनिर्भर बनने के साथ आधुनिक बनाया। उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा।
- नॉर्मन बोरलॉग के साथ उच्च उपज देने वाली(HyV) गेहूँ और चावल की किस्में विकसित कीं, जिससे वर्ष 1960 से 70 के दशक में भारत में कृषि में क्रांति हुई।
- उन्होंने राष्ट्रीय किसान आयोग का नेतृत्व करते हुए कृषि उपज के लिये उचित मूल्य और धारणीय कृषि पद्धतियों की वकालत की।
- उन्होंने पौधों में विविधता और कृषक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 2001 को विकसित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- स्वामीनाथन को कई प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त हुए जिनमें वर्ष 1961 में शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार, वर्ष 1971 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार एवं वर्ष 1986 में अल्बर्ट आइंस्टीन विश्व विज्ञान पुरस्कार शामिल हैं।
- इसके साथ ही इनको पद्मश्री (1967), पद्म भूषण (1972) पद्म विभूषण (1989) से भी सम्मानित किया गया।
- पामुलपर्थी वेंकट (पी.वी.) नरसिम्हा राव:
- 73वें और 74वें संशोधन अधिनियम पंचायती राज संस्थानों और शहरी स्थानीय निकायों (ULB) में महिलाओं के लिये एक तिहाई सीटें आरक्षित करने करने का प्रावधान करते हैं।
- पी. वी. नरसिम्हा राव ने वर्ष 1991 से 1996 तक भारत के नौवें प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया, उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा।
- पी.वी. नरसिम्हा राव जब प्रधानमंत्री थे, तब उन्होंने इज़रायल के साथ नए संबंध स्थापित किये और साथ ही अमेरिका के साथ भी संबंधों को मज़बूत करके भारत की विदेश नीति को बदल दिया।
- उन्होंने अपनी परमाणु रणनीति को आगे बढ़ाने के भारत के अधिकार को छोड़ने से इनकार करके राष्ट्रीय स्वतंत्रता को बनाए रखा।
- वर्ष 1991 के LPG सुधारों के बाद अर्थव्यवस्था को वैश्वीकरण के लिये खोल दिया गया, व्यापार बाधाओं को कम किया गया और कई उद्योगों में निजीकरण शुरू किया गया, राव के कार्यकाल में अधिक आत्मविश्वासपूर्ण राजनीतिक वातावरण के साथ भारत को आर्थिक उदारीकरण एवं पुनरुद्धार का मार्ग प्रशस्त हुआ।
- उन्होंने प्रसिद्ध तेलुगु उपन्यास 'वेई पदगलु' का हिंदी अनुवाद 'सहस्रफण' प्रकाशित किया।
- 73वें और 74वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम का कार्यान्वन पी.वी.नरसिम्हा राव के कार्यकाल के दौरान हुआ था।
- लालकृष्ण आडवाणी:
- विगत वर्षों में आडवाणी ने भारत के 7वें उप प्रधानमंत्री (1999-2004) तथा वर्ष 1980 में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना के बाद से सबसे लंबे समय तक के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया है।
- आडवाणी को व्यापक रूप से प्रबल बौद्धिक क्षमता, प्रभावशील सिद्धांतों और एक सशक्त तथा समृद्ध भारत के विचार के प्रति अटूट समर्थन वाले व्यक्ति के रूप में माना जाता है।
- चौधरी चरण सिंह:
- चौधरी चरण सिंह एक भारतीय राजनीतिज्ञ और स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने भारत के 5वें प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार का दायित्व पूर्ण किया।
- वर्ष 1952 में कृषि मंत्री के रूप में उन्होंने ज़मींदारी प्रथा को खत्म करने में उत्तर प्रदेश का नेतृत्व किया।
- उन्होंने किसानों के हितों और अधिकारों का समर्थन किया तथा उनकी स्थितियों तथा कल्याण में सुधार के लिये कई सुधारों की पेशकश की। उन्होंने लोकतंत्र, पंथनिरपेक्ष और सामाजिक न्याय के मूल्यों को बढ़ावा दिया।
- चरण सिंह ने ब्रिटिश सरकार से स्वतंत्रता के लिये अहिंसक संघर्ष में महात्मा गांधी का पूर्ण रूप से अनुसरण किया और कई बार जेल गए।
