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भारतीय इतिहास

दांडी मार्च 1930

  • 14 Mar 2022
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

दांडी मार्च, महात्मा गांधी, सविनय अवज्ञा आंदोलन, भारतीय राष्ट्रीय काॅन्ग्रेस, साबरमती, धरसाना नमक, सरोजिनी नायडू।

मेन्स के लिये:

भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन, महत्त्वपूर्ण व्यक्तित्व, सविनय अवज्ञा आंदोलन और इसका महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में प्रधानमंत्री ने महात्मा गांधी और उन सभी प्रतिष्ठित व्यक्तियों को श्रद्धांजलि अर्पित की, जिन्होंने अन्याय का विरोध करने और हमारे देश के स्वाभिमान की रक्षा के लिये दांडी (1930) की यात्रा की।

  • इससे पहले वर्ष 2021 में एक स्मारक 'दांडी मार्च' शुरू किया गया था, जिसमें अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से नवसारी के दांडी तक 386 किलोमीटर की यात्रा में 81 लोगों ने हिस्सा लिया था।

विगर वर्षों के प्रश्न

प्रश्न: निम्नलिखित में से किसकी शुरुआत दांडी मार्च से हुई थी? (2009)

(a) होमरूल आंदोलन
(b)
असहयोग आंदोलन
(c) सविनय अवज्ञा आंदोलन
(d)
भारत छोड़ो आंदोलन

उत्तर: C 

दांडी मार्च के विषय में:

  • दांडी मार्च, जिसे नमक मार्च (Salt March) और दांडी सत्याग्रह (Dandi Satyagraha) के नाम से भी जाना जाता है, मोहनदास करमचंद गांधी के नेतृत्व में किया गया एक अहिंसक सविनय अवज्ञा आंदोलन था।
  • इसे 12 मार्च, 1930 से 6 अप्रैल, 1930 तक नमक पर ब्रिटिश एकाधिकार के खिलाफ कर प्रतिरोध और अहिंसक विरोध के प्रत्यक्ष कार्रवाई अभियान के रूप में चलाया गया।
  • गांधीजी ने 12 मार्च को साबरमती से अरब सागर (दांडी के तटीय शहर तक) तक 78 अनुयायियों के साथ 241 मील की यात्रा की, इस यात्रा का उद्देश्य गांधी और उनके समर्थकों द्वारा समुद्र के जल से नमक बनाकर ब्रिटिश नीति की उल्लंघन करना था।
  • दांडी की तर्ज पर भारतीय राष्ट्रवादियों द्वारा बंबई और कराची जैसे तटीय शहरों में नमक बनाने हेतु भीड़ का नेतृत्व किया गया।
  • सविनय अवज्ञा आंदोलन संपूर्ण देश में फैल गया, जल्द ही लाखों भारतीय इसमें शामिल हो गए। ब्रिटिश अधिकारियों ने 60,000 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया। 5 मई को गांधीजी के गिरफ्तार होने के बाद भी यह सत्याग्रह जारी रहा।
  • कवयित्री सरोजिनी नायडू द्वारा 21 मई को बंबई से लगभग 150 मील उत्तर में धरसाना नामक स्थल पर 2,500 लोगों का नेतृत्व किया गया। अमेरिकी पत्रकार वेब मिलर द्वारा दर्ज की गई इस घटना ने भारत में ब्रिटिश नीति के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आक्रोश उत्पन्न कर दिया।
  • गांधीजी को जनवरी 1931 में जेल से रिहा कर दिया गया, जिसके बाद उन्होंने भारत के वायसराय लॉर्ड इरविन से मुलाकात की। इस मुलाकात में लंदन में भारत के भविष्य पर होने वाले गोलमेज़ सम्मेलन (Round Table Conferences) में शामिल होने तथा सत्याग्रह को समाप्त करने पर सहमति बनी।
    • गांधीजी ने अगस्त 1931 में राष्ट्रवादी भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के एकमात्र प्रतिनिधि के रूप में इस सम्मेलन में हिस्सा लिया। यह बैठक निराशाजनक रही, लेकिन ब्रिटिश नेताओं ने गांधीजी को एक ऐसी ताकत के रूप में स्वीकार किया जिसे वे न तो दबा सकते थे और न ही अनदेखा कर सकते थे।

विगत वर्षों के प्रश्न

प्रश्न: भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)

  1. 'बंधुआ मज़दूरी' की व्यवस्था को खत्म करने में महात्मा गांधी की अहम भूमिका थी।
  2. लॉर्ड चेम्सफोर्ड के 'युद्ध सम्मेलन' में महात्मा गांधी ने विश्व युद्ध के लिये भारतीयों की भर्ती के प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया।
  3. भारतीय लोगों द्वारा नमक कानून तोड़ने के परिणामस्वरूप भारतीय राष्ट्रीय काॅन्ग्रेस को औपनिवेशिक शासकों द्वारा अवैध घोषित कर दिया गया था।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: B 

