भारतीय इतिहास
महात्मा गांधी की 154वीं जयंती
- 04 Oct 2023
- 13 min read
प्रिलिम्स के लिये:महात्मा गांधी, भारतीय बैंकनोट, भारतीय रिज़र्व बैंक, सेवाग्राम आश्रम, स्वच्छ भारत अभियान, सत्य, अहिंसा मेन्स के लिये:समकालीन विश्व में महात्मा गांधी के सिद्धांतों और शिक्षाओं की प्रासंगिकता |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
स्वतंत्रता संग्राम में उनके अपरिहार्य भूमिका के आलोक में 2 अक्तूबर, 2023 को पूरे देश में महात्मा गांधी की 154वीं जयंती मनाई गई। उनके सिद्धांत और आदर्श वर्तमान समय में अत्यंत प्रासंगिक हैं तथा राष्ट्र को प्रेरित करते हैं।
- स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान के कारण उन्हें "राष्ट्रपिता" की उपाधि प्राप्त हुई, जिसके कारण उनका चित्र भारतीय बैंकनोटों पर चित्रित किया गया।
- बहुआयामी व्यक्तित्त्व वाले महात्मा गांधी संगीत में गहरी रुचि रखते थे और उन्होंने हमेशा ही पर्यावरण की सुरक्षा को बढ़ावा दिया।
महात्मा गांधी:
भारतीय मुद्रा और गांधी की तस्वीर:
- भारतीय मुद्रा पर गांधी की तस्वीर मुद्रित होने की शुरुआत:
- बैंक नोटों पर दिखाई देने वाली गांधी की तस्वीर वर्ष 1946 में ली गई उनकी एक तस्वीर का कट-आउट, अर्थात एक भाग है, जिसमें वह ब्रिटिश राजनेता लॉर्ड फ्रेडरिक विलियम पेथिक-लॉरेंस के साथ खड़े हैं।
- इस तस्वीर के चयन का प्रमुख कारण यह है कि इस तस्वीर में गांधीजी की मुस्कुराहट की अभिव्यक्ति सबसे उपयुक्त थी, साथ ही यह तस्वीर कट-आउट चित्र की दर्पण छवि (मिरर इमेज) है।
- भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम की धारा 25 के अनुसार, बैंकनोट की रूपरेखा (डिज़ाइन), स्वरूप और सामग्री भारतीय रिज़र्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड की अनुसंशा पर विचार करने के उपरांत केंद्र सरकार के अनुमोदन के अनुरूप की जाती है।
- भारतीय नोटों पर पहली बार गांधीजी की तस्वीर:
- गांधीजी की 100वीं जयंती के उपलक्ष्य में वर्ष 1969 में नोटों की एक नई सीरीज़/शृंखला जारी करने के साथ ही पहली बार भारतीय मुद्रा पर गांधी की तस्वीर अंकित की गई थी।
- फिर अक्तूबर 1987 में गांधीजी की तस्वीर वाले 500 रुपए के नोटों की एक शृंखला शुरू की गई।
- बैंक नोटों पर गांधी का स्थायित्त्व:
- गांधी के चयन का कारण उनका राष्ट्रीय महत्त्व था और वर्ष 1996 में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अशोक स्तंभ वाले बैंक नोटों को प्रतिस्थापित करने के लिये एक नई 'महात्मा गांधी शृंखला' शुरू की गई थी।
- सुरक्षा की दृष्टि से इन नोटों में एक गुप्त छवि, विंडोड सिक्योरिटी थ्रेड तथा दृष्टिबाधित लोगों के लिये इंटैग्लियो सुविधाओं से लैस किया गया था।
संधारणीयता के संबंध में गांधी के विचार:
- सादगी और न्यूनतावाद:
- गांधीजी ने सरल और न्यूनतावादी जीवन शैली को बढ़ावा दिया। उनका मानना था कि लोगों को आवश्यकता से कम उपभोग करना चाहिये और सादगीपूर्ण जीवन व्यतीत करना चाहिये।
- सरल जीवन अथवा "सर्वोदय" का यह विचार संसाधनों के संरक्षण और पारिस्थितिक फुटप्रिंट को कम करने के विचार को प्रोत्साहित करता है।
- आत्मनिर्भरता:
- गांधीजी ने सामुदायिक स्तर पर आत्मनिर्भरता के महत्त्व पर काफी बल दिया। उन्होंने भोजन, वस्त्र और अन्य बुनियादी आवश्यकताओं के मामले में गाँवों को आत्मनिर्भर बनने के विचार को बढ़ावा दिया।
- यह दृष्टिकोण बाहरी संसाधनों पर निर्भरता को कम करने के साथ ही लंबी दूरी के परिवहन तथा व्यापार से जुड़े पर्यावरणीय प्रभावों को कम करता है।
- अहिंसा:
- गांधीजी के अहिंसा के सिद्धांत में मानवीय संबंधों के साथ-साथ सभी जीवित प्राणी और पर्यावरण समाहित हैं। वह पशुओं के प्रति नैतिक व्यवहार में विश्वास करते थे और स्वयं शाकाहारी थे।
- यह सभी प्राणियों के कल्याण के प्रति उनकी चिंता और प्रकृति के साथ सौहार्दपूर्वक सह-अस्तित्त्व के महत्त्व को दर्शाता है।
- धारणीय कृषि का विचार:
- गांधीजी ने धारणीय और जैविक कृषि पद्धतियों का समर्थन किया। उन्होंने मृदा की उर्वरता को बनाए रखने में रासायनिक तत्त्वों के उपयोग को कम करने तथा प्राकृतिक उर्वरकों, फसल चक्र और पारंपरिक खेती के तरीकों के उपयोग को बढ़ावा देने पर बल दिया।