- चौधरी चरण सिंह एक भारतीय राजनीतिज्ञ और स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने भारत के 5वें प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार का दायित्व पूर्ण किया।
नोट:
- भारत रत्न के संबंध में दिशा-निर्देशों के अनुसार एक वर्ष में अधिकतम तीन व्यक्तियों को इस पुरस्कार से सम्मानित किया जा सकता है। इस नियम को पहली बार वर्ष 1999 में तोड़ा गया जहाँ चार व्यक्तियों को भारत रत्न से सम्मानित किया गया जिनमें जयप्रकाश नारायण, अमर्त्य सेन, गोपीनाथ बोरदोलोई और रविशंकर शामिल थे।
- वर्ष 2024 में पुनः एक बार नियम को तोड़ा गया और पाँच व्यक्तियों को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
और पढ़ें…कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न, लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. भारत रत्न और पद्म पुरस्कारों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा सही नहीं है? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) |
भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी
प्रिलिम्स के लिये:भारत की एक्ट ईस्ट नीति, अंतर्देशीय जल परिवहन, भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI), लुक ईस्ट नीति मेन्स के लिये:भारत की एक्ट ईस्ट नीति, भारत और पड़ोसी देशों के साथ इसके संबंध |
स्रोत: पी.आई.बी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल के मैया इनलैंड कस्टम पोर्ट से बांग्लादेश के सुल्तानगंज पोर्ट के लिये पहले प्रायोगिक मालवाहक जहाज़ों (Trial Cargo Vessels) को हरी झंडी दिखाई जो भारत की एक्ट ईस्ट नीति के तहत एक महत्त्वपूर्ण कदम है, जिसमें अंतर्देशीय जल परिवहन को सुदृढ़ करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
- इसका आयोजन भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) द्वारा किया गया जो भारत और बांग्लादेश के बीच बेहतर कनेक्टिविटी तथा सहयोग की एक नई शुरुआत को दर्शाता है।
इस प्रायोगिक शिपमेंट का क्या महत्त्व है?
- माइया टर्मिनल के परिचालन से बड़ा परिवर्तन होने की उम्मीद है क्योंकि यह बांग्लादेश जाने वाले 2.6 मिलियन टन प्रति वर्ष (MTPA) निर्यात मालवाहक को सड़कमार्ग के स्थान पर जलमार्ग से परिवहन करने की सुविधा प्रदान करेगा।
- माइया-अरिचा मार्ग (प्रोटोकॉल रूट 5 और 6) NW1 (राष्ट्रीय जलमार्ग 1) से बांग्लादेश और उत्तर पूर्वी क्षेत्र की दूरी 930 किलोमीटर कम कर देगा।
अंतर्देशीय जल परिवहन (IWT) क्या है?
- परिचय:
- IWT नौगम्य नदियों, नहरों, झीलों और अन्य अंतर्देशीय जलमार्गों के माध्यम से माल तथा यात्रियों के परिवहन को संदर्भित करता है।
- इस प्रकार के परिवहन में देश के आंतरिक क्षेत्रों में माल और लोगों के यातायात, जल मार्गों के साथ विभिन्न पत्तनों तथा टर्मिनलों को जोड़ने के लिये नावों, बजरों (Barge) एवं जहाज़ों जैसे माध्यमों का उपयोग किया जाता है।
- महत्त्व:
- IWT परिवहन का, विशेष रूप से कोयला, लौह अयस्क, सीमेंट, खाद्यान्न और उर्वरक जैसे बड़ी मात्र के माल परिवहन के लिये एक अत्यधिक लागत प्रभावी तरीका है।
- इसके लाभों के बावजूद भारत के मॉडल मिश्रण में इसकी वर्तमान हिस्सेदारी केवल 2% है। मैरीटाइम इंडिया विज़न (MIV)-2030 के तहत सरकार का लक्ष्य वर्ष 2030 तक इस हिस्सेदारी को 5% तक बढ़ाना है।
- इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये IWAI ने व्यवहार्यता अध्ययन के माध्यम से 25 नए राष्ट्रीय जलमार्गों (NW) की पहचान की है ताकि उन्हें परिवहन के लिये नौगम्य बनाया जा सके।
एक्ट ईस्ट पॉलिसी क्या है?