दांडी मार्च (पृष्ठभूमि):

  • वर्ष 1929 की लाहौर कॉन्ग्रेस ने कॉन्ग्रेस कार्य समिति (Congress Working Committee) को करों का भुगतान न करने के साथ ही सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू करने के लिये अधिकृत किया।
  • 26 जनवरी, 1930 को "स्वतंत्रता दिवस" मनाया गया, जिसके अंतर्गत विभिन्न स्थानों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराकर देशभक्ति के गीत गाए गए।
  • साबरमती आश्रम में फरवरी 1930 में कॉन्ग्रेस कार्य समिति की बैठक में गांधीजी को समय और स्थान का चयन कर सविनय अवज्ञा कार्यक्रम शुरू करने के लिये अधिकृत किया गया।
  • गांधीजी ने भारत के वायसराय (वर्ष 926-31) लॉर्ड इरविन को अल्टीमेटम दिया कि अगर उनकी न्यूनतम मांगों को नज़रअंदाज किया तो उनके पास सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू करने के अलावा और कोई दूसरा रास्ता नहीं बचेगा।

आंदोलन का प्रभाव:

  • सविनय अवज्ञा आंदोलन को विभिन्न प्रांतों में अलग-अलग रूपों में शुरू किया गया, जिसमें विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार पर विशेष ज़ोर दिया गया।
  • पूर्वी भारत में चौकीदारी कर का भुगतान करने से इनकार कर दिया गया, जिसके अंतर्गत नो-टैक्स अभियान (No-Tax Campaign) बिहार में अत्यधिक लोकप्रिय हुआ।
  • जे.एन. सेनगुप्ता ने बंगाल में सरकार द्वारा प्रतिबंधित पुस्तकों को खुलेआम पढ़कर सरकारी कानूनों की अवहेलना की।
  • महाराष्ट्र में वन कानूनों की अवहेलना बड़े पैमाने पर की गई।
  • यह आंदोलन अवध, उड़ीसा, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और असम के प्रांतों में आग की तरह फैल गया।

विगत वर्षों के प्रश्न

प्रश्न: भारतीय राष्ट्रीय काॅन्ग्रेस का वर्ष 1929 का अधिवेशन स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में महत्त्वपूर्ण है क्योंकि (2014)

(a) स्वशासन की प्राप्ति को काॅन्ग्रेस का उद्देश्य घोषित किया गया
(b) पूर्ण स्वराज की प्राप्ति को काॅन्ग्रेस के लक्ष्य के रूप में अपनाया गया था
(c) असहयोग आंदोलन शुरू किया गया था
(d) लंदन में गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने का निर्णय लिया गया

उत्तर: B

महत्त्व:

  • इस आंदोलन के परिणामस्वरूप भारत में ब्रिटेन से होने वाला आयात काफी गिर गया। उदाहरण के लिये ब्रिटेन से कपड़े का आयात आधा हो गया।
  • यह आंदोलन पिछले आंदोलनों की तुलना में अधिक व्यापक था, जिसमें महिलाओं, किसानों, श्रमिकों, छात्रों और व्यापारियों तथा दुकानदारों जैसे शहरी तत्त्वों ने बड़े पैमाने पर भागीदारी की। अतः अब कॉन्ग्रेस ने अखिल भारतीय संगठन का स्वरूप प्राप्त कर लिया था।
  • इस आंदोलन को कस्बों और देहात दोनों में गरीबों तथा अनपढ़ों से जो समर्थन हासिल हुआ, वह उल्लेखनीय था।
  • इस आंदोलन में भारतीय महिलाओं की बड़ी संख्या में खुलकर भागीदारी उनके लिये वास्तव में मुक्ति का सबसे अलग अनुभव था।
  • यद्यपि कॉन्ग्रेस ने वर्ष 1934 में सविनय अवज्ञा आंदोलन वापस ले लिया, लेकिन इस आंदोलन ने वैश्विक स्तर पर ध्यान आकर्षित किया और साम्राज्यवाद विरोधी संघर्ष की प्रगति में महत्त्वपूर्ण चरण को चिह्नित किया।

विगत वर्षो के प्रश्न

प्रश्न: "करो या मरो" का नारा निम्नलिखित में से किस आंदोलन से संबंधित है? (2009)

(a) स्वदेशी आंदोलन
(b) असहयोग आंदोलन
(c) सविनय अवज्ञा आंदोलन
(d) भारत छोड़ो आंदोलन

उत्तर: (d)

स्रोत: पी.आई.बी.

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