- संसाधनों का संरक्षण:
- गांधीजी ने जल और वन जैसे प्राकृतिक संसाधनों के उत्तरदायित्त्वपूर्ण उपयोग एवं संरक्षण पर ज़ोर दिया।
- उनका मानना था आने वाली पीढ़ियों की इन संसाधनों तक पहुँच सुनिश्चित करने के लिये पर्यावरण की रक्षा और पुनरुद्धार आवश्यक हैं।
- स्थानीयता और विकेंद्रीकरण:
- गांधीजी सत्ता और संसाधनों के विकेंद्रीकरण के समर्थक थे। वह स्थानीय समुदायों को अधिकार सौंपने में विश्वास करते थे, जो उनकी अपनी पर्यावरणीय और धारणीय आवश्यकताओं के अनुरूप हो सकते हैं।
- स्वदेशी:
- गांधीजी ने स्वदेशी आंदोलन को बढ़ावा दिया, जिसने स्थानीय रूप से उत्पादित वस्तुओं और सामग्रियों के उपयोग को प्रोत्साहित किया।
- इस विचार का उद्देश्य क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ावा देना और लंबी दूरी के व्यापार द्वारा पर्यावरण पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों को कम करना था।
- प्रकृति का सम्मान:
- गांधी जी का मानना था कि मनुष्य को प्रकृति के प्रति गहन सम्मान और श्रद्धा रखनी चाहिये।
- उन्होंने प्रकृति को मानव जीवन का एक अनिवार्य अंग माना और पर्यावरण के संधारणीय प्रबंधन का आह्वान किया।
- वसुधैव कुटुंबकम्:
- वसुधैव कुटुंबकम् (पूरा विश्व एक परिवार है) में उनका विश्वास, हम सभी एक विश्व के नागरिक हैं, के विचार को प्रोत्साहित करता है तथा यह रेखांकित करता है कि हमें वैश्विक मुद्दों के प्रति सचेत रहना चाहिये।
महात्मा गांधी की राजनीतिक विचार का संगीत से संबंध:
- भजन और धार्मिक संगीत:
- गांधी का एक मज़बूत आध्यात्मिक पक्ष था और वह अक्सर भजन (हिंदू धार्मिक गीत) जैसे भक्ति संगीत का उपयोग अपने आंतरिक स्व से जुड़ने एवं सांत्वना पाने के साधन के रूप में करते थे।
- उनका मानना था कि भजन और धार्मिक गीत के गायन से मन को शुद्ध करने एवं परमात्मा के साथ संबंध जुड़ने में मदद मिलती है।
- प्रेरणादायक गीत:
- गांधीजी ने स्वतंत्रता संघर्ष में लोगों को एकजुट करने के लिये प्रेरणादायक और देशभक्ति गीतों के उपयोग को प्रोत्साहित किया।
- "रघुपति राघव राजा राम" और "वैष्णव जन तो" जैसे गीत उनके प्रिय में से थे तथा अक्सर उनकी प्रार्थना सभाओं एवं सार्वजनिक समारोहों के दौरान गाए जाते थे।
- उपवास और मौन:
- गांधीजी कभी-कभी विरोध प्रदर्शित करने या आत्म-शुद्धि के रूप में उपवास और मौन का अभ्यास करते थे।
- इस दौरान वह अक्सर लिखित संदेशों के माध्यम से दूसरों के साथ संवाद करते थे और अपने विचारों एवं भावनाओं को व्यक्त करने के लिये संगीत का उपयोग करते थे।
- सामुदायिक जुड़ाव:
- गांधीजी के अहिंसक आंदोलनों के दौरान समुदायों को एक साथ लाने में संगीत ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- मंत्रों, गीतों एवं संगीत ने दांडी मार्च जैसे विभिन्न अभियानों में भाग लेने वालों के बीच एकता और एकजुटता की भावना को बल प्रदान किया।
- लोक संगीत को प्रोत्साहन:
- गांधी पारंपरिक भारतीय संस्कृति के समर्थक थे और लोक संगीत एवं कलाओं के संरक्षण में विश्वास करते थे।
- उन्होंने जन सामान्य से जुड़ने के लिये स्थानीय भाषाओं एवं संगीत के प्रयोग को प्रोत्साहित किया, क्योंकि उनका मानना था कि वे अधिक प्रासंगिक और सुलभ थे।
- अहिंसक आंदोलन में भूमिका:
- संगीत गांधीजी के नेतृत्व वाले अहिंसक आंदोलनों का एक अभिन्न अंग था। इसने लोगों को प्रेरित करने और एकजुट करने, सामूहिक पहचान की भावना को बढ़ावा देने तथा चुनौतीपूर्ण समय के दौरान उनका मनोबल बढ़ाने के साधन के रूप में कार्य किया।
- सादगी का समर्थन:
- गांधीजी का सादगी और न्यूनतावाद का दर्शन संगीत तक विस्तृत था। वह सरल एवं मधुर धुनों को प्राथमिकता देते थे जिन्हें आम लोग आसानी से समझ सकें और सराह सकें।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन अंग्रेज़ी में प्राचीन भारतीय धार्मिक गीतों के अनुवाद 'सॉन्ग्स फ्रॉम प्रिज़न' से संबंधित है? (2021) (a) बाल गंगाधर तिलक उत्तर: (c) प्रश्न. भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न. असहयोग आंदोलन और सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी के रचनात्मक कार्यक्रमों पर प्रकाश डालिये। (2021) |