- परिचय:
- नवंबर, 2014 में घोषित 'एक्ट ईस्ट पॉलिसी' 'लुक ईस्ट पॉलिसी' का अपग्रेड है।
- यह विभिन्न स्तरों पर विशाल एशिया-प्रशांत क्षेत्र के साथ आर्थिक, रणनीतिक और सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देने की एक राजनयिक पहल है।
- इसमें द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और बहुपक्षीय स्तरों पर कनेक्टिविटी, व्यापार, संस्कृति, रक्षा तथा लोगों से लोगों के बीच संपर्क के क्षेत्र में दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ गहन एवं निरंतर जुड़ाव शामिल है।
- उद्देश्य:
- इसका प्रमुख उद्देश्य आर्थिक सहयोग, सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देना और सक्रिय तथा व्यावहारिक दृष्टिकोण के साथ भारत-प्रशांत क्षेत्र के देशों के साथ रणनीतिक संबंध विकसित करना एवं इस तरह उत्तर पूर्वी क्षेत्र (North Eastern Region- NER) के आर्थिक विकास में सुधार करना, जो दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र का प्रवेश द्वार है।
लुक ईस्ट पॉलिसी क्या है?
- सोवियत संघ (USSR) के विघटन (शीत युद्ध वर्ष 1991 की समाप्ति) के साथ एक महत्त्वपूर्ण रणनीतिक भागीदार को खो देने की भरपाई के लिये भारत संयुक्त राज्य अमेरिका और दक्षिण-पूर्व एशिया में उसके सहयोगी देशों के साथ संबंध निर्माण की दिशा में आगे बढ़ा।
- इस क्रम में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव ने वर्ष 1992 में दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के साथ भारत की संलग्नता को एक रणनीतिक बल देने के लिये ‘लुक ईस्ट’ नीति का शुभारंभ किया ताकि भारत एक क्षेत्रीय शक्ति के रूप में तथा चीन के रणनीतिक प्रभाव के प्रतिकार के लिये अपनी स्थिति सुदृढ़ कर सके।
लुक ईस्ट पॉलिसी और एक्ट ईस्ट पॉलिसी के बीच क्या अंतर है?
- लुक ईस्ट पॉलिसी:
- लुक ईस्ट पॉलिसी में ‘दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संघ’ (आसियान) तथा उनके आर्थिक एकीकरण पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- भारत वर्ष 1996 में आसियान का एक संवाद भागीदार और वर्ष 2002 में शिखर स्तरीय वार्ताओं का भागीदार बना।
- वर्ष 2012 में यह संबंध रणनीतिक साझेदारी में बदल गया।
- वर्ष 1992 में जब भारत ने लुक ईस्ट पॉलिसी शुरू की, उस समय आसियान के साथ भारत का व्यापार 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। वर्ष 2010 में आसियान के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद व्यापार बढ़कर 72 बिलियन अमेरिकी डॉलर (2017-18) हो गया है।
- भारत ‘पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन’ (EAS), ‘आसियान क्षेत्रीय मंच’ (ARF) आदि जैसे कई क्षेत्रीय मंचों में भी सक्रिय भागीदार है।
- लुक ईस्ट पॉलिसी में ‘दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संघ’ (आसियान) तथा उनके आर्थिक एकीकरण पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- एक्ट ईस्ट:
- एक्ट ईस्ट पॉलिसी आसियान देशों + आर्थिक एकीकरण + पूर्वी एशियाई देशों + सुरक्षा सहयोग पर केंद्रित है।
- भारत के प्रधानमंत्री ने एक्ट ईस्ट पॉलिसी के ‘4C’ का उल्लेख किया है।
- संस्कृति (Culture)
- वाणिज्य (Commerce)
- संपर्क (Connectivity)
- क्षमता निर्माण (Capacity building)
- भारत के प्रधानमंत्री ने एक्ट ईस्ट पॉलिसी के ‘4C’ का उल्लेख किया है।
- सुरक्षा भारत की एक्ट ईस्ट नीति का एक महत्त्वपूर्ण आयाम है।
- दक्षिण चीन सागर और हिंद महासागर में चीन की बढ़ती आक्रामकता के संदर्भ में, नेविगेशन की स्वतंत्रता तथा हिंद महासागर में भारत की अपनी भूमिका सुनिश्चित करना एक्ट ईस्ट पॉलिसी की एक प्रमुख विशेषता है।
- इसके अनुसरण में, भारत क्वाड नामक इंडो-पैसिफिक और अनौपचारिक समूह के आख्यान में शामिल हो गया है।
- एक्ट ईस्ट पॉलिसी आसियान देशों + आर्थिक एकीकरण + पूर्वी एशियाई देशों + सुरक्षा सहयोग पर केंद्रित है।
एक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत कनेक्टिविटी बढ़ाने की क्या पहलें हैं?
- भारत और बांग्लादेश के बीच अगरतला-अखौरा रेल संपर्क।
- बांग्लादेश के माध्यम से इंटरमॉडल परिवहन संपर्क और अंतर्देशीय जलमार्ग।
- कलादान मल्टीमॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट और उत्तर पूर्व को म्याँमार तथा थाईलैंड से जोड़ने वाली त्रिपक्षीय राजमार्ग परियोजना।
- भारत-जापान एक्ट ईस्ट फोरम के तहत, सड़क और पुल तथा जल-विद्युत ऊर्जा परियोजनाओं के आधुनिकीकरण जैसी परियोजनाएँ शुरू की गई हैं।
- इंडिया-जापान एक्ट ईस्ट फोरम की स्थापना वर्ष 2017 में की गई थी, जिसका उद्देश्य भारत की "एक्ट ईस्ट पॉलिसी" और जापान की "मुक्त एवं खुली भारत-प्रशांत रणनीति" के तहत भारत-जापान सहयोग के लिये एक मंच प्रदान करना है।
- फोरम भारत के उत्तर-पूर्व क्षेत्र के आर्थिक आधुनिकीकरण के लिये विशिष्ट परियोजनाओं की पहचान करेगा, जिसमें कनेक्टिविटी, विकासात्मक बुनियादी ढाँचे और औद्योगिक संबंधों के साथ-साथ पर्यटन एवं संस्कृति तथा खेल-संबंधी गतिविधियों के माध्यम से लोगों से लोगों के बीच संपर्कता शामिल हैं।
- अन्य पहल:
- महामारी के दौरान आसियान देशों को दवाओं के साथ-साथ चिकित्सा आपूर्ति के रूप में सहायता प्रदान की गई।
- आसियान देशों के प्रतिभागियों के लिये IIT में 1000 PhD फेलोशिप की पेशकश के साथ छात्रवृत्ति प्रदान की गई है।
- भारत शिक्षा, जल संसाधन, स्वास्थ्य आदि के क्षेत्र के मूलभूत समुदायों को विकास सहायता प्रदान करने के लिये कंबोडिया, लाओस, म्याँमार और वियतनाम में त्वरित प्रभाव से परियोजनाएँ भी लागू कर रहा है।
- त्वरित प्रभाव परियोजनाएँ (QIP) छोटे पैमाने की, कम लागत वाली परियोजनाएँ हैं जिनकी योजना बनाई जाती है और उन्हें कम समय सीमा के भीतर कार्यान्वित किया जाता है।
- तटीय नौवहन एवं अंतर्देशीय जल परिवहन के मॉडल शेयर को बढ़ाने के लिये अमृत काल विज़न 2047 में 46 पहलों की पहचान की गई है।
- प्रमुख पहलों में बंदरगाह-आधारित समूह केंद्रों का निर्माण, उत्पादन एवं मांग केंद्रों के पास तटीय घाट और सड़क, रेल तथा अंतर्देशीय जलमार्ग कनेक्टिविटी में सुधार के लिये परियोजनाएँ शामिल हैं।
- इस योजना का लक्ष्य वर्ष 2047 तक 50 जलमार्गों को चालू करना और साथ ही दक्षता तथा पहुँच बढ़ाने के लिये संभावित टग-बार्ज संयोजनों के साथ कम-ड्राफ्ट पोत डिज़ाइन प्रस्तुत करना है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न.1 'रीज़नल काम्प्रिहेन्सिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (Regional Comprehensive Economic Partnership)' पद प्रायः समाचारों में देशों के एक समूह के मामलों के संदर्भ में आता है। देशों के उस समूह को क्या कहा जाता है? (2016) (a) जी- 20 उत्तर: (b) व्याख्या:
अत: विकल्प (b) सही उत्तर है। प्रश्न.2 मेकांग-गंगा सहयोग जो कि छह देशों की एक पहल है, निम्नलिखित में से कौन-सा/से देश प्रतिभागी नहीं है/हैं? (2015)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (c) मेन्स:प्रश्न. आंतरिक सुरक्षा खतरों तथा नियंत्रण रेखा सहित म्याँमार, बांग्लादेश और पाकिस्तान सीमाओं पर सीमा-पार अपराधों का विश्लेषण कीजिये। विभिन्न सुरक्षा बलों द्वारा इस संदर्भ में निभाई गई भूमिका की विवेचना भी कीजिये। (2020) प्रश्न. दक्षिण एशिया के अधिकतर देशों तथा म्याँमार से लगी लंबी छिद्रिल सीमाओं की दृष्टि से भारत की आंतरिक सुरक्षा की चुनौतियाँ सीमा प्रबंधन से कैसे जुड़ी हैं? (2013